पत्नियां संभोग सुख की चेष्टा रखती हैं लेकिन जल्दी संतुष्टि नहीं प्राप्त करती हैं
मेरी शादी को 20 साल से ज़्यादा हो गए हैं।
जब मैंने अपनी पत्नी को पहली बार देखा तो उनके चेहरे के हाव भाव देखकर महसूस हुआ कि शायद वो मेरे लिए ठीक नहीं हैं। किन्तु घर मे सभी को पसंद थीं, बाकी सभी मानदंडों पर खरा उतर रहीं थीं और मेरे पास अपना कोई विकल्प नहीं था तो मैंने हाँ कह दी।
जिसका डर था वो ही हुआ हमारा स्वभाव एक दूसरे से काफी भिन्न है। इसलिए आजतक मतभेद भी बहुत चलते रहते हैं।
शादी के लगभग 2 वर्ष उपरांत हमारी साली जी हमारे ही गृह शहर में स्वयं की शादी के लिए अपने मामा जी के यहाँ रहने आईं।
हमारा मेलजोल बढ़ा। वो अपने स्त्री सुलभ तरीके से अंजाने में हमें आकर्षित करती थीं, किन्तु हमने सब समझते हुए भी नज़रअंदाज़ किया। हम शादीशुदा जो थे।
इधर कुछ महीनों के बाद पत्नी जी को आगे की पढ़ाई अथवा नौकरी के सिलसिले में हमारा गृह शहर छोड़ना पड़ा। खट-पट हमारी कभी बन्द हुई ही नहीं।
एक बार कुछ दिनों के लिए में बाहर गया था और वापस गृह शहर लौट कर कॉल किया तो हमारी साली जी ने फ़ोन उठाते ही हम पर " I LOVE YOU" दाग दिया।
साली जी का यही स्त्री सुलभ तरीका, जो कि शायद उनका स्वाभाव था, हम पर असर करना शुरू कर गया। आखिर कब तक बचते?
उनकी शादी के 15 वर्ष बीत गए और उस वाकये को भी लगभग 17 वर्ष हो गए। उनके अपने पति और श्वसुराल वालों के प्रति स्वभाव एवं समर्पण को और गहराई से समझने का मौका मिला।
चूँकि एक ही परिवार से सम्बद्ध हैं तो मुलाक़ात होती रहती है। भले ही हमारे बीच बात न होती हो, एक दूसरे के जीवन मे क्या चल रहा है उसकी खबर भी लगती रहती है।
इसलिए आज भी मुझे ये महसूस होता है कि शायद हम एक दूसरे के लिए ही बने थे। लेकिन नियति नहीं चाहती थी कि हम एक हों।
उनका तो पता नहीं हम आजतक उस टीस से बाहर नहीं निकल पाए। आज भी मन के किसी कोने में ये इच्छा दबी हुई है कि उनके साथ कुछ पल गहनता के साथ बिताने को मिलें।
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