ये जो 35+ की महिलाऐं हैं ना मैं उनको बोलना चाहती हूं कि तुम अभी -बुढ़ी नहीं हुई हो..न तो तुम्हारी उम्र निकली है...
घर में पड़े पड़े क्यूं अपनी मिट्टी पलीद ख़राब कर रही हो,निकलो घर से,जिम जाओ ,पार्लर जाओ,डांस सिखो, सिलाई कढ़ाई बुनाई सिखो,ड्राईविंग सिखो बहुत कुछ बचा है जीवन में सिखने को जो हम अपनी जवानी में देखते देखते मन मसोसकर रह गये की एक दिन अपना समय भी आयेगा तो सिख लेंगें....
अपने लिऐ समय निकाल लेनें से तुम्हारे मातृत्व पर कोई दाग नहीं लग जाएगा ...और ये रोना -धोना बंद करो कि तुम्हारा पति समय नहीं देता है,वो तुम्हे देखता भी नहीं है...
अरे! वो तो तुम्हे देखेगा तो तब जब तुमने खुद को देखने लायक छोड़ा हो..
तुम खुद को फ़िजीकली और मेंटली फ़िट करके तो देखो,फ़िर पति तो क्या पूरा मुहल्ला तुम्हे देखेगा....तुम 40 की उम्र में अगर 50 की दिखोगी तो तुम्हे कौन देखेगा ? तुम खुद को इतना फिट बना लो कि 40 की उम्र में 30 की दिखो और 50 की उम्र में 40 की दिखो...!
छोटा सा तो जीवन है...इसी में जो करना है कर लो वरना बुढ़ापा तो वैसे भी आ ही रहा है... बाकि मर्जी तुम्हारी है...
मैं सच बताऊं हमारी सही जिंदगी 35+ के बाद ही शुरू होता है...करने को तो बहुत कुछ है पर कोई करनें दे तब ना ?इन सब से निकलो...लड़ो ख़ुब लड़ो अपने विरोधियों से क्यूंकि तुम्हारे लिऐ कोई और लड़ने नहीं आयेगा....
अपने अंदर के छोटे से बच्चे को कभी मत मरने दैना...उसको हमेशा जिंदा रखो 40+ 50+ 60+ 70+ -80+ तक जबतक जिंदा रहो तबतक...अपने नाती - पोतों के साथ अपना बचपन जीयो....बस जीयो ..अपने लिए जीना भी किसी पुण्य से कम नहीं....अपनी खुशियां ख़ुद को भी दान करो....बहुत सबके लिए जी चुकी....
कभी-कभी ख़ुद को भी समय देना आवश्यक होता है, तो क्यूं ना ख़ुद को संवारा जाऐ,चाहे कोई समय दे या न दे |
क्यूंकि हमें देखकर हमारे बच्चे भी सिखेंगें उत्साह भरी जिंदगी जीना....
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