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Saturday, 31 August 2024

आज खाना खाकर तुमने मेरा कितना बड़ा सम्मान किया मुझे माफ कर दो

 ग्रामीण बैंक में मैनेजर की पोस्टिंग होने के बाद पहली बार राजेश किराए के नए घर में शिफ्ट हुऐ थे. पर आज ही सीढ़ियों से फिसलने के कारण प्रिया के पैरों में जबरदस्त मोच आ गयी थी. डॉक्टर ने घर पर आकर पट्टियाँ तो बाँध दी. साथ ही साथ सख्त हिदायत दे दीं कि चलना फिरना बिल्कुल मना है.

एक सप्ताह पहले आये नए घर के आस पास कोई जान पहचान के लोग भी नहीं थे. ये तो बहुत अच्छी बात रही कि पिछले कुछ दिनों में प्रिया ने किचन के साथ साथ पूरे घर को व्यवस्थित कर लिया था.

चार साल पहले राजेश और प्रिया की परिवार वालों की सहमति से अर्रेंज मैरेज हुई थी. प्रिया खुद भी पढ़ने में काफी तेज थी और पढ़ लिख कर जीवन मे कुछ बनना चाहती थी. लेकिन पापा को कैंसर का पता चला और उसी वक़्त राजेश के यहाँ से रिश्ता आया तो मजबूरी के चलते शादी करनी पड़ी.

शादी के बाद प्रिया पूरी तरह से ससुरालवालों की खुशियों के लिए खुद को न्योछावर कर दी. वो पूरी तरह से आदर्श बहू बन गयी. ससुराल में सब उसकी तारीफ करते नहीं थकते थे. उसके व्यवहार ,कार्यकुशलता से सभी प्रभावित थे.

कुछ ही दिनों में उसने अपने ससुराल की काया बदल कर रख दी थी. पहले हर चीज जैसे तैसे होती थी. अब हर चीज साफ सुथरी और व्यवस्थित रहने लगी. खाना भी वो बड़े जतन से बनाती थी. हर लोग उसके बनाये लजीज खाने की खूब तारीफ करते. सिवाय उसके पति राजेश के.

राजेश को जरा भी खाने में नमक कम या ज्यादा लगता या मसाला कम होता तो वो एक कोर खाना खाकर छोड़ देता था. परसों खीर में थोड़ी चीनी कम क्या हुई? प्रिया के लाख मिन्नतों के बाद भी उसने खाने को दुबारा हाथ तक नहीं लगाया.

सबसे ज्यादा राजेश को मटर पनीर पसंद थी. कुछ दिनों पहले जब मटर पनीर बनी और मटर थोड़ी गल गयी तो भी राजेश ने खाना नहीं खाया. जबकि घर के सभी सदस्यों ने खूब मजे से खाये.

प्रिया के लाख मिन्नतें करने और मनाने के बाद भी राजेश खाना नहीं खाता था. और राजेश जब भूखा सो जाता तो प्रिया भी भूखी सो जाती थी. महीने में कई बार ऐसा होता था. अब पहली बार राजेश नौकरी के लिए घर से दूर आया था.

प्रिया को पलँग पर अच्छे से सुलाकर राजेश आज जिंदगी मे पहली बार खाना बनाने के ख्याल से घुसा. किचन में हर चीज प्रिया ने व्यवस्थित रखा था. राजेश ने एक तरफ थोड़ा सा चावल गैस चूल्हे पर चढ़ा दिया और दूसरी तरफ थोड़ी सी दाल एक पतीले में चढ़ा दी.

फिर वो थोड़े आलू प्याज लेकर भुजिया काटने लगा. काफी मेहनत के बाद बहुत ही बेतरतीब ढंग से आलू और प्याज कटे. उसे आभास होने लगा था खाना बनाने में बहुत मेहनत लगती है. दो घंटे की मेहनत के बाद उसने किसी तरह खाना बनाने में सफलता पाई.

एक थाली में भात और कटोरी में दाल और प्लेट में भुजिया लेकर वो पलँग पर प्रिया को अपने हाथों से खाना खिलाने लगा. वो कोर कोर प्रिया को खाना खिलाता जाता था और प्रिया बड़े आराम से खुशी-खुशी खाना खाती जाती थी.

खाना खत्म होने के बाद राजेश ने प्रिया से पूछा कैसा लगा खाना? प्रिया ने कहा बहुत अच्छा. मैं कितनी खुशनसीब हूँ आज जिन्दगी में पहली बार पति के हाथों बना गरमागरम खाना खाने को मिला. राजेश से सुनकर बहुत खुश हुआ. आखिर दो घंटे कड़ी मेहनत करके उसने खाना बनाया था.

खाने की तारीफ सुनकर वह फूला न समाया. उसे लगा उसकी मेहनत सफल रही. प्रिया को खाना खिलाने के बाद वो खुद खाना खाने बैठा. उसे जोरों की भूख लगी थी. दाल भात मिलाकर थोड़ी भुजिया का कोर बनाकर जैसे ही मुँह में डालकर राजेश ने चबाना शुरू किया. तेजी से वाश बेसिन की तरफ दौड़ा और मुँह का सारा खाना वाश बेसिन में उगल दिया.

चावल कच्चा पक्का था. दाल में नमक बहुत ज्यादा था. भुजिया भी कच्चा था. ऐसा घटिया खाना प्रिया ने बिना कोई शिकायत के खा लिया. सिर्फ इसलिए कि मैंने इतनी मेहनत से बनाया था. छोटी-छोटी बात पर पिछले सारे खाना न खाने वाले वक़्त की उसे याद आने लगी.

उसके दोनों आँखों से आँसू निकल पड़े. अपने बनाये जिस जिस खाने को वो एक कोर भी न खा सका. प्रिया ने बिना कुछ कहे पूरे खाने को खा लिए. राजेश प्रिया के सामने सर झुकाए हाथ जोड़े धीरे से बोला- "पिछले चार सालों में कई बार खाना न खाकर मैंने तुम्हारा जो अपमान किया. आज खाना खाकर तुमने मेरा कितना बड़ा सम्मान किया मुझे माफ कर दो.

प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, दूध गर्म कर चूड़ा के साथ आज खा लीजिए. एक दो दिनों में मैं ठीक हो जाऊँगी. फिर आपको कभी शिकायत का मौका नहीं मिलेगा.

इसके बाद कोई भी ऐसा वक़्त नहीं आया. जब प्रिया का बनाया खाना राजेश ने खुशी खुशी न खाया हो. एक बार खाना बनाने में लगी मेहनत ने राजेश को पत्नी का सम्मान करना सीख गया था।

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