मेरे बेटे की शादी मैंने मुश्किल से करवाई। वह एक लड़की से प्यार करता था, लेकिन मैं नहीं चाहती थी कि उसकी शादी उसी से हो।
मैंने उसे बहुत समझाया और उसकी शादी गांव की एक सीधी-साधी लड़की से करवा दी। लड़की का नाम कुमुद है।
मुझे पता था कि यह लड़की मेरे बेटे और इस घर के लिए बहुत अच्छी है, इसलिए मैंने उस लड़की की शादी मेरे बेटे से करवा दी।
कुमुद हमारे घर में आई। लड़की घरेलू थी, बड़े-बुजुर्गों का सम्मान करती थी और घर का काम भी करती थी। अभी 10 ही महीने हुए थे शादी को, लेकिन मुझे लगने लगा कि मैंने अपने बेटे की शादी इस लड़की से करवा कर अच्छा किया। मेरा बेटा अरविंद भी खुश लग रहा था।
लेकिन उस रात के बाद मेरी यह सोच बदल गई। एक रात करीब 2 बजे मेरे बेटे के कमरे से चीखने की आवाज आने लगी।
ये चीखें मेरी बहू की थीं। मैंने थोड़ी देर तक सुना फिर वह चीखना बंद हो गया। अरविंद के पिता, मेरे पति, को यह सब सुनाई दिया था लेकिन फिर हमने उन्हें रात में पूछना उचित नहीं समझा। इसलिए दरवाजा नहीं खटखटाया। सुबह मेरी बेटी भी बोल रही थी कि मम्मी, रात को कौन चीख रहा था?
मैंने उसकी बात काट दी, कहा कि कोई नहीं, शायद कोई बाहर से चीख रहा था। मेरी बहू का स्वभाव उस दिन से बदल गया। वह चुप थी सारा दिन।
मैंने सोचा शायद पति-पत्नी के बीच की कोई बात होगी, इसलिए मैंने कुछ पूछा नहीं। अगली रात फिर 2 बजे वही हुआ, मेरे बेटे के कमरे से फिर चीखने और रोने की आवाज आने लगी। इस रात वह आवाज करीब 10 मिनट तक चली। मेरी बेटी उठ गई और उसने हमारे कमरे का दरवाजा बजाया।
मैंने दरवाजा खोला। देखा तो वह बहुत डरी हुई थी। बोली, मम्मी, यह क्या है? भाभी रोज रात को रोती और चीखती क्यों है? क्या होता है?
कमरे के अंदर चलो, अभी दरवाजा खुलवाते हैं। मैं दरवाजे के पास जाने लगी तो मेरे पति ने मुझे रोक लिया, कहा कि रुको, अभी बात मत करो, कल सुबह दोनों से बात करते हैं।
उस रात को मेरा सोना मुश्किल हो गया था। सुबह मेरी बहू जल्दी उठकर घर के काम में लग गई। मैंने सुबह अपने बेटे के कमरे में जाकर पूछा कि क्या बात है, रात को बहू रोती क्यों है? उसका चेहरा पूरा उतर चुका था। उसने कहा कुछ नहीं। उसकी बातों और आंखों से साफ दिखाई दे रहा था कि वह कुछ छिपा रहा है। उन्होंने भी उससे पूछा लेकिन वह कुछ नहीं बोल कर घर से बाहर चला गया। मैंने अपनी बहू से पूछा। वह कुछ काम कर रही थी।
उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे रात में ठीक से सोई नहीं है। आंखें साफ बता रही थीं। मैंने उसे पूछा, क्या हुआ, तुम रात को रो क्यों रही थी?
वह बोली, रो रही थी कब? नहीं, मैं तो सो रही थी और मुझे तो कोई आवाज नहीं आई। आप क्या बात कर रही हैं? उस कमरे में ऐसा क्या हो रहा था, यह बात या तो मेरी बहू जानती थी या बेटा, लेकिन दोनों ही कुछ नहीं बता रहे थे। लेकिन दोनों के चेहरे से साफ पता चल रहा था कि कुछ है जो ये दोनों छिपा रहे हैं। लेकिन क्या?
अब जब भी रात आती, मुझे नींद ही नहीं आती। क्यों कि आधी रात को फिर वही होता। बहू ज़ोर से चीखती और रोती।
मेरे मन में कई सवाल थे, क्या होता है उस कमरे में? फिर एक रात करीब 2 बजे मेरे घर में वो हुआ जो मैंने सोचा भी नहीं था।
मेरी बहू रात को कमरे से बाहर आ गई। उसके कपड़े कहीं भी जा रहे थे, उसे कुछ होश ही नहीं था। बाल खुले थे और वह घर के चौक में आकर बैठ गई। ज़ोर से चीखने और रोने लगी। हम सभी घर वाले बाहर आ गए। मेरा बेटा भी कमरे से डरा हुआ बाहर आया। बहू की ऐसी हालत देखकर हम सब ही डर गए थे।
मैंने अपने बेटे से पूछा, यह क्या है? वह बोला, बस माँ, देख लो, यह रोज रात 2 बजे ऐसी ही करती है। मैं आप लोगों को क्या बताता?
सुबह जब उसे पूछता हूं तो उसे कुछ याद ही नहीं रहता है। बोलती है मैंने तो कुछ नहीं किया। बहू जब थोड़ी देर बाद शांत हुई तो मेरे बेटे ने उसे कमरे में ले जाकर सुला दिया।
मैं सोच रही थी, यह क्या है? मैंने अपने बेटे को कहा, तू उसे उसके घर छोड़ आ सुबह। मैं उसकी माँ से बात करूंगी।
सुबह होते ही मेरे बेटे ने उसे कुछ बहाना करके उसके घर छोड़ दिया। मैंने उसकी माँ से बात की। उसकी माँ ने कहा, यह क्या बोल रही हैं? मेरी बेटी बिल्कुल ऐसा नहीं करती है। मैंने जो सोचकर अरविंद की शादी उससे की थी, वैसा हो नहीं सका। बहू को छोड़े अब 20 दिन हो चुके थे।
इस दौरान उसके घर से फोन आता रहा लेकिन मैंने टाल दिया। मेरा बेटा भी कह रहा था कि मेरे वह दिन कैसे निकले हैं, मैं ही जानता हूं।
मैंने उस पर फिर ज्यादा दबाव नहीं डाला। पर मैं अपने आप को कोस रही थी कि मैंने अपने बेटे की शादी उस लड़की से क्यों करवाई। अब मेरे घर में कोई नहीं चाहता था कि वह वापस आए। इन्हीं सब बातों में 3 महीने निकल गए।
फिर एक दिन अचानक ही मेरी बहू अपने सामान के साथ वापस मेरे घर आ गई। वह आते ही मुझसे कहती है, माँजी, मैं जानती हूं कि आप मेरे बारे में क्या सोच रही हैं, लेकिन सच क्या है, यह आपको पता नहीं है।
उसकी बातों से मुझे लगा कि कुछ है जो वह बताना चाहती है। मेरा बेटा घर आया और उसे देखकर गुस्सा हो गया, कहा, यह यहाँ वापस आ गई। मैं अब इस घर में नहीं रह सकता, मैं जा रहा हूं। मेरी बहू ने उसी समय कहा, क्यों, सच सामने आ जाएगा, इसलिए डर रहे हैं। बताइये सबको सच क्या है। मैं उस तरह से क्यों करती थी।
बेटा बोला, क्या सच, सच यह है कि तुम पागल हो और रोज रात उस तरह से करती हो। बहू बोली, माँजी, आज अगर सबसे ज्यादा दुखी और परेशान है तो वह और कोई नहीं, मैं हूं।
मैंने अपने पति की बात मानी, उन पर विश्वास किया। मैंने कहा, तुम क्या कहना चाहती हो? फिर मेरी बहू ने जो बताया, उसे सुनकर मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई।
वह बोली, आपके बेटे ने मुझे पहली रात से यह नाटक करने को कहा था, लेकिन मैंने नहीं माना। वह कहते थे कि हम दोनों अलग बड़े शहर में जाकर रहेंगे। उन्हें कहा कि अगर ऐसे मेरे घर वाले मुझे नहीं छोड़ेंगे, लेकिन तुम इस तरह का नाटक करोगी तो वे डर जाएंगे और फिर हम अलग रहेंगे।
पहले मैंने बोला कि यहाँ सबके साथ अच्छा है, लेकिन फिर जब वह मुझसे बात नहीं करते थे तो मुझे उनकी बात माननी पड़ी। और फिर मैंने जब सब नाटक किया तो उन्होंने मुझे घर छोड़ दिया। मुझे आप सभी की नजरों में पागल और न जाने क्या साबित कर दिया।
उसके बाद मेरा फोन भी नहीं उठाया। मैं उनका वहाँ मेरे घर इंतजार कर रही थी लेकिन वह नहीं आए। मैंने समझ लिया कि उन्होंने मुझे बेवकूफ बनाया है। मुझसे झूठ बोला है। यह मुझे अपनी ज़िंदगी से भगाना चाहते थे। मैं इस बात को समझ गई। अब मैं खुद ही इनसे दूर चली जाऊंगी लेकिन मैं चाहती थी कि सच आप सभी के सामने आ जाए।
मुझे बहू की बातों पर पूरा विश्वास हो गया था। मेरे बेटे ने कहा, तुम्हें इसे रखना है तो रखो। मेरी शादी तुमने उससे नहीं होने दी जिससे मैं चाहता था और इस गाँव की लड़की से करवा दी। मैं चाहता था कि यह भी यहाँ से चली जाए। तुम परेशान हो, सोचो कि मैंने क्या किया।
अब भी मैं इसे अपनी पत्नी नहीं मानता। मैंने अपने बेटे को कहा कि बेटा, तुझे इस घर में रहना है या नहीं, इसका फैसला तू कर ले। मेरी बहू इस घर में ही रहेगी। और जो इसे इसका हक और इज़्ज़त नहीं देगा, वह इस घर में नहीं रह सकता। तू इस तरह की साज़िश कर सकता है, वो भी सिर्फ अपनी माँ से बदला लेने के लिए। एक भोली लड़की को कुछ भी करने को कह सकता है। लेकिन बेटा, जरा सोच, तूने इसे जो करने को कहा, इसने किया अपने बारे में और किसी के बारे में कुछ नहीं सोचा। सिर्फ तेरा सोचा। सोच ऐसी पत्नी कहाँ मिलेगी। तू बहुत बड़ा अभागा है जो इस लड़की को छोड़ेगा। मैंने अपने बेटे की शादी के लिए हीरा चुना था, लेकिन शायद मेरा बेटा ही उसके लायक नहीं था। मैंने अपनी बहू को प्यार से गले लगाया। मेरा बेटा भी कहीं नहीं गया। थोड़े समय तक जरूर नाराज़ रहा। लेकिन मुझे पता था कि उस लड़की से प्यार किए बिना कैसे रह सकता था। आखिर धीरे-धीरे सब ठीक होने लगा।
हर इंसान की ज़िंदगी में किसी ना किसी से प्यार होता है एक बार, जब दिल टूट जाता है तो फिर वैसी मोहब्बत नही होती दुबारा, जिस से प्यार हो उसी से शादी हो कोई ज़रूरी नहीं, होता है लेकिन, सच्चा प्यार मिलता कहा है आजकल