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Sunday, 1 September 2024

मैं भी एक स्त्री हीं हूं

 वर्ना.. .... वर्ना क्या कर लेंगींं आप?? - सविता गोयल 

नीलम एक मध्यमवर्गीय परिवार की पढ़ी लिखी, सर्वगुण संपन्न लड़की थी। उसके पिता उसके लिए रिश्ता देख हीं रहे थे कि नीलम की बुआ एक बड़े घर का रिश्ता लेकर आ गई। देखने सुनने में सब अच्छा लगा तो नीलम के पापा ने नीलम की रजामंदी से उसका रिश्ता वहीं तय कर दिया।


नीलम भी आंखों में नए संसार, प्यार और अपनेपन के सपने लेकर बहू बनकर अपने ससुराल आ गई। शुरुआत में तो सब अच्छा हीं लग रहा था लेकिन धीरे-धीरे नीलम की सास के व्यवहार में अंतर आने लगा था। हर रोज कांता जी हर बात पर टोकना और छोटे घर की होने का ताना देने लगी थी।


शादी के चार पांच दिन बाद हीं घर के सारे काम काज का भार कांता जी ने नीलम के सर मंढ दिया और खुद सिर्फ हर काम पर नजर रखने और कमी निकालने में लगी रहतीं।


एक दिन सब्जी में नमक थोड़ा ज्यादा हो गया तो कांता जी चिल्लाते हुए बोली, " कुछ सिखाया नहीं तेरी मां ने ... ढंग से काम कर वर्ना ......


नीलम धोने के कपड़े लेकर वाशिंग मशीन की तरफ बढ़ी तो कांता जी चिल्लाते हुए बोली, " तुझे पता भी है मशीन चलाने से बिजली का बिल कितना आता है?? बिजली का बिल क्या तेरा बाप भरेगा? चुपचाप बैठकर हाथ से कपड़े धो ले वर्ना... ,,


जब नीलम पगफेरे के लिए मायके जा रही थी तो कांता जी बोलीं, " शादी में तो तेरे बाप ने कुछ दिया नहीं इस बार वापस आए अपने बाप से कह देना .. तो मेरे बेटे के लिए एक सोने की चैन और घड़ी दे कर भेजे .. वर्ना... ,,


नीलम मायके जरूर गई लेकिन वहां इस बात का जिक्र भी नहीं किया । बहू को खाली हाथ वापस आया देख कांता जी फिर चिल्लाई , " तुझे कहा था ना कि चैन और घड़ी लेकर आना .... खाली हाथ आने की तेरी हिम्मत कैसे हुई? अभी फोन लगा तेरे बाप को ... वर्ना....


इस बार बाप का नाम आते हीं नीलम के सब्र का बांध टूट गया और वो भी ऊंची आवाज में बोल पड़ी, " वर्ना ... वर्ना क्या मां जी ?? क्या कर लेंगी आप?? मुझे वापस मायके भेजेंगी तो सुन लीजिए.... ये घर जितना आपका है अब मेरा भी है .. और अगर अपने बेटे की दूसरी शादी कराने का इरादा है तो मैं आपके बेटे को तलाक कभी नहीं देने वाली ... और क्या करेंगी ?

मुझपर हाथ उठाएंगी!!!

तो सोचना भी मत.. क्योंकि मैं स्कूल में कराटे चैंपियन रह चुकी हूं .... आप बड़ी हैं इसलिए हाथ नहीं उठाऊंगी.. लेकिन उठे हुए हाथ को ऐसा मरोडूंगी कि दोबारा उठाने लायक भी नहीं रहेगा.....

  और... और क्या करेंगी!! रो धोकर अपने बेटे और ससुर जी को दिखाएंगी, मेरी शिकायत करेंगी !! त्रिया चरित्र दिखाकर बेटे और परिवार वालों को मेरे खिलाफ करेंगी ?? तो सुन लीजिए.... मैं भी एक स्त्री हीं हूं.. ये रोना धोना और नौटंकी दिखाना मुझे भी आता है...


और हां... ज्यादा परेशान करने की कोशिश की तो पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवा दूंगी ... इसलिए भलाई इसी में है कि आराम से जिएं और मुझे जीने दें... वर्ना...


बहू की चेतावनी सुनकर कांता जी का हलक सूख गया। उन्होंने सोचा भी नहीं था कि सीधी सादी दिखने वाली बहू इतना कुछ बोल भी सकती है। पसीने से तर कांता जी की सांस फूलने लगी तो नीलम ने पानी का गिलास पकड़ाते हुए कहा ,

" मां जी यदि आप चाहती हैं कि मैं इस बात का जिक्र किसी से ना करूं तो विश्वास रखिए नहीं करूंगी ..... लेकिन यदि आप चाहती हैं कि मैं आपकी इज्जत करूं तो खुद को सुधारने में हीं भलाई है। ,,

कांता जी ने एक सांस में हीं पानी का पूरा गिलास गटक लिया। शाम को जब नीलम के ससुर और पति आफिस से वापस आया तो घर का माहौल बिल्कुल शांत था। नीलम चाय लेकर आई तो सबके साथ कांता जी ने भी चुपचाप चाय पी ली। आज कोई नुक्स कोई कमी कांता जी को नजर नहीं आ रही थी ....

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