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Monday, 6 October 2025

 हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे..

लेकिन कभी

पीली साड़ी में तुम्हे देखकर थम जाए मेरी नज़र... तो

समझ जाना तुम...

जब तुम रसोई में अकेली हो

और उसी वक़्त मैं वहां पानी पीने आऊँ... तो

मेरी प्यास को समझ जाना तुम...!

ऑफिस से लौटते हुए कुछ ग़ज़रे ले आऊँ... और 

सबकी नज़रों से बचाकर तुम्हारे सामने रख दूँ... तो 

समझ जाना तुम...!

जब दोस्तों के साथ 

घूमने का प्लान कैंसिल करके

तुम्हारे साथ गोलगप्पे खाने चला जाऊं... तो 

समझ जाना तुम...!

तुमसे कोई गलती हो जाये और मैं गुस्साने या खीजने की बजाय तुम्हारी पीठ को सहला दूँ... तो

उस स्पर्श को समझ जाना तुम...!

हां मैं जानता हूं कि मैं भूल जाऊंगा, 

 तुम्हारा जन्मदिन, या घर से बाहर जाते वक्त 

तुम्हे आई लव यू बोलना

लेकिन कभी वक़्त बेवक़्त तुम्हे सीने से लगा लूं... तो

समझ जाना तुम...!

तुम्हारे बिना घर मे एक बेचैनी सी होने लगे... और मैं 

कॉल करके कहूं कि... कहाँ हो इतनी देर से,

अभी के अभी घर आओ... तो 

मेरी नाराज़गी में छुपी मेरी तड़प को समझ जाना तुम...!

जो कभी झल्लाकर कहूं कि.. "तुम्हारी रखी हुई चीज़, 

मुझे कभी नही मिल सकती"... तो

तुम पर मेरी निर्भरता को समझ जाना तुम...!

हो सकता है, मैं.... अपना हर दुख, हर परेशानी, 

तुमसे साझा ना कर सकूं... लेकिन कभी, 

किसी बच्चे की तरह तुम्हारी आगोश में सिमट जाऊँ... तो

समझ जाना तुम...!

हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुम्हे... तो क्या तुम समझ जाओगी न प्रेम... ❣️

क्योंकि.... 

भविष्य मे एक दिन... 

अपनी सारी उदासी बहा देना चाहता हूँ... 

एक सिर्फ तुम्हारे कंधे पर रख कर सर..!!


संभोग एक स्त्री के लिए उतना ही ज़रूरी है जितना सासों के लिए हवा — क्योंकि वही उसे महसूस कराता है कि वो जी रही है, सिर्फ निबाह नहीं रही।

मेरी शादी एक ऐसे इंसान से कर दी गई थी, जिसे मैंने न तो चाहा, न ही कभी जानने की कोशिश की। उसका नाम था विराज — एक आम सा लड़का, एक छोटे से कस्बे में पला-बढ़ा, जिसकी ज़िंदगी में बस एक ही सहारा था — उसकी माँ शांति देवी। न कोई भाई, न बहन, न ही कोई रौबदार रिश्तेदार। घर भी छोटा सा, ज़रूरत भर का।


लेकिन इस साधारण से रिश्ते में मेरा दिल नहीं था। मेरा दिल तो कहीं और भटक रहा था — करण के पास। वो लड़का जो मुझे प्यार के वादे देता था, जो कहता था कि एक दिन वो मुझे अपनी दुल्हन बनाएगा। पर किस्मत को शायद कुछ और ही मंजूर था। मैं आ गई विराज के घर — मजबूरी में, समझौते में।


पहली रात, जब सब उम्मीद करते हैं कोई नई शुरुआत की... उसने सिर्फ एक कप दूध मेरी ओर बढ़ाया। मैं चौंकी, सोच रही थी कि अब वो आगे क्या करेगा। और मैंने गुस्से में पूछ ही लिया,


"अगर पति अपनी पत्नी की मर्जी के बिना उसे छुए, तो क्या वो हक कहलाएगा या ज़बरदस्ती?"


उसने मेरी आँखों में देख कर कहा,


"मैं सिर्फ शुभरात्रि कहने आया हूँ। आपकी मर्ज़ी से बढ़कर कुछ नहीं।"


और बिना कुछ कहे वो बाहर चला गया।


मैं चाहती थी कि कोई बहस हो, कोई झगड़ा, ताकि मैं इस रिश्ते से बाहर निकल सकूं। लेकिन वह तो एक शांत नदी की तरह था — ठहरा हुआ, संयमित, अपनी ही लय में।


मैं इस घर में रही, लेकिन कभी अपना कोई कर्तव्य नहीं निभाया। खाना बनाना तो दूर, मैंने माँ (शांति देवी) के हाथ का बना खाना भी नीचा दिखाने की कोशिश की।


एक दिन जानबूझकर मैंने थाली गिरा दी, गुस्से में कहा, "ये खाना जानवर भी ना खाएं!"

विराज ने पहली बार मुझे पकड़ा — थप्पड़ नहीं मारा, सिर्फ मेरी आँखों में झांका और कहा,


"इतनी नफरत क्यों है?"


वो सवाल नहीं था, एक कसक थी। और उसी पल मैं उठी, बिना किसी को कुछ बताए, सीधे करण के पास पहुँची।


"चलो, अब नहीं सहना ये सब, भाग चलते हैं," मैंने कहा।


लेकिन करण अब वो नहीं था, जो वादे करता था। उसके लफ्ज़ों में कोई गर्मी नहीं थी।


"अब भागकर क्या करेंगे? तुम्हारे पास कुछ नहीं, मेरे पास भी नहीं।"


मैं सन्न रह गई। वो जिसे मैं प्यार समझती थी, वो तो बस लालच से भरा था।


थकी, टूटी और बेबस मैं फिर उसी घर लौटी जिसे कभी "जेल" कहा था।


घर सूना था, अलमारी खोली — और वहाँ जो मिला, उसने मेरी दुनिया बदल दी।


मेरे बैंक डॉक्युमेंट्स, गहने, पैसे — सब वैसे ही थे। और साथ में था एक खत:


"मैं जानता हूँ ये रिश्ता तुम्हारे लिए एक बोझ रहा है। लेकिन मैंने तुम्हारी हर चीज संभाल कर रखी है, ताकि जिस दिन तुम खुद लौटो, तुम्हें लगे कि ये घर तुम्हारा है।"


"मैं तुम्हारा पति ज़रूर हूँ, पर जब तक तुम मर्जी से अपना दिल नहीं दोगी, मैं सिर्फ एक इंसान ही रहूंगा। मैं तुम्हारा हक नहीं छीनना चाहता, मैं तुम्हारा विश्वास जीतना चाहता हूँ।"


मेरे अंदर कुछ टूट गया था… और फिर कुछ नया जुड़ने लगा।


अगली सुबह मैंने पहली बार अपने मांग में सिंदूर भरकर खुद को आईने में देखा — अब मैं विराज की पत्नी थी, मन से भी।


सीधे उसके ऑफिस पहुँची और सबके सामने कहा,


"विराज, हमें लंबी छुट्टी पर जाना है। अब मैं तुम्हारी हूं — पूरी तरह से।"


💔 कहानी की सीख:

ज़िंदगी में कई बार हम जिसे “साधारण” समझते हैं, वही सबसे अनमोल साबित होता है।

प्यार, दिखावे और बोलचाल में नहीं — सम्मान, धैर्य और इंतज़ार में छिपा होता है।


अगर आपको ये कहानी दिल छू गई हो, तो एक ❤️ ज़रूर दबाइए और दूसरों से भी शेयर कीजिए — शायद किसी की आंखें खुल जाएं! 

Wednesday, 24 September 2025

बाप को कभी भी वो प्यार नहीं मिलता

ज्यों ज्यों बच्चे बड़े होते है। बाप से दूरियों बढ़ जाती है। बाप की याद तभी आती है जब उन्हें जरूरत होती है। एक उम्र के बाद बाप भरे घर में अकेला हो जाता है। बच्चों की शादी के बाद तो वह परिवार से पूरी तरह अलग कर दिया जाता है। घर के भीतर के हंसी ठहाकों में उसकी उपस्थिति नहीं होती। बस एक कमरे में उसकी जिंदगी ठहर जाती है। बहुत से काम उसकी अनुपस्थिति में होने लगते है। उसे शरीक करना भी जरूरी नहीं समझते। जिस घर की एक एक ईंट को जिसने अपनी सांसे होम कर बनाया था। वो घर भी उसके लिए अजनबी बनता जाता है। बाप को कभी भी वो प्यार नहीं मिलता जो एक मां को मिलता है। एक उम्र के बाद बच्चे बाप को गले नहीं लगाते। ना बाप की गोद में सिर रखकर सोते हैं। जो बच्चे परदेस रहते है वो भी मां को फोन लगाते है। उनकी कुशलता का समाचार भी बाप के पास मां के जरिए पहुंचता है। बाप के आखिरी पल एकांत में ही गुजरते है । पुरानी यादों के साथ। वह खुद में सिमट कर रह जाता है। घुटता है। छटपटाता है। मन मसोस कर रह जाता है। सच है ना?? #BAAP #motivation #pita #fatherlove 

#bapu #papa #deddy #parampita

 

खरेच मंत्री संजय राठोड यांनी बंजारा समाजासाठी काय केले ?

 खरेच मंत्री संजय राठोड यांनी बंजारा समाजासाठी काय केले ?

*मंत्री संजयभाऊ राठोड यांचेवर प्रश्न निर्माण करणा-यांच्या माहितीकरीता.*

बंजारा आरक्षणाचे पार्श्वभूमीवर एका बंजारा बांधवाने काही प्रश्न उपस्थित केले त्याला उत्तर देण्याचा प्रयत्न.

प्रश्न:- *“आरक्षणासाठी समाज रस्त्यावर आहे, आंदोलन तापले आहे, तुम्ही कुठे गायब आहात ?”*


सर्वप्रथम ही बाब लक्षात घेतली पाहीजे की, कोणताही मंत्री हा प्रत्यक्षात आंदोलनात उतरत नसतो. तो शासनाचा प्रतिनिधी असतो.मराठा आरक्षणात राधाकृष्ण वि खे पाटील यांनी जी भूमिका घेतली तीच ना संजय राठोड बंजारा आरक्षण मुद्यावर घेत आहेत.मंत्रिमंडळात काम करणाऱ्या समज परातिनिधीने समाज आणि शासन यामध्ये दुवा म्हणून काम करणे अपेक्षित असते.तसेच बंजारा समाजाची अनुसुचित जमातीची आरक्षणाची असलेली मागणी फार जुनी असून, हैद्राबाद गॅझेट लागू केल्याने तिला भक्कम आधार मिळाला आहे. आपल्या समाजाचे मंत्री संजय राठोड हे *सातत्याने समाजाला ONE NATION, ONE CATEGORY, ONE RESERVATION* ची भूमिका राज्य व देशपातळीवर मांडत आलेले आहे. एव्हढेच नव्हेतर बंजारा समाजाची काशी पोहरादेवी येथे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री व इतर मंत्री मंडळातील सदस्यांसमोर बंजारा समाजाला अनुसुचित जमातीच्या आरक्षणाला धक्का न लावता आरक्षण देण्याबाबतची (ONE CATEGORY) मागणी सातत्याने केली आहे याचे समाज घटकातील बहुतांश लोक साक्षीदार आहेत. 


प्रश्न:- हैद्राबाद गॅझेटप्रमाणे बंजारा समाजाला अनुसुचित जमातीचे आरक्षण मिळू शकतो काय ?*

               

याअनुषंगाने समाजाचे सजग आणि तत्पर नेतृत्व मा. संजयभाऊ राठोड साहेबांनी स्वत: पुढाकार घेवून दि.8/9/2025 रोजी मुंबई येथे समाजातील सर्व महंत, नेते, विविध संघटनाचे पदाधिकारी, अभ्यासक यांचे समवेत विचारमंथन बैठक घेतली. सदर बैठकीतून अभ्यासकांकडून तो विषय समजून घेतला. तसेच त्यावेळी त्यांनी हा विषय अत्यंत महत्वाचा असून, याकरिता अराजकीय सर्व मान्य कृती समिती असावी अशी भूमिका मांडली. जर एखाद्या आंदोलनाला राजकीय वळण लागले तर त्याला पाहिजे त्याप्रमाणात यश मिळू शकत नाही याची त्यांना पूर्णपणे कल्पना आहे.

                  जर आपण श्री. मनोज जरांगे-पाटील यांचे आंदोलनाचा अभ्यास केला तर आज जवळपास 70 टक्के नेते मराठा समाजाचे आहेत. तसेच मंत्री मंडळात सुध्दा मोठया प्रमाणात आहेत. जसे की, सर्वश्री एकनाथ शिंदे, शरद पवार, अजितदादा पवार, नारायण राणे, अशोक चव्हाण, चंद्रकांत दादा-पाटील, राधाकृष्ण विखे-पाटील असे अनेक मान्यवर असून सुध्दा त्यांनी प्रत्यक्ष आंदोलनाचे नेतृत्व न करता अप्रत्यक्षरित्या (न कळत) बाहेरुन पाठींबा देत मनोज जरांगे-पाटील यांच्या नेतृत्वाखाली मराठा समाजाचे यशस्वी आंदोलन केले. त्यामुळे वरील दि.8/9/2025 रोजी झालेल्या बैठकीतून संजयभाऊ राठोड यांचीही भूमिका अशीच असल्याची दिसून येते.


प्रश्न :- *“संजय राठोड साहेब, तुम्ही स्वार्थासाठी महाराष्ट्रभर दौरे केले – ते समाजासाठी होते की स्वतःचं मंत्रीपद वाचवण्यासाठी ?*


न थकता, न थांबता सातत्याने समाजासाठी काम करणारा नेता म्हणून ना संजय राठोड यांची ओळख आहे. (ते मंत्री असो किंवा नसोत.) भारतात राहणारा बंजारा समाज जरी हा विविध आरक्षणाच्या प्रवर्गात, विविध नावाने विभागला असला, तरी तो एकच आहे, हीच भूमिका घेवून संजयभाऊ राज्य व देशपातळीवर दौरे करीत असतात. त्यामुळे समाजाला ONE NATION, ONE CATEGORY, ONE RESERVATION मिळावे ही भूमिका सातत्याने घेत आहेत. एव्हढेच नव्हेतर *महसूल मंत्री, चंद्रशेखर बावनकुळे यांचे अध्यक्षतेखाली* नेमण्यात आलेल्या इतर मागासवर्ग करिता नेमण्यात आलेल्या *मंत्रीमंडळ उपसमितीमध्ये संजयभाऊ राठोड हे सुध्दा सदस्य आहेत. मंत्रीमंडळ समितीच्या पहिल्याच बैठकीत बंजारा समाजाला अनुसुचित जमातीचे आरक्षणाला धक्का न लावता स्वतंत्र अनुसुचित जमातीचे आरक्षण द्यावे अशी मागणी केली*. तसेच बंजारा कृती समितीचे निवेदन सुध्दा समितीच्या अध्यक्षांना देवून समाजाची भावना त्यांच्यापर्यंत पोहोचविली. त्यामुळे समितीच्या अध्यक्षांनी तात्काळ दखल घेवून,व निवेदनावर लेखी शेरा देऊन, सचिव, इतर मागास बहुजन कल्याण यांना निवेदन पाठविले. 

         तसेच छगन भुजबळ यांचे अध्यक्षतेखाली सन 2020 मध्ये मंत्रीमंडळ उपसमिती नेमण्यात आली होती. त्या समितीमध्ये संजयभाऊ राठोड हे सदस्य होते. या समितीने बंजारा समाजाचे अनुषंगाने काही महत्वपूर्ण शिफारशी केल्या होत्या. जसे की,

• *वि.जा. (अ) आणि भ.ज. (ब) या मागास प्रवर्गासाठी नॉन क्रिमीलेयरची अट रद्द करणे.*

• *वि.जा.(अ), भ.ज. (ब), भ.ज. (क) व भ.ज. (ड) यामधील अंतरपरिवर्तनीयेचा नियम रद्द करणे.*

   या शिफारशीच्या अनुषंगाने विभागाने आतापर्यंत काय कार्यवाही केली, असे दि.10/09/2025 रोजीच्या मंत्रीमंडळ उपसमितीच्या पहिल्याच बैठकीत संजयभाऊ राठोड यांनी स्पष्ट शब्दात विचारले. तसेच पुढच्या बैठकीत केलेल्या कार्यवाहीचा अहवाल सादर करण्याबाबत सूचना दिल्या.


प्रश्न:- *तुमच्या भ्रष्टाचाराचे व इतर कारणामे डाग उघड होऊ नयेत म्हणून तुम्ही समाजाच्या नावाचा उपयोग केला का?* *की फक्त समाजाच्या नावावर राजकारण करून सत्ता उपभोगण्यासाठी हा खेळ केला?* *आज समाज तुम्हाला याचं उत्तर विचारतोय!”*

• 


समाजाचे दैवत स्व वसंतराव नाईक साहेब व स्व सुधाकरराव नाईक साहेब यांनी बंजारा समाजासाठी मोठे कार्य केले.यांच्या नंतर समाजाच्या विकासासाठी संजयभाऊ हे कार्य करीत आहेत.मंत्री संजयभाऊ राठोड यांनी केलेल्या प्रयत्नामुळे बंजारा समाजाची काशी असलेले श्रध्दास्थान पोहरादेवी-उमरीचा विकास होतांना दिसत आहे ही आपल्या समाजासाठी अभिमानाची बाब आहे. तसेच पोहरादेवी येथे उभारण्यात येत असलेल्या *संत सेवालाल महाराज इमारतीला महाराष्ट्र शासनाचा सर्वोत्कृष्ट इमारतीचा पुरस्कार* प्राप्त झाला आहे. हे आपल्यासाठी अभिमानाची बाब आहे. *धार्मिक स्थळाचा विकास म्हणजे समाजाचा विकास नव्हे ही बाब कायमची लक्षात ठेवता समाजाच्या सर्वांगीण विकासासाठी संजयभाऊंच्या प्रयत्नामुळे नक्कीच काही महत्वपूर्ण निर्णय मागील काळात समाजासाठी झाले आहेत*. जसे की,

• संत सेवालाल महाराज यांची शासकीय स्तरावर जयंती साजरी करणे.

• गोर बंजारा साहित्य अकादमी स्थापना

• बार्टी, सारथी, महाज्योती, अमृत योजनेच्या धर्तीवर वसंतराव संशोधन व प्रशिक्षण संस्था (वनार्टी)

या वरील योजनेमुळे SC, ST, मराठा, OBC वर्गामध्ये स्पर्धा परीक्षेची तयारी करून *हजारो विद्यार्थ्यांचे IAS,IPS व इतरही मोठ्या पदावर विराजमान होण्याचे सामान्य कुटुंबातील विद्यार्थ्यांचे स्वप्न पूर्ण झाले आहे. वानर्टी संस्थेमुळे आपल्याही समाजातून मोठे अधिकारी घडायला मदत होणार आहे*.. हे ही लक्षात घेतले पाहिजे.

• नवी मुंबई समाजासाठी जागा मिळवून त्याठिकाणी सेवाभवन बांधण्यात येणार.

• वसतिगृहात प्रवेश न मिळाल्यामुळे समाजातील हजारो विद्यार्थ्यांचे शिक्षण आर्थिक अडचणीमुळे पूर्ण होऊ शकत नाही. संजय भाऊ बंजारा समाजातील सामान्य कुटुंबातून आलेले असल्याने त्यांना ही बाब माहिती होती. त्यामुळेच सातत्यपूर्ण पाठपुरावा करून स्वाधार योजनेच्या धर्तीवर सावित्रीबाई फुले आधार योजना सुरू केली. यामाध्यमातून विद्यार्थ्यांना आर्थिक मदत होणार आहे. जेवढी मदत SC, ST विद्यार्थ्यांना होते, तेवढीच आपल्या विद्यार्थ्यांना होणार आहे.

• गोपीनाथ मुंडे उसतोड कामगार महामंडळ व सानुग्रह अनुदान योजना

• जिल्हयाच्या ठिकाणी मुलां-मुलींसाठी 72 शासकीय वसतिगृहे सुरु.

• ऊसतोड कामगारांच्या मुलां-मुलींसाठी 82 शासकीय वसतिगृहे सुरु.

• परदेशी शिक्षणासाठी दरवर्षी 75 विद्यार्थ्यांना शिष्यवृत्ती.

• संत सेवालाल महाराज समृध्दी योजना या माध्यमांतून तांडयामध्ये स्वतंत्र ग्रामपंचायती स्थापन होणार आहे.

तांड्यात स्वतंत्र ग्रामपंचायत स्थापनेसाठी असलेली सर्वात मोठी अडचण म्हणजे दोन गावामध्ये असलेली 3 किमी अंतराची अट... कुठेही मंत्रिमंडळ प्रस्तावात अंतर शिथिल करणे नसतानाही, *सर्वांना विरोध करून अंतराची अट रद्द करायला भाग पाडले*.. त्यामुळेच आज तांड्यात स्वतंत्र ग्रामपंचायत स्थापनेला वेग आला आहे..

• स्पर्धा परिक्षेची तयारी करणा-या बंजारा समाजातील 1000 मुलां-मुलींसाठी आपल्या आईच्या नावाने *मातोश्री प्रमिलादेवी दुलिचंद राठोड शिष्यवृत्ती योजना*..स्वतंत्र वैयक्तिक योजना सुरू केली.

यामाध्यमातून समाजातील *विद्यार्थ्यांना स्पर्धा परीक्षेचे मार्गदर्शन, अभ्यास साहित्य व आर्थिक* मदत होणार आहे. अशी कोणत्याही समाजासाठी एखाद्या राजकीय व्यक्तीने सुरू केलेली पहिली आणि एकमेव योजना आहे..


• वरील सर्व योजना मंजूर करणे/सुरु होणे, हे संजयभाऊ राठोड यांच्या प्रयत्नांचेच फलित आहे. *या सर्व बाबींमधून बंजारा समाजाचा फायदा होणार आहे. ना की संजयभाऊ राठोड यांचा फायदा होणार आहे*. त्यामुळे टिका-टिपण्णी करणा-यांनी या सर्व बाबींचा अभ्यास करणे गरजेचे आहे. उगाच काहीतरी लिहायचे म्हणून लिहू नये आणि समाजात संम्रभ निर्माण करु नये.


प्रश्न:- *मुंबईत आरक्षणाबाबत बैठक घेऊन तुम्ही समाजाला आश्वासन दिलं होतं – मग आज समाज आंदोलन करत असताना तुम्ही गायब का आहात ?*


 *याअनुषंगाने आपल्या समाजाचे संवेदनशील नेते मा. संजयभाऊ राठोड साहेबांनी स्वत: पुढाकार घेवून दि.8/9/2025 रोजी मुंबई येथे समाजातील सर्व महंत, नेते, विविध संघटनाचे पदाधिकारी, अभ्यासक यांचे समवेत बैठक घेतली. सदर बैठकीतून अभ्यासकांकडून तो विषय समजून घेतला. तसेच त्यावेळी त्यांनी हा विषय अत्यंत महत्वाचा असून, याकरिता अराजकीय सर्व मान्य कृती समिती असावी अशी भूमिका मांडली. जर एखाद्या आंदोलनाला राजकीय वळण लागले तर त्याला पाहिजे त्याप्रमाणात यश मिळू शकत नाही याची त्यांना पूर्णपणे कल्पना आहे.*


*प्रश्न:- आरक्षण मिळवून देण्याबाबत तुम्ही सरकारशी नेमकी कोणती पावलं उचललीत? त्याचा खुलासा आजपर्यंत का केला नाही?*


- ज्यावेळी मराठा समाजाला हैद्राबाद गॅझेट लागू झाला. त्यानंतरच्या मंत्रीमंडळ बैठकीत संजयभाऊ राठोड यांनी मुख्यमंत्री महोदय यांना बंजारा समाजाला हैद्राबाद गॅझेट लागू करावा, अशी भूमिका घेतली. तसेच सातत्याने ते मुख्यमंत्री महोदय यांचेकडे पाठपुरावा करीत आहेत. लवकरच मुख्यमंत्री यांचे अध्यक्षतेखाली बंजारा समाजाचे शिष्टमंडळाची बैठक व्हावी यासाठी ते प्रयत्नशील आहे.आज बहुतेक त्याबद्दल त्यांनी मुख्यमंत्री यांना पत्र दिल्याचे सुद्धा कळतेय.

     तसेच महसूल मंत्री, चंद्रशेखर बावनकुळे यांचे अध्यक्षतेखाली नेमण्यात आलेल्या इतर मागासवर्ग करिता नेमण्यात आलेल्या मंत्रीमंडळ उपसमितीमध्ये संजयभाऊ राठोड हे सुध्दा सदस्य आहेत. मंत्रीमंडळ समितीच्या पहिल्याच बैठकीत बंजारा समाजाला अनुसुचित जमातीचे आरक्षण द्यावे, अशी मागणी केली. तसेच बंजारा कृती समितीचे निवेदन सुध्दा समितीच्या अध्यक्षांना देवून समाजाची भावना त्यांच्यापर्यंत पोहोचविले. त्यामुळे समितीच्या अध्यक्षांनी तात्काळ दखल घेवून सचिव, इतर मागास बहुजन कल्याण यांना निवेदन पाठविले


प्रश्न:- आरक्षण कोणत्या मार्गाने मिळणार – न्यायालयीन, विधेयक, की केंद्राचा निर्णय ? समाजाला स्पष्ट उत्तर द्या!


 *अनुसुचित जमातीचे आरक्षण देण्याचे संपूर्ण अधिकार हे केंद्र शासनाचे आहे. राज्य शासन याची फक्त शिफारस करु शकतो. राज्यशासनाकडून केंद्र शासनास शिफारस होण्याकरीता संजयभाऊ राठोड हे प्रयत्नशील आहे*. 

         *एवढयावर न थांबता न्यायालयीन मार्ग अवलंबविता येईल काय, यासाठी विविध कायदे तज्ज्ञांशी त्यांची चर्चा सुरु आहे. मंत्रालयातील विविध विभागाच्या सचिवांशी सुध्दा ते विचार विनिमय करीत आहे. तसेच इतरही काही मार्ग अवलंबविता येईल काय याचाही ते प्रयत्न करीत आहेत. समाज हा संजयभाऊ राठोड यांचा प्राण आहे. ते कायम समाजासोबत असतात आणि समाजासाठी वाटेल ते करण्याची त्यांची नेहमीच तयारी राहीली आहे.


प्रश्न:- *स्वतःचं मंत्रीपद जाऊ नये, स्वतःवरचे भ्रष्टाचाराचे व इतर डाग उघड होऊ नयेत म्हणून तुम्ही समाजापासून दूर तर पळ काढत नाही ना?*


- बंजारा समाजाला अनुसुचित जमातीच्या आरक्षणाला धक्का न लावता अनुसुचित जमातीचे आरक्षण मिळावे, याकरिता संजयभाऊ राठोड साहेबांनी स्वत: पुढाकार घेवून दि.8/9/2025 रोजी मुंबई येथे समाजातील सर्व महंत, नेते, विविध संघटनाचे पदाधिकारी, अभ्यासक यांचे समवेत बैठक घेतली. तसेच ते सातत्याने समाजातील अभ्यासकांच्या संपर्कात राहून पुढील रणनिती काय असावी यावर विचारमंथन करीत आहे. मंत्रीन ना संजय राठोड यांनी स्वत: एखाद्या आंदोलनामध्ये किंवा मोर्चामध्ये प्रत्यक्ष सहभागी व्हावे हे कितपत योग्य आहे,याचीही अपेक्षा करतांना विचार करणे गरजेचे आहे.मंत्र्यांचे काम हे सरकार कडून काम करवून घेण्याचे आहे.


प्रश्न:- *आंदोलनकर्त्यांवर होणारा पोलिसांचा बडगा थांबवण्यासाठी तुम्ही हस्तक्षेप का करत नाही? हा अन्याय तुम्हाला दिसत नाही का?*


-लोकशाही मार्गाने आंदोलन, मोर्चे, उपोषण करणे याचे सर्वांना अधिकार आहेत. त्यामुळे काही ठिकाणी अनुचित प्रकार घडल्यास प्रशासन त्यांच्या नियमानुसार कारवाई करतो. परंतू एखाद्या ठिकाणी एखाद्यावर चुकीची कारवाई झाल्यास त्याची खात्री करुन त्याला संजयभाऊ नक्कीच मदत करतील, हे आपणांस सर्वांना माहिती आहे.


प्रश्न:- *बंजारा समाजाने तुम्हाला नेते मानलं, पण नेता संकटात पाठीशी राहतो – मग तुम्ही मागे का हटला ?*


- बंजारा समाज हा अनुसुचित जमातीच्या आरक्षणाची मागणी करीत आहे. यापूर्वी कित्येकवेळा संजयभाऊ यांनीही बंजारा समाजाला अनुसुचित जमातीच्या आरक्षणाला धक्का न लावता आरक्षण देण्याची मागणी केली आहे. समाजासोबत खंबीरपणे पाठीशी आहे आणि राहणार हे दाखवून देण्यासाठीच दि.8/9/2025 रोजी मुंबई येथे घेतलेल्या बैठकीत संजयभाऊ यांनी दाखवून दिलेले आहे. या बैठकीला जे उपस्थित होते, त्या सर्वांना हे ज्ञात आहेत.


प्रश्न:- *समाजात संभ्रम आणि अविश्वास वाढत आहे – याची नैतिक जबाबदारी तुम्ही घेणार का?*


समाजात कोणताही संभ्रम आणि अविश्वास नाही. समाजाची स्पष्ट आणि मुख्य एकच मागणी आहे की, बंजारा समाजाला अनुसुचित जमातीच्या आरक्षणाला धक्का न लावता आरक्षण मिळावे. त्यामुळे उगाच अनावश्यकरित्या काहीतरी लिखाण करुन समाजामध्ये संभ्रम निर्माण करु नये.


प्रश्न:- मुंबईच्या बैठकीत दिलेलं आश्वासन फक्त समाजाला फसवण्यासाठी होतं का? रणनीती भरकटवण्यासाठी होती?


-समाजाने अराजकीय कृती समिती स्थापन करावी. या कृती समितीच्या माध्यमातून प्रश्न सोडविण्यासाठी प्रयत्न करावेत. समाजाचा घटक म्हणून कृती समितीच्या सोबत असल्याचे ना संजय राठोड यांनी सांगितले आहे.आतापर्यंत यशस्वी झालेले सर्व आंदोलने पाहता ते अराजकीय असल्यास यश मिळण्याची मोठी संधी असते, हे मुंबईच्या बैठकीत संजयभाऊ यांनी आपल्या बोलण्यातून सांगितले आहे. परंतू संजयभाऊ यांनी प्रत्यक्षात आंदोलनात सहभागी होणे अपेक्षित नाही, असे वाटते.


प्रश्न:- *महाराष्ट्रातील बंजारा समाजातील तरुण, पुरुष-महिला, शेतकरी रस्त्यावर उतरले – काहींनी प्राण दिले त्यांच्याशी तुम्ही संवाद का साधला नाही?*


-आतापर्यंत समाजातील चार तरुणांनी आरक्षणाकरीता आपले प्राण गमावले आहे. संजयभाऊ यांनी या तरुणांच्या कुटुंबियांतील सदस्यांशी तसेच स्थानिक प्रशासनासाठी सुध्दा संपर्क साधला आहे. तसेच मी आपल्या सर्वांसोबत ठामपणे उभा आहे, अशी ग्वाही दिली आहे.


प्रश्न:- समाजाचा प्रश्न बाजूला ठेवून तुम्ही सत्ताधाऱ्यांना खूश करण्यासाठी गप्प बसलात का?

- यापूर्वीच वेळोवेळी संजयभाऊ यांनी आपली भूमिका स्पष्ट केलेली आहे हे आपणांस सर्वांना ज्ञात आहे.


प्रश्न:- *जर खरंच तुम्ही समाजाच्या बाजूने असता, तर आज आंदोलनकर्त्यांसोबत दिसलात असता – तुम्ही कुठे आहात?*


-काही तरी संभ्रम निर्माण करण्यासाठीचे प्रश्न विचारत असल्याचे दिसून येते. एखादा मंत्री कसा काय आंदोलनामध्ये सहभागी होवू शकतो,याचा विचार करावा.मराठा आंदोलन यशस्वी झाले. त्यात महाराष्ट्र शासनातील किती मंत्री उपस्थित होते याचे देखील प्रश्न उपस्थित करण्याऱ्याने विचार करावा.


प्रश्न:- *तुम्ही म्हणालात “मी आरक्षण घेऊनच समाजापुढे जाईन” – मग आता दिलेल्या वचनाचं काय झालं ?*


-आरक्षणाबाबत संजयभाऊ यांनी वेळोवेळी त्यांची भूमिका मांडली आहे.आरक्षण मिळवणे ही एक दिवसाची बाबा नाही त्याला कायदेशीर स्वरून द्यावे लागते.


 प्रश्न:- *समाजाच्या मागणीला ठोस कायदेशीर आधार देऊन सरकारसमोर मांडलं का ? की फक्त टाळाटाळ केली ?*


- अनुसुचित जमातीचे आरक्षण देण्याचे संपूर्ण अधिकार हे केंद्र शासनाचे आहे. राज्य शासन याची फक्त शिफारस करु शकतो. राज्यशासनाकडून केंद्र शासनास शिफारश होण्याकरीता संजयभाऊ राठोड यांचे प्रयत्न सुरु आहे. 

         एवढयावर न थांबता न्यायालयीन मार्ग अवलंबविता येईल काय, यासाठी विविध कायदे तज्ज्ञांशी त्यांची चर्चा सुरु आहे. मंत्रालयातील विविध विभागाच्या सचिवांशी सुध्दा ते विचार विनिमय करीत आहे. तसेच इतरही काही मार्ग अवलंबविता येईल काय याचाही ते प्रयत्न करीत आहेत.


प्रश्न:- समाजाला वारंवार आश्वासन देऊन पोहरादेवीला स्वतःसाठी बोलवले होते का?

- पोहरादेवी हे तिर्थक्षेत्र बंजारा समाजाची काशी असून, दरवर्षी लाखो समाजबांधव त्याठिकाणी दर्शनासाठी येतात. या तिर्थक्षेत्राचा विकास होणे त्यासोबतच समाजाच्या विकासाचे काही महत्वाचे प्रश्न मार्गी लागणे, हाच त्यांचा प्रयत्न होता. त्यामुळे आतापर्यंत समाजाच्या विकासासाठी झालेल्या निर्णयाचे फलित संजयभाऊ यांचे प्रयत्न आहेत. त्यामुळे स्पष्ट लक्षात येते की, समाजाचा विकास हाच संजयभाऊ यांचा ध्यास आहे 


प्रश्न:- *नॉन क्रिमिलियर व आरक्षण मिळून देऊ असे म्हणत तुम्ही दहा वर्षे काढले का?*


छगन भुजबळ यांचे अध्यक्षतेखाली सन 2020 मध्ये मंत्रीमंडळ उपसमिती नेमण्यात आली होती. त्या समितीमध्ये संजयभाऊ राठोड हे सदस्य होते. या समितीने बंजारा समाजाचे अनुषंगाने काही महत्वपूर्ण शिफारशी डिसेंबर 2020 मध्ये केल्या होत्या. जसे की,

• वि.जा. (अ) आणि भ.ज. (ब) या मागास प्रवर्गासाठी नॉन क्रिमीलेयरची अट रद्द करणे.

• वि.जा.(अ), भ.ज. (ब), भ.ज. (क) व भ.ज. (ड) यामधील अंतरपरिवर्तनीयेचा नियम रद्द करणे.

   या शिफारशीच्या अनुषंगाने विभागाने आतापर्यंत काय कार्यवाही केली, असे दि.10/09/2025 रोजीच्या मंत्रीमंडळ उपसमितीच्या पहिल्याच बैठकीत संजयभाऊ राठोड यांनी स्पष्ट शब्दात विचारले. तसेच पुढच्या बैठकीत केलेल्या कार्यवाहीचा अहवाल सादर करण्याबाबत सूचना दिल्या.


प्रश्न:- *पोहरादेवी व समाजाचा गैरवापर तुम्ही केला का ?


-संजयभाऊ राठोड हे दिग्रस, दारव्हा व नेर या यवतमाळ जिल्हयातील मतदार संघांचे आमदार आहेत. पोहरादेवी हे तिर्थक्षेत्र संजयभाऊ यांच्या मतदार संघाच्या क्षेत्राच्या बाहेरील वाशिम जिल्हयात आहे. परंतू ज्या समाजात जन्माला आलो, त्या समाजाचे देणं लागतो. या भावनेनी त्यांनी पोहरादेवी तिर्थक्षेत्र व समाजाच्या विकासासाठी कार्य करण्याचे सातत्याने प्रयत्न केले आहेत. याचेच फलित आजची पोहरादेवीची परिस्थिती, समाजासाठी शैक्षणिक, सांस्कृतिक, राजकिय, धार्मिक या अनुषंगाने मार्गी लागलेले प्रश्न होय. 


प्रश्न:- * महाराष्ट्राच्या आरक्षणाचा पत्ता नाही आणि देशाला एक आरक्षणाची मागणी तुम्ही कोणाच्या आधारावर करता ?


-बंजारा समाजाला अनुसुचित जमातीचे आरक्षण मिळावे किंवा देशपातळीवर एक समान आरक्षण असावे, यासाठी संजयभाऊ सतत प्रयत्नशील असल्याचे आपण वेळोवेळी पाहिलेले आहे.


प्रश्न:- *तुम्ही आतापर्यंत तीन मुख्यमंत्री महोदयांसोबत काम केलात केवळ समाजाचे विषय पुढे करून तुम्ही तुमची पोळी भाजली का 

 एखाद्या आमदाराला मंत्री करणे किंवा न करणे, हा त्या पक्षश्रेष्ठीचा अधिकार असतो. *परंतू मिळालेल्या संधीचे सोनं कसे करता येईल, हे त्या व्यक्तींवर अवलंबून असते. म्हणून संजयभाऊ यांनी मिळालेल्या संधीचे सोने करुन* पोहरादेवी-उमरी तिर्थक्षेत्राचा विकास व समाजाचे प्रमुख प्रश्न मार्गी लावले आहे.इतर प्रश्न मार्गी लावणे साठी ते प्रयत्न करीत आहेत.

संजयभाऊ याच्याबद्दल काहीही लिहीतांना किंवा भाष्य करतांना आपण अभ्यास करणे अपेक्षित आहे.समाज पूर्ण जाणतो.

Sanjay Rathod-संजय राठोड

Sanjay Rathod-आपला माणूस

Sanjay Rathod For Maharashtra

Sanjay Rathod FC

Sanjay Rathod - दिग्रस विधानसभा

Sanjay Rathod Samarthak

Sanjay bhau Rathod

Shital Sanjay Rathod

Damini Sanjay Rathod-दामिनी संजय राठोड

Monday, 15 September 2025

भारत में हर खाताधारक के खाते से मात्र ₹1 स्वतः कट जाए

 🇮🇳 भारत में हर खाताधारक के खाते से मात्र ₹1 स्वतः कट जाए, जब भी कोई वीर सैनिक सीमा पर शहीद हो, और वह पैसा सीधे उस शहीद के खाते में जमा हो जाए। यह विचार न केवल हमारे सैनिकों के बलिदान को सम्मान देगा, बल्कि हर नागरिक को देश के प्रति अपनी जिम्मेदारी का एहसास भी कराएगा। 🌟 आइए, इस नेक पहल को समर्थन दें और अपने शहीदों के परिवारों के लिए कुछ करें। #BharatMataKiJai #IndianArmy


💪 यह राशि भले ही छोटी हो, लेकिन इसके पीछे का भावना बहुत गहरी है। एक रुपये की कीमत से कहीं ज्यादा कीमती है वह स्वतंत्रता, जो हमारे सैनिकों की शहादत से मिली है। हर शहीद का परिवार हमारे लिए एक प्रेरणा है, जो बिना शिकायत के देश की सेवा में अपने प्रियजनों को खो देता है। 🙏 आइए, हम सब मिलकर उनका दर्द बांटें। #Shaheed #Respect


🌹 जब कोई सैनिक सीमा पर अपनी जान देता है, तो उसकी कुर्बानी का मूल्य आंकने के लिए कोई पैमाना नहीं है। लेकिन अगर हर भारतीय अपने खाते से ₹1 दे दे, तो यह एक बड़ा संदेश होगा कि हम उनके बलिदान को भूल नहीं सकते। 🌿 हर शहीद की याद में यह छोटा सा योगदान उनकी आत्मा को शांति देगा। #Freedom #Sacrifice


🎖️ हमारे सैनिक दिन-रात कठिन परिस्थितियों में देश की रक्षा करते हैं, और उनके परिवार को हर कदम पर समर्थन की जरूरत होती है। यदि यह योजना लागू हो जाए, तो शहीदों के परिवारों को आर्थिक सहायता मिलेगी, जो उनके जख्मों पर मरहम लगाने का काम करेगी। 💂 आइए, इस विचार को हकीकत बनाएं। 

जो इस बात से सहमत हैं कि शहीदों के लिए यह छोटा सा योगदान जरूरी है, वे कमेंट में "हां" लिखकर अपनी सहमति दें। इस पोस्ट को शेयर करें ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस नेक पहल से जुड़ सकें और देशभक्ति का जज्बा जागृत हो। 📢 हर एक वोट इस मुहिम को मजबूत करेगा। #Honor #Unity


🇮🇳 आखिर में, यह वादा करें कि हम अपने सैनिकों के बलिदान को कभी भूलेंगे नहीं और उनके परिवारों के लिए हमेशा खड़े रहेंगे। 26 जनवरी और 15 अगस्त जैसे पर्वों पर उनकी शहादत को याद करते हुए देश के लिए कुछ न कुछ जरूर करें। जय हिंद! 🚩 


#JaiHind #Patriotism #politicalgyan

Wednesday, 3 September 2025

नाराज़ पत्नी ने अपने अध्यापक पति

 नाराज़ पत्नी ने अपने अध्यापक पति


से कहा–आप बाहर खाना खिलाने ही


नहीं ले जाते,आज रात का खाना बाहर


करेगें..।


मास्टर साब–


ठीक है पास के होटल में चलते हैं,


पत्नी–नहीं..किसी फाइव स्टार


होटल में चलते हैं....।


मास्टर साब–(एक मिनट के लिए


मौन) ठीक है...शाम 7 बजे चलते हैं।


ठीक सात बजे पति-पत्नी


अपनी कार में घर से निकले...।


रास्ते में–


मास्टर साब बोले,जानती हो...


एक बार मैंने अपनी बहन के


साथ पानीपूरी प्रतिस्पर्धा की थी।


मैंने 30 पानी पूरी खाई


और उसे हरा दिया....।


पत्नी–क्या यह इतना मुश्किल है.??


मास्टर साब–मुझे पानी-पूरी


प्रतियोगिता में "हराना" बहुत


"मुश्किल" है।


पत्नी–मैं आसानी से


आपको हरा सकती हूँ।


मास्टर साब–रहने दो ये


तुम्हारे बस का नहीं ….!!


पत्नी–


हमसे प्रतियोगिता करने चलिये….


मास्टर साब–


तो "आप" अपने-आप को


हारा हुआ देखना चाहती हैं.!!?


पत्नी–चलिये देखते हैं…।


वे दोनों एक पानी-पूरी स्टॉल पर


रुके और खाना शुरू कर दिया….।


25 पानी पूरी के बाद मास्टर


साब ने खाना छोड़ दिया।


पत्नी का भी पेट भर गया था,


लेकिन उसने मास्टर साब को


हराने के लिए एक और खा लिया


और चिल्लाई,“तुम हार गये।”


बिल 100 रुपये आया...


मास्टर साब-


अब होटल चलें खाना खाने …


पत्नी-नहीं अब पेट में जगह


नहीं बची...वापस घर चलो।


(पति-पत्नी घर लौट गये)


और पत्नी वापस घर आते हुए...


शर्त जीतने की बात पर बेहद


खुश थी....।


कहानी से नैतिक शिक्षा....


#एक_अच्छे_अध्यापक का


मुख्य उद्देश्य #न्यूनतम_खर्च


के साथ साथ #शिकायतकर्ता


को संतुष्ट करना होता है….।।

Tuesday, 2 September 2025

बिजनेस पार्टनरशिप का सुनहरा अवसर

बिजनेस पार्टनरशिप का सुनहरा अवसर 

मैं अपना नया बिजनेस शुरू करने जा रहा हूँ और इसके लिए मुझे पार्टनर की आवश्यकता है।

                    📑 प्रेज़ेंटेशन कंटेंट 2025



Slide 1 : कवर पेज

XYZ Taxi & Transport App

"आपका अपना बिज़नेस – आपकी अपनी सिटी"

🚖 Bike Taxi | 🚗 Car Rides | 🚚 Long Route Transport


👤 प्रस्तुतकर्ता: सुनील राठौड़

📧 Email: Sunil47677@gmail.com

📞 Mo. 9993029777


Slide 2 : मेरा अनुभव और विज़न

5 साल का अनुभव ट्रांसपोर्ट और सर्विस सेक्टर और रेपिडो टेक्सी में है ।

विज़न:

1. कम समय में असीमित पैसा कमाने का अवसर

2. बेरोजगार लोगों को रोजगार देना

3. बिना बड़ी डिग्री या उच्च शिक्षा – सिर्फ बाइक और मोबाइल से काम शुरू


Slide 3 : मार्केट की जरूरत

छोटे शहरों में Bike Taxi और Car Rides की भारी डिमांड

फिलहाल केवल बड़े शहरों में ही उपलब्ध

ग्राहकों को सुरक्षित और किफायती विकल्प चाहिए


Slide 4 : हमारा समाधान

XYZ Taxi App

Local Texi +Bike Texi+Local Transport + Long Route Service.+Live customer treking सिस्टम.

आसान यूजर इंटरफेस

भरोसेमंद राइडर्स

तेज़ और सुरक्षित पेमेंट सिस्टम


Slide 5 : क्यों चुने XYZ?

✔ एक शहर – एक ही पार्टनर (एक्सक्लूसिव राइट्स)

✔ सीधा मुनाफा – कोई बीच वाला नहीं

✔ हाई ग्रोथ इंडस्ट्री

✔ Employment + Business दोनों का अवसर


Slide 6 : पार्टनरशिप मॉडल

फ्रेंचाइज़ी कॉन्सेप्ट

हर शहर में सिर्फ 1 फ्रेंचाइज़ी ओनर

पार्टनर = उस शहर का कंपनी मालिक

अपनी टीम, अपना मैनेजमेंट



Slide 7 : इन्वेस्टमेंट डिटेल्स

💰 इन्वेस्टमेंट – ₹1,00,000

Booking – ₹5,000 (सिटी लॉक करने के लिए)

Launching पर – ₹45,000

30 दिन बाद – ₹50,000


Slide 8 : प्रॉफिट शेयरिंग

कंपनी = 60%

पार्टनर = 40%

पूरा डेटा और एक्सेस आपके पास

अपनी मर्ज़ी से ज़ोन/एरिया सेट करने की सुविधा


Slide 9 : संभावित कमाई

📊 Example Calculation:

25,000 Registration

2,500 Active Riders

1 Rider से प्रतिदिन औसत कमीशन = ₹100

2,500 × 100 = ₹2,50,000 Daily Turnover

मासिक कमाई = ₹75,00,000 तक संभव


Slide 10 : पार्टनर को फायदे

1. पूरे शहर पर Monopoly Rights

2. लगातार बढ़ता कस्टमर बेस

3. Branding और Marketing सपोर्ट कंपनी की तरफ से

4. कम खर्च में बड़ा बिजनेस


Slide 11 : लॉन्चिंग प्लान

🎉 App Launching – इस दिवाली

🔥 पहले 10 पार्टनर्स को Special Benefits

🔒 अभी ₹5,000 जमा करके अपना शहर बुक करें


Slide 12 : एग्रीमेंट और नियम

कंपनी और पार्टनर के बीच लिखित एग्रीमेंट

सभी शर्तें और रेशो क्लियर होंगे

Transparency और Trust पर आधारित सिस्टम


Slide 13 : भविष्य की योजनाएँ

🚀 Long Route Booking

🚐 Parcel / Courier Service

🏍 Self Employment Program

🌍 Pan India Expansion


Slide 14 : हमारा मिशन

हर शहर में सस्ती, सुरक्षित और भरोसेमंद Taxi Service

हज़ारों लोगों को रोजगार

भारत का सबसे भरोसेमंद Taxi App बनाना


Slide 15 : Contact Us (अंतिम स्लाइड)

📌 XYZ Taxi & Transport App

👤 सुनील राठौड़

📧 Sunil47677@gmail.com

📞 9993029777

👉 अभी ₹5,000 देकर अपनी सिटी बुक करें





Wednesday, 27 August 2025

इलाज के बहाने रिश्ता सम्भोग तक चला गया और जब पति को पता चला तो ......

 “इलाज के बहाने रिश्ता सम्भोग तक चला गया और जब पति को पता चला तो ........

रात गहरी थी और खामोशी इतनी कि सुई भी गिरती तो सुनाई देती। इसी खामोशी को चीरती हुई एक औरत क्लिनिक के दरवाज़े पर पहुँची। नाम था उसका संध्या। चेहरे पर थकान, आँखों में उम्मीद और दिल में एक अजीब-सी घबराहट। वह अपने दर्द का इलाज ढूंढने आई थी, लेकिन उसे पता नहीं था कि आज से उसकी ज़िन्दगी एक ऐसे रास्ते पर मुड़ने वाली है, जहाँ इलाज़ से ज़्यादा दिल के ज़ख्म खुलेंगे।


डॉक्टर अरविंद, शहर के जाने-माने चिकित्सक, अपनी गंभीरता और सादगी के लिए मशहूर थे। लेकिन जब उन्होंने पहली बार संध्या की आँखों में झाँका, तो जैसे कुछ अनकहा दिल में उतर गया। संध्या भी उस नज़र को भुला न सकी। हर मुलाक़ात, हर दवा के बहाने, उनके बीच अजीब-सा खिंचाव बढ़ता गया।


संध्या सोचा करती—

“क्या ये सिर्फ़ इलाज़ है? या इन नज़रों में छुपा कोई और राज़?”

धीरे-धीरे ये सवाल उसकी रातों की नींद चुरा लेता। वो डॉक्टर से मिलने के लिए नए-नए बहाने ढूँढने लगी। और डॉक्टर अरविंद भी, जो अब तक सिर्फ़ मरीजों के लिए जाने जाते थे, संध्या को देख कर अपने दिल की धड़कनें तेज़ पाते।


कुछ दिनों बाद, इलाज के बहाने उनकी मुलाक़ातें और निजी हो गईं। क्लिनिक की बंद दीवारों के भीतर, दोनों का रिश्ता उस हद तक पहुँच गया जिसे समाज “अवैध” कहता है। उनके बीच उठे तूफ़ान ने नैतिकता और वफ़ादारी की हर दीवार तोड़ दी।


लेकिन असली सस्पेंस अभी बाकी था।


एक शाम, जब क्लिनिक में सिर्फ़ वही दोनों मौजूद थे, अचानक दरवाज़े पर ज़ोरदार दस्तक हुई। डॉक्टर ने घबराकर दरवाज़ा खोला—बाहर खड़ा था संध्या का पति। उसके हाथ में संध्या की मेडिकल रिपोर्ट और चेहरे पर गुस्से से भरी हैरानी।


वो चिल्लाया—

“ये इलाज है या बेवफाई?”


कमरे में सन्नाटा छा गया। संध्या का चेहरा पीला पड़ गया, और डॉक्टर अरविंद के शब्द गले में अटक गए। सच सबके सामने आ चुका था। संध्या को उसी पल एहसास हुआ कि जिस मोहब्बत को उसने चाहा, वह दरअसल एक गहरी भूल थी। उसकी आँखों से आँसू गिर पड़े।


पति ने पीठ मोड़ी और बाहर निकल गया। डॉक्टर ने सिर झुका लिया। और संध्या... वह टूट चुकी थी।


🌸 अंतिम संदेश


“प्यार अगर भरोसे और मर्यादा की हदें तोड़ दे, तो वो कभी सुख नहीं देता—सिर्फ़ गहरा पछतावा छोड़ जाता है।”

ये रिश्ता अक्सर प्रेम का कम और सौदेबाज़ी का ज़्यादा बन जाता है...

 औरत अपना जिस्म लुटाकर मर्द को अपना बनाने की कोशिश करती है, और मर्द अपनी जेब खर्च करता है बस औरत का साथ पाने के लिए...


ये रिश्ता अक्सर प्रेम का कम और सौदेबाज़ी का ज़्यादा बन जाता है...


क्योंकि जहां औरत समझती है कि उसकी नज़दीकियाँ किसी को बाँध लेंगी,


वहीं मर्द ये सोचता है कि उसका खर्चा, उसकी कमाई,


उसकी काबिलियत किसी को रोक लेगी...


लेकिन सच्चाई ये है —


ना जिस्म किसी को रोक सकता है,


और ना ही पैसा किसी को हमेशा के लिए बाँध सकता है!


रिश्ते सिर्फ तब टिकते हैं,


जब न ज़रूरत हो जिस्म की,


न गिनती हो पैसों की,


बल्कि हो सिर्फ एक सच्चा मन से मन का जुड़ाव।


वरना...


जिस्म बदलते देर नहीं लगती,


और जेब खाली होते ही साथ छूट जाता है...

Tuesday, 26 August 2025

यह चमत्कार से कम नहीं है..एक बार फिर साबित हुआ...डॉक्टर भगवान जी के ही स्वरूप होते है..

 यह चमत्कार से कम नहीं है..एक बार फिर साबित हुआ...डॉक्टर भगवान जी के ही स्वरूप होते है..❤️🙏


जन्माष्टमी का दिन... लखनऊ...गोमती नगर विपुल खंड...में 3 साल का मासूम कार्तिक खेलते-खेलते ऊपर से लगभग 20 फीट नीचे लोहे की ग्र‍िल पर ग‍िर गया।


नुकीली लोहे की ग्र‍िल उसके स‍िर के आरपार हो गयी...


वेल्‍डर आया.... ग्र‍िल को काटा गया...


 पर‍िजन मासूम को लेकर प्राइवेट अस्‍पताल गये। 15 लाख रुपए का बजट बता द‍िया गया। 


आधी रात न‍िराश पर‍िजन बच्चे को लेकर लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी पहुँचे...


नन्हे सिर को चीरती हुई लोहे की छड़ किसी निर्दयी तकदीर की तरह आर-पार हो चुकी थी।


 डॉक्टरों ने जब यह देखा, तो कुछ क्षण के लिए वहाँ भी सन्नाटा छा गया।


इसी खामोशी के बीच आगे बढ़ते हैं....


 डॉ.अंकुर बजाज..


सर्जन के हाथ में स्केलपल नहीं, बल्कि साहस का संकल्प था। और उसी साहस के सहारे वह ऑपरेशन थियेटर में प्रवेश करते हैं। बच्चे की जिंदगी उनके सामने है, जैसे कोई दीपक आंधी में कांप रहा है और उन्हें उसे बुझने से बचाना है।


लेक‍िन डॉक्‍टर अंकुर के ल‍िए यह आसान नहीं था। आसान भी कैसे होता। थोड़ी देर पहले ही तो वे अपनी माँ के साथ सबसे कठिन वक्त में थे। माँ को दिल का दौरा पड़ा था। कार्डियोलॉजी में इलाज चल रहा था। 3 स्टेंट पड़े और हालत नाजुक बनी थी। एक तरफ माँ की साँसें अटकी थीं तो दूसरी तरफ कार्तिक का जीवन लोहे की छड़ में उलझा था।


लेकिन डॉक्टर बजाज ने उसे चुना, ज‍िस पेशे को धरती का सबसे सुंदर माना जाता है। आधी रात ट्रामा सेंटर पहुँचे...छः घंटे से ज्‍यादा चली यह जटिल सर्जरी...जिसका हर पल जोखिम से भरा हुआ था...हर क्षण धैर्य की परीक्षा...


और आखिरकार वह लोहे की छड़ को बच्चे के शरीर से अलग कर दिया गया। 


डॉ. अंकुर बजाज और उनकी टीम ने यह साबित कर दिया कि डॉक्टर सिर्फ शरीर नहीं जोड़ते, वे टूटते हुए रिश्तों को, डगमगाते हुए भविष्य को, और डूबते हुए भरोसे को भी बचा लेते हैं। डॉक्‍टर डॉ. बीके ओझा, डॉ. अंकुर बजाज, डॉ. सौरभ रैना, डॉ. जेसन और डॉ. बसु के अलावा एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. कुशवाहा, डॉ. मयंक सचान और डॉ. अनीता ने असभंव को संभव कर द‍िखाया, वह भी 25 हजार के खर्चे पर। 


आज जब हम डॉक्टरों को महज फीस और समय से जोड़कर देखते हैं, तब हमें याद रखना चाहिए कि कहीं कोई डॉक्टर ऐसे ही किसी अंधेरे में रोशनी की लौ बनकर खड़ा है।


Monday, 25 August 2025

मान लो, तुम्हें ज़िंदगी ने बहुत बड़ा आघात दिया।

 मान लो, तुम्हें ज़िंदगी ने बहुत बड़ा आघात दिया।

तुम टूटे, बिखरे… पर फिर सोचा अब तुम्हें संभलना ही होगा, अपने लिए... तभी तुम्हारी ज़िंदगी में कोई आया।

उसने तुम्हारे ज़ख्मों पर मरहम रखा,तुम्हारी आँखों के आँसू पोंछे और तुम्हें यक़ीन दिलाया कि तुम फिर से मुस्कुरा सकते हो। उस पल तुम्हे लगेगा यही तो है तुम्हारी सारी पीड़ा की दवा।


लेकिन वक़्त बदला। वही इंसान, जिसने तुम्हारे घाव भरे थे,उन्हीं घावों के पास एक और गहरा निशान देकर चला गया। तुम फिर टूटे… लेकिन हार नहीं मानी।


हाँ, तुम्हारे घाव वक़्त के साथ भर गए लेकिन उनके निशान आज भी तुम्हारे साथ हैं। उन्होंने तुम्हें सिखा दिया कि तुम्हें संभलना है, पर किसी और के सहारे पर नहीं। तुम्हें अपनी मज़बूती खुद बनानी है।


तुम चाँद मत बनो जो किसी और की रोशनी में चमकता है। तुम सूरज बनो जो खुद जलकर, अपनी रोशनी से

न सिर्फ़ अपनी दुनिया, बल्कि औरों की राह भी रौशन कर देता है।



Sunday, 24 August 2025

दो शब्द प्रेमियों के लिए ध्यान से पढ़ें

दो शब्द प्रेमियों के लिए ध्यान से पढ़ें :-

 प्रेम से ज्यादा उलझन भरा सफर कुछ भी नही होता। कई बार दोनों तरफ भरपुर प्रेम होता है। ना कोई समस्या होती है ना कोई रुकावट। फिर भी सबकुछ फ्रिज सा रहता है। जानते हो क्यों? क्योंकि प्रेम की कमान हमेशा स्त्री के हाथ मे होती है। पुरुष एक हद तक कोशिश करता है फिर छोड़ देता है। अगर कड़वा अनुभव मिल जाए तो वह अपने रास्ते ही बदल लेता है। शुरुवात मे स्त्री नखरे दिखाती है। झिड़कती है। पुरुष इसी को रिजेक्शन समझ लेता है। और डर जाता है। इस तरह की कण्डिशन मे सब कुछ स्त्री के हाथ मे होता है।। अगर वह समझदार है तो सब कुछ सम्भाल लेती है। पुरुष की अकड़ तो बच्चे की तरह है। हक से सम्भालो, डांट के सम्भालो, अगर शिकायत कर रहा है तो सॉर्री बोल के सम्भालो, दुनिया का कोई भी पुरुष अपनी पसंदीदा स्त्री को अगर उस पर भरोसा हो तो दूर नही धकेल सकता। प्रेम वहीं सफल हुए है जिन्हे स्त्री ने सम्भाला। क्योंकि एक बार स्त्री ने परखने के लिए या गुस्से मे उसे झिड़क दिया। पुरुष के सारे रास्ते बन्द है। अगर कोई सड़क छाप आशिक होगा, प्रेम के नाम पर जिसकी मंशा मात्र उस स्त्री का देह है तो वो दुबारा कोशिश करेगा। वरना एक इज्जतदार पुरुष ख्वाब मे भी कोशिश नही करेगा। क्योंकि अगली कोशिश मे मिलने वाले तिरस्कार को वो सम्भाल ही नही पायेगा इसलिए अगर स्त्री चाहे तो रिश्ता रहेगा। वरना नही रहेगा। जहाँ स्त्री ने साफ तौर पर परखने को ही प्रेम कह दिया। उसके बाद पुरुष के द्वारा कोशिश करना मूर्खता है। एक सत्य ये भी है कि स्त्री के दिल मे प्रेम देर से जागता है। और तब तक शायद पुरुष दूर जा चुका होता है। वह तत्काल नहीं होता। वो धीरे धीरे एक ऐसे चौराहे पर जाकर खड़ा हो जाता है जहां से एक रास्ता एहसास का, एक रास्ता संवेदना का, एक रास्ता उम्मीद का, और एक रास्ता प्रेम का, सब धीरे धीरे पुरुष के अंदर मरते हैं, पर सब आहिस्ता-आहिस्ता। दरअसल, जो मरना आहिस्ता-आहिस्ता होता है वह ही, एक न बदल सकने वाली अवस्था होती है जो खामोश, अकेलापन बढ़ते बढ़ते एक जिंदा लाश में बदल जाती है.... 

लेखक: सुनिल राठौड़ बुरहानपुर.

Saturday, 23 August 2025

जवान होती लड़की पर सभी की नजर होती है

 जवान होती लड़की पर सभी की नजर होती है


परिवार के जितने भी रिश्तेदार हैं वह शादी के लिए पापा से अक्सर बोलते थे , बिटिया बड़ी हो रही है आप शादी देखो ...कभी दादी बोलती थी बिटिया बड़ी हो रही है अब कहीं अच्छा लड़का देखना शुरू करो, पिताजी भी हां करके फिर ध्यान नहीं देते थे।


धीरे-धीरे इंटर पास हो गए ग्रेजुएशन शुरू हो गया और हम बाहर शहर में रहने लगे थे.


घर में रिश्तेदारों की वही बातचीत चलती रहती थी बिटिया बड़ी हो गई है क्यों नहीं देख रहे हो लड़का ,देखो लड़का ..


देखते देखते समय गुजर रहा हो ... मेरे पापा और मेरे भैया दोनों जैसे सुनते तो थे पर ध्यान न देते हो ...


अभी कहीं कोई लड़का देखा नहीं जा रहा था ...


धीरे-धीरे ग्रेजुएशन फाइनल ईयर आ गया और मैं 20 साल की हो चुकी थी ।।


आगे मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ,लेकिन मैं अपना साल बेकार नहीं करना चाहती थी ,इसलिए मैंने अपना एडमिशन ऑप्टोमेट्री में ले लिया था, साथ में कंप्यूटर भी सीखने लगी थी मैं....


कुछ एक महीने बाद एक रोज मैं अपने पापा को किसी से लड़का पूछते हुए सुना कि मेरी बेटी के लिए कोई लड़का हो तो बताना...


तब मैं खुद अपने पापा से पूछा ,"अभी तक तो जाने कितने लड़के लोग आपको बता रहे थे तब तो आपने एक बार भी नहीं देखा ,पता नहीं कहां-कहां के लड़के बताए गए , कौन-कौन सी नौकरी करते हुए लड़के बताएं, कितने ऐसे लड़के बताए गए जो बहुत मजबूत परिवार से थे , आपने उन्हें तो किसी को नहीं देखा, अब उनकी सब की शादियां हो गई और अब आप खुद लड़के पूछ रहे हो समझ में नहीं आया"।


तब उस वक्त मेरे पापा ने जो जवाब दिया वह मैं आप सबके बीच रखूंगी उसे वक्त मेरे पापा ने मुझसे कहा कि तब तुम इंटर कर रही थी, तुम मजबूत नहीं थी , इंटर करने के बाद शायद तुम अपने जीवन में मुश्किल भरे दिन आने के बाद वह फैसला नहीं ले पाती जो तुम्हें आर्थिक तौर पर मजबूत करते हैं तुम्हे मुश्किल वक्त में दूसरो के सहारे ही रहना पड़ता, ग्रेजुएशन में भी मैंने तुम्हें मजबूती देने के लिए रोक रखा था कि मेरी बेटी का ग्रेजुएट हो जाएगा उसके बाद ही मैं लड़का देखूंगा और अब तुम ऑप्टोमेट्री कर रही हो अब मुझे पता है कि अगर मेरी बेटी को जीवन में कभी भी आर्थिक तौर पर मजबूत होना होगा तो मेरी बेटी स्वेच्छा से खड़ी हो जाएगी, मेरी बेटी रिश्ते में बंधेगी जरूर पर रिश्ते की घुटन बर्दाश्त करने के लिए नहीं रिश्ते को प्रेम से सिंचित करने के लिए... या कभी जीवन में ऐसा कोई पल आ गया जिस पल मेरी बच्ची अकेली पड़ गई तो वह अपने जीवन को स्वाभिमान से जी सकेंगी...


भले मां-बाप अपनी बेटी को देने वाले रूपों में लाख डेढ़ लाख कम दे..पर अपनी बेटी को ऐसा हुनर जरूर सिखा दे ऐसी काबिलियत जरूर भर दे कि वह जीवन के मुश्किल हालातो में अपने परिवार और अपने बच्चो को सिर्फ रोटियां बनाकर खिलाने की ही नही बल्कि आर्थिक मजबूती भी देने में पीछे ना हटे..


उस वक्त तो मेरी समझ में ये बात बिलकुल भी नही आई थी पर अब जरूर आ चुकी है, और ये बात तो मैं भी कहूंगी, कि बेटियो की महंगी शादी भले ही ना करो पर उनके उनके बुरे वक्त के लिए काबिलियत जरूर देना..


कभी उनकी पढ़ाई उनकी ससुराल वालो के भरोसे मत छोड़ना, खुद पढ़ाना , और फिर ही शादी करना..


नौकरी करना जरूरी नहीं.. पर इतना काबिल कर देना कि उन्हेंबुरे वक्त में हुनर का उपयोग करने के लिए उन्हें किसी के आगे हाथ ना फैलाना पड़े,


बहुत सी बेटियां आज भी ना चाहते हुए अपने भविष्य को लेकर बुराई भरे ससुराल से इसीलिए निकल नही पाती कि वो आगे क्या करेगी..


या पति के ना होने पर लाचार या मजबूर हो जाती है बेटियां और उसे अपने बच्चो के अच्छी शिक्षा दिलाना मुश्किल हो जाता है...


बेटियो को विवाह के लिए नही बल्कि बेटियो को मजबूत बनाने के लिए उचित शिक्षा और हुनर जरूर सीखना।।

हनीमून की रात जैसे ही पतिदेव के साथ समागम होने का मूड बना वैसे ही मेरी बुआ सास दरवाजे पर आके जोर से बुलाती है

हनीमून की रात जैसे ही पतिदेव के साथ समागम होने का मूड बना वैसे ही मेरी बुआ सास दरवाजे पर आके जोर से बुलाती है


बेटा बाहर आओ,


जल्दी से मैंने कपड़े पहने और मन में सोचने लगी क्या तरीका है ये

बार आते ही उन्होंने ने बोला आज तुम्हारी सुहागरात है, सब अच्छे से करने की जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर है, बबुआ अभी नादान है


मैं शरमाते हुए मन में सोची 4 महीने फोन पर बात करने पर ही समझ आगया था की आप के बबुआ कितने नादान है


मैने बोला ठीक है बुआ जी, और बुआ जी बोलती है

बस जल्दी से इगो पोता या पोती का मुंह दिखा दो

अब नेक काम में दूरी बर्दाश्त नहीं होती है


खैर मैं अपने कमरे में आई और पतिदेव के साथ शरारत भरी बातें हुई और फिर वही हुआ जो होना होता है


लेकिन अब कुछ दिन घर में मेहमान आने वाले थे, लोग बारी बारी आते और सभी औरतें एक ही आशीर्वाद देती


जल्दी से एक बच्चा देदो पहले तो मैं शर्मा जाती लेकिन धीरे धीरे सुन सुन के मुझे भी अब चिढ़ होने लगी थी।


क्यों की जो आता बस यही बोलता, मन तो करता बोल दो की अभी तो नई शादी हुई है बोले होते इतनी जल्दी है तो साथ में पहले बच्चा कर लेती फिर शादी कर के उसे ले आती


पर नई होने की वजह से कुछ बोलना मेरे संस्कार के खिलाफ था


दिन रात ये बात सुन के मैने पतिदेव से बोला की अब हमे डॉक्टर से मिल के बच्चे के बारे में सोचना चाहैए शादी को 6 महीने हो गए हैं


उन्होंने बोला पागल हो क्या शादी में खुद इतना खर्चा हुआ है कैसे सभी कुछ मैनेज होगा बच्चे की जिम्मेदारी एक बड़ी जिम्मदारी है, कोई जो बोल रहा है बोलने दो, एक कान से सुनो दूसरे से निकाल दो


मुझे गुस्सा लग गईं मैंने बोला आप खुद तो दिनभर घर से बाहर रहते हैं सुनना तो मुझे पड़ता है

घर के लोग तो बोलते हैं

साल में एक बार फोन करने वाले भी हेलो बोलने के बाद सीधा पूछते हैं


बहु को कुछ है ?अब कैसे सबको जवाब दूं


और ऐसे ही पहली बार हमारी लड़ाई हुई


फिर एक दिन मेरी सास मुझे समझाने लगी की बेटा जल्दी बच्चा पैदा करो, यदि कोई दिक्कत है तो खुल के बोलो डॉक्टर से बात करते हैं


मैने भी बोल दिया मैं तो चाहती हूं पर आप के बबुआ नही चाहते हैं


अब घर में बवाल मच गया, लेकिन किसी तरह मेरे समझदार ससुर जी ने समझाया और बात को खत्म किया


2 3 दिन तो किसी ने कुछ नही बोला लेकिन एक दिन शाम को फिर यही बात उठने लगी


और मेरे पति ने बोला की अभी मेरी कमाई इतनी नही है की एक बच्चे की जिम्मेदारी ले सकूं


मां ने तुरंत बोला क्या बच्चा के पीछे करोड़ों खर्च होंगे

जब पैदा होगा तो अपने भाग्य से लेके आएगा

तुम्हारे पापा की छोटी सी नौकरी में मैने 3 बच्चे पाले हैं


मेरे पतिदेव के पास कोई जवाब नही था तभी मेरे ससुर जी बीच में आते हैं


और बोलते हैं


मेरी कमाई कम थी लेकिन हमारा खर्चा भी कम था, इस लिए बच्चे पल गए


पहले हमारी जरूरत सीमित थी, रोटी कपड़ा और मकान ये सबसे ज्यादा जरूरी था इसके अलावा अन्य किसी चीज की जरूरत नहीं थी


लेकिन आज रोटी कपड़ा मकान और इंटरनेट जिंदा रहने के लिए जरूरी है, पहले एक फोन से पूरा घर काम होता था लेकिन आज जितने सदस्य उतना फोन है और उतना रिचार्ज है


हमारे समय में स्कूल में 2 बच्चे पढ़ने पर एक को फुल फीस थी एक ही हाफ

और तीन पढ़ने पर 2 को फुल और की पूरी तरह माफ


स्कूल का काम सिर्फ पढ़ना था ड्रेस किताब कॉपी ये सब हम कहीं से भी ले सकते थे, लेकिन आज सब कुछ 4 गुने दाम पर लेना होता है उसी स्कूल से


खाने में हमारे लिए डाल चावल सलाद रोटी पर्याप्त थी, और स्कूल में रोटी सब्जी पराठा अचार यही ले जाते थे

लेकिन अब कंपटीशन में बच्चो को कॉन्टिनेटियल खाना देना पड़ता है


पहले साल में 1 2 बार बाहर खाते थे और आज हफ्ते में 2 बार बाहर खाया जाता है


पीने का पानी शुद्ध कुवे से मिलता था लेकिन आज पानी भी खरीद के पीना पड़ता है,


बुखार हो या सर्दी जुखाम, तेल मालिश करते ही बच्चे ठीक हो जाते थे

लेकिन आज छींक आने पर भी डॉक्टर स्पेशल केस में बच्चो को डाल देते हैं और हजारों का बिल बनाते हैं


एक ऑटो रिजर्व कर के पूरा शहर घूम लेते थे, आज घर के एक एक सदस्य को मोटरसाइकिल चाहिए साइकिल से कोई चलना नही चाहता


देखो शांति समय समय की बात है, बबुआ अभी बच्चा नही चाहता क्यों की उसे आज की सच्चाई पता है

की महंगाई ज्यादा नही हुई है बल्कि हमारे खर्च ज्यादा हो गए हैं


इस लिए उसे समय दो थोड़ा सेविंग करने की


और बबुआ तुम, इस बात का ध्यान रखो कि बाप बनने से पहले अच्छा पैसा कमाओ एक बच्चा पैदा करो लेकिन परवरिश अच्छी करो उसकी

और सबसे जरूरी समय रहते बच्चा पैदा करो नही तो पता चला तुम्हारे रिटारमेंट की उम्र हो रही है, और तुम्हारा बच्चा दसवीं को परीक्षा दे रहा है


उस दिन में बाद से घर में दुबारा बच्चे को लेके चर्चा नही हुई

और पतिदेव भी समझ गए

और 2 साल बाद हमे एक बेटी हुई, है जिसको परवरशिष हम सब मिलकर करते हैं


घर के बड़े बुजुर्ग यदि समझदार हो तो घर हमेशा सही दिशा में चलता है और खुशहाली बरकरार होती है 

Friday, 22 August 2025

आप कुछ करिए या ना करिए कुंडली मिलिया ना या ना मिलिया पर आप लोग फोन पर बात जरूरकीजिए

 कॉलेज खत्म होने के बाद मेरे पिता मेरे लिए रिश्ता तो ढूंढ रहे थे लेकिन मैं अभी आगे और पढ़ना चाहती थी मैं घर पर इस बारे में बात करने की कोशिश की तो पापा ने कहा शादी की जा रही है अगर तुम आगे पढ़ना चाहती हो तो शादी के बाद भी पढ़ सकती हो लेकिन एक बार अगर उम्र निकल गई तो अच्छे लड़के नहीं मिलेंगे


अनीश का रिश्ता मेरे घर आया दिखने में काफी हैंडसम थे परिवार भी काफी संपन्न था जब मेरे पापा ने अनीश की फोटो मुझे दिखाई तो मुझे यह कोई खास नहीं लगे थे पर जब बात सामने से हुई तो अनीश के प्रति मेरा रवैया बदल गया


अनीश के घर से कई लोग आए थे और मेरे घर से सिर्फ मेरा परिवार था इस दौरान हम लोगों ने एक दूसरे को देखा और देख करके ही पसंद कर लिया हमें मौका ही नहीं मिला कि हम दोनों एक दूसरे से कुछ बात कर सके


कुछ समय बाद हिम्मत जुटा करके मैंने अपनी भाभी से यह बात रखी की शादी से पहले मैं चाहती हूं कि मैं अनीश से कुछ बातें कर लूं


जब भाभी ने इस बात को भैया के सामने रखा तो भैया ने उन्हें तुरंत बोल क्या मैंने भी कभी शादी से पहले तुमसे बात की थी जो इसे करने की जल्दी है भाभी ने उन्हें समझाया कि आज जमाना बदल चुका है तो अगर वह बात करना चाहती है तो उसमें कोई बुरी बात नहीं है हर लड़की चाहती है कि उसे अच्छा पति मिले जो उसे समझे


भैया भाभी की बात को मान जाते हैं और यह बात पापा के सामने रखते हैं पर आप सोच सकते हैं जिस घर में भाई ही नहीं तैयार है उसे घर में बाप कैसे तैयार हो सकता है


से बात भैया ने पापा को बताइ और बोला कि पापा आपका जमाना कुछ और था आज का जमाना कुछ और है


जब मेरे पापा ने यह बात अनीश के पापा के सामने रखें तो उनका रवैया बदल गया और वह गुस्से में आ गए उन्होंने बोला


क्या हम आपको गैर जिम्मेदार लगते हैं या हमारे संस्कार में आपको कुछ कमी लगती है जो आप ऐसी बातें कर रहे हैं हमारे यहां शादी से पहले लड़का लड़की बात नहीं करते


यदि आपको लगता है कि हमारी सोच खराब है तो आप यहां से रिश्ता तोड़ सकते हैं


उनकी यह बातें सुनकर मेरे पापा डर गए उन्हें डर था की शादी फिक्स हो चुकी है अगर अब टूटती है तो समाज और बिरादरी में काफी बदनामी होगी


जिसके डर की वजह से उन्होंने मुझे समझाया कि यह चीज अभी मुमकिन नहीं है


हमारी शादी होती है और सुहागरात वाले दिन हम करीब आते हैं और शादीशुदा जोड़ों की तरह हमारे बीच में भी वह सब कुछ होता है जिसकी चाहत एक लड़की को होती है


लेकिन शादी के दूसरे और तीसरे दिन है अनीश मुझे बोलते हैं कि मेरा छोटा भाई भी तुम्हारे साथ संबंध बनाना चाहता है


जिसे सुनकर मैं निशब्द रह गई और मैंने बोला आपको शर्म नहीं आती अपनी पत्नी के बारे में ऐसी बातें करते हुए


इस पर अनीश ने मुझे बोला तो इसमें गलत क्या है मैं भी अपनी भाभी के साथ संबंध बनाए हैं आखिर हम सब एक ही परिवार के हिस्सा है


यह सुनने के बाद मेरे पांव के नीचे से जमीन खिसक गई और मैं सच में पड़ गई कि आखिर मेरी शादी कैसे घर में हो गई है


शादी के 10 दिन बाद मेरे ससुर मुझे गलत तरीके से छूते हैं यह मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं था जब मैं अनीश के सामने इस बात को रखा तो अनीश ने बोला पापा का भी हक है तुम्हारे ऊपर


जिसे सुनने के बाद मैं अंदर से हिल गई


मैंने अनिल से बोला यह क्या तरीका है आपके घर में एक लड़की का इज्जत मान और सम्मान आप लोगों के लिए कुछ भी मायने नहीं रखती आप क्या चाहते हैं

मैं आपके साथ भी आपके भाई के साथ भी और आपके पापा के साथ भी ये सब करूं


स्तब्ध होकर कि मैं अपनी सास के पास जाती हूं और अपनी जेठानी के पासbजाती हूं जब मैं उनसे यह बात बोली तो उन्होंने बोला जैसा तुम्हारा पति का रहा है वैसाकरो


इसके बाद मुझे भाभी ने बताया कि यह परिवार पारिवारिक संबंध में भरोसा करता है जिसमें कोई भी किसी के साथ भी संबंध बन सकता है


इसे सुनने के बाद में अंदर से सहम गई थी कि किसी परिवार में ऐसा कैसे हो सकता है जब मैं अनीश से इस बारे में बात की कि आप लोगों ने पहले मुझे क्यों नहीं बताया तो उसे पर उन्होंनेकहा


यह भी कोई बताने की चीज है हर घर के अपने कुछ रीति रिवाज होते हैं और हमारे घर के रीति रिवाज यही है


और हमें यह बताने के लिए मौका ही नहीं मिला अगर शादी होने से पहले तुम मुझसे पहले बात की होती तो शायद मैं तुम्हें इस बारे में बता सकता था पर हमारे तुम्हारे बीच कोई बात ही नहीं हुई थी


इस पर मैंने बोला कि मेरे पिता ने आपके सामने पेशकश रखी थी पर आपके पिताजी ने मना कर दिया था


अनीश ने बोला कारण कुछ भी हो मानना तुम्हें पड़ेगा क्योंकि अब तुम इस घर की बहू और हमारी परंपरा को निभाना पड़ेगा


इसे सुनने के बाद मैंने अपने पिता को फोन किया और उनसे बोला कि मुझे इस घर में नहीं रहना है मेरे पापा बोलते हैं शादी हुई अभी एक महीना भी नहीं हुआ और तुम ऐसी बातें कर रही हो एडजेस्ट होने में थोड़ा समय लगता है


मैंने उन्हें बताया कि अगर एक पल में और यहां रुकती हूं तो फिर मुझे मेरी जान देनी पड़ेगी इस पर मेरे पापा का घबराते हैं और मेरे भाई से मेरी बात करवाते हैं


मुझे पता था अगर मैं अपने भाई अपने पिता के सामने कोई भी बात रखूंगी तो मेरा यकीन कोई नहीं करेगा इसलिए मैंने अपने पिता और अपने भाई को बोला कि आप सीधे मेरे घर आइए नहीं तो इन लोगों को मेरे ऊपरशक होगा


इसके बाद मेरी भाभी ने कमान संभाली और मेरे ससुराल में फोन करके मुझे बोला कि आप 2 से 3 घंटा के लिए मुझे को घर भेज दीजिए क्योंकि मेरी सास की तबीयत सही नहीं है और वह उसे काफी याद कर रही है


पहले तो घर वालों ने मना कर दिया लेकिन दो-तीन बार बात करने के बाद वह तैयार हो गए पर इस शर्त पर कि उनके साथ अनीश भी जाएंगे


मेरी भाभी ने बोला कोई दिक्कत नहीं है आप सब भी आ जाइए और तबियत देख सकते हैं जिसे सुनने के बाद उन लोगों को शायद यह यकीन हो गया कि मेरी मां की तबीयत सच में खराब है और उन्होंने बोला कि ठीक है आप अपने पति को भेज दीजिए यानी कि मेरे बड़े भाई को भेज दीजिए ताकि मैं अपने घर जा सकूं


मेरे भाई आते हैं मुझे ले जाने के लिए और मैं उनके साथ तैयार होकर जाने लगती हूं उसी के साथ मेरी सास और मेरे ससुर मुझे सख्त हिदायत देते हैं कि चाहे जो भी हो तुम्हें दो से तीन घंटे में यहां आना है और हमारे घर की कोई भी बात तुम्हें किसी से शेयर नहीं करनीहै


उनके मुंह पर मैंने बोला हां ठीक है मैं ऐसा ही करूंगी लेकिन जब मैं घर जाती हूं तो अपने पापा को बोलता हूं कि वह घर हमारे लायक नहीं है


उसे घर में इतनी घिनौनी हरकत होती थी कि उसे समय मुझे अपने पिता के सामने उन चीजों को बताने में भी शर्म आ रही थी


मैं किसी को कुछ बताया नहीं और सिर्फ रोती रही क्योंकि मेरी जिंदगी खराब हो चुकी थी हिम्मत जुटा करके मैंने अपनी भाभी को सारी बात बताई


कि वह घर ऐसा घर है जहां पर मेरे पति मुझे ससुर से और देवर से संबंध बनाने को बोलते हैं उनका कहना है कि यह उनके घर की परंपरा है और वह लोग पारिवारिक संबंध स्थापित करने में यकीन रखतेहैं


जिसे सुनने के बाद मेरी भाभी भी मेरी तरह ही दुखी हो गई और उन्होंने यह सारी बात अपने भाई को बताई


यह ऐसी व्यवस्था थी किसके बारे में कोई भी सुनता तो उसे कभी यकीन नहीं होता था मजबूरन मेरे भाई को भी कोई यकीन नहीं हुआ उन्होंने बोला ऐसी कोई प्रथम होती ही नहींहै


फिर मेरी भाभी ने बताया कि सच में ऐसी होते हैं और बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन चीजों को फॉलो भी करते हैं


शाम को जब मेरे ससुर का फोन आता है तो मैं उन्हें साफ मना कर देता हूं कि ऐसे घर में जहां पर एक ही औरतों के साथ अलग-अलग मर्द संबंध बनाते हो मुझे ऐसे घर में नहीं रहनाहै


इस पर वह मुझे पुलिस की धमकी देते हैं और मेरे भाई मेरा फोन लेकर के उल्टा उन्हें धमकी देते हैं


आज जिस चीज को होगी 4 साल का समय बीत चुका है मेरी जिंदगी खराब होने के पीछे सिर्फ और सिर्फ एक कारण था और वह था शादी से पहले बात न करने देना


शादी कैसी स्थिति होती है जिसमें आप किसी अनजान शख्स के साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताते हैं और अब यह पुराने जमाने जैसी बात नहीं रही इसलिए यह बहुत ज्यादा जरूरी है कि आपकी शादी जिससे भी फिक्स हो रही है शादी को फिक्स करने से पहले कम से कम एक महीने तक आप लोग बातकीजिए


लड़कों के केस का तो मुझे नहीं पता पर एक लड़की के लिए यह काफी ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि वह अपने घर को छोड़कर के किसी नए घर में जा रहीहोती है


लेकिन यही लड़की अगर फोन पर बात करने की बात कर दे तो लोग उसे कैरक्टरलेस समझते हैं


मेरी भाभी ने मेरी जिंदगी बचाई जहां पर मेरी कोई भी गलती नहीं थी पर आज भी मेरे ऊपर तलाकशुदा का ठप्पा लगा हुआ है जिसमें मेरी कोई गलती नहीं है


गलती है तो इस समाज की जिसने ऐसी प्रथा बनाई की शादी से पहले फोन पर बात करना भी बहुत सारे लोगों के लिए काफी बड़ी बात हो जाती है


आज के समय में चाहे लड़की हो या लड़का मैं सबसे यही गुजारिश करती हूं आप अगर शादी के लिए लड़की देख रहे हैं या लड़का देख रहे हैं आप कुछ करिए या ना करिए कुंडली मिलिया ना या ना मिलिया पर आप लोग फोन पर बात जरूरकीजिए


और दोनों लोग इस तरीके से बात कीजिए जिसमें कोई भी चीज छिपी ना हो अगर सामने वाला इंसान आपको आपकी स्थिति के अनुसार ही अपनाने को तैयार है तो इससे अच्छा और सुखद अनुभव आपके लिए कुछ भी नहीं हो सकता

Monday, 4 August 2025

संभोग 19 साल की लड़की 31 साल का लड़का

 संभोग 19 साल की लड़की 31 साल का लड़का

शब्द सुनकर कई लोगों की आँखें चमक उठेंगी... पर मुझे आज भी याद है वो पहली रात, जब मेरी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल गई थी।


मैं कविता, 19 साल की एक साधारण लड़की हूँ। मेरे लिए ये सब बातें किताबों में पढ़ी थीं या दोस्तों की गपशप में सुनी थीं। लेकिन मेरी शादी अश्विन से हुई — 31 साल के एक सफल बिजनेसमैन से। उम्र का ये फासला मेरे लिए शुरू में अजीब था, जैसे कोई दो अलग-अलग दुनियाएं एक छत के नीचे आ गई हों।


भाग 1: पहली रात की ख़ामोशी


शादी की पहली रात मेरी धड़कनें तेज़ थीं। डर, शंका, संकोच… सब एक साथ मन में उमड़ रहे थे। लेकिन अश्विन ने कुछ नहीं कहा। उसने न मुझे छूने की कोशिश की, न कोई सवाल किया। बस मेरे हाथ को थामकर एक वाक्य बोला —


"तुम्हें जितना समय चाहिए, मैं दूंगा।"


उसकी ये बात मेरे दिल को छू गई… पर कहीं ना कहीं ये सन्नाटा किसी तूफान का पूर्व संकेत लग रहा था।


भाग 2: दो ज़िंदगियाँ, दो रफ्तारें


अश्विन की जिंदगी एक मशीन जैसी थी। सुबह 5 बजे उठना, 6 बजे मीटिंग्स, 9 बजे ऑफिस, 10 बजे डील, 8 बजे डिनर… और मैं? मैं तो अभी तक कॉलेज की दोस्तियों से बाहर नहीं निकली थी। मुझे तो बस देर तक सोना, मस्ती करना, गाने सुनना अच्छा लगता था।


हम दोनों के बीच जैसे एक अदृश्य दीवार खड़ी हो गई थी।


भाग 3: पहली दरार


एक दिन मैंने गुस्से में कह दिया — "आपको बस काम से प्यार है! मेरे लिए तो आप के पास कभी समय ही नहीं होता!"


अश्विन ने कुछ नहीं कहा, सिर्फ मुस्कुरा कर बोला, "प्यार का मतलब सिर्फ बातें करना नहीं होता, कविता।"


पर मैं जानती थी, कुछ तो है जो वो छुपा रहा है।


भाग 4: बदलते रिश्ते… और एक राज़


धीरे-धीरे अश्विन वीकेंड पर समय निकालने लगा। लॉन्ग ड्राइव, कॉफी डेट्स, पिज़्ज़ा पार्टी… जैसे सबकुछ अचानक बदल रहा था। लेकिन मेरा मन कह रहा था, कुछ तो है… कोई खालीपन जो छुपाया जा रहा है।


एक रात मैंने उसकी डायरियों में झाँका… वहाँ एक लाइन पढ़ी —


"शायद कविता को कभी बताना ही नहीं चाहिए… कि मेरी पिछली ज़िंदगी में कोई और भी थी।"


मेरा दिल कांप उठा…


भाग 5: पुरानी परछाइयाँ और नई रोशनी


मैंने सामना किया। अश्विन सन्न रह गया, लेकिन उसने मेरी आँखों में देखकर कहा —


"वो अतीत था कविता… और तुम मेरा भविष्य हो। मैंने उससे कुछ नहीं छुपाया, सिर्फ तुम्हें दुख से बचाना चाहता था।"


उस दिन मैंने सीखा — हर रिश्ते की परछाई में कभी न कभी कोई पुरानी कहानी होती है। लेकिन आगे बढ़ना ही सच होता है।


भाग 6: तालमेल की जीत


आज मैं और अश्विन एक-दूसरे की ज़िंदगी का हिस्सा ही नहीं, सुकून भी हैं। मैं उसके काम में हाथ बँटाती हूँ, वो मेरी मस्ती में साथ देता है।


हमने एक-दूसरे को बदला नहीं… समझा है।


अंतिम पंक्तियाँ


🕯️ कभी-कभी प्यार की असली परीक्षा उम्र, अतीत या आदतें नहीं होती…

बल्कि ये होती है — कितनी बार हम बिना टूटे, एक-दूसरे के सच को स्वीकार कर पाते हैं।


❣️ अगर ये कहानी आपके दिल तक पहुँची हो, तो इसे ❤️ 

Thursday, 10 July 2025

योग्यता अनुभव से आती है

 योग्यता अनुभव से आती है और विश्वास बढ़ाता है मानवीय रिश्तों की चमक

✍🏻✍🏻

योग्यता का कोई आधार नहीं है । कभी कभी एक अनपढ़ भी वो कर देता है, जो बड़े बड़े बुद्धिमान नहीं कर सकते।योग्यता अनुभव से आती है, फिर भी हमारा कानून 21 साल के लड़के को योग्य मानते हैं, जबकि लड़की को 18 साल में योग्य मानते हैं । दुनिया में प्रत्येक व्यक्ति अपनी “योग्यता” के अनुसार चमकता है, अपनी इच्छा के अनुसार नहीं ! कहते हैं कि अनुभव और अभ्यास हमें बलवान बनाता हैं । दुःख हमें इंसान बनाता हैं । हार हमें विनम्रता सिखाती हैं । जीत हमारे व्यक्तित्व को निखारती है, लेकिन सिर्फ़ विश्वास ही है, जो हमें आगे बढने की प्रेरणा देता है।

योग्यता किसी व्यक्ति की किसी विशेष कार्य को करने की क्षमता है, चाहे वह जन्मजात हो या सीखी हुई। यह एक महत्वपूर्ण कारक है, जो किसी व्यक्ति के सफल होने की संभावना को प्रभावित करता है। हममें से कोई नहीं जानता कि अगले पल क्या होने वाला है, फिर भी हम आगे बढ़ते हैं तो किसके सहारे? यह भरोसा ही होता है, जो हमारे लिए प्रेरक का काम करता है। जिन लोगों को भरोसे की समस्या होती है, उन्हें केवल आईने में देखने की जरूरत होती है। वहां वे उस एक व्यक्ति से मिलेंगे जो उन्हें सबसे अधिक धोखा देगा।


      लेखक: सुनिल राठौड़.. बुरहानपुर MP 

Tuesday, 8 July 2025

कैंसर कोई खतरनाक बीमारी नहीं है

 कैंसर कोई खतरनाक बीमारी नहीं है! डॉ. गुप्ता कहते हैं, लापरवाही के अलावा कैंसर से किसी की मौत नहीं होनी चाहिए। (1). पहला कदम चीनी का सेवन बंद करना है। आपके शरीर में चीनी के बिना, कैंसर कोशिकाएं स्वाभाविक रूप से मर जाती हैं। (2). दूसरा कदम यह है कि एक कप गर्म पानी में नींबू का रस मिलाएं और इसे सुबह भोजन से पहले 1-3 महीने तक पिएं और कैंसर खत्म हो जाएगा। मैरीलैंड मेडिकल रिसर्च के अनुसार, गर्म नींबू पानी कीमोथेरेपी से 1000 गुना बेहतर, मजबूत और सुरक्षित है। (3). तीसरा कदम है सुबह और रात को 3 बड़े चम्मच ऑर्गेनिक नारियल तेल पिएं, कैंसर गायब हो जाएगा, आप चीनी से परहेज सहित अन्य दो उपचारों में से कोई भी चुन सकते हैं। अज्ञानता एक बहाना नहीं है। अपने आस-पास के सभी लोगों को बताएं, कैंसर से मरना किसी के लिए भी अपमान है; जीवन बचाने के लिए व्यापक रूप से साझा करें।

Friday, 4 July 2025

महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला ने देखा था। सपना...

 सोचिए, आपका फ़ोन बिना तार के चार्ज हो रहा है, या दूर-दराज के इलाकों में भी पलक झपकते ही बिना तार के बिजली पहुंच रही है!

यह बात सुनने में भले ही साइंस फिक्शन लगे, लेकिन अब यह सिर्फ कल्पना नहीं है!


जून 2025 में, अमेरिकी रक्षा अनुसंधान एजेंसी DARPA (Defense Advanced Research Projects Agency) ने न्यू मैक्सिको में एक अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल की है।

उन्होंने लेजर तकनीक की मदद से 800 वॉट ऊर्जा को 5.3 मील (8.6 किमी) दूर सफलतापूर्वक भेजा है!

इस 30 सेकंड के प्रयोग में 1 मेगाजूल से अधिक ऊर्जा भेजी गई, जिसने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।


यह सफलता साबित करती है कि लंबी दूरी तक वायरलेस बिजली भेजना अब कोई सपना नहीं, बल्कि एक उज्ज्वल वास्तविकता है।

एक शक्तिशाली लेजर और विशेष रिसीवर का उपयोग करके, हवा में उड़ने वाले ड्रोन, बिना ईंधन वाले सैन्य ठिकाने, और यहां तक कि दुर्गम क्षेत्रों में भी बिजली पहुंचाना संभव होगा।


आश्चर्यजनक रूप से, वायरलेस बिजली भेजने का यह सपना लगभग एक सदी से भी पहले महान वैज्ञानिक निकोला टेस्ला ने देखा था।

उन्होंने 'वर्ल्ड सिस्टम' नामक एक विशाल टावर के निर्माण के माध्यम से दुनिया भर में वायरलेस बिजली वितरण की कल्पना की थी, हालांकि विभिन्न सीमाओं के कारण तब यह साकार नहीं हो पाया था।

DARPA की यह सफलता टेस्ला के उस दूरदर्शी सपने को नया जीवन दे रही है!


लेकिन सिर्फ यु'द्ध के मैदान में ही नहीं, यह वायरलेस बिजली तकनीक हमारे दैनिक जीवन में जो क्रांति ला सकती है, वह अकल्पनीय है!

यह तकनीक हमारे दैनिक जीवन को और अधिक सुविधाजनक, कुशल और सुरक्षित बनाएगी।


हो सकता है निकट भविष्य में हम एक ऐसी दुनिया में रहें जहाँ तारों के जंजाल से मुक्ति मिलेगी और बिजली और अधिक सुलभ होगी। ⚡❤️

Thursday, 3 July 2025

तुमने हमेशा कहा कि मैं तुम्हारी बात नहीं समझता… पर क्या तुमने कभी ये सोचा,

 "तुमने हमेशा कहा कि मैं तुम्हारी बात नहीं समझता…

पर क्या तुमने कभी ये सोचा,

कि समझने के लिए भी तो कुछ कहा जाना चाहिए ?


तुम चुप रही, और मैं हर चुप्पी को तोड़ने की कोशिश करता रहा।

तुमने अपनी थकावट का हवाला दिया,

और मैंने अपनी बेचैनी को तकिए में छुपा लिया।

तुमने कहा, ‘मुझे स्पेस चाहिए।’

और मैंने अपनी पूरी दुनिया ही तुम्हारे लिए खाली कर दी…


पर जब तुम गई,

तो वो दरवाज़ा भी बंद कर गई

जिस पर मैंने उम्मीद टाँग रखी थी।


अब अगर कभी लौटने का मन हो भी,

तो दस्तक मत देना —

क्योंकि मैं अब आवाज़ नहीं पहचानता…"

:सुनिल राठौड़ बुरहानपुर 

Monday, 30 June 2025

दिमाग कहां तक फैला होता है?"

 🧠 "दिमाग कहां तक फैला होता है?"

👉 तस्वीर को ध्यान से देखिए — यह सिर्फ एक दिमाग नहीं, बल्कि मानव तंत्रिका तंत्र (Nervous System) की अद्भुत और सच्ची झलक है।


हम सोचते हैं कि दिमाग बस सिर तक सीमित होता है, लेकिन सच यह है कि हमारा दिमाग पूरे शरीर में फैला होता है — रीढ़ की हड्डी (Spinal Cord) और तंत्रिकाओं (Nerves) के जरिए।


⚡ क्या है यह जो तस्वीर में दिख रहा है?


📸 इस चित्र में आप देख रहे हैं:


दिमाग (Brain) – जहां हमारे विचार, यादें, भावनाएं और निर्णय बनते हैं।

स्पाइनल कॉर्ड (Spinal Cord) – दिमाग और शरीर के बाकी हिस्सों के बीच की सूचना का मुख्य राजमार्ग।

तंत्रिकाएं (Nerves) – जो शरीर के हर हिस्से तक जानकारी पहुँचाती हैं और वहाँ से दिमाग तक संदेश लाती हैं।

💡 कुछ अद्भुत तथ्य:


हमारा दिमाग लगभग 86 अरब न्यूरॉन्स से बना होता है।

ये तंत्रिकाएं इतनी लंबी होती हैं कि अगर एक व्यक्ति की सभी नसों को सीधा किया जाए, तो वे लगभग 100,000 किलोमीटर तक फैल सकती हैं! 😲

यह नेटवर्क इतना तेज़ है कि दिमाग से किसी हिस्से तक संदेश कुछ मिलीसेकंड्स में पहुँच जाता है।

🧘‍♂️ क्या सीख मिलती है?


"दिमाग सिर्फ सोचने के लिए नहीं, बल्कि पूरे शरीर को चलाने का मुख्य केंद्र है। इसलिए इसे शांति, संतुलन और अच्छे खानपान से स्वस्थ रखना ज़रूरी है।"


योग, मेडिटेशन और संतुलित आहार से ना सिर्फ आपका मन शांत रहता है, बल्कि पूरा नर्वस सिस्टम भी बेहतर तरीके से काम करता है।

📌 याद रखिए:

आपका दिमाग सिर्फ आपके सिर में नहीं — आपकी हर हरकत, हर अनुभव, हर स्पर्श में शामिल होता है।


सही सोचें, गहराई से सोचें — क्योंकि दिमाग वाकई हर जगह है। 

संभोग के दौरान वीर्यपात कितनी देर में होना चाहिए,,,,?- विशेषज्ञों ने बताया सच....।

 संभोग के दौरान वीर्यपात कितनी देर में होना चाहिए,,,,?- विशेषज्ञों ने बताया सच....। 

सभोग के दौरानवीर्यस्खलन (ejaculation) का समय हर पुरुष में अलग-अलग हो सकता है।

यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि आयु, मानसिक स्थिति, शारीरिक स्वास्थ्य, तनाव, जीवनशैली और पहले के अनुभव ।

शोध के अनुसार, संभोग के दौरान प्रवेश (penetration) के बाद 5 से 7 मिनट में ज्यादातर पुरुष वीर्यस्खलन कर लेते हैं।


कुछ पुरुषों का वीर्यपात 1-2 मिनट में ही हो जाता है (जिसे Premature Ejaculation - PE कहा जाता है), जबकि कुछ 10-15 मिनट तक सहवास कर सकते हैं।


वीर्यपात की अवधि बढ़ाने के उपाय:

माइंडफुलनेस और श्वास नियंत्रण: मानसिक तनाव कम करके संभोग की अवधि बढ़ाने में मदद करता है।


स्टॉप-स्टार्ट तकनीक: जब वीर्यस्खलन होने वाला हो, तो थोड़ी देर रुकें और फिर दोबारा शुरू करें।


केगल व्यायाम: पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत करके अधिक नियंत्रण पाया जा सकता है।


संतुलित आहार और फिटनेस: शरीर स्वस्थ रहेगा, तो स्टैमिना भी बढ़ेगा।


औसत वीर्यस्खलन का समय:

संभोग शुरू करने के बाद (penetration के बाद) 5-7 मिनट में वीर्यस्खलन सामान्य माना जाता है।


यदि 1-2 मिनट में वीर्यपात हो जाए, तो इसे शीघ्रपतन (Premature Ejaculation - PE) कहा जाता है।


कुछ पुरुष 10-15 मिनट तक सहवास जारी रख सकते हैं।


सही समय क्या होना चाहिए?

संभोग का समय केवल अवधि पर निर्भर नहीं करता, बल्कि संतुष्टि और आनंद पर निर्भर करता है।


महिलाओं को ऑर्गैज़्म तक पहुंचने में औसतन 13-15 मिनट लगते हैं, इसलिए पुरुषों को संभोग के दौरान नियंत्रण बनाए रखने की कोशिश करनी चाहिए।


संभोग की अवधि बढ़ाने के तरीके:


स्टॉप-स्टार्ट तकनीक: जब वीर्यस्खलन होने वाला हो, तो कुछ समय रुकें और फिर दोबारा शुरू करें।


गहरी सांस लें: मस्तिष्क को शांत रखने से वीर्यपात देर से होता है।


केगल व्यायाम करें: पेल्विक फ्लोर मांसपेशियों को मजबूत करके वीर्यस्खलन को नियंत्रित किया जा सकता है।


सही पोजिशन का चुनाव करें: कुछ मुद्राएं (जैसे स्पूनिंग पोजिशन) वीर्यपात को नियंत्रित कर सकती हैं।


लुब्रिकेंट का इस्तेमाल करें: यह संवेदनशीलता को थोड़ा कम कर सकता है और संभोग की अवधि बढ़ा सकता है।


कब डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए,,,?

यदि हमेशा 1-2 मिनट में वीर्यस्खलन हो जाता है और साथी असंतुष्ट रहता है।


यदि मानसिक तनाव, थकान या कुछ दवाओं के कारण संभोग का समय कम हो रहा हो।


यदि हार्मोनल या न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के कारण शीघ्रपतन की समस्या हो रही हो।


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Sunday, 25 May 2025

ऋचा से मेरी शादी के बाद घर में सब खुश थे।

 स्त्री अगर हमे #सम्भोग का सुख देती है तो हम उसके विवश हो जाते है और हमे उसकी हर बात माननी पड़ती है |


ऋचा से मेरी शादी के बाद घर में सब खुश थे। वह न केवल सुंदर और कामुक थी, बल्कि घर के काम में भी दक्ष थी। माँ और पिताजी उससे बहुत खुश थे, और मैं भी। शादी के चार साल बाद, माँ की मृत्यु हो गई और घर की सारी जिम्मेदारी ऋचा पर आ गई। इस बदलाव के साथ ही उसके व्यवहार में भी परिवर्तन आने लगा।


माँ की मृत्यु के बाद, पिताजी की देखभाल का जिम्मा भी ऋचा पर आ गया। अक्सर पिताजी की जरूरतें पूरी करने में उसे फालतू काम लगता था। एक दिन, जब ऋचा बाथरूम से तौलिया लपेटकर निकली, पिताजी ने नजर चुराकर अंदर चले गए। इस घटना पर ऋचा ने मुझसे शिकायत की। मैंने उसे ध्यान रखने को कहा, लेकिन उसने कड़े शब्दों में कहा कि यह घर उसका भी है और वह जैसे चाहे वैसे रह सकती है।


ऋचा ने मुझ पर दबाव डाला कि पिताजी को नीचे के कमरे में शिफ्ट कर दूं। मैं मजबूर था और पिताजी का सामान नीचे शिफ्ट कर दिया। पिताजी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके चेहरे पर दुख साफ झलक रहा था। कुछ दिन बाद, पिताजी ने हमें दुबई के लिए टिकट बुक की और कहा कि हमें घूमने जाना चाहिए।


जब हम 16 दिन बाद वापस आए, तो देखा कि घर के बाहर ताला लगा हुआ था। माथुर अंकल आए और हमें नए फ्लैट की चाभी और रेंट एग्रीमेंट दिया। #पिताजी ने एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें लिखा था कि उन्होंने घर बेच दिया है और हमें आजादी दी है। उन्होंने अपने लिए एक नया बंगलो लिया और हमारी चिंता न करने को कहा।


मुझे यह समझ नहीं आया कि मैंने अपने पिता के दुख को कैसे अनदेखा कर दिया। पिताजी ने हमें कभी यह बात नहीं बताई कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, लेकिन अब मैं और ऋचा समझते हैं कि उन्होंने क्या सहा होगा। हमारे समाज में लोग पिताजी को गलत ठहराते हैं, लेकिन असल सच्चाई हमें ही पता है।


यह कहानी एक महत्वपूर्ण सबक देती है: पत्नी के साथ जीवन बिताना जरूरी है, लेकिन माता-पिता का सम्मान और उनकी देखभाल भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। किसी भी परिस्थिति में माता-पिता से बैर नहीं करना चाहिए।


#जीवन में संतुलन और समझदारी से काम लेना जरूरी है। पत्नी के साथ-साथ माता-पिता की भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि जीवन में दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना ही सच्ची सफलता है।

Sunday, 18 May 2025

6 अगस्त 1945 — मानव इतिहास का वह काला दिन, जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर दुनिया का पहला परमाणु बम गिराया.

 6 अगस्त 1945 — मानव इतिहास का वह काला दिन, जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर दुनिया का पहला परमाणु बम गिराया. तीन दिन बाद नागासाकी पर दूसरा हमला हुआ. दोनों शहर लगभग पूरी तरह तबाह हो गए.

पल भर में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग मारे गए, लेकिन इस तबाही की भयावहता यहीं नहीं रुकी.इसके ज़हरीले निशान आने वाले दशकों तक इंसानों को निगलते रहे. इतिहास में इंसान का इंसान पर किया गया यह सबसे बड़ा और निर्मम अपराध था, जिसका जिम्मेदार अमेरिका था।

'फैट मैन' और 'लिटिल बॉय' - ये थे वो दो परमाणु बम, जिन्हें अमेरिका ने तैयार किया था और जिन्होंने इंसानी इतिहास की सबसे भयावह तबाही को अंजाम दिया. इन्हें बनाने वाले वैज्ञानिक रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने बम गिरने के बाद कहा था कि मेरे हाथ खून से सने हैं.


हिरोशिमा पर विस्फोट इतना भीषण था कि महज एक मिनट में शहर का 80 प्रतिशत हिस्सा राख में बदल गया, जो लोग बच भी गए, उन्हें विकिरण की जहरीली लहरों और 'काली बारिश' ने अपनी चपेट में ले लिया. बाद में हजारों लोग कैंसर, ल्यूकीमिया और अन्य भयानक बीमारियों का शिकार हुए.

जो इस परमाणु तूफान में जिंदा रह गए, उनकी जिंदगी भी किसी सजा से कम नहीं थी. ये लोग 'हिबाकुशा' कहलाते हैं. जापानी भाषा का एक शब्द, जिसका अर्थ है 'विस्फोट से प्रभावित व्यक्ति'.हिबाकुशा ना सिर्फ पीढ़ी दर पीढ़ी विकिरण जनित बीमारियों से जूझते रहे, बल्कि समाज के तिरस्कार के शिकार भी बने, उन्हें बीमारी का सोर्स माना गया.बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि आज भी जापान में कई लोग हिबाकुशा से विवाह करने से कतराते हैं. उन्हें सामाजिक रूप से अलग-थलग कर दिया गया.

BBC की एक डॉक्यूमेंट्री में 86 वर्षीय मिचिको कोडमा का इंटरव्यू है. एक 'हिबाकुशा', जिन्होंने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरने की त्रासदी खुद अपनी आंखों से देखी और सही है.मिचिको कहती हैं कि जब मैं आज दुनिया में चल रहे जंग के बारे में सोचती हूं.मेरा शरीर कांप उठता है... और आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं. हम परमाणु बमबारी के उस नरक को दोबारा नहीं दोहरा सकते. मुझे संकट का एहसास हो रहा है.

बीबीसी की रिपोर्ट में एक हिबाकुशा का बयान है, जो उस दिन की दर्दनाक लम्हे को आज भी नहीं भूल पाए हैं. वे कहते हैं कि जो कुछ भी मैंने देखा... वो किसी नरक से कम नहीं थाॉ. लोग हमारी ओर भाग रहे थे, उनके शरीर पिघल रहे थे, मांस लटक रहा था. बुरी तरह झुलसे हुए लोग दर्द से कराह रहे थे. उनकी चीखें अब भी मेरे कानों में गूंजती हैं.

1980 में, वैज्ञानिकों ने 'न्यूक्लियर विंटर थ्योरी' पेश की, जिसमें परमाणु युद्ध के प्रभाव का विश्लेषण किया गया था. यह थ्योरी हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमलों के नतीजों को देखते हुए विकसित की गई थी. इस थ्योरी के मुताबिर, किसी भी स्तर का परमाणु युद्ध वैश्विक तापमान को प्रभावित करेगा, जिससे धरती का औसत तापमान 10 सालों में 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है. इससे सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुंचेगी, जिससे पौधे मुरझा जाएंगे और वैश्विक खाद्य उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा, जिससे भुखमरी और खाद्य संकट आ जाएगा.

Science Alert की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर रूस और अमेरिका के बीच परमाणु युद्ध हुआ, तो न केवल न्यूक्लियर विंटर आएगा, बल्कि समुद्र का तापमान भी गिर जाएगा. यानी धरती एक 'न्यूक्लियर आइस एज' में प्रवेश कर सकती है, जो हजारों सालों तक चल सकती है. वर्तमान में दुनिया के 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं-विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध होता है, तो लगभग 13 करोड़ लोगों की तत्काल मौत हो सकती है. जंग के दो साल बाद तक करीब 2.5 अरब लोग भुखमरी के शिकार हो सकते हैं.

हिरोशिमा में अब फिर से फूल खिलने लगे हैं.हिरोशिमा और नागासाकी ये दो शहर जो कभी राख हो गए थे.अब फिर से उठ खड़े हुए हैं. जापान के ये शहर आज न सिर्फ फिर से बस चुके हैं. सड़कें, दीवारें, और म्यूजियम आज भी दुनिया को याद दिलाते हैं कि तबाही का वो मंजर दोहराया नहीं जाना चाहिए.

Sunday, 11 May 2025

 दोपहर में पतिदेव के साथ, संभोग करने में जो आनंद है वो दुनिया के किसी और काम में नही है, खास तौर पर जब आप की नई नई शादी हुई है, और एक हैंडसम खूब प्यार करने वाला पति मिला हो


वो लड़किया इस बात को ज्यादा समझ पाएंगी जिनकी नई नई शादी हुई हो

नवम्बर ने मेरी शादी हुई थीं, अच्छा परिवार मिला था प्यार करने वाला पति मिला था दोस्त की तरह एक ननद और 2 जेठानिया मिली थी


और पतिदेव तो इतने रोमांटिक की जब मौका मिले जहां मिले शुरू हो जाते थे, उनका कहना था ऐसा करने से प्यार और विश्वास में गहराई आती है,

मैं सच बोलूं प्यार विश्वास का तो ज्यादा नहीं पता पर पति रोमांटिक मिल जाए तो जिंदगी में मजे हैं


जनवरी का महिना था कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, और तकरीबन एक बजे खाना खाकर सभी अपने अपने कमरे में आराम करने गए,


मैं और मेरे पतिदेव भी आगया, थोड़ी बात शुरू हुई थी, लेकिन सभी जानते हैं ठंडी में बात कहा से कहा पहुंच जाए कोई नही जातना

Namaskar ji 

हम दोनो का भी यही हाल था, जैसे ही कुछ होने वाला था तभी मम्मी जी जोर से बुलाई

तुरंत दरवाजा खोला और बाहर चली गई


उन्होंने बोला बरतन ऐसे ही पड़े हैं ये शुभ नही है, जाओ आराम करो आगे से ध्यान देना, मैं साफ कर देती हूं अभी

Hello everyone 

मैने बोला मम्मी आप रहने दीजिए मैं कर देती हूं

और मन ही मन में सोचने लगी की इतना अच्छा सीन था फालतू मम्मी जी ने बुला लिया


धीरे धीरे मैं जैसे पुरानी होती गई मम्मी मुझे हर चीज पर टोकने लगी, उनका सबसे ज्यादा गुस्सा इस बात पर होता की मैं काम करने ने देरी कर रही हूं


जबकि मैं हर काम अपने हिसाब से करती थी

धीरे धीरे ये बात जेठानी जी को भी बोल जाने लगी


एक दिन सभी को ऑफिस जाना था और ना जाने कैसे इन लोगो के निकलने के समय तक भी नाश्ता और लंच नही बन पाया, इसे सुन मां जी ने हम दोनो लोगो डांट लगाई


शाम को जब पतिदेव घर पर आते हैं तो मैंने ये बात बताई, तो वो मेरे ऊपर ही बोलने लगे की तुम्हे ध्यान देना चाहिए, ऑफिस का समय इधर उधर नही हो सकता


धीरे धीरे पता नही कैसे शाम का खाना जो पहले 8 बजे तक हो जाता था अब उसे होने में 11 बजने लगा था


मां का गुस्सा मेरे और जेठानी पर फूटता की तुम लोगो ने आते ही घर का सारा रूटीन बदल दिया

11 बजे खाने के बाद सोते सोते 1 बज जाता


और सुबह उठने में तकलीफ होती फिर नाश्ता बनाने में आलस आता, हम दोनो देवरानी जेठानी इस चक्कर में पड़े रहते की जल्दी से बिना कम मेहनत का खाना बना दिया जाए


और इस बात का फस्टरेशन पतिदेव और बड़े भैया में भी देखने को मिलने लगा था, लेकिन गलती कहा हो रही थी समझ में नहीं आरा था


धीरे धीरे घर की शांति भी भंग होने लगी, जो आदमी शादी के समय इतना प्यार करता था, वो अब हर सवाल का जवाब चिढ़ के देता है


फिर एक सभी चीज की हद हो गईं


सास ने हम दोनो से कहा की तुम दोनो अपना फोन मुझे देदो हम दोनो को गुस्सा आता है मैं तो कुछ बोलती नही हूं पर जेठानी जी बोल देती है

की मम्मी घर को घर रहने दीजिए इसे जेल मत बनाइए


उन्होंने एक ना सुनी और फोन ले लिया और कहा

अब से फोन सिर्फ दोपहर 1 बजे से रात को 7 बजे तक मिलेगा


हमे अपनी सास का ये रवैया काफी खराब लगा

2 दिन बाद रक्षा बंधन था, मैने मां और पापा से सारी बात बताई जब मैं अपने भाई को राखी बांधने गई थी


मेरी मां और भाई भड़क गए और बोले अभी बात करता हूं किसी की पर्सनल चीज को लेने का क्या हक बनता है


पापा ने भाई को समझाया और बोला तुम इतने बड़े नही हुए हो जो इसकी सास से ऐसे पेश आओ, फिर पापा मुझे कोने में ले जाते हैं और बोलते हैं बेटा तुम्हारी सास तुमसे उमर में बड़ी है, एक बार उनकी बात मानो आखिर इसमें कुछ सच्चाई हो


मैं घर आती हूं और अगले दिन सुबह जल्दी उठ के खाना बनाती हूं समय पर सबको खाना देती हूं और घर के सारे काम भी निपटा देती हूं


लगभग 1 महिने बाद मुझे और मेरी जेठानी को ये बात समझ आई की हम दोनो का हाथ धीमा क्यों चल रहा था


जो काम पहले 8 बजे होता था वो अब 11 बजे क्यों हो रहा

इसके पीछे कारण था मोबाइल, और मोबाइल में भी सबसे खतरनाक चीज चोटी शॉर्ट वीडियो, जो एक के बाद एक देखते जाओ, कैसे समय को खा रही है पता ही नही चलता


मैने ये भी देखा की जबसे शॉर्ट देखना बंद किया किसी चीज पे ज्यादा ध्यान टिकने लगा, कोई भी बात काफी जल्दी समझ आने लगी


और सबसे बड़ी बात पहले घर का सारा काम कर के 2 बजे खाली होते थे अब 12 बजे हो जाते हैं


मुझे और जेठानी जी को इस बात को समझने में समय लगा लेकिन आज 1 साल हो गया है अब सुबह उठ के फोन ना देखना अपने आप में एक अच्छी आदत बन गई है


शायद मेरे पापा ये बात जानते थे इस लिए बड़ी सहूलियत से बोल दिया की जो सास बोल रही हैं कुछ दिन कर के देखो

हमारे घर में होने वाली कीच कीच खत्म हो गई,


अब सोचिए ये शॉर्ट्स कितनी खतरनाक चीज है


मेरा जो हाल था वही हाल आज की हर लड़की और लड़के का है, शॉर्ट और रील के चक्कर में

जो काम 10 मिनट का है वो 2 घंटे में पूरा होता है


यदि आप भी अपने परिवार को ठीक से संभाल नहीं पा रहई हैं या आप को लगता है की समय बहुत जल्दी खत्म हो जाता है और आप सारा दिन कुछ कर नहीं पाते तो

मात्र 1 महीने के लिए रील देखना बंद कर दीजिए

ये वो मीठा जहर है जो अंदर से दिमाग और और हमारे समय को धीरे धीरे खाता जा रहा है


उम्मीद में मेरे इस अनुभव से बहुत से गृहणियों को कुछ फायदा होगा


कमेंट कर के ये भी बताएं क्या आपने ये नोटिस किया है की रील दखने से बिना अंदाज का समय नष्ट होता है


***ये पोस्ट कैसी लगी ## कमेंट कर बताएं और पसंद हो तो ## अपवोट अवश्य करें और ## शेयर जरूर करें

Tuesday, 6 May 2025

निःस्वार्थ प्रेम का अर्थ वह होता है,

 यदि निस्वार्थ भाव से इंसान की आंखों में स्नेह, होठों पर मुस्कान, हृदय में सरलता और करुण नहीं है, तो सब कुछ है व्यर्थ

✍🏻

निःस्वार्थ प्रेम का अर्थ वह होता है, जिसमें स्वार्थ न हो । प्रेम देने का नाम है, लेने का नहीं। जब प्रेम के बदले कोई अपेक्षा की जाती है, तब वह प्रेम निः स्वार्थ प्रेम नहीं रह जाता है। एक माँ अपने बुरे से बुरे पुत्र को भी निःस्वार्थ प्रेम के वशीभूत होकर गले से लगा लेती है, जबकि दूसरे रिश्तों में उस व्यक्ति विशेष के लिए हमें अच्छा होना पड़ता है, तभी प्रेम मिल पाता है, लेकिन माता-पिता द्वारा अपने बच्चे को किए गए प्रेम को निस्वार्थ कह सकते हैं। बच्चा बड़ा होकर अपने मां-बाप के प्रेम का कर्ज किस तरह उतारेगा, इसकी परवाह मां बाप कभी नहीं करते हैं और अपने बच्चे की परवरिश में पूरी जिंदगी लगा देते हैं। निस्वार्थ प्रेम का इससे सच्चा उदाहरण और क्या हो सकता है ।

आज के परिवर्तनशील माहौल में अधिकांश लोग स्वार्थी हो गए हैं क्योंकि हर चीज किसी न किसी स्वार्थ के धागे में बंधी हुई है। फिर भी सच्चा प्रेम और दिल से किया गया प्रेम हमेशा निस्वार्थ होता है, लेकिन क्या सच्चे प्रेम को नापने का कोई पैमाना है ? इसलिए इस तरह के प्रेम में समय के साथ बदलाव भी होता है और धोखे भी होते हैं। हम एक-दूसरे को चाहे कितने भी भारी भारी प्यार भरे शब्दों से सजावट कर के सुविचार भेज दें, यदि निस्वार्थ भाव से हमारी आंखों में स्नेह, होठों पर मुस्कान, ह्रदय में सरलता और करुणा नहीं है, तो सब कुछ व्यर्थ है ।

लेखक: सुनिल राठौड़ 


Friday, 2 May 2025

जिस मनुष्य का जैसा विचार, कर्म, व्यवहार व स्वभाव होता है, उसी के अनुरूप उसे मिलता है सुख दुख व मान सम्मान

 जिस मनुष्य का जैसा विचार, कर्म, व्यवहार व स्वभाव होता है, उसी के अनुरूप उसे मिलता है सुख दुख व मान सम्मान

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सम्मान वह अनमोल भावना है, जो ना केवल हमारे रिश्तों को मजबूत करता है, बल्कि सामाजिक संबंधों को भी बेहतर बनाता है। यह एक सकारात्मक दृष्टिकोण है, जो किसी भी व्यक्ति की अहमियत और गरिमा को पहचानने से जुड़ा होता है। आत्म-सम्मान से लेकर दूसरों के प्रति सम्मान तक, यह हर पहलू हमारे जीवन को प्रभावित करता है। खासकर छात्रों के लिए, यह एक महत्वपूर्ण विषय बन जाता है क्योंकि यही वह समय है, जब वे दूसरों से सम्मान प्राप्त करने के साथ-साथ खुद का भी सम्मान करना सीखते हैं। मान सम्मान व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है । बुरे विचार व बुरे स्वभाव वाला व्यक्ति हमेशा पतन की खाई में ही गिरता है । यदि हममें दूसरों से मान सम्मान पाने की अपेक्षा है तो हमें भी सामने वाले व्यक्ति को सम्मान देना ही होगा ।

मान सम्मान अनंत सम्पत्ति है। पद पैसे की शक्ति का रुतबा इन सबका अंत है, मान और सम्मान की सम्पत्ति तो सदैव अनंत है क्योंकि समय के बदलने के साथ ही पद प्रतिष्ठा समाप्त हो जाती है, परंतु मान और सम्मान का कभी भी अंत नहीं होता। ताली दोनों हाथों से बजती है, एक हाथ से नहीं । रास्ता दिखाने वाले को पहले स्वयं आगे चलना पड़ता है । हर मनुष्य का जैसा विचार, कर्म, व्यवहार और स्वभाव होता है, उसी के अनुरूप उसे सुख-दुख व मान-सम्मान मिलता है ।


      ✍🏻 *लेखक

      सुनिल राठौड़ बुरहानपुर मप्र 

Thursday, 1 May 2025

जो पुरुष अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रख सकता है, वही लंबे समय तक इस धरती पर सुख-शांति से जी सकता है।

 जो पुरुष अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रख सकता है, वही लंबे समय तक इस धरती पर सुख-शांति से जी सकता है।


पुरुषों को ये समझना चाहिए कि उनकी कई परेशानियों और पतनों की जड़ कई बार कई गर्लफ्रेंड्स होती हैं।


हर लड़की की आत्मा अच्छी नहीं होती।


कुछ राक्षसी स्वभाव की होती हैं, कुछ में ज़हर छिपा होता है, और कुछ औरतें किसी की किस्मत को बर्बाद करने वाली होती हैं। जैसा की अभी हाल में आप सब देख चुके हैं...!!


इसलिए सावधान रहें।


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1. हर बार अपने इरेक्शन (लिंगोत्थान) की बात मत मानो।

अधिकतर बार यह तुम्हें गलत दिशा में ले जाता है।

अगर आप अपने इरेक्शन पर नियंत्रण नहीं रख पाए, तो ज़िंदगी छोटी और गरीबी से भरी हो सकती है।


2. किसी लड़की के कर्व्स, बॉडी और फिगर को देखकर रिलेशनशिप मत बनाओ।

ये सब धोखा है, खासकर सोशल मीडिया पर। असली सुंदरता और मूल्य इससे कहीं ज्यादा होता है।


3. हर स्कर्ट के नीचे जो है, उसे हासिल करने की कोशिश मत करो।

कुछ स्कर्ट के नीचे सांप होते हैं, जो काटकर चैन छीन लेते हैं। संयम और अब्स्टिनेंस (संयमित जीवन) अक्सर सबसे अच्छा फल देता है।


4. कई गर्लफ्रेंड्स रखना मर्दानगी नहीं है।

ये सिर्फ आपको औरतबाज़, धोखेबाज़, और बच्चा बनाता है — असली मर्द नहीं।


5. सिर्फ बेड में अच्छे होने से मर्द नहीं बनते।

असली मर्द वह है जो अपनी जिम्मेदारियों से भागता नहीं, उन्हें पूरा करता है।


6. उस लड़की का सम्मान करो जो तुमसे सच्चा प्यार करती है।

किसी लड़की का प्यार और सपोर्ट मिलना आसान नहीं होता। यह उसकी भावनात्मक ताकत और ईमानदारी का सबूत है।


7. दुनिया उन्हीं पुरुषों को सम्मान देती है जो कामयाब होते हैं।

तुम्हारे पास अगर बहुत सारी गर्लफ्रेंड्स हैं, तो कोई तुम्हारी तारीफ नहीं करेगा।

ये सिर्फ समय, ऊर्जा, पैसा और वीर्य की बर्बादी है।


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याद रखो:

ईमानदार, वफादार और ज़िम्मेदार पुरुष ही असली मर्द कहलाते हैं।

संयम ही सफलता की कुंजी है। ......

Monday, 14 April 2025

कांग्रेस नेत्री की सलाह नहीं मानी।तो क्या हुआ

 *पुरानी तीन घटनाएं याद दिला दूँ। लेखक यहां पहले ही स्पष्ट कर देना चाहता है कि जो घटनाएं जैसी हुईं, सिर्फ वैसी ही लिखी जा रही हैं।* 


1. ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व राष्ट्रपति थे। उन्हें z security प्राप्त थी। उन्होंने दिल्ली में घोषणा की - "कल मैं चंडीगढ़ पहुंचने के बाद बोफोर्स के सारे राज खोलने वाला हूँ।" तो साहब हुआ ये कि दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर सामने से एक ट्रक दनदनाता हुआ आया और जैलसिंह की कार को कुचल दिया। वे वहीं मृत्यु को प्राप्त हुए। कोई जांच नहीं हुई।


2. राजेश पायलट ने कांग्रेस नेत्री की सलाह नहीं मानी। उन्होंने घोषणा की - "कल मैं कांग्रेस अध्यक्ष पद हेतु नामांकन भरूँगा।" बस फिर क्या था, सामने से एक बस आई और उनकी कार को कुचल दिया। वो वहीं मृत्यु को प्राप्त हुए। कोई जांच नहीं हुई।


इन दोनों घटनाओं में modus of operandi एक समान थी। तीसरी घटना में modus of operandi अलग थी। 


3. श्रीमन्त माधवराव शिन्दे (सिंधिया) उस लोकसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय व कर्मठ नेता थे। वे लोकसभा के लिए लगातार नवीं बार चुने गए थे व लोकसभा में विपक्ष के नेता भी थे। कांग्रेस नेत्री ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को कहा - "मैं प्रचार करने आ रही हूँ !" प्रदेश अध्यक्ष निर्भीक था। उसने कहा - "आप मत आइए। माधवराव जी को भेज दीजिए। वे ही वोट दिलवा सकते हैं।" बस फिर क्या था। माधवराव जी को बोला गया कि आप अपने व्यक्तिगत विमान से नहीं बल्कि इस विमान से जाएंगे। एक चश्मदीद किसान ने बयान दिया - "विमान में पहले बम विस्फोट हुआ, फिर आग लगी।" विमान में सवार आठों लोग मारे गए लेकिन कोई जांच नहीं हुई। अल्प काल के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी मृत पाए गए। (डॉ. ईश्वर चन्द्र करकरे की कलम से साभार)


*सोनिया गांधी ने देश के लिए क्या-क्या काम किया है?*


■राजीव गांधी अपने पूरे जीवन काल मे कुल 181 रेलिया की थीं। जिसमें 180 में सोनिया गांधी भी उसके साथ थी, बस उस दिन साथ नहीं थी, जिस दिन राजीव गांधी के जीवन की अंतिम रैली हुई। 


■राजीव गांधी की हत्या के समय 14 लोगों की भी मौत हुई थी। मगर मजे की बात इन मरने वाले 14 लोगों में एक भी कोंग्रेसी नेता नहीं था, जो भी मरे आम लोग थे। क्या ये सम्भव है कि देश के प्रधानमंत्री की रैली में उनके साथ एक भी बड़ा कोंग्रेसी नेता नहीं हो?


■राजीव गांधी के साथ कोई बड़ा या छोटा कांग्रेसी नेता नहीं मरा, ना सोनिया गांधी जो हर सभा में राजीव गांधी जी के साथ रहतीं थीं। उस दिन होटल में सरदर्द के कारण रुक गईं थी, ये आफिशियल स्टेटमेंट हैं।

तो क्या सबको मालूम था, कि क्या होने वाला है और इस तरह पूरी कांग्रेस विदेशियों द्वारा हाइजैक कर ली गई। 


■बाद में खुद प्रियंका गांधी ने अपने बाप के कातिल को कोर्ट में माफ करने की अपील कर दी थी। 


■जब से इटली की सोनिया मानियो इस परिवार की बहू बनकर आई हैं जब से अब तक इस गांधी परिवार में एक भी मृत्यु को प्राकृतिक मृत्यु का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है, सब अप्राकृतिक मौत मरे हैं।


■इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी के ससुर कर्नल आनंद अपने ही फार्म हाउस से थोड़ी दूरी पर गोली लगने से मरे पाये गये थे ।


■संजय गांधी हवाई जहाज गिर जाने से मारे गये । इंदिरा गांधी अपने ही अंगरक्षकों के द्धारा गोली मारे जाने से मारी जाती है ।


■राजीव गांधी को बम से उड़ा दिया जाता है ।


■प्रियंका गांधी के ससुर राजेन्द्र वाड्रा दिल्ली के एक गेस्ट हाउस मे मरे पाये जाते है। प्रियंका गांधी की ननद जयपुर दिल्ली हाइवे में कार दुर्घटना में मारी जाती है। प्रियंका गांधी का देवर मुरादाबाद के एक होटल में मरा पाया जाता है।


■राजीव गांधी के सबसे खास दो दोस्त माधवराव सिंधिया, राजेश पायलट यह तीनों उस बीयर बार में एक साथ जाया करते थे जिस बीयर बार में सोनिया शादी के पहले बार डांसर थी।


■राजेश पायलट एक सड़क दुर्घटना में मारा जाता है और माधवराव सिंधिया जहाज दुर्घटना में मारा जाता है।


■ हम खुद देख सकते हैं, केरल में नम्बी नारायण को जेल, गोधरा व मालेगांव कांड में हिन्दुओं को फंसाना व पाकिस्तान आतंकवादियों को छोड़़ना, हिन्दू आंतकवाद शब्द का जन्म, करोड़ों व अरबों के घोटाले, देश को कमज़ोर करना, इमरजेंसी स्टॉक 40 से 7 दिन करना, सेना को गोला बारूद ना देना, बुलेट प्रूफ जैकेट्स न देना, लड़ाकू विमान न खरीदना, कश्मीर से हिन्दू पंडितों से निकालना, 26/ 11 के लिए पाकिस्तान पर एक्शन के लिए मना करना, चीन के अम्बेसडर से मिलना व बाद में इनकार करना, सबूत देने पर सफाई देना, डिफॉल्टर्स को बैंक्स के मना करने के बावजूद अरबों रुपए के लोन देने, अब लंदन कोर्ट की मोहर से जग जाहिर। 


विशेष - संसद में हमले के दिन भी सोनिया-राहुल गांधी संसद नहीं गए थे... पता नहीं फिर भी देश के लोगों की आंखे क्यों नहीं खुल रही।

पैसे कमवणे किती अवघड आहे पण तू फक्त घरात बसतेस.

 स्वतःच्या बायकोला खुश करण्यासाठी, खालील पोस्ट तिला टॅग करुन टाका.

              एक उच्चशिक्षित नवरा आपल्या बायकोला एके दिवशी समजावून सांगत होता की तु पैसे कमावून बघ आणि मग तुला कळेल की पैसा कसा खर्च करावा. 

              मी तुला आज एक दिवस देतो घराच्या बाहेर निघ, आणि बघ किती स्पर्धा चालू आहे. काहीतरी प्रयत्न कर काम शोधण्यासाठी. तीही एक शिक्षित बायको, एक आई आणि एक सून होती...

        ती बाहेर निघाली आणि दिवसभर फिरत राहिली. खुप माहिती घेतली आणि घरी आली. दुसऱ्यादिवशी नेहमी प्रमाणे सासू सासरे यांना वेळेला नाश्ता जेवण, मुलांचा डबा, वेळेला शाळेत पाठवणे, नवऱ्याला डबा, त्याचा आवडीचा नाश्ता जेवण बनवले आणि खोलीत गेली .

           नवरा म्हणाला आज कळाले असेल मार्केटमध्ये किती स्पर्धा चालू आहे, पैसे कमवणे किती अवघड आहे पण तू फक्त घरात बसतेस.

         तिने एक स्मित केले आणि एक लिस्ट त्यांच्या हातात दिली. त्यात तिने घरात घालवलेले अनेक वर्षे आणि घरातील कामाचे मार्केट मध्ये जी किंमत मोजली जाते त्याचा ताळेबंद दिला. नवऱ्याला एकदम घाम फुटला ज्यावेळेस त्याने वाचायला सुरुवात केली .


१. मुलांचा सांभाळ आणि त्यांना संस्कार लावणे ज्याला मार्केटमध्ये Baby sitting म्हणतात .

Salary Rs.१५,०००/-


२. घरातील पसारा जागेवर ठेवणे आणि घर काम करणे, ज्याला मार्केट मध्ये Made म्हणतात.

Salary Rs १०,०००/-


३. सर्वांची आवडनिवड बघून सकाळ संध्याकाळ केलेला स्वयंपाक , ज्याला मार्केट मध्ये Cook म्हणतात.

 Salary Rs.१०,०००/-


४. घरात आलेल्या पाहुण्यांचा पाहुणचार , ज्याला मार्केट मध्ये Host of the Guest बोलतात.   

Salary Rs.५,०००/-

      असा तिने नवऱ्याकडे महिन्याचा Rs.५०,०००/ - पगार या हिशोबाने वर्षाला सहा लाख रुपये आणि गेल्या २५ वर्षाचे दिड कोटीची मागणी केली.

      मग त्याचे डोळे खाडकन उघडले. ज्या व्यक्तीने स्वतःचा कणभरही विचार न करता माझ्या घराला वेळ दिला, ज्याची किंमत मार्केटमध्ये शोधूनही न मिळणारी होती.

        तात्पर्य एवढेच की ज्यावेळेस एक शिक्षित स्त्री घरात बसते त्यावेळेस ती खुप विचार करुन सगळं काही करत असते. तिला माहिती असते आज जर आपण आपल्या मुलांना सोडून बाहेर काम करण्याचा विचार करु, त्यावेळेस आपल्याच मुलांचे भविष्य अंधारात लपलेले असेल. कारण एक आईच चांगले संस्कार मुलांना देऊ शकते चांगले लक्ष देऊ शकते.


मित्रांनो हे कोणी लिहिले माहिती नाही परंतु फार छान आणि महिलांच्या त्यागाची दखल घेणारे आहे त्यामुळे आपणाशी शेअर केलं. याचा अर्थ असा नाही की पुरुषाच्या संसारामध्ये काहीच त्याग नाही पुरुषाचाही त्याग असतो परंतु त्याचा त्याग दिसून येतो परंतु महिलांच्या त्यागाची बऱ्याच पुरुषप्रधान संस्कृतीमध्ये बऱ्याचदा किंमत नसते प्रत्येकाच्या संसारामध्ये नवरा आणि बायको दोघांचीही भूमिका महत्त्वाची असते परंतु बायकोच्या भूमिकेकडे लक्ष दिले जात नाही त्यामुळे खास आपणासाठी टाकले आहे कृपया।

Thursday, 10 April 2025

अपने पति का घर स्वर्ग बना दे।

 दोस्तों सुंदर पत्नी ,के चक्कर में आज के युवा अपनी आधी उमर तो निकाल देते हैं इसी की तलाश में बिना ये जाने की लड़की वास्तव मे कैसी है जो उसे वा उसके पुरे परिवार को लेके आगे चल सके आज की कहानी भी इसी पर है आपको पसंद आएगी आप भी अपने विचार लिख सकते हैं 

अभय लेडीज शोरूम पर काम किया करता था वहां सुंदर से सुंदर लड़कियां और महिलाएं कपड़े खरीदने आया करती थी।

अभय जब खूबसूरत महिलाओं को देखता तो उसे भी लगता मैं भी एक खूबसूरत लड़की से शादी करूंगा जब मैं उसके साथ बाजार शादी या पार्टी में निकलूंगा तो लोग देखते ही रह जाएंगे और सब लोग यही कहेंगे वाह अभय ने क्या अच्छी किस्मत पाई है।

रोज की तरह अभय आज भी शाम को घर लौटा मां ने एक लड़की का फोटो दिखाते हुए कहा अभय तेरे लिए लड़की देखी है ,पसंद कर ले,

अभय ने फोटो में देखा सिंपल सी एक पतली दुबली लड़की सांवले रंग की।


अभय ने फोटो टेबल पर गुस्से से पटकते हुए मां से कहा यह तो जरा सी भी सुंदर नहीं है हमारे शोरूम में तो एक से एक सुंदर लड़कियां आती हैं 

मैं नहीं करूंगा ,,इस लड़की से शादी,, इतना कहकर अभय अपने कमरे में चला गया। अभय ने ठान लिया मैं शादी नहीं करूंगा उस सांवली लड़की से चाहें मुझे घर से भाग जाना क्यों ना पड़े

मां पीछे-पीछे अभय के कमरे तक आई और खूब समझाया घर के सभी सदस्यों ने समझाते हुए कहा,, अच्छी लड़की है,, पढ़ी लिखी है,, घर के कामकाज भी खूब कर लेती है ।

अभय गुस्से से कमरे से निकलकर छत पर आ पहुंचा बिना कुछ खाए पिए ही रात भर छत पर पड़े एक टूटे पलंग पर लेटा रहा। जैसे तैसे सुबह हुई अभय दुकान पर जाने के लिए तैयार हो चुका था आज उसका नाश्ते में कुछ भी खाने का मन नहीं कर रहा था।


अभय अपने शोरूम पर जाने के लिए हमेशा पैदल पथ का ही सहारा लेता था वह रास्ते में आने जाने वाली लड़कियों को देखता हुआ आगे बढ़ रहा था उसे राह में जो भी खूबसूरत लड़की दिखती उसे लगता इससे मेरी शादी होनी चाहिए, अचानक उसका पैर पैदल पथ पर पड़े केले के छिलके से फिसल गया और वह पास पड़े कचरे के डिब्बे के ऊपर गिरा धड़ाम ।

वही एक ब्यूटी पार्लर की शॉप थी उसमें से एक औरत बाहर निकली तुरंत अभय को उठाया अपने ब्यूटी पार्लर के भीतर ले जाते हुए कहा ,,ज्यादा चोट तो नहीं लगी भैया,,

अंदर एक गद्देदार ऊंची कुर्सी पर बैठा दिया।

   ,इतने में जींस और टीशर्ट पहने हुए एक महिला ब्यूटी पार्लर के भीतर आई सामने पड़ी दूसरी खाली कुर्सी पर बैठ गई।

अभय उस सांवली सी महिला को देखने लगा ।एक धागे की मदद से उसकी आइब्रो बना दी उसकी आंखें खूबसूरत लगने लगी बालों पर प्रेस करके बालों की चमक और बढ़ गई, चेहरे पर ब्लीच फेशियल और ना जाने क्या-क्या क्रीम लगाने के बाद

उस महिला की खूबसूरती में चार चांद लग गए

 अभय इस कलाकारी को देखकर दंग रह गया अभय समझ चुका था दुनिया की सभी दिखने वाली सुंदर लड़कियां और महिलाएं सिर्फ एक दिखावा है।

सब ईश्वर की संतान है हमें काले गोरे का भेद नहीं रखना चाहिए जिसका मन सुंदर है वहां जिस्म का कोई मोल नहीं रहता

देश को और समाज को एक अच्छे गुणों वाली पत्नियों की तलाश है।


जो अपने पति का घर स्वर्ग बना दे।

मां ने मुझे कल जिस लड़की का फोटो दिखाया था

वह लड़की ब्यूटी पार्लर जाकर खुद को सज संवर कर भी फोटो खिंचवा सकती थी। पर उसने ऐसा नहीं किया,,

वह जैसी है खुद को वैसे ही रखना चाहती है। यही उसकी खूबसूरती का खजाना है,,

अभय ने तुरंत अपनी जेब से मोबाइल निकाला और अपनी मां को फोन पर बताया ।

    ,मुझे वही लड़की पसंद है,, जिसे मैं कल कह रहा था ,, ना ,, ना ,, ना,,,,❤️❤️

Monday, 7 April 2025

पत्रकार को लगा यह स्त्री इंटरव्यू के बीच में से उठ जाएगी लेकिन स्त्री ने एक क्षण रहस्यमयी चुप्पी साधे रखी ।

 वह अजीब स्त्री. लोग बताते हैं कि जवानी में वह बहुत सुन्दर स्त्री थी। हर कोई पा लेने की जिद के साथ उसके पीछे लगा था। लेकिन शादी उसने एक बहुत साधारण इंसान से की जिसका ना धर्म मेल खाता था, ना कल्चर, वह सुन्दर भी खास नहीं था और कमाता भी खास नहीं था। बहुत बड़े, रसूखदार और अच्छी पोजीशन वाले अनगिनत रिश्ते उसके पास आये, अनगिनत प्रेम निवेदन उसके पास आये लेकिन उसने जिसे जीवन साथी चुना वह इन सबमें कमतर था


लोग उस स्त्री के बारे में सुनते, सामाजिकता में पगे, रटे-रटाये वाक्य दोहरा देते, जैसे कि "बहुत सुन्दर स्त्री की अक्ल घुटने में होती है", "नखरे निकल जाने के बाद ऐसे ही मिलते हैं", "ज्यादा भाव खाने वालो को कोई भाव नहीं देता"आदि।


उस स्त्री को ऐसे किसी बीज वाक्य से सरोकार नहीं था, वह अपनी पसंद के जीवन साथी के साथ खुश थी, सुखी थी।


उसकी कहानी एक पत्रकार ने सुनी, उसे उसकी कहानी में कई रंग नजर आये। वह उस स्त्री के पास गया। पत्रकार उसकी सुंदरता देखकर दंग था। आज भी वह बेहद सुन्दर और जहीन थी।


पत्रकार ने विनम्रता से उस स्त्री को साक्षात्कार के लिए निवेदन किया। स्त्री जोर से ठहाका लगाकर हंसी, बोली "मेरा इंटरव्यू पूरा करने से पहले या तो तुम बीच में भाग जाओगे, या फिर अपनी पारम्परिक सोच को मिक्स करके अपनी ही कहानी शुरू कर दोगे, इसलिए मैं कोई इंटरव्यू देने की इच्छुक नहीं हूँ। आप चाय पीजिये, रुखसत लीजिये।"


पत्रकार के जीवन का ऐसा पहला वाकया था जब एक ही वाक्य में उसका खुद का इंटरव्यू हो लिया था। वह सम्भला और जैसे तैसे उसने इंटरव्यू के लिए उस जहीन स्त्री को राजी कर लिया ।


पत्रकार ने पूछा, "आप बेहद सुंदर हैं, बहुत स्त्रियों को आपकी सुंदरता पर रश्क होता है। आप इसे कैसे लेती हैं।"


स्त्री ने पत्रकार को देखे बिना बाल झटकते हुए जवाब दिया, "बकवास सवाल, मेरे सुंदर होने में मेरा कोई योगदान नही, कुदरत ने मुझे दिया, इसे मेरी उपलब्धि ना कहें। अगर मैं इतराती हूँ तो मेरा इतराना गैर वाजिब है। दैहिक सुंदरता पूर्ण सुंदर होना नही।"


पत्रकार असहज हुआ, दूसरा सवाल किया,


"आप ने कभी कोई सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग क्यो नही लिया। आप विश्व की कोई भी प्रतियोगिता जीत सकती थी।'


स्त्री ने इस बार पत्रकार की नजरों में नजरें डाल दी। पत्रकार उसके तेज का सामना नही कर पाया, उसने नजरें झुका ली। 

स्त्री बोली- "सुंदरता में प्रतियोगिता कैसी। सब अपने अपने हिसाब से सुंदर हैं। गोरी चमड़ी सुंदर क्यो है। बहती नदी को देखिए कभी। जहाँ जहाँ वह गहरी है वहाँ वहाँ सांवली हो जाती है। किसी से सुंदरता की प्रतियोगिता जीत कर आप सुंदरता के मानदण्ड स्थापित करना चाहते हैं? सुंदर लोग आपने देखे नही। मेरी झुर्रियों वाली दादी मेरी नजर में सबसे सुंदर महिला है, आपकी माँ आपकी नजर में सबसे सुंदर हो सकती है। आपकी अपनी पत्नी अपने पिता की नजर में सबसे सुंदर होगी। आपकी बहन किसी को दुनिया की सर्वश्रेस्ठ सुन्दरी लग सकती है। गुलाब सुंदर या चमेली ये वाहियात प्रतियोगिता है। आगे पूछिये।"


"जी,

आप के संबंध बडे औऱ रसूखदार लोगों से रहे, फ़िल्म के हीरो भी लट्टू थे आप पर, ऐसा सुना है, फिर शादी आपने एक बहुत ही साधारण इंसान से की। साधारण मतलब लो प्रोफाइल, वैसे तो आपने चुना है तो असाधारण भी हो सकते हैं। क्या कहेंगी आप।"


"देखिये पत्रकार महोदय, मैं इंटरव्यू इसलिए नही देती क्योंकि आपके तथाकथित सभ्य समाज मे मैं किसी का आदर्श नही हूँ। स्त्रियां मुझे फॉलो नही कर सकती। उनकी सामाजिक स्थिति ऐसी नही है कि वे खुद पर प्रयोग कर सकें। मैंने खुद पर प्रयोग किये और सुंदर, रसूखदार लोगो से मोहभंग होने के बाद मैंने एक असाधारण पुरूष जिसे आप साधारण कहते हैं को अपना जीवन साथी बनाया। मेरी कहानी किसी के काम नही आएगी इसलिए मैं अपनी कहानी जीना चाहती हूं, बांटना नही। "


स्त्री के सहज चेहरे पर वितृष्णा फैलने लगी। वह खामोश हो गई। उसने पत्रकार को चाय दी औऱ ख़ुद भी चाय के घूँट भीतर उतारने लगी।


पत्रकार को लगा यह स्त्री इंटरव्यू के बीच में से उठ जाएगी लेकिन स्त्री ने एक क्षण रहस्यमयी चुप्पी साधे रखी । पत्रकार चुपचाप उस अजीब स्त्री को देखता रहा, चाय के एक-एक घूँट के साथ उसकी वितृष्णा कम होती गयी। जल्द सहज होते हुए वह बोली, "सॉरी", फिर उसने एक अजीब सी स्माइल दी।


"जिन लोगो को आप रसूखदार कह रहे हैं दरअसल वे रसूखदार नही होते। ये रसूखदार आदमी तमाम सृष्टि का उपभोग कर लेने की वृत्ति के साथ ऊपर तक भरे हैं। उन्हे जिंदगी में सब संगमरमर का चाहिए खुद वे बेशक उबड़ खाबड़ खुरदुरा पत्थर हों। 

आप हैरान होंगे कि तमाम रसूखदार लोगो की चाह मैं नही थी। मेरा जिस्म थी। मुझे पुरुष की वृत्ती मालूम थी। पुरुष ने जिस्म मांगा, मैंने दिया, मैंने वही तो दिया जो उसने मांगा। लेकिन जिस्म भोगने के बाद मैं चरित्रहीन थी, वह चरित्रवान।

मुझे पुरूष की रमझ समझ आ गयी थी। मुझे याद नही कि कितने पुरूष थे । लेकिन जितने थे सब मेरी देह से प्रेम करने वाले थे, और सब ही मुझे चरित्र का प्रमाण पत्र देकर गए। मुझे हैरानी हुई कि किसी को मैं देह और चरित्र से आगे नजर ही नही आई। मैंने एक अंग्रेजी फ़िल्म देखी जिसका एक संवाद मेरे जेहन में अटका रहा कि प्रेम के वहम में ज्यादा दिन अटके मत रहो। पहले सेक्स करो फिर प्रेम। मुझे हैरानी हुई कि कि प्रेम के लंबे चौड़े दावे करने वाले पुरूष सेक्स के बाद भागते नजर आए। वे मुझे अफ़्फोर्ड नही कर सकते थे शायद, अमीर थे जबकि। अफ़्फोर्ड करना समझते हैं ना आप। स्त्री को अफ़्फोर्ड करना हर पुरूष के वश का नही। तमाम पुरुषो के घर मे जो स्त्री है ना वह स्त्री नहीं है, स्त्री की चलती फिरती लाश हैं। जिंदा स्त्री अफ़्फोर्ड करना इस मुल्क के पुरूषों के लिए लगभग असंभव है।पति का तो अर्थ ही मालिक है। मालिक या तो गुलाम रखते है या वस्तुएं। पुरुष क्या ये मुल्क ही जिंदा स्त्री को अफ़्फोर्ड नही कर सकता। पूरे मुल्क की चेतना में ही पितृसत्ता भरी है।"


पत्रकार ने रीढ़ सीधी कर ली।


वह आगे बोली, "एक दिन एक असाधारण पुरूष मेरी जिंदगी में आया। जब एक रसूखदार पुरूष मुझे अचेतन अवस्था में अपनी बड़ी सी गाड़ी से फेंक कर जाता रहा। 

वह असाधारण पुरुष मुझे नहीं जानता था, मेरा जिस्म लहूलुहान था, उसने मुझे उठाया और हॉस्पिटल की ओर दौड़ पड़ा। मेरा मेडिकल हुआ जिसमें रेप की पुष्टि हुई, मेरे चेतना में आने तक वह पुलिस यातना झेल चुका था, उसका बचना मेरे बयान पर टिका था। मैं चेतना में जब आयी तो देखा कि मेरा पूरा जिस्म पट्टियों में जकड़ा है। मुझे बताया गया कि पुलिस ने उसे ही उठा लिया है जो मुझे गोद मे उठाकर यहां लाया, अपनी रिंग और गले की चेन डॉक्टर के पास रख गया कि मैं नही लौटूँ तो इसे बेचकर बिल चुका देना। उसी रिंग और चेन से पुलिस का शक और गहरा हुआ कि यह इन्वॉल्व हो सकता है।


मैंने किसी के खिलाफ शिकायत नही लिखवाई। वह असाधारण पुरूष लौट आया, उसने मुझे देखा, मैं तो टूटी-फूटी पट्टियों में बंधी थी। लेकिन उस पुरूष का वह देखना अद्भुत था। हजारो खा जाने वाली नजरो से अलग कोई नजर थी जो भीतर तक उतरती चली गयी। उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा, उसका स्पर्श अद्भुत था, वह पुलिस थाने से लौटा था लेकिन उसने अपनी व्यथा नही गाई, वह धीरे से बोल पाया, ठीक हो?। मेरी आँखें स्वतः बन्द हो गयी। कोई भी संवाद इतना मर्मान्तक नही था आजतक जितना कि ये। मेरी आंख से आंसू टपक पड़ा। मैं भी होले से कह पाई , ठीक हूँ । शुक्रिया मुझे बचाने के लिए।


उसने अपनी उंगली के पोर से मेरी आँख का आँसू उठाया औऱ आसमान में उड़ा दिया। मेरे होते मन नही भरना, मैं हूं ना। आजतक इतना बड़ा आश्वासन भी कभी नही मिला था कि मैं हूँ। मन छोटा नही करना। 

उसने मुझे सहारा देकर लिटाया, पूछा, आपके घर मेसेज कर दूं , आपका कोई पता नही मिला हमे। मैंने कहा मेरे घर कोई नही है, मैं अकेली हूँ। जबकि सब हैं लेकिन मेरी प्रयोग धर्मिता से डरे हुए। मैं उन्हें इत्तलाह नही करना चाहती थी। वह असाधारण पुरुष बोला, मेरे घर मेरी छोटी बहन है। आप मेरे घर चलना स्वास्थ्य लाभ के लिए।


मैंने पूछा उससे,मेरी मेडिकल रिपोर्ट पढ़ी आपने। वह थोड़ा रुंआसा हुआ, बोला हां पढ़ी, आपने उन्हें छोड़ क्यो दिया, रिपोर्ट करते उनके खिलाफ। 

मुझे दर्द था तेज, मैंने कहा। मैं निबट लूँगी उनसे ।


उस पुरूष ने अगला सवाल नही किया। बोला आराम कीजिये। ठीक हो जाइए पहले फिर निबट लेना। मुझे लगा यह मध्यम वर्गीय परिवार का साधारण पुरूष चरित्र प्रमाण पत्र दे ना दे लेकिन जेहन मे जरूर तैयार कर लिया होगा। बडी सोसाइटी भी जब वहीँ अटकी है तो यहां तो चरित्र बडा फसाद होगा। हॉस्पिटल का बिल मैं भर सकती थी लेकिन मैंने नही भरा। उसकी रिंग और चेन बिक गईं । वह मुझे अपने घर लिवा लाया। एक साफ सुथरा साधारण घर था वह। करीने से सजे घर मे मेरी नजर एक बड़ी अलमारी पर पड़ी जिसमे अनेकों किताबें थी। पता चला कि वह साधारण पुरूष दरअसल साधरण नही हैं। उसकी अलमारी में एक से एक बेहतरीन किताब रखी थी। मालूम हुआ वह नास्तिक है। आज तक जितने पुरूष मिले वे सब आस्तिक थे। कोई गले में लॉकेट डाले था कोई उंगली में नग पहने कोई माथे पर तिलक लगाए। इस मे जो था सब अपना था, दिखावा नही था रत्ती भर भी। उसने मेरे आराम का प्रबंध किया। मेरे पास बैठा रहा घण्टो। मेरी पसंद की उसके पास बहुत किताबें थी लेकिन अद्भुत यह था कि उसकी अलमारी मे वह किताब भी थी जिस पर बनी फ़िल्म मेरे जेहन में थी। उस किताब में उसने कुछ वाक्य अंडरलाइन किये हुए थे कि स्त्री प्रेम पाने के लिए सेक्स करती है पुरूष सेक्स पाने के लिए प्रेम लुटाता है। मेरी पूरी जिंदगी इसी एक वाक्य में बंधी थी। 

एक दूसरा वाक्य जो मेरे जेहन में अटका था कि प्रेम के भरम में अटके मत रहो, पहले सेक्स करो फिर प्रेम करो। पढ़ने वाले ने उस वाक्य के नीचे लिख दिया था कि ऐसी स्त्री इस मुल्क में नही मिलती लेखक महोदय। मुझे हंसी आ गयी। मैं हूं ना, मैंने खुद को आईने में देखा। मैं तो बची ही नही थी, जिस देह को मैं मैं समझती थी वह तो जगह जगह से चोटिल थी लेकिन भीतर जो कोई और आकार ले रहा था वह मैं थी। मेरा पुनर्जन्म हो रहा था। मैं अब सिर्फ उस पुरूष को पढ़ती। एक साल मैं उसके घर रही। एक साल उसने मेरी देह को नही छुआ। हाथ पकड़ कर बहुत बार उसने चूमा, माथा चूमा लेकिन वह एक आत्मीय स्पर्श था।


एक दिन मैंने उसकी रिंग और गले की चैन उसे लौटा दी। वह हैरान हुआ लेकिन मैंने उसे बता दिया कि इसे बिकने नही दे सकती थी। अपने पास रखना चाहती थी सहेज कर। कि जब भी महंगे गहने पहनने होंगे तो इन्हे पहनूँगी। बिल के पैसे देकर जाती लेकिन इस गहने से बड़ा गहना मुझे मिल गया है तो यह गहना लौटा रही हूं । उसे मैंने मेरा इतिहास बताया, मेरे अफेयर बताये। बताया कि मैं देह के तमाम प्रयोग करके आज जहां अटकी हूँ वहाँ देह कहीं है ही नही । वह वो किताब उठाकर लाया। उसने अपने हाथ से लिखी एक और पंक्ति दिखाई कि ऐसी कोई स्त्री मिली तो मैं उसके समक्ष विवाह प्रस्ताव अवश्य रखूँगा। उसने पूछा मुझसे। शादी करोगी? उसके पास लिव इन का ऑप्शन भी था। एक साल में पास पड़ोस कितनी बातें करता था लेकिन उसने कभी कान नही धरा। वह परम्परावादी आधुनिक इन्सान था। जो अब तक मिले वे आधुनिकता के छदम भेष में परंपरा वादी थे, जो लिव इन मे रहना चाहते थे ।अनगिनत प्रस्तावों के बाद यह प्रस्ताव मुझे भीतर तक भिगो गया। सच मे, एक असाधारण आदमी साधारण भेष में ढका था। मैं किस्मत वाली रही कि वह मुझे मिल गया।


स्त्री के चेहरे पर गहरा संतोष पसर आया था। कोई अलौकिक तेज उसके चेहरे पर दीप्त होने लगा था। पत्रकार ने आज उस अजीब स्त्री में स्त्री घमासान के नए पक्ष चिन्हित किये।

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 हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे.. लेकिन कभी पीली साड़ी में तुम्हे देखकर थम जाए मेरी नज़र... तो समझ जाना तुम... जब तुम रसोई में अके...