संभोग 19 साल की लड़की 31 साल का लड़का
शब्द सुनकर कई लोगों की आँखें चमक उठेंगी... पर मुझे आज भी याद है वो पहली रात, जब मेरी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल गई थी।
मैं कविता, 19 साल की एक साधारण लड़की हूँ। मेरे लिए ये सब बातें किताबों में पढ़ी थीं या दोस्तों की गपशप में सुनी थीं। लेकिन मेरी शादी अश्विन से हुई — 31 साल के एक सफल बिजनेसमैन से। उम्र का ये फासला मेरे लिए शुरू में अजीब था, जैसे कोई दो अलग-अलग दुनियाएं एक छत के नीचे आ गई हों।
भाग 1: पहली रात की ख़ामोशी
शादी की पहली रात मेरी धड़कनें तेज़ थीं। डर, शंका, संकोच… सब एक साथ मन में उमड़ रहे थे। लेकिन अश्विन ने कुछ नहीं कहा। उसने न मुझे छूने की कोशिश की, न कोई सवाल किया। बस मेरे हाथ को थामकर एक वाक्य बोला —
"तुम्हें जितना समय चाहिए, मैं दूंगा।"
उसकी ये बात मेरे दिल को छू गई… पर कहीं ना कहीं ये सन्नाटा किसी तूफान का पूर्व संकेत लग रहा था।
भाग 2: दो ज़िंदगियाँ, दो रफ्तारें
अश्विन की जिंदगी एक मशीन जैसी थी। सुबह 5 बजे उठना, 6 बजे मीटिंग्स, 9 बजे ऑफिस, 10 बजे डील, 8 बजे डिनर… और मैं? मैं तो अभी तक कॉलेज की दोस्तियों से बाहर नहीं निकली थी। मुझे तो बस देर तक सोना, मस्ती करना, गाने सुनना अच्छा लगता था।
हम दोनों के बीच जैसे एक अदृश्य दीवार खड़ी हो गई थी।
भाग 3: पहली दरार
एक दिन मैंने गुस्से में कह दिया — "आपको बस काम से प्यार है! मेरे लिए तो आप के पास कभी समय ही नहीं होता!"
अश्विन ने कुछ नहीं कहा, सिर्फ मुस्कुरा कर बोला, "प्यार का मतलब सिर्फ बातें करना नहीं होता, कविता।"
पर मैं जानती थी, कुछ तो है जो वो छुपा रहा है।
भाग 4: बदलते रिश्ते… और एक राज़
धीरे-धीरे अश्विन वीकेंड पर समय निकालने लगा। लॉन्ग ड्राइव, कॉफी डेट्स, पिज़्ज़ा पार्टी… जैसे सबकुछ अचानक बदल रहा था। लेकिन मेरा मन कह रहा था, कुछ तो है… कोई खालीपन जो छुपाया जा रहा है।
एक रात मैंने उसकी डायरियों में झाँका… वहाँ एक लाइन पढ़ी —
"शायद कविता को कभी बताना ही नहीं चाहिए… कि मेरी पिछली ज़िंदगी में कोई और भी थी।"
मेरा दिल कांप उठा…
भाग 5: पुरानी परछाइयाँ और नई रोशनी
मैंने सामना किया। अश्विन सन्न रह गया, लेकिन उसने मेरी आँखों में देखकर कहा —
"वो अतीत था कविता… और तुम मेरा भविष्य हो। मैंने उससे कुछ नहीं छुपाया, सिर्फ तुम्हें दुख से बचाना चाहता था।"
उस दिन मैंने सीखा — हर रिश्ते की परछाई में कभी न कभी कोई पुरानी कहानी होती है। लेकिन आगे बढ़ना ही सच होता है।
भाग 6: तालमेल की जीत
आज मैं और अश्विन एक-दूसरे की ज़िंदगी का हिस्सा ही नहीं, सुकून भी हैं। मैं उसके काम में हाथ बँटाती हूँ, वो मेरी मस्ती में साथ देता है।
हमने एक-दूसरे को बदला नहीं… समझा है।
अंतिम पंक्तियाँ
🕯️ कभी-कभी प्यार की असली परीक्षा उम्र, अतीत या आदतें नहीं होती…
बल्कि ये होती है — कितनी बार हम बिना टूटे, एक-दूसरे के सच को स्वीकार कर पाते हैं।
❣️ अगर ये कहानी आपके दिल तक पहुँची हो, तो इसे ❤️
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