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Monday, 23 December 2024

कम उम्र में सेक्स के लिए मैंने सारी हदे पार कर दी

 जवान उम्र में सेक्स के लिए मेने सारी हदे पार कर दी लेकिन अब विश्वास नहीं होता की में 5 साल पहले की एक बिगड़ैल और गैरजिम्मेदार, सामाजिक परंपराओं को तोड़ने वाली लड़की थी

उस दिन सुबह से ही मौसम खुशगवार था। अंशुल के घर में फूलों की महक थी, और हवा गुनगुना रही थी। अंशुल के मम्मी-पापा कल ही कानपुर से आ गए थे। अंशुल ने उन्हें सब कुछ बता दिया था। उन्हें खुशी थी कि बेटा पांच साल बाद ही सही, ठीक रास्ते पर आ गया था। वरना शादी के नाम से तो वह भड़क जाया करता था।


मम्मी-पापा के सामने शिखा को खड़ा कर अंशुल ने कहा,

"अब आप देख लीजिए। जैसा आप चाहते थे, वैसा ही मैंने किया। आप एक सुंदर, पढ़ी-लिखी और अच्छी बहू अपने बेटे के लिए चाहते थे। क्या शिखा से अच्छी और सुंदर बहू कोई हो सकती है?"


शिखा जैसे ही अंशुल की मम्मी के चरण छूने के लिए झुकी, उन्होंने उसे रोक लिया और गले से लगा लिया। शिखा पहली ही नजर में सबको पसंद आ गई थी।


अंशुल ने मम्मी-पापा को शिखा के अतीत के बारे में बताना जरूरी नहीं समझा। उसने बस इतना कहा कि शिखा एक रिश्तेदार के घर पली-बढ़ी है और अब दिल्ली में नौकरी कर रही है। मम्मी-पापा समझदार थे और शिखा की भावनाओं का सम्मान करते हुए कोई सवाल नहीं किया।


शिखा और अंशुल की शादी बेहद सादगी और परंपरागत तरीके से हुई। ज्यादा तामझाम और दिखावा अंशुल के परिवार को पसंद नहीं था। करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच शादी संपन्न हुई।


शादी के बाद शिखा ने न सिर्फ अंशुल के घर को, बल्कि उसके व्यक्तित्व को भी संवार दिया। अंशुल की मम्मी ने उसे बेटी की तरह घर की जिम्मेदारियां सिखाईं। शिखा ने भी हर बात को खुलकर सीखा। नतीजा यह हुआ कि वह एक समझदार पत्नी, आदर्श बहू और सुलझी हुई गृहिणी बन गई।


अब शिखा को विश्वास नहीं हो रहा था कि कभी वह इतनी विद्रोही और गैरजिम्मेदार लड़की थी। वह अपने अतीत को याद कर सोचती कि बिना शादी के किसी पुरुष के साथ रहना और शादी कर एक परिवार का हिस्सा बनना कितना अलग है।


कॉलेज के दिनों की शिखा


शिखा पढ़ाई में होशियार थी लेकिन अपने विद्रोही स्वभाव के कारण कॉलेज में मशहूर थी। वह हर गतिविधि में भाग लेती, लेकिन उसकी चंचलता के कारण उसकी सच्चाई शायद ही किसी को समझ में आती।


कॉलेज में ही उसकी मुलाकात राघव से हुई, जो यूनियन का अध्यक्ष था। दोनों ने होस्टल छोड़ ममफोर्डगंज में एक कमरा लेकर साथ रहना शुरू कर दिया। यह पूरे शहर के लिए एक चौंकाने वाली बात थी।


परंतु राघव के साथ बिताए गए पांच सालों ने शिखा को जीवन का सबसे बड़ा सबक सिखाया। राघव ने उसे केवल अपने स्वार्थ के लिए इस्तेमाल किया। जब उसका मन भर गया, तो उसने शिखा को छोड़ दिया।


अंशुल की मुलाकात शिखा से


शादी के कई साल बाद, मैट्रो में अंशुल और शिखा की मुलाकात हुई। एक-दूसरे को पहचानते ही उनके चेहरे पर हैरानी और खुशी के भाव आ गए।


बातों का सिलसिला शुरू हुआ। अंशुल ने बताया कि उसने शादी नहीं की क्योंकि वह अपने जीवन को स्थिर करने में व्यस्त था। शिखा ने धीरे-धीरे अपने अतीत की बातें साझा कीं और स्वीकार किया कि उसने अपने फैसलों से बहुत कुछ सीखा है।


नए रिश्ते की शुरुआत


अंशुल और शिखा ने एक-दूसरे के साथ समय बिताना शुरू किया। धीरे-धीरे दोनों के बीच का रिश्ता गहराता गया। शिखा ने अंशुल के साथ अपने जीवन की नई शुरुआत की।


कुछ महीनों बाद, शिखा और अंशुल की शादी हो गई। शिखा ने अंशुल के घर में न सिर्फ अपने लिए जगह बनाई, बल्कि मम्मी-पापा के दिल में भी खास जगह बना ली।


अब, शिखा एक खुशहाल जिंदगी जी रही थी। अंशुल अक्सर मजाक में कहता,

"तुमने मुझे तो पाया, लेकिन मम्मी-पापा को मुझसे छीन लिया!"


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