मैंने दीप्ति के सारे कपड़े उतार दिए,पहली बार मुझे किसी लड़की के शरीर को महक इतनी ज्यादा अच्छी लग रही थी जिसके आगे सारे सेंट फेल थे
वो इस लिए, क्यों की मुझे उससे बहुत प्रेम था दीप्ति से मेरी मुलाकात मुंगेर में हुई थी, जब मैं बंगलोर में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर काम कर रहा था। एक दिन, जब मैं स्टेशन पर उतरा, मेरी ट्रॉली का व्हील टूट गया था। जैसे-तैसे मैं उसे उठा कर ले जा रहा था, तभी एक लड़की ने मेरी हालत देख कर कहा,
"भैया, दिक्कत हो रही है तो मैं उठा दूं।"
पहले तो मैंने मना कर दिया, लेकिन फिर सोचा कि इतनी सीढ़ियां चढ़नी हैं। शरमाते हुए मैंने कहा,
"एक तरफ से पकड़ लीजिए तो सीढ़ी चढ़ जाएंगे।"
उसने मदद की और हम सीढ़ियां चढ़ गए। बाहर निकलने पर मैंने शुक्रिया कहा और उसने मुस्कुरा कर कहा, "कोई बात नहीं भैया।" उस समय मुझे एहसास हुआ कि बड़े शहर के लोग मदद करते समय खुद को छोटा नहीं समझते, जबकि हमारे शहर के लोग अजनबियों की भी सहायता के लिए हाथ बढ़ाते हैं।
कुछ दिनों बाद, एक दुकान पर मुझे दीप्ति फिर से दिखी। हमने थोड़ी बात की और मुझे पता चला कि वह मेरे घर के पास वाले मुहल्ले में रहती है। हमने नंबर साझा किए और रात में मैंने उसे फोन किया। हमारी बातचीत में, दीप्ति ने बताया कि वह एक गरीब परिवार से है और अपने परिवार को सुविधाओं के अभाव में संभाल रही है। उसकी सादगी और संघर्ष ने मुझे प्रभावित किया और मुझे उससे प्रेम हो गया।
मैं बंगलोर वापस आया और रात में दीप्ति से बात करता तो मेरे मन को शांति मिलती। मैंने उसे अपने प्रेम के बारे में बताया और उसने भी सकारात्मक उत्तर दिया। हमारी बातचीत और प्यार गहरा हो गया। मैंने दीप्ति को बंगलोर आने का न्योता दिया और उसने इसे स्वीकार कर लिया।
तकरीबन तीन महीने बाद दीप्ति बंगलोर आई और मेरे घर रुकी। पहले दिन हमने बंगलोर की कई जगहें घूमीं और रात में घर आकर सो गए। सुबह जब मैं उठा तो देखा दीप्ति एक पत्नी की तरह मेरे लिए चाय और नाश्ता बना रही थी। इसे देख कर मुझे अजीब सी खुशी हुई। हमने साथ में नाश्ता किया और अपनी जिंदगी के बारे में बातें कीं।
अगले दिन फिर से हम घूमने निकले और शाम को दीप्ति ने कहा कि वह बाहर का खाना पसंद नहीं करती और घर पर खाना खाएंगे। उसने बिहारी अंदाज में दाल-चावल और भुजिया बनाया, जो बहुत स्वादिष्ट था। उसे देखकर मेरे दिल में उसके लिए इज्जत और प्यार और बढ़ गया।
रात में जब हम सोने जा रहे थे, हमने बातें की और मैंने दीप्ति के गालों को चूम लिया। दीप्ति थोड़ा असहज थी, लेकिन उसने मना नहीं किया। हमने एक-दूसरे के साथ समय बिताया और हमारे बीच पति-पत्नी जैसा संबंध बना।
दीप्ति को वापस जाना था और हम दोनों दुखी थे। मैंने अपनी मां को दीप्ति के बारे में बताया और शादी की इच्छा व्यक्त की। मां ने उसकी फोटो देखकर कहा कि वह एक डांसर है और लोगों की शादियों में नाचकर अपना खर्चा चलाती है। यह सुनकर मैं स्तब्ध रह गया क्योंकि हमने कभी इस बारे में बात नहीं की थी।
मां-पापा ने दीप्ति से शादी करने से मना कर दिया और कहा कि अगर मैंने शादी की तो मुझे परिवार से रिश्ता तोड़ना पड़ेगा। मैंने कई बार समझाया लेकिन वे समाज के डर से राजी नहीं हुए।
आज इस बात को 5 साल हो गए हैं और मुझे किसी और लड़की से प्यार नहीं हुआ। दीप्ति ने भी मेरे लिए अपना काम छोड़ दिया था और अब उसे भी काम मिलने में दिक्कत हो रही है। मैंने कई बार उसे आर्थिक सहायता देने की कोशिश की, लेकिन उसने मना कर दिया।
आज, मैं खुद को और दीप्ति को इस स्थिति का दोषी मानता हूं। समाज की नाक ऊंची रखने के लिए मुझे अपने प्यार को खोना पड़ा।
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