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Monday, 19 August 2024

जब तुम मेरे लिए अपने पति को धोखा दे सकती हो तो किसी और के लिए मुझे भी धोखा दे सकती हो।

 "जब तुम मेरे लिए अपने पति को धोखा दे सकती हो तो किसी और के लिए मुझे भी धोखा दे सकती हो। जो अपने पति की नहीं हुई वो मेरी क्या होगी" - आज नरेश के मुंह से ये शब्द सुनकर प्रिया अवाक रह गई थी। उसका दिल बुरी तरह तड़प कर रह गया था। वह बिना कुछ कहे नरेश की गाड़ी से उतरी और अपने घर आ गई। बच्चों को स्कूल से आने में अभी काफी समय था।


प्रिया ने एक नजर अपने घर को देखा, फिर सोफे पर बैठकर सोचने लगी कि आखिर क्या मिला उसे ऐसे ऑनलाइन रिश्ते से? प्रिया का पति अच्छी नौकरी पर था। दो प्यारे बच्चे, खुद का घर, गाड़ी - किसी चीज की कमी नहीं थी उसे सिवाय पति के समय की। और एक औरत के लिए उसके पति द्वारा दिया गया समय सभी सांसारिक चीज़ों से कीमती होता है। उसका पति ऑफिस के काम में इतना व्यस्त होता गया कि प्रेम विवाह होने के बावजूद उसे समय देना ही भूल गया था। वैसे भी मर्द का प्यार तब तक ही होता है जब तक वह उसे हासिल न कर ले।


इस शहर में प्रिया का अपना कोई नहीं था और न ही किसी से ज्यादा मिलना-जुलना उसे पसंद था। बस अपने रिश्तेदारों व दोस्तों से फोन पर बात हो जाती थी। अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जी रही थी। नरेश उसके शहर में ही रहता था। शुरुआत में वह सिर्फ सोशल मीडिया पर ही कभी-कभार प्रिया को मैसेज करता था। प्रिया ने कभी रिप्लाई नहीं किया, पर नरेश की तारीफ उसे भी अच्छी लगती थी। कुछ समय बाद वह भी रिप्लाई करने लगी। फिर पता ही नहीं चला कि कैसे बात सोशल मीडिया पर मैसेज करने से फोन पर बातचीत होने तक पहुंच गई। प्रिया भी पति के ऑफिस और बच्चों के स्कूल जाने के बाद समय निकाल कर नरेश से फोन पर बात करने में व्यस्त रहने लगी। पति और बच्चों के घर आने तक जितना भी समय मिलता, दोनों फोन पर लगे रहते। हां, अगर कभी नरेश को कोई जरूरी काम होता, तब उनकी बात नहीं हो पाती। अपने अकेलेपन में प्रिया के कदम कब और कैसे नरेश की तरफ बढ़ते चले गए, उसे पता ही नहीं चला।


नरेश भी उसकी हर बात सुनता, समझता और उसकी परवाह करता था। यही तो प्रिया चाहती थी। कोई तो हो जिसे वह अपने दिल की हर बात बता सके। समय ऐसे ही गुजरता गया। अब प्रिया को अपने पति से कोई शिकायत नहीं रहती थी क्योंकि उसने अपना सुकून कहीं और तलाश लिया था।


पर यह सब ज्यादा दिन नहीं चला। धीरे-धीरे प्रिया को महसूस होने लगा कि वक्त के साथ नरेश का व्यवहार काफी बदलने लगा है। अगर प्रिया का फोन दो मिनट के लिए भी व्यस्त होता, तो नरेश उस से सवाल करने लगता। नरेश नहीं चाहता था कि प्रिया उसके अलावा किसी से भी बात करे। यहां तक कि प्रिया ने अपने परिजनों को भी फोन करना बंद कर दिया था। उसके मम्मी-पापा, भाई-बहन खुद फोन करते, तो ही वह बात करती। उस पर भी अगर बीच में नरेश का फोन आ जाता, तो उसे हर बार अपनी सफाई पेश करनी होती। और अब तो नरेश उसके सोशल मीडिया अकाउंट पर भी नजर रखने लगा था। कभी किसी के कमेंट को लेकर, तो कभी किसी के लाइक करने को लेकर नरेश हर बात का विवाद बना देता। पर प्रिया नरेश को खोना नहीं चाहती थी, इसलिए वह वही करती जो नरेश कहता। कितने ही जानने वालों को तो प्रिया नरेश के कहने पर बिना किसी कारण ब्लॉक कर चुकी थी। सोशल मीडिया से शुरू हुए इस रिश्ते में मुलाकातों का दौर आ चुका था।


वैसे तो सब ठीक-ठीक था, पर कई बार नरेश बेमतलब की बातों पर प्रिया से लड़ाई करने लग जाता। वह बात-बात में प्रिया के चरित्र पर सवाल करता, उस पर शक करता। जब भी वे मिलते, नरेश उसका फोन जरूर चेक करता। एक बार तो इसी बात पर विवाद इतना बढ़ गया कि नरेश ने उसे सरेराह ही अपमानित कर दिया। वह तो खैर थी कि उन्हें वहां कोई जानता नहीं था!


उस दिन पहली बार प्रिया को अहसास हुआ कि उससे कितनी बड़ी गलती हो गई है। प्रिया के पति तो उससे कभी नहीं पूछते थे कि वह फोन पर किससे बात करती है, न ही वह कभी उसका फोन चेक करते थे। हमेशा उसका सम्मान करते थे। प्रिया पर शक करना तो दूर की बात थी। और इधर वह अकेलापन दूर करने के लिए ऐसे इंसान के चक्कर में पड़ गई थी, जो अब उसके मानसिक और भावनात्मक तनाव का कारण बन चुका था। उसे अब समझ आ गया था कि वह बैठे-बिठाए किस मकड़जाल में फंस चुकी है। उसी दिन प्रिया ने नरेश का नंबर अपने फोन और सोशल मीडिया पर ब्लॉक कर दिया था। पर कुछ दिन बाद नरेश ने फिर से प्रिया का पीछा करना शुरू कर दिया। वह जहां भी जाती, नरेश वहीं पहुंच जाता। नए-नए नंबरों से उसे फोन करता।


प्रिया कभी भी ऐसी नहीं थी जैसा उसे इन हालात ने बना दिया था। वह तो सिर्फ अपने पति से प्यार करती थी। नरेश ने ही उसे अपनी बातों के जाल में फंसाकर ऐसे हालात में पहुंचा दिया था। मगर अब वह इन सब से निकलना चाहती थी और इस रिश्ते को यहीं विराम देना चाहती थी। इसीलिए न चाहते हुए भी प्रिया को उससे मिलकर बात करनी पड़ी। प्रिया ने नरेश को काफी समझाया कि उनके बीच जो भी रिश्ता है उसका कोई भविष्य नहीं है, इसलिए यह सब खत्म कर देना चाहिए। इस तरह शक करके लड़ाई-झगड़े करने का क्या फायदा? और जब नरेश को उस पर विश्वास ही नहीं है, तो फिर ऐसे रिश्ते का क्या मतलब?


हालांकि नरेश को पता था कि प्रिया का अपना परिवार है और वह किसी के लिए भी अपने परिवार को नहीं छोड़ सकती। फिर भी नरेश ने रो-रो कर प्रिया से माफी मांग ली और दुबारा ऐसा न करने का वादा भी किया, साथ ही यह भी जता दिया कि यह सब ऐसे खत्म नहीं होने वाला। अब प्रिया समझ चुकी थी कि नरेश इतनी आसानी से उसका पीछा छोड़ने वाला नहीं है। यह रिश्ता उसके लिए एक मजबूरी बन चुका था, साथ ही यह भी डर था कि कहीं नरेश उसके पति को यह सब न बता दे। इसलिए उसने खुद को समझा लिया कि जैसा चल रहा है वैसे ही चलने दिया जाए।


फिर से वही सब फोन, मैसेज, चैटिंग, नरेश का बात-बात पर सुनाना - कहां बिजी थी? करो उसी से बात, उसने क्यों किया ऐसा कमेंट? इसको ब्लॉक करो। इतनी देर ऑनलाइन? किससे चैटिंग कर रही थी? फिर खुद ही रूठ जाना और न मनाओ तो पीछा करना, लड़ना-झगड़ना। बस यही सब रह गया था। इस सब से प्रिया बहुत परेशान हो चुकी थी। आज प्रिया नरेश से मिलने इसलिए गई थी, क्योंकि वह इस रिश्ते को हमेशा के लिए खत्म कर देना चाहती थी।


पर प्रिया की बात सुनकर नरेश कहने लगा - अब तुम्हें कोई और मिल गया है ना इसलिए मुझे छोड़ रही हो। और उसका फोन चेक करने की जिद करने लगा। प्रिया को उम्मीद नहीं थी कि नरेश ऐसे रिएक्ट करेगा। पर इस बार प्रिया ने अपना फोन नरेश को नहीं दिखाया। प्रिया ने खुद को समझाया कि वह सही हो या गलत, किसी को हक नहीं है कि उसका फोन चेक करे। न ही उसे किसी को इतना हक देना चाहिए कि कोई उसे जलील करे या उसके आत्मसम्मान को चोटिल कर सके।


इतनी जिल्लत प्रिया ने कभी महसूस नहीं की थी। हां, उससे एक बार गलती हुई थी पर वह इतनी गिरी हुई नहीं थी कि हर किसी से आशिकी करती फिरे। न ही उसे ऐसा करने की जरूरत थी। अब प्रिया ने सोच लिया था कि वह आज ही अपने पति को सब कुछ सच-सच बता देगी फिर चाहे जो सजा मिले। कम से कम उसे इस ब्लैकमेलिंग और जिल्लत से छुटकारा तो मिलेगा। उसका पति उसे जो भी सजा दे, वह इस जिल्लत और बेइज्जती से ज्यादा तो नहीं होगी। अपने पति से अच्छा दोस्त, साथी, प्यार, हमसफर दूसरा कोई नहीं हो सकता।

छवि निर्माण के लिए निर्देश

इस कहानी पर आधारित एक यथार्थवादी छवि बनाएँ, जिसमें दिखाया जाए:

1. प्रिया नरेश की गाड़ी से उतरी हुई, दिल टूटने के साथ घर की ओर जाती हुई।

2. प्रिया अपने घर के सोफे पर बैठी हुई, गहरी सोच में डूबी हुई।

3. नरेश गाड़ी में बैठा हुआ, प्रिया को जाते हुए देख रहा है।

4. प्रिया का पति अपने काम में व्यस्त है, प्रिया की मानसिक स्थिति से अनजान।

5. छवि में प्रिया की भावनात्मक यात्रा और उसके आत्म-साक्षात्कार के क्षणों को दिखाया जाए, जिसमें दुःख, पछतावा और दृढ़ संकल्प का मिश्रण हो।

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