Search This Blog

Monday, 16 September 2024

एक महिला के शरीर में सबसे ज्यादा संभोग

 एक महिला के शरीर में सबसे ज्यादा संभोग🤤🤤 की भूख रहती है शादी के सुरुवाती दिनों में जिस्मानी मुहब्बत का जुनून होता है 

लेकिन ये भूख और जुनून हमेशा ऐसे ही रहे ये मुमकिन नहीं है 

"शायद ये हर शादीशुदा महिला की कहानी हो, लेकिन मेरे लिए यह एक बेहद निजी अनुभव था। मेरी और आरव की शादी को दस साल हो चुके थे। शुरूआत में सब कुछ कितना खूबसूरत था—हम दोनों हर छोटी-छोटी बात पर एक-दूसरे से जुड़े रहते थे, प्यार में डूबे हुए। लेकिन धीरे-धीरे चीजें बदलने लगीं। मुझे महसूस होने लगा कि हमारी सेक्स लाइफ में वह उत्साह नहीं रहा जो पहले था। और ये सिर्फ शारीरिक दूरी की बात नहीं थी, हमारे बीच भावनात्मक रूप से भी एक खालीपन आ गया था।

पहले-पहले मुझे लगा कि शायद यह मेरी ही समस्या है। कहीं न कहीं, मैंने खुद में वह रुचि खो दी थी जो पहले हमारे रिश्ते का अहम हिस्सा थी। मैं इस बात को नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करती रही, लेकिन इससे सिर्फ और ज्यादा दूरी बढ़ती गई। आरव अब देर से घर आता, और हम दोनों के बीच बातचीत भी कम हो गई थी। मुझे डर लगने लगा कि क्या हम धीरे-धीरे एक-दूसरे से दूर हो रहे हैं?

फिर एक दिन, मैंने अपनी दोस्त मीरा से इस बारे में बात की। उसने मेरी आंखें खोल दीं। उसने कहा, 'रिश्तों में ऐसा होता है, लेकिन तुमने पहले ही महसूस कर लिया, ये बड़ी बात है। अब इसे सुधारने का समय है।'

मैंने मीरा की बातों पर गौर किया और सबसे पहले खुद से सवाल किया—क्या मैं केवल सेक्स में कमी महसूस कर रही हूं या फिर हमारी भावनात्मक जुड़ाव में भी? मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि भावनात्मक नजदीकी भी मिस कर रही थी। मुझे यह भी समझ में आया कि अगर मैं कुछ नहीं करूंगी, तो शायद हम और दूर हो जाएंगे।

मैंने हिम्मत जुटाकर आरव से बात की। मैंने उसे साफ-साफ कहा, 'हमारे बीच जो पहले था, वो अब नहीं है, और मुझे ये दूरी महसूस हो रही है।' आरव ने मेरी बात सुनी और समझा कि वह भी इस दूरी को महसूस कर रहा था, लेकिन शायद वह इसे शब्दों में नहीं कह पा रहा था।

इसके बाद मैंने कुछ छोटे-छोटे कदम उठाने शुरू किए।

सबसे पहले, खुलकर बातचीत करने का फैसला किया। हम दोनों हर रात थोड़ा समय निकालकर सिर्फ एक-दूसरे से बात करते, बिना किसी काम या फोन की रुकावट के। इससे हमें फिर से कनेक्ट होने का मौका मिला।

फिर मैंने सोचा, क्यों न हम छोटी-छोटी चीजों में खुशियां ढूंढें? मैंने छोटी डेट्स प्लान करनी शुरू कीं—कभी घर पर ही कैंडल लाइट डिनर, कभी मूवी नाइट्स। इन छोटी-छोटी चीजों ने हमारे बीच की दूरियों को कम करना शुरू किया।

इसके साथ ही मैंने शारीरिक स्पर्श पर ध्यान दिया। अब बिना किसी खास मौके के भी मैं आरव को गले लगा लेती, उसका हाथ पकड़ती। ये छोटे-छोटे इशारे हमारे रिश्ते में फिर से गर्माहट लाने लगे।

और सबसे जरूरी, मैंने खुद पर ध्यान देना शुरू किया। मैंने योग और मेडिटेशन करना शुरू किया, खुद के लिए समय निकालना सीखा। जब मैंने खुद को खुश और आत्मविश्वासी महसूस किया, तो इसका असर हमारे रिश्ते पर भी पड़ा।

धीरे-धीरे सब कुछ बदलने लगा। आज, मैं और आरव फिर से एक-दूसरे के साथ वैसा ही महसूस करते हैं जैसा पहले करते थे। यह सब इसलिए संभव हुआ क्योंकि मैंने समय रहते अपने रिश्ते को बचाने के लिए कदम उठाए।

तो, मेरी इस कहानी का यही सबक है—रिश्ते में दूरियां आना स्वाभाविक है, लेकिन इसे समय पर सुलझाना और एक-दूसरे के साथ खुलकर बातचीत करना जरूरी है। प्यार को जिंदा रखने के लिए हमें खुद कोशिश करनी पड़ती है।"

No comments:

 हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे.. लेकिन कभी पीली साड़ी में तुम्हे देखकर थम जाए मेरी नज़र... तो समझ जाना तुम... जब तुम रसोई में अके...