पति: "बिस्तर पर सोने को केवल चार लोगों की ही जगह है।"
पत्नी: "कोई बात नहीं मुझे तो वैसे भी नया गद्दा चुभता है, मैं ज़मीन पर ही सो लूँगी, आप और बच्चे बिस्तर पर सो जाओ।"
पति: "इस बार दिवाली पर बोनस नहीं मिलेगा। पूजा तो हो जाएगी मगर नए कपड़े और खिलौने नहीं ला पाऊँगा बच्चों के लिए।"
पत्नी: "आप चिंता मत कीजिए। मैंने कुछ पैसे बचा कर रखे थे आपके पिछले महीनों के बोनस में से। आप थान के कपड़े ले आइयेगा, मैं बच्चों के नए कपड़े सिल दूँगी और खिलौने भी आ जाएंगे उन्ही पैसो से।"
पति: "सुनो, मेरी सैलरी में इजाफ़ा हुआ है। इस बार अपने लिए एक-दो सलवार-सूट सिलवा लेना।"
पत्नी: "मेरे पास पहनने के कपड़ों की कमी नहीं है। आपने अपने जूतों की हालत देखी है? इस बार तो आपके लिए रेड चीफ के शूज़ ही खरीदने हैं। और बड़ी बेटी को फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता में भाग लेना था। उसके लिए भी एक प्यारी सी ड्रेस।"
बेटा: "माँ, खाने में तो मटर-पनीर बना था ना। तुम ये कल रात की बासी सब्जी क्यों खा रही हो?"
माता: "अरे, मुझे मटर पनीर नहीं पसंद है बेटा। तेरे पापा और छुटकी को पसंद है। उनको सुबह टिफ़िन में देने के लिए बचा दी है।"
पति: "सुनो, माफ़ करना, मैं इस बार फिर से हमारी शादी की सालगिरह भूल गया।"
पत्नी: "कोई बात नहीं, मैं भी भूल गई थी। मुझे भी अपनी बेटियों ने ही याद दिलाया।" 😍😍
माता: "बेटी, तू दिल्ली रहकर तैयारी कर ले परीक्षा की।"
बेटी: "नहीं, माँ। छुटकी का नए कॉलेज में एडमिशन भी तो कराना है। मैं कोई जॉब ढूँढकर सेटल हो जाती हूँ। एक साल का ड्रॉप लेकर फिर पोस्ट-ग्रेजुएशन कर लूँगी। कोई दिक्कत नहीं है।"
मिडिल क्लास परिवारों में केवल एडजस्टमेंट्स होते हैं। वहां प्यार की जगह नहीं होती मगर शायद प्यार ऐसी जगहों में पलना ही पसंद करता है। तभी तो एडजस्ट करते-करते न जाने कब बड़ा हो जाता है प्यार और फिर ठहर जाता है, साथ ही पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ता जाता है। असल मायने में दूसरों की ख़ुशियों को अपनी खुशी से ऊपर रखना ही तो होता है ये प्यार।
आप सभी मित्रों से अनुरोध है, कि कभी किसी नारी का अपमान नहीं कीजिए। नारी किसी भी रूप में हमसे श्रेष्ठ होती है। चाहे वह माँ, बहन, पत्नी किसी भी रूप में हो, त्याग वही करती है। मैं नारी जाति के जज्बे को नमन करता हूँ। जरूरी नहीं कि महिला की तारीफ सिर्फ महिला दिवस पर ही की जाए।
और अगर आप भी मिडिल क्लास फैमिली से हैं, तो कॉमेंट में बताए 💕😍🙏
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