"माँ...!" रीना ने हल्की हिचकिचाहट के साथ कहा, "मैं सोच रही थी कि आज रात शालिनी के घर रुक जाऊं। थोड़ी ग्रुप स्टडी करनी है, और परसों मैथ्स का टेस्ट भी है, उसी की तैयारी करनी है।" रीना अपनी किताबें समेटते हुए उत्साहित होकर बोलती जा रही थी।
"बेटा, रात को किसी के घर रुकना मुझे ठीक नहीं लगता," माँ, सुनीता, ने अपने संकोच को जाहिर करते हुए कहा।
"माँ!!", रीना ने नाराज होते हुए कहा, "पापा, देखिए ना, माँ मुझे जाने नहीं दे रहीं!"
रीना के पिता, रोहित, जो हमेशा अपने बच्चों की बात मानते थे, सुनीता पर हल्का सा नाराज होते हुए बोले, "अरे, रुक जाने दो ना रीना को उसकी सहेली के घर, एक रात की ही तो बात है। हमें अपने बच्चों पर विश्वास करना सीखना चाहिए। जाओ बेटा, जाओ!"
रीना ने अपने पापा को धन्यवाद कहा और उत्साहित होकर अपनी स्कूटी से शालिनी के घर की ओर निकल पड़ी।
रात का एक बज चुका था, जब फोन की घनघनाहट ने रोहित जी को जगा दिया। फोन उठाते ही उन्होंने एक अनजान आवाज सुनी, "मि. रोहित, आप तुरन्त थाना सिविल लाइन्स आने का कष्ट करें।"
रोहित जी का दिल धक-धक करने लगा, उन्हें कुछ अनहोनी का आभास हो रहा था। उनकी सांसें जैसे गले में अटक गईं। बदहवास होकर वे थाने पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि लगभग दस-पंद्रह युवक-युवतियां मुंह छिपाए बैठे थे। रोहित जी ने अपनी बेटी, रीना, को पहचानने में जरा भी देर नहीं लगाई। उनका दिल टूट गया था, जैसे किसी ने उनके विश्वास को कुचल दिया हो।
"देखिए, मि. रोहित," थानेदार ने गुस्से से कहा, "ये बच्चे शहर के बाहर एक फार्महाउस में ड्रग्स के साथ रेव पार्टी करते हुए पकड़े गए हैं! आप लोग आखिर किस तरह के संस्कार अपने बच्चों को देते हैं? इतनी रात गए घर से बाहर जाने की परमिशन कैसे दे देते हैं? आपको शर्म आनी चाहिए!"
रोहित जी का सिर शर्म से झुक गया। वे बस एक ही बात सोच रहे थे, "मैंने अपनी बेटी पर इतना विश्वास किया, लेकिन आखिर क्यों उसने मेरे साथ विश्वासघात किया?"
दोस्तों, इस दुनिया में अगर कोई है जो आपका सबसे ज्यादा ख्याल रखता है, आपका भला चाहता है, तो वो आपके माता-पिता हैं। उनके सख्त होने के पीछे भी आपके लिए अपार प्रेम छिपा होता है। कभी भी आपको उस प्रेम का नाजायज फायदा नहीं उठाना चाहिए। माता-पिता के विश्वास का सम्मान करना चाहिए, क्योंकि एक बार खोया हुआ विश्वास शायद कभी लौटकर नहीं आता।
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