सोने का अंडा देने वाली मुर्गी मेरे हाथ से फिसल गई 😢💔
मैं, संदीप, पुणे का रहने वाला एक साधारण युवक था। मेरी जिंदगी तब तक सामान्य गति से चल रही थी, जब तक कि मेरी मुलाकात एक महिला, स्नेहा, से नहीं हुई। स्नेहा, जोकि एक अकेली और आत्मनिर्भर महिला थी, ने मेरे जीवन में एक नया मोड़ ला दिया। हम दोनों ने पहली बार एक कॉफी शॉप में मुलाकात की थी, और जल्दी ही हमारी दोस्ती गहरी हो गई।
स्नेहा का व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक था। उसकी बातें सुनकर मेरे दिल में एक खास जगह बनने लगी थी। हम जल्दी ही अच्छे दोस्त बन गए और अक्सर मिलने लगे। मैं उसके घर भी जाने लगा, और वह मेरी बातों और संगत में आनंद महसूस करती थी।
धीरे-धीरे हमारी दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि हमारे बीच शारीरिक संबंध भी बन गए। स्नेहा ने मुझे हमेशा अपने पास बुलाना शुरू कर दिया, और हर बार हमारे बीच कुछ न कुछ नया होता रहा। वह मुझे अक्सर आर्थिक रूप से भी मदद करती थी, जिसे मैं उस समय सामान्य समझता था। यह सिलसिला करीब दो साल तक चलता रहा।
एक दिन, स्नेहा ने अपनी एक खास इच्छा जाहिर की। उसने मुझे बताया कि वह एक नए अनुभव की तलाश में है और चाहती है कि हम दोनों के साथ एक और व्यक्ति हो। मुझे यह सुनकर थोड़ा अजीब लगा, लेकिन उसने मुझे किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढने को कहा जिस पर मैं भरोसा कर सकूं।
मेरा एक पुराना दोस्त, अनीश, जो मेरे काफी करीब था, मुझे तुरंत याद आया। मैंने उसे इस प्रस्ताव के बारे में बताया और वह इसके लिए तैयार हो गया। हम दोनों ने योजना बनाई और एक दिन हम तीनों, स्नेहा के घर पर मिले। उस रात हमने साथ में समय बिताया, और स्नेहा की इच्छाओं को पूरा किया।
मेरे लिए सब कुछ ठीक था, लेकिन जल्द ही मुझे एहसास हुआ कि सब कुछ बदल गया है। उस घटना के बाद, स्नेहा ने मुझसे बात करना कम कर दिया। उसने मेरा फोन उठाना बंद कर दिया और जब भी मैं उसके घर जाता, वह मुझे देखकर ठंडी प्रतिक्रिया देती। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक यह सब क्यों हो रहा है।
कुछ दिन बाद, मैं और अनीश एक कैफे में बैठे हुए थे। बातचीत के दौरान, अनीश ने अचानक मुझे धन्यवाद दिया। मैंने हैरानी से पूछा, "धन्यवाद किस बात का?"
अनीश ने मुस्कुराते हुए कहा, "संदीप, तुमने जो स्नेहा से मिलवाया, उसके लिए धन्यवाद! अब वह मुझे रोज बुलाती है, और हम दोनों का समय बहुत अच्छा बीतता है। साथ ही, वह मुझे पैसे भी देती है।"
अनीश की बात सुनकर मेरे दिल में एक अजीब सा दर्द हुआ। मुझे समझ में आ गया था कि स्नेहा ने मुझे छोड़ दिया है क्योंकि उसे मुझसे बेहतर विकल्प मिल गया था।
वह दिन मेरी जिंदगी का सबसे बड़ा सबक बन गया। मैंने अपनी ही गलती से सब कुछ खो दिया। अगर मैंने उस दिन अनीश को स्नेहा से मिलवाने का फैसला नहीं किया होता, तो शायद आज भी सब कुछ मेरे पास होता।
स्नेहा अब मेरी जिंदगी से बाहर जा चुकी थी, और मैं खुद को बेहद अकेला महसूस करने लगा था।
इस कहानी से यह सीखने को मिलता है कि रिश्तों में भरोसा और समझदारी बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। किसी भी निर्णय को लेने से पहले उसके परिणामों के बारे में सोचने की जरूरत होती है, क्योंकि एक छोटी सी गलती हमारी जिंदगी को पूरी तरह बदल सकती है।
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