शादी होती है तो संभोग होना लाज़मी है, एक लड़का शादी करता है तो उसके पीछे मुख्य कारण लड़की का शरीर है, लेकिन अगर गहराई से समझा जाए तो ऐसा नहीं है बात इससे कहीं ज्यादा बड़ी है
मेरी शादी को छह साल हो गए थे। मेरे पति, राकेश, एक साधारण आदमी थे। बैंक में नौकरी करते थे और बस, उनकी दुनिया मेरे और हमारे छोटे से घर तक ही सीमित थी।, न कोई बड़े-बड़े सपने दिखाते थे। उनकी बातें, उनकी आदतें, सब मुझे साधारण लगती थीं। मैं अक्सर सोचती, "काश मेरी शादी किसी और से हुई होती, जो ज्यादा रोमांचक होता, मेरे लिए कुछ अलग करता।"
मेरे करीब तभी आते थे जब उन्हें शारीरिक संतुष्टि चाहिए होती थी और यही से मेरे मन में ये बात घर कर गई कि लडको को सिर्फ इस ही चीज से मतलब है
मुझे कभी उनकी कद्र ही नहीं हुई। छोटी-छोटी बातों पर मैं उन्हें टोक देती। कभी कपड़े सही से नहीं पहने, कभी दाल में नमक ज्यादा डाल दिया, तो कभी बच्चों के होमवर्क में मदद करते-करते थक जाते। मुझे उनकी ये मुझे ये सब कभी अच्छी नहीं लगी।
मुझे इस बात से नफरत होती थी जब मैं बाहर माडर्न कपड़े पहन कर जाती और वो बोलते बाहर निकलने से पहले ध्यान दिया करो क्या पहनना है क्या नहीं
पर मैं बेपरवाह उनकी बात ध्यान नहीं देती थी
एक दिन राकेश जल्दी उठकर काम के लिए तैयार हो रहे थे। मैंने बिना देखे ही कहा, "ऑफिस के बाद सब्जी ले आना। हर बार भूल जाते हो।" उन्होंने सिर हिलाया और मुस्कुराते हुए बोले, "ठीक है।" वो दरवाजे से बाहर निकले और फिर... वो कभी वापस नहीं आए।
राकेश का ऑफिस जाते वक्त एक सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। जब पुलिस की गाड़ी मेरे घर के बाहर रुकी और उन्होंने खबर दी, तो जैसे मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई।
चंद दिनों बाद मुझे पता चला कि राकेश ने हमारे नाम पर बीमा लिया था। एक करोड़ की रकम मेरे खाते में आ गई। रिश्तेदारों ने कहा, "बहुत अच्छा किया राकेश ने। देखो, तुम्हारे और बच्चों का भविष्य सुरक्षित कर दिया।" मैं बस चुपचाप सुनती रही।
वो एक करोड़ रुपये मेरे सामने थे, लेकिन मेरे पास राकेश नहीं था। मैंने सोचा, इस पैसे से मैं क्या खरीद सकती हूं? उनके चाय बनाने का तरीका? उनका बच्चों के साथ खेलना? वो हर शाम मुझे दफ्तर से फोन कर कहना, "कुछ चाहिए क्या?"
आज राकेश नहीं है, और मैं खुद माडर्न कपड़े नहीं पहनती क्यों की पहले मै बेपरवाह थी क्यों की लोग गंदी नजरों से नहीं देखते थे क्यों की राकेश साथ रहते थे
आज ऐसा करने से पहले 100 बार सोचना पड़ता है
अब सब कुछ वही था, लेकिन उनके बिना सब अधूरा। जब मैं सुबह उठती, तो उनकी आदत थी चाय बनाकर मेरे पास लाने की। अब चाय का कप खाली था। जब मैं गुस्से में होती, तो वो मजाक करके मेरा मूड हल्का कर देते। अब वो खामोशी थी जो मेरे दिल को हर दिन तोड़ती थी।
मुझे याद आता है, कैसे वो हर महीने सैलरी मिलते ही मेरे लिए चुपचाप मेरी पसंद की साड़ी खरीद लाते थे। मैं शिकायत करती, "जरूरत नहीं थी, पैसे बचाया करो।" और वो कहते, "तुम्हारी मुस्कान के लिए इतना खर्च कर सकता हूं।"
अब मुझे एहसास हुआ कि वो छोटे-छोटे पल ही असली खुशियां थे। वो 'साधारण' पल ही मेरी जिंदगी का आधार थे। जिन बातों को मैं नज़रअंदाज़ करती थी, वो ही मेरे जीवन का हिस्सा थीं।
जीवन का सबक
अब जब मैं अकेली हूं, तो हर पल राकेश को महसूस करती हूं। हर चीज, हर कोना उनकी याद दिलाता है। जो बातें पहले मुझे शिकायतें लगती थीं, आज वही मेरी सबसे कीमती यादें हैं।
पैसे से सब कुछ खरीदा जा सकता है, लेकिन वो जो रिश्ता, जो प्यार, जो अपनापन राकेश ने मुझे दिया, उसे कोई नहीं खरीद सकता। अब मैं समझती हूं कि प्यार दिखावा नहीं, बल्कि छोटी-छोटी चीजों में छुपा होता है।
काश, मैंने उनकी कदर पहले की होती। काश, मैंने उनकी हर छोटी बात को समझा होता। पर अब सिर्फ यही सोचती हूं—उनकी कमी हर पल महसूस होती है।
आज मैं नई लड़कियों की पोस्ट और वीडियो देखती हूं उसपे वो पति की बुराई करती हैं, और ज्यादातर महिलाएं आज अपने पति से संतुष्ट नहीं है और रोज घर में किसी ना किसी बात को लेके क्लेश करती है
बस एक बात बोलूंगी, एक बार आंख बंद कर के देखो और सोचो अगर तुम्हारा पति तुम्हारे साथ ना रहे तो तुम्हारी दुनिया कैसी रहेगी
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