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Saturday, 31 August 2024

नीरा के बरसों से रुके आंसू उमड़ पड़े।

 नीरा बिस्तर पर लेटी हुई थी और छत पर घूमते पंखे की पंखुड़ियों को एकटक देख रही थी। जैसे ही पंखुड़ियाँ घूमती, नीरा के मन में पुराने समय की यादें उभरने लगीं। ⏳ उसकी यादों की किताब के पन्ने धीरे-धीरे खुलने लगे, जिसमें वक्त की स्याही भले ही धुंधली पड़ गई हो, लेकिन भावनाओं के निशान अब भी गहरे थे। 🕰️ उसे याद आया कि उसने सोलह साल की उम्र में ही शादी कर ली थी। उसके पति, राजीव, उससे सिर्फ दो साल बड़े थे - अल्हड़, मस्त और बेफिक्र। 💑 घर का पुश्तैनी बिज़नेस उनके पिता, सुरेश जी, संभाल रहे थे, इसलिए राजीव का दिन अपनी नई नवेली दुल्हन के इर्द-गिर्द घूमते हुए बीतता। 🏡 अम्मा अपने बेटे-बहू की हर दिन नज़र उतारतीं और उनके रिश्ते की बलैयाँ लेतीं। 


नीरा भी अम्मा के साथ बैठकर अमिया छीलती या चावल बीनती। 😌 वह घूंघट की ओट से तिरछी नज़रों से राजीव को देखती, और उसकी शरारती निगाहें राजीव के दिल के आर-पार हो जातीं। 💕 अम्मा उनकी प्रेम लीला देखकर भी अनदेखा कर देतीं। राजीव ने ब्याह से पहले ही महंगी मोटरसाइकिल खरीदी थी। 🏍️ सुरेश जी ने कहा भी था कि कार ले लो, बहू आएगी तो आराम रहेगा, पर राजीव का सपना था कि उसकी बहुरिया उसकी कमर पकड़कर बाइक पर पीछे बैठे और वे लॉंग ड्राइव पर जाएं। 🚗


प्रेम के सागर में डूबते-उतरते एक साल बीत गया और नीरा एक प्यारे से बेटे की माँ बन गई। 👶 पूरे नौ महीने सुरेश जी, उनकी पत्नी और राजीव ने नीरा को धरती पर पैर नहीं रखने दिया। अम्मा ने पोता होने की खुशी में अपना नौलखा हार नीरा को दे दिया। 💍 नीरा को डर लगता था कि कहीं किसी की नज़र न लग जाए। 😌


बेटे की छठी पर राजीव ने कहा कि वह नौलखा हार पहन ले, पर नीरा की तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए वह हार पहन नहीं पाई। बेटे के पहले जन्मदिन की धूमधाम से तैयारी हो रही थी, और नीरा को एक सुंदर लाल बनारसी साड़ी में सजाया गया। 🎉 राजीव ने उसे देखा तो बस देखता ही रह गया। 😍 उसने कहा, "अब मैं सब्र नहीं कर सकता, बस तुम्हें अम्मा का नौलखा हार पहने देखना चाहता हूँ," और वह एक मिनट में बाइक उठाकर हार लाने चला गया। 


नीरा जैसे ही गले में नौलखा हार डालने वाली थी, तभी शोर मचा कि गली के नुक्कड़ पर एक तेज रफ्तार कार ने राजीव को टक्कर मार दी। 🚗💥 राजीव के हाथ में नीरा का मनपसंद सफेद मोगरे का गजरा था, जिसे लेने वह जल्दी में गया था। अस्पताल ले जाते-ले जाते राजीव नीरा और अपने माता-पिता को बिलखता छोड़कर इस दुनिया से चला गया। 😢 नन्हा सोनू तो अपनी मस्ती में था, उसे समझ ही नहीं आया कि उसके सर से पिता का साया उठ गया। 


राजीव के बिना जीना नीरा के लिए असंभव था, उसकी दुनिया तो राजीव से शुरू होकर उसी पर खत्म होती थी। 💔 लेकिन धीरे-धीरे, नीरा ने उन तीनों के लिए खुद को संभाला जो राजीव के बाद उसकी जिम्मेदारी बन गए थे। सुरेश जी और उनकी पत्नी ने नीरा से दोबारा घर बसाने की बात की, लेकिन नीरा ने साफ इंकार कर दिया। उसने सुरेश जी के साथ बिज़नेस संभालना शुरू किया और सोनू को पढ़ा-लिखाकर बड़ा करने में जुट गई। 📚


समय बीतता गया, सोनू इंजीनियर बन गया और सुरेश जी ने सारा बिज़नेस नीरा और सोनू के नाम कर दिया। 🏢 सोनू की शादी शीना से हो गई और सुरेश जी और उनकी पत्नी भी चल बसे। नीरा के पास सब कुछ था, लेकिन मन का सुकून नहीं था। 😔 राजीव के बिना उसका जीवन अधूरा था। एक दिन उसने शीना को सोनू से कहते सुना, "मम्मी के पास नौलखा हार है, उन्हें क्या वह बुढ़ापे में पहनेंगीं? मैं तो उनसे वह नौलखा हार लेकर रहूंगी।" 😡


शीना ने आकर नीरा से नौलखा हार मांगा। नीरा ने कहा, "वह मनहूस नौलखा हार मैं कभी तुम्हारे गले में नहीं पहनाऊंगी। राजीव उसे देखने की ललक में चला गया और अब सोनू? नहीं, कभी नहीं। इसे बेच देंगे और इसके पैसे किसी गरीब लड़की के विवाह में दान कर देंगे।" 💔


कहते हुए नीरा के बरसों से रुके आंसू उमड़ पड़े। 😢 सोनू और शीना का सिर दुःख और शर्म से झुक गया। 😔


मनुष्य कुछ सोचता है, लेकिन होता कुछ और है। किसी के चले जाने से जीवन रुकता नहीं, वक्त का पहिया अपनी रफ्तार से चलता रहता है। ⏳ जीना पड़ता है दूसरों के लिए, बिना किसी मंजिल के। नीरा भी राजीव के संग मर तो नहीं सकी, लेकिन अपने कर्तव्यों को निभाने के लिए जीना पड़ा, जो काम राजीव अधूरे छोड़ गया था, उन्हें पूरा करने के लिए। 🌹 लेकिन ऐसा अधूरा जीवन, जीवन नहीं कहलाता। 😔

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