हनीमून की रात जैसे ही पतिदेव के साथ समागम होने का मूड बना वैसे ही मेरी बुआ सास दरवाजे पर आके जोर से बुलाती है
बेटा बाहर आओ,
जल्दी से मैंने कपड़े पहने और मन में सोचने लगी क्या तरीका है ये
बार आते ही उन्होंने ने बोला आज तुम्हारी सुहागरात है, सब अच्छे से करने की जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर है, बबुआ अभी नादान है
मैं शरमाते हुए मन में सोची 4 महीने फोन पर बात करने पर ही समझ आगया था की आप के बबुआ कितने नादान है
मैने बोला ठीक है बुआ जी, और बुआ जी बोलती है
बस जल्दी से इगो पोता या पोती का मुंह दिखा दो
अब नेक काम में दूरी बर्दाश्त नहीं होती है
खैर मैं अपने कमरे में आई और पतिदेव के साथ शरारत भरी बातें हुई और फिर वही हुआ जो होना होता है
लेकिन अब कुछ दिन घर में मेहमान आने वाले थे, लोग बारी बारी आते और सभी औरतें एक ही आशीर्वाद देती
जल्दी से एक बच्चा देदो पहले तो मैं शर्मा जाती लेकिन धीरे धीरे सुन सुन के मुझे भी अब चिढ़ होने लगी थी।
क्यों की जो आता बस यही बोलता, मन तो करता बोल दो की अभी तो नई शादी हुई है बोले होते इतनी जल्दी है तो साथ में पहले बच्चा कर लेती फिर शादी कर के उसे ले आती
पर नई होने की वजह से कुछ बोलना मेरे संस्कार के खिलाफ था
दिन रात ये बात सुन के मैने पतिदेव से बोला की अब हमे डॉक्टर से मिल के बच्चे के बारे में सोचना चाहैए शादी को 6 महीने हो गए हैं
उन्होंने बोला पागल हो क्या शादी में खुद इतना खर्चा हुआ है कैसे सभी कुछ मैनेज होगा बच्चे की जिम्मेदारी एक बड़ी जिम्मदारी है, कोई जो बोल रहा है बोलने दो, एक कान से सुनो दूसरे से निकाल दो
मुझे गुस्सा लग गईं मैंने बोला आप खुद तो दिनभर घर से बाहर रहते हैं सुनना तो मुझे पड़ता है
घर के लोग तो बोलते हैं
साल में एक बार फोन करने वाले भी हेलो बोलने के बाद सीधा पूछते हैं
बहु को कुछ है ?अब कैसे सबको जवाब दूं
और ऐसे ही पहली बार हमारी लड़ाई हुई
फिर एक दिन मेरी सास मुझे समझाने लगी की बेटा जल्दी बच्चा पैदा करो, यदि कोई दिक्कत है तो खुल के बोलो डॉक्टर से बात करते हैं
मैने भी बोल दिया मैं तो चाहती हूं पर आप के बबुआ नही चाहते हैं
अब घर में बवाल मच गया, लेकिन किसी तरह मेरे समझदार ससुर जी ने समझाया और बात को खत्म किया
2 3 दिन तो किसी ने कुछ नही बोला लेकिन एक दिन शाम को फिर यही बात उठने लगी
और मेरे पति ने बोला की अभी मेरी कमाई इतनी नही है की एक बच्चे की जिम्मेदारी ले सकूं
मां ने तुरंत बोला क्या बच्चा के पीछे करोड़ों खर्च होंगे
जब पैदा होगा तो अपने भाग्य से लेके आएगा
तुम्हारे पापा की छोटी सी नौकरी में मैने 3 बच्चे पाले हैं
मेरे पतिदेव के पास कोई जवाब नही था तभी मेरे ससुर जी बीच में आते हैं
और बोलते हैं
मेरी कमाई कम थी लेकिन हमारा खर्चा भी कम था, इस लिए बच्चे पल गए
पहले हमारी जरूरत सीमित थी, रोटी कपड़ा और मकान ये सबसे ज्यादा जरूरी था इसके अलावा अन्य किसी चीज की जरूरत नहीं थी
लेकिन आज रोटी कपड़ा मकान और इंटरनेट जिंदा रहने के लिए जरूरी है, पहले एक फोन से पूरा घर काम होता था लेकिन आज जितने सदस्य उतना फोन है और उतना रिचार्ज है
हमारे समय में स्कूल में 2 बच्चे पढ़ने पर एक को फुल फीस थी एक ही हाफ
और तीन पढ़ने पर 2 को फुल और की पूरी तरह माफ
स्कूल का काम सिर्फ पढ़ना था ड्रेस किताब कॉपी ये सब हम कहीं से भी ले सकते थे, लेकिन आज सब कुछ 4 गुने दाम पर लेना होता है उसी स्कूल से
खाने में हमारे लिए डाल चावल सलाद रोटी पर्याप्त थी, और स्कूल में रोटी सब्जी पराठा अचार यही ले जाते थे
लेकिन अब कंपटीशन में बच्चो को कॉन्टिनेटियल खाना देना पड़ता है
पहले साल में 1 2 बार बाहर खाते थे और आज हफ्ते में 2 बार बाहर खाया जाता है
पीने का पानी शुद्ध कुवे से मिलता था लेकिन आज पानी भी खरीद के पीना पड़ता है,
बुखार हो या सर्दी जुखाम, तेल मालिश करते ही बच्चे ठीक हो जाते थे
लेकिन आज छींक आने पर भी डॉक्टर स्पेशल केस में बच्चो को डाल देते हैं और हजारों का बिल बनाते हैं
एक ऑटो रिजर्व कर के पूरा शहर घूम लेते थे, आज घर के एक एक सदस्य को मोटरसाइकिल चाहिए साइकिल से कोई चलना नही चाहता
देखो शांति समय समय की बात है, बबुआ अभी बच्चा नही चाहता क्यों की उसे आज की सच्चाई पता है
की महंगाई ज्यादा नही हुई है बल्कि हमारे खर्च ज्यादा हो गए हैं
इस लिए उसे समय दो थोड़ा सेविंग करने की
और बबुआ तुम, इस बात का ध्यान रखो कि बाप बनने से पहले अच्छा पैसा कमाओ एक बच्चा पैदा करो लेकिन परवरिश अच्छी करो उसकी
और सबसे जरूरी समय रहते बच्चा पैदा करो नही तो पता चला तुम्हारे रिटारमेंट की उम्र हो रही है, और तुम्हारा बच्चा दसवीं को परीक्षा दे रहा है
उस दिन में बाद से घर में दुबारा बच्चे को लेके चर्चा नही हुई
और पतिदेव भी समझ गए
और 2 साल बाद हमे एक बेटी हुई, है जिसको परवरशिष हम सब मिलकर करते हैं
घर के बड़े बुजुर्ग यदि समझदार हो तो घर हमेशा सही दिशा में चलता है और खुशहाली बरकरार होती है