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Tuesday, 26 August 2025

यह चमत्कार से कम नहीं है..एक बार फिर साबित हुआ...डॉक्टर भगवान जी के ही स्वरूप होते है..

 यह चमत्कार से कम नहीं है..एक बार फिर साबित हुआ...डॉक्टर भगवान जी के ही स्वरूप होते है..❤️🙏


जन्माष्टमी का दिन... लखनऊ...गोमती नगर विपुल खंड...में 3 साल का मासूम कार्तिक खेलते-खेलते ऊपर से लगभग 20 फीट नीचे लोहे की ग्र‍िल पर ग‍िर गया।


नुकीली लोहे की ग्र‍िल उसके स‍िर के आरपार हो गयी...


वेल्‍डर आया.... ग्र‍िल को काटा गया...


 पर‍िजन मासूम को लेकर प्राइवेट अस्‍पताल गये। 15 लाख रुपए का बजट बता द‍िया गया। 


आधी रात न‍िराश पर‍िजन बच्चे को लेकर लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी पहुँचे...


नन्हे सिर को चीरती हुई लोहे की छड़ किसी निर्दयी तकदीर की तरह आर-पार हो चुकी थी।


 डॉक्टरों ने जब यह देखा, तो कुछ क्षण के लिए वहाँ भी सन्नाटा छा गया।


इसी खामोशी के बीच आगे बढ़ते हैं....


 डॉ.अंकुर बजाज..


सर्जन के हाथ में स्केलपल नहीं, बल्कि साहस का संकल्प था। और उसी साहस के सहारे वह ऑपरेशन थियेटर में प्रवेश करते हैं। बच्चे की जिंदगी उनके सामने है, जैसे कोई दीपक आंधी में कांप रहा है और उन्हें उसे बुझने से बचाना है।


लेक‍िन डॉक्‍टर अंकुर के ल‍िए यह आसान नहीं था। आसान भी कैसे होता। थोड़ी देर पहले ही तो वे अपनी माँ के साथ सबसे कठिन वक्त में थे। माँ को दिल का दौरा पड़ा था। कार्डियोलॉजी में इलाज चल रहा था। 3 स्टेंट पड़े और हालत नाजुक बनी थी। एक तरफ माँ की साँसें अटकी थीं तो दूसरी तरफ कार्तिक का जीवन लोहे की छड़ में उलझा था।


लेकिन डॉक्टर बजाज ने उसे चुना, ज‍िस पेशे को धरती का सबसे सुंदर माना जाता है। आधी रात ट्रामा सेंटर पहुँचे...छः घंटे से ज्‍यादा चली यह जटिल सर्जरी...जिसका हर पल जोखिम से भरा हुआ था...हर क्षण धैर्य की परीक्षा...


और आखिरकार वह लोहे की छड़ को बच्चे के शरीर से अलग कर दिया गया। 


डॉ. अंकुर बजाज और उनकी टीम ने यह साबित कर दिया कि डॉक्टर सिर्फ शरीर नहीं जोड़ते, वे टूटते हुए रिश्तों को, डगमगाते हुए भविष्य को, और डूबते हुए भरोसे को भी बचा लेते हैं। डॉक्‍टर डॉ. बीके ओझा, डॉ. अंकुर बजाज, डॉ. सौरभ रैना, डॉ. जेसन और डॉ. बसु के अलावा एनेस्थीसिया विभाग के डॉ. कुशवाहा, डॉ. मयंक सचान और डॉ. अनीता ने असभंव को संभव कर द‍िखाया, वह भी 25 हजार के खर्चे पर। 


आज जब हम डॉक्टरों को महज फीस और समय से जोड़कर देखते हैं, तब हमें याद रखना चाहिए कि कहीं कोई डॉक्टर ऐसे ही किसी अंधेरे में रोशनी की लौ बनकर खड़ा है।


Monday, 25 August 2025

मान लो, तुम्हें ज़िंदगी ने बहुत बड़ा आघात दिया।

 मान लो, तुम्हें ज़िंदगी ने बहुत बड़ा आघात दिया।

तुम टूटे, बिखरे… पर फिर सोचा अब तुम्हें संभलना ही होगा, अपने लिए... तभी तुम्हारी ज़िंदगी में कोई आया।

उसने तुम्हारे ज़ख्मों पर मरहम रखा,तुम्हारी आँखों के आँसू पोंछे और तुम्हें यक़ीन दिलाया कि तुम फिर से मुस्कुरा सकते हो। उस पल तुम्हे लगेगा यही तो है तुम्हारी सारी पीड़ा की दवा।


लेकिन वक़्त बदला। वही इंसान, जिसने तुम्हारे घाव भरे थे,उन्हीं घावों के पास एक और गहरा निशान देकर चला गया। तुम फिर टूटे… लेकिन हार नहीं मानी।


हाँ, तुम्हारे घाव वक़्त के साथ भर गए लेकिन उनके निशान आज भी तुम्हारे साथ हैं। उन्होंने तुम्हें सिखा दिया कि तुम्हें संभलना है, पर किसी और के सहारे पर नहीं। तुम्हें अपनी मज़बूती खुद बनानी है।


तुम चाँद मत बनो जो किसी और की रोशनी में चमकता है। तुम सूरज बनो जो खुद जलकर, अपनी रोशनी से

न सिर्फ़ अपनी दुनिया, बल्कि औरों की राह भी रौशन कर देता है।



Sunday, 24 August 2025

दो शब्द प्रेमियों के लिए ध्यान से पढ़ें

दो शब्द प्रेमियों के लिए ध्यान से पढ़ें :-

 प्रेम से ज्यादा उलझन भरा सफर कुछ भी नही होता। कई बार दोनों तरफ भरपुर प्रेम होता है। ना कोई समस्या होती है ना कोई रुकावट। फिर भी सबकुछ फ्रिज सा रहता है। जानते हो क्यों? क्योंकि प्रेम की कमान हमेशा स्त्री के हाथ मे होती है। पुरुष एक हद तक कोशिश करता है फिर छोड़ देता है। अगर कड़वा अनुभव मिल जाए तो वह अपने रास्ते ही बदल लेता है। शुरुवात मे स्त्री नखरे दिखाती है। झिड़कती है। पुरुष इसी को रिजेक्शन समझ लेता है। और डर जाता है। इस तरह की कण्डिशन मे सब कुछ स्त्री के हाथ मे होता है।। अगर वह समझदार है तो सब कुछ सम्भाल लेती है। पुरुष की अकड़ तो बच्चे की तरह है। हक से सम्भालो, डांट के सम्भालो, अगर शिकायत कर रहा है तो सॉर्री बोल के सम्भालो, दुनिया का कोई भी पुरुष अपनी पसंदीदा स्त्री को अगर उस पर भरोसा हो तो दूर नही धकेल सकता। प्रेम वहीं सफल हुए है जिन्हे स्त्री ने सम्भाला। क्योंकि एक बार स्त्री ने परखने के लिए या गुस्से मे उसे झिड़क दिया। पुरुष के सारे रास्ते बन्द है। अगर कोई सड़क छाप आशिक होगा, प्रेम के नाम पर जिसकी मंशा मात्र उस स्त्री का देह है तो वो दुबारा कोशिश करेगा। वरना एक इज्जतदार पुरुष ख्वाब मे भी कोशिश नही करेगा। क्योंकि अगली कोशिश मे मिलने वाले तिरस्कार को वो सम्भाल ही नही पायेगा इसलिए अगर स्त्री चाहे तो रिश्ता रहेगा। वरना नही रहेगा। जहाँ स्त्री ने साफ तौर पर परखने को ही प्रेम कह दिया। उसके बाद पुरुष के द्वारा कोशिश करना मूर्खता है। एक सत्य ये भी है कि स्त्री के दिल मे प्रेम देर से जागता है। और तब तक शायद पुरुष दूर जा चुका होता है। वह तत्काल नहीं होता। वो धीरे धीरे एक ऐसे चौराहे पर जाकर खड़ा हो जाता है जहां से एक रास्ता एहसास का, एक रास्ता संवेदना का, एक रास्ता उम्मीद का, और एक रास्ता प्रेम का, सब धीरे धीरे पुरुष के अंदर मरते हैं, पर सब आहिस्ता-आहिस्ता। दरअसल, जो मरना आहिस्ता-आहिस्ता होता है वह ही, एक न बदल सकने वाली अवस्था होती है जो खामोश, अकेलापन बढ़ते बढ़ते एक जिंदा लाश में बदल जाती है.... 

लेखक: सुनिल राठौड़ बुरहानपुर.

Saturday, 23 August 2025

जवान होती लड़की पर सभी की नजर होती है

 जवान होती लड़की पर सभी की नजर होती है


परिवार के जितने भी रिश्तेदार हैं वह शादी के लिए पापा से अक्सर बोलते थे , बिटिया बड़ी हो रही है आप शादी देखो ...कभी दादी बोलती थी बिटिया बड़ी हो रही है अब कहीं अच्छा लड़का देखना शुरू करो, पिताजी भी हां करके फिर ध्यान नहीं देते थे।


धीरे-धीरे इंटर पास हो गए ग्रेजुएशन शुरू हो गया और हम बाहर शहर में रहने लगे थे.


घर में रिश्तेदारों की वही बातचीत चलती रहती थी बिटिया बड़ी हो गई है क्यों नहीं देख रहे हो लड़का ,देखो लड़का ..


देखते देखते समय गुजर रहा हो ... मेरे पापा और मेरे भैया दोनों जैसे सुनते तो थे पर ध्यान न देते हो ...


अभी कहीं कोई लड़का देखा नहीं जा रहा था ...


धीरे-धीरे ग्रेजुएशन फाइनल ईयर आ गया और मैं 20 साल की हो चुकी थी ।।


आगे मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ,लेकिन मैं अपना साल बेकार नहीं करना चाहती थी ,इसलिए मैंने अपना एडमिशन ऑप्टोमेट्री में ले लिया था, साथ में कंप्यूटर भी सीखने लगी थी मैं....


कुछ एक महीने बाद एक रोज मैं अपने पापा को किसी से लड़का पूछते हुए सुना कि मेरी बेटी के लिए कोई लड़का हो तो बताना...


तब मैं खुद अपने पापा से पूछा ,"अभी तक तो जाने कितने लड़के लोग आपको बता रहे थे तब तो आपने एक बार भी नहीं देखा ,पता नहीं कहां-कहां के लड़के बताए गए , कौन-कौन सी नौकरी करते हुए लड़के बताएं, कितने ऐसे लड़के बताए गए जो बहुत मजबूत परिवार से थे , आपने उन्हें तो किसी को नहीं देखा, अब उनकी सब की शादियां हो गई और अब आप खुद लड़के पूछ रहे हो समझ में नहीं आया"।


तब उस वक्त मेरे पापा ने जो जवाब दिया वह मैं आप सबके बीच रखूंगी उसे वक्त मेरे पापा ने मुझसे कहा कि तब तुम इंटर कर रही थी, तुम मजबूत नहीं थी , इंटर करने के बाद शायद तुम अपने जीवन में मुश्किल भरे दिन आने के बाद वह फैसला नहीं ले पाती जो तुम्हें आर्थिक तौर पर मजबूत करते हैं तुम्हे मुश्किल वक्त में दूसरो के सहारे ही रहना पड़ता, ग्रेजुएशन में भी मैंने तुम्हें मजबूती देने के लिए रोक रखा था कि मेरी बेटी का ग्रेजुएट हो जाएगा उसके बाद ही मैं लड़का देखूंगा और अब तुम ऑप्टोमेट्री कर रही हो अब मुझे पता है कि अगर मेरी बेटी को जीवन में कभी भी आर्थिक तौर पर मजबूत होना होगा तो मेरी बेटी स्वेच्छा से खड़ी हो जाएगी, मेरी बेटी रिश्ते में बंधेगी जरूर पर रिश्ते की घुटन बर्दाश्त करने के लिए नहीं रिश्ते को प्रेम से सिंचित करने के लिए... या कभी जीवन में ऐसा कोई पल आ गया जिस पल मेरी बच्ची अकेली पड़ गई तो वह अपने जीवन को स्वाभिमान से जी सकेंगी...


भले मां-बाप अपनी बेटी को देने वाले रूपों में लाख डेढ़ लाख कम दे..पर अपनी बेटी को ऐसा हुनर जरूर सिखा दे ऐसी काबिलियत जरूर भर दे कि वह जीवन के मुश्किल हालातो में अपने परिवार और अपने बच्चो को सिर्फ रोटियां बनाकर खिलाने की ही नही बल्कि आर्थिक मजबूती भी देने में पीछे ना हटे..


उस वक्त तो मेरी समझ में ये बात बिलकुल भी नही आई थी पर अब जरूर आ चुकी है, और ये बात तो मैं भी कहूंगी, कि बेटियो की महंगी शादी भले ही ना करो पर उनके उनके बुरे वक्त के लिए काबिलियत जरूर देना..


कभी उनकी पढ़ाई उनकी ससुराल वालो के भरोसे मत छोड़ना, खुद पढ़ाना , और फिर ही शादी करना..


नौकरी करना जरूरी नहीं.. पर इतना काबिल कर देना कि उन्हेंबुरे वक्त में हुनर का उपयोग करने के लिए उन्हें किसी के आगे हाथ ना फैलाना पड़े,


बहुत सी बेटियां आज भी ना चाहते हुए अपने भविष्य को लेकर बुराई भरे ससुराल से इसीलिए निकल नही पाती कि वो आगे क्या करेगी..


या पति के ना होने पर लाचार या मजबूर हो जाती है बेटियां और उसे अपने बच्चो के अच्छी शिक्षा दिलाना मुश्किल हो जाता है...


बेटियो को विवाह के लिए नही बल्कि बेटियो को मजबूत बनाने के लिए उचित शिक्षा और हुनर जरूर सीखना।।

हनीमून की रात जैसे ही पतिदेव के साथ समागम होने का मूड बना वैसे ही मेरी बुआ सास दरवाजे पर आके जोर से बुलाती है

हनीमून की रात जैसे ही पतिदेव के साथ समागम होने का मूड बना वैसे ही मेरी बुआ सास दरवाजे पर आके जोर से बुलाती है


बेटा बाहर आओ,


जल्दी से मैंने कपड़े पहने और मन में सोचने लगी क्या तरीका है ये

बार आते ही उन्होंने ने बोला आज तुम्हारी सुहागरात है, सब अच्छे से करने की जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर है, बबुआ अभी नादान है


मैं शरमाते हुए मन में सोची 4 महीने फोन पर बात करने पर ही समझ आगया था की आप के बबुआ कितने नादान है


मैने बोला ठीक है बुआ जी, और बुआ जी बोलती है

बस जल्दी से इगो पोता या पोती का मुंह दिखा दो

अब नेक काम में दूरी बर्दाश्त नहीं होती है


खैर मैं अपने कमरे में आई और पतिदेव के साथ शरारत भरी बातें हुई और फिर वही हुआ जो होना होता है


लेकिन अब कुछ दिन घर में मेहमान आने वाले थे, लोग बारी बारी आते और सभी औरतें एक ही आशीर्वाद देती


जल्दी से एक बच्चा देदो पहले तो मैं शर्मा जाती लेकिन धीरे धीरे सुन सुन के मुझे भी अब चिढ़ होने लगी थी।


क्यों की जो आता बस यही बोलता, मन तो करता बोल दो की अभी तो नई शादी हुई है बोले होते इतनी जल्दी है तो साथ में पहले बच्चा कर लेती फिर शादी कर के उसे ले आती


पर नई होने की वजह से कुछ बोलना मेरे संस्कार के खिलाफ था


दिन रात ये बात सुन के मैने पतिदेव से बोला की अब हमे डॉक्टर से मिल के बच्चे के बारे में सोचना चाहैए शादी को 6 महीने हो गए हैं


उन्होंने बोला पागल हो क्या शादी में खुद इतना खर्चा हुआ है कैसे सभी कुछ मैनेज होगा बच्चे की जिम्मेदारी एक बड़ी जिम्मदारी है, कोई जो बोल रहा है बोलने दो, एक कान से सुनो दूसरे से निकाल दो


मुझे गुस्सा लग गईं मैंने बोला आप खुद तो दिनभर घर से बाहर रहते हैं सुनना तो मुझे पड़ता है

घर के लोग तो बोलते हैं

साल में एक बार फोन करने वाले भी हेलो बोलने के बाद सीधा पूछते हैं


बहु को कुछ है ?अब कैसे सबको जवाब दूं


और ऐसे ही पहली बार हमारी लड़ाई हुई


फिर एक दिन मेरी सास मुझे समझाने लगी की बेटा जल्दी बच्चा पैदा करो, यदि कोई दिक्कत है तो खुल के बोलो डॉक्टर से बात करते हैं


मैने भी बोल दिया मैं तो चाहती हूं पर आप के बबुआ नही चाहते हैं


अब घर में बवाल मच गया, लेकिन किसी तरह मेरे समझदार ससुर जी ने समझाया और बात को खत्म किया


2 3 दिन तो किसी ने कुछ नही बोला लेकिन एक दिन शाम को फिर यही बात उठने लगी


और मेरे पति ने बोला की अभी मेरी कमाई इतनी नही है की एक बच्चे की जिम्मेदारी ले सकूं


मां ने तुरंत बोला क्या बच्चा के पीछे करोड़ों खर्च होंगे

जब पैदा होगा तो अपने भाग्य से लेके आएगा

तुम्हारे पापा की छोटी सी नौकरी में मैने 3 बच्चे पाले हैं


मेरे पतिदेव के पास कोई जवाब नही था तभी मेरे ससुर जी बीच में आते हैं


और बोलते हैं


मेरी कमाई कम थी लेकिन हमारा खर्चा भी कम था, इस लिए बच्चे पल गए


पहले हमारी जरूरत सीमित थी, रोटी कपड़ा और मकान ये सबसे ज्यादा जरूरी था इसके अलावा अन्य किसी चीज की जरूरत नहीं थी


लेकिन आज रोटी कपड़ा मकान और इंटरनेट जिंदा रहने के लिए जरूरी है, पहले एक फोन से पूरा घर काम होता था लेकिन आज जितने सदस्य उतना फोन है और उतना रिचार्ज है


हमारे समय में स्कूल में 2 बच्चे पढ़ने पर एक को फुल फीस थी एक ही हाफ

और तीन पढ़ने पर 2 को फुल और की पूरी तरह माफ


स्कूल का काम सिर्फ पढ़ना था ड्रेस किताब कॉपी ये सब हम कहीं से भी ले सकते थे, लेकिन आज सब कुछ 4 गुने दाम पर लेना होता है उसी स्कूल से


खाने में हमारे लिए डाल चावल सलाद रोटी पर्याप्त थी, और स्कूल में रोटी सब्जी पराठा अचार यही ले जाते थे

लेकिन अब कंपटीशन में बच्चो को कॉन्टिनेटियल खाना देना पड़ता है


पहले साल में 1 2 बार बाहर खाते थे और आज हफ्ते में 2 बार बाहर खाया जाता है


पीने का पानी शुद्ध कुवे से मिलता था लेकिन आज पानी भी खरीद के पीना पड़ता है,


बुखार हो या सर्दी जुखाम, तेल मालिश करते ही बच्चे ठीक हो जाते थे

लेकिन आज छींक आने पर भी डॉक्टर स्पेशल केस में बच्चो को डाल देते हैं और हजारों का बिल बनाते हैं


एक ऑटो रिजर्व कर के पूरा शहर घूम लेते थे, आज घर के एक एक सदस्य को मोटरसाइकिल चाहिए साइकिल से कोई चलना नही चाहता


देखो शांति समय समय की बात है, बबुआ अभी बच्चा नही चाहता क्यों की उसे आज की सच्चाई पता है

की महंगाई ज्यादा नही हुई है बल्कि हमारे खर्च ज्यादा हो गए हैं


इस लिए उसे समय दो थोड़ा सेविंग करने की


और बबुआ तुम, इस बात का ध्यान रखो कि बाप बनने से पहले अच्छा पैसा कमाओ एक बच्चा पैदा करो लेकिन परवरिश अच्छी करो उसकी

और सबसे जरूरी समय रहते बच्चा पैदा करो नही तो पता चला तुम्हारे रिटारमेंट की उम्र हो रही है, और तुम्हारा बच्चा दसवीं को परीक्षा दे रहा है


उस दिन में बाद से घर में दुबारा बच्चे को लेके चर्चा नही हुई

और पतिदेव भी समझ गए

और 2 साल बाद हमे एक बेटी हुई, है जिसको परवरशिष हम सब मिलकर करते हैं


घर के बड़े बुजुर्ग यदि समझदार हो तो घर हमेशा सही दिशा में चलता है और खुशहाली बरकरार होती है 

Friday, 22 August 2025

आप कुछ करिए या ना करिए कुंडली मिलिया ना या ना मिलिया पर आप लोग फोन पर बात जरूरकीजिए

 कॉलेज खत्म होने के बाद मेरे पिता मेरे लिए रिश्ता तो ढूंढ रहे थे लेकिन मैं अभी आगे और पढ़ना चाहती थी मैं घर पर इस बारे में बात करने की कोशिश की तो पापा ने कहा शादी की जा रही है अगर तुम आगे पढ़ना चाहती हो तो शादी के बाद भी पढ़ सकती हो लेकिन एक बार अगर उम्र निकल गई तो अच्छे लड़के नहीं मिलेंगे


अनीश का रिश्ता मेरे घर आया दिखने में काफी हैंडसम थे परिवार भी काफी संपन्न था जब मेरे पापा ने अनीश की फोटो मुझे दिखाई तो मुझे यह कोई खास नहीं लगे थे पर जब बात सामने से हुई तो अनीश के प्रति मेरा रवैया बदल गया


अनीश के घर से कई लोग आए थे और मेरे घर से सिर्फ मेरा परिवार था इस दौरान हम लोगों ने एक दूसरे को देखा और देख करके ही पसंद कर लिया हमें मौका ही नहीं मिला कि हम दोनों एक दूसरे से कुछ बात कर सके


कुछ समय बाद हिम्मत जुटा करके मैंने अपनी भाभी से यह बात रखी की शादी से पहले मैं चाहती हूं कि मैं अनीश से कुछ बातें कर लूं


जब भाभी ने इस बात को भैया के सामने रखा तो भैया ने उन्हें तुरंत बोल क्या मैंने भी कभी शादी से पहले तुमसे बात की थी जो इसे करने की जल्दी है भाभी ने उन्हें समझाया कि आज जमाना बदल चुका है तो अगर वह बात करना चाहती है तो उसमें कोई बुरी बात नहीं है हर लड़की चाहती है कि उसे अच्छा पति मिले जो उसे समझे


भैया भाभी की बात को मान जाते हैं और यह बात पापा के सामने रखते हैं पर आप सोच सकते हैं जिस घर में भाई ही नहीं तैयार है उसे घर में बाप कैसे तैयार हो सकता है


से बात भैया ने पापा को बताइ और बोला कि पापा आपका जमाना कुछ और था आज का जमाना कुछ और है


जब मेरे पापा ने यह बात अनीश के पापा के सामने रखें तो उनका रवैया बदल गया और वह गुस्से में आ गए उन्होंने बोला


क्या हम आपको गैर जिम्मेदार लगते हैं या हमारे संस्कार में आपको कुछ कमी लगती है जो आप ऐसी बातें कर रहे हैं हमारे यहां शादी से पहले लड़का लड़की बात नहीं करते


यदि आपको लगता है कि हमारी सोच खराब है तो आप यहां से रिश्ता तोड़ सकते हैं


उनकी यह बातें सुनकर मेरे पापा डर गए उन्हें डर था की शादी फिक्स हो चुकी है अगर अब टूटती है तो समाज और बिरादरी में काफी बदनामी होगी


जिसके डर की वजह से उन्होंने मुझे समझाया कि यह चीज अभी मुमकिन नहीं है


हमारी शादी होती है और सुहागरात वाले दिन हम करीब आते हैं और शादीशुदा जोड़ों की तरह हमारे बीच में भी वह सब कुछ होता है जिसकी चाहत एक लड़की को होती है


लेकिन शादी के दूसरे और तीसरे दिन है अनीश मुझे बोलते हैं कि मेरा छोटा भाई भी तुम्हारे साथ संबंध बनाना चाहता है


जिसे सुनकर मैं निशब्द रह गई और मैंने बोला आपको शर्म नहीं आती अपनी पत्नी के बारे में ऐसी बातें करते हुए


इस पर अनीश ने मुझे बोला तो इसमें गलत क्या है मैं भी अपनी भाभी के साथ संबंध बनाए हैं आखिर हम सब एक ही परिवार के हिस्सा है


यह सुनने के बाद मेरे पांव के नीचे से जमीन खिसक गई और मैं सच में पड़ गई कि आखिर मेरी शादी कैसे घर में हो गई है


शादी के 10 दिन बाद मेरे ससुर मुझे गलत तरीके से छूते हैं यह मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं था जब मैं अनीश के सामने इस बात को रखा तो अनीश ने बोला पापा का भी हक है तुम्हारे ऊपर


जिसे सुनने के बाद मैं अंदर से हिल गई


मैंने अनिल से बोला यह क्या तरीका है आपके घर में एक लड़की का इज्जत मान और सम्मान आप लोगों के लिए कुछ भी मायने नहीं रखती आप क्या चाहते हैं

मैं आपके साथ भी आपके भाई के साथ भी और आपके पापा के साथ भी ये सब करूं


स्तब्ध होकर कि मैं अपनी सास के पास जाती हूं और अपनी जेठानी के पासbजाती हूं जब मैं उनसे यह बात बोली तो उन्होंने बोला जैसा तुम्हारा पति का रहा है वैसाकरो


इसके बाद मुझे भाभी ने बताया कि यह परिवार पारिवारिक संबंध में भरोसा करता है जिसमें कोई भी किसी के साथ भी संबंध बन सकता है


इसे सुनने के बाद में अंदर से सहम गई थी कि किसी परिवार में ऐसा कैसे हो सकता है जब मैं अनीश से इस बारे में बात की कि आप लोगों ने पहले मुझे क्यों नहीं बताया तो उसे पर उन्होंनेकहा


यह भी कोई बताने की चीज है हर घर के अपने कुछ रीति रिवाज होते हैं और हमारे घर के रीति रिवाज यही है


और हमें यह बताने के लिए मौका ही नहीं मिला अगर शादी होने से पहले तुम मुझसे पहले बात की होती तो शायद मैं तुम्हें इस बारे में बता सकता था पर हमारे तुम्हारे बीच कोई बात ही नहीं हुई थी


इस पर मैंने बोला कि मेरे पिता ने आपके सामने पेशकश रखी थी पर आपके पिताजी ने मना कर दिया था


अनीश ने बोला कारण कुछ भी हो मानना तुम्हें पड़ेगा क्योंकि अब तुम इस घर की बहू और हमारी परंपरा को निभाना पड़ेगा


इसे सुनने के बाद मैंने अपने पिता को फोन किया और उनसे बोला कि मुझे इस घर में नहीं रहना है मेरे पापा बोलते हैं शादी हुई अभी एक महीना भी नहीं हुआ और तुम ऐसी बातें कर रही हो एडजेस्ट होने में थोड़ा समय लगता है


मैंने उन्हें बताया कि अगर एक पल में और यहां रुकती हूं तो फिर मुझे मेरी जान देनी पड़ेगी इस पर मेरे पापा का घबराते हैं और मेरे भाई से मेरी बात करवाते हैं


मुझे पता था अगर मैं अपने भाई अपने पिता के सामने कोई भी बात रखूंगी तो मेरा यकीन कोई नहीं करेगा इसलिए मैंने अपने पिता और अपने भाई को बोला कि आप सीधे मेरे घर आइए नहीं तो इन लोगों को मेरे ऊपरशक होगा


इसके बाद मेरी भाभी ने कमान संभाली और मेरे ससुराल में फोन करके मुझे बोला कि आप 2 से 3 घंटा के लिए मुझे को घर भेज दीजिए क्योंकि मेरी सास की तबीयत सही नहीं है और वह उसे काफी याद कर रही है


पहले तो घर वालों ने मना कर दिया लेकिन दो-तीन बार बात करने के बाद वह तैयार हो गए पर इस शर्त पर कि उनके साथ अनीश भी जाएंगे


मेरी भाभी ने बोला कोई दिक्कत नहीं है आप सब भी आ जाइए और तबियत देख सकते हैं जिसे सुनने के बाद उन लोगों को शायद यह यकीन हो गया कि मेरी मां की तबीयत सच में खराब है और उन्होंने बोला कि ठीक है आप अपने पति को भेज दीजिए यानी कि मेरे बड़े भाई को भेज दीजिए ताकि मैं अपने घर जा सकूं


मेरे भाई आते हैं मुझे ले जाने के लिए और मैं उनके साथ तैयार होकर जाने लगती हूं उसी के साथ मेरी सास और मेरे ससुर मुझे सख्त हिदायत देते हैं कि चाहे जो भी हो तुम्हें दो से तीन घंटे में यहां आना है और हमारे घर की कोई भी बात तुम्हें किसी से शेयर नहीं करनीहै


उनके मुंह पर मैंने बोला हां ठीक है मैं ऐसा ही करूंगी लेकिन जब मैं घर जाती हूं तो अपने पापा को बोलता हूं कि वह घर हमारे लायक नहीं है


उसे घर में इतनी घिनौनी हरकत होती थी कि उसे समय मुझे अपने पिता के सामने उन चीजों को बताने में भी शर्म आ रही थी


मैं किसी को कुछ बताया नहीं और सिर्फ रोती रही क्योंकि मेरी जिंदगी खराब हो चुकी थी हिम्मत जुटा करके मैंने अपनी भाभी को सारी बात बताई


कि वह घर ऐसा घर है जहां पर मेरे पति मुझे ससुर से और देवर से संबंध बनाने को बोलते हैं उनका कहना है कि यह उनके घर की परंपरा है और वह लोग पारिवारिक संबंध स्थापित करने में यकीन रखतेहैं


जिसे सुनने के बाद मेरी भाभी भी मेरी तरह ही दुखी हो गई और उन्होंने यह सारी बात अपने भाई को बताई


यह ऐसी व्यवस्था थी किसके बारे में कोई भी सुनता तो उसे कभी यकीन नहीं होता था मजबूरन मेरे भाई को भी कोई यकीन नहीं हुआ उन्होंने बोला ऐसी कोई प्रथम होती ही नहींहै


फिर मेरी भाभी ने बताया कि सच में ऐसी होते हैं और बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन चीजों को फॉलो भी करते हैं


शाम को जब मेरे ससुर का फोन आता है तो मैं उन्हें साफ मना कर देता हूं कि ऐसे घर में जहां पर एक ही औरतों के साथ अलग-अलग मर्द संबंध बनाते हो मुझे ऐसे घर में नहीं रहनाहै


इस पर वह मुझे पुलिस की धमकी देते हैं और मेरे भाई मेरा फोन लेकर के उल्टा उन्हें धमकी देते हैं


आज जिस चीज को होगी 4 साल का समय बीत चुका है मेरी जिंदगी खराब होने के पीछे सिर्फ और सिर्फ एक कारण था और वह था शादी से पहले बात न करने देना


शादी कैसी स्थिति होती है जिसमें आप किसी अनजान शख्स के साथ अपनी पूरी जिंदगी बिताते हैं और अब यह पुराने जमाने जैसी बात नहीं रही इसलिए यह बहुत ज्यादा जरूरी है कि आपकी शादी जिससे भी फिक्स हो रही है शादी को फिक्स करने से पहले कम से कम एक महीने तक आप लोग बातकीजिए


लड़कों के केस का तो मुझे नहीं पता पर एक लड़की के लिए यह काफी ज्यादा जरूरी होता है क्योंकि वह अपने घर को छोड़कर के किसी नए घर में जा रहीहोती है


लेकिन यही लड़की अगर फोन पर बात करने की बात कर दे तो लोग उसे कैरक्टरलेस समझते हैं


मेरी भाभी ने मेरी जिंदगी बचाई जहां पर मेरी कोई भी गलती नहीं थी पर आज भी मेरे ऊपर तलाकशुदा का ठप्पा लगा हुआ है जिसमें मेरी कोई गलती नहीं है


गलती है तो इस समाज की जिसने ऐसी प्रथा बनाई की शादी से पहले फोन पर बात करना भी बहुत सारे लोगों के लिए काफी बड़ी बात हो जाती है


आज के समय में चाहे लड़की हो या लड़का मैं सबसे यही गुजारिश करती हूं आप अगर शादी के लिए लड़की देख रहे हैं या लड़का देख रहे हैं आप कुछ करिए या ना करिए कुंडली मिलिया ना या ना मिलिया पर आप लोग फोन पर बात जरूरकीजिए


और दोनों लोग इस तरीके से बात कीजिए जिसमें कोई भी चीज छिपी ना हो अगर सामने वाला इंसान आपको आपकी स्थिति के अनुसार ही अपनाने को तैयार है तो इससे अच्छा और सुखद अनुभव आपके लिए कुछ भी नहीं हो सकता

Monday, 4 August 2025

संभोग 19 साल की लड़की 31 साल का लड़का

 संभोग 19 साल की लड़की 31 साल का लड़का

शब्द सुनकर कई लोगों की आँखें चमक उठेंगी... पर मुझे आज भी याद है वो पहली रात, जब मेरी ज़िंदगी हमेशा के लिए बदल गई थी।


मैं कविता, 19 साल की एक साधारण लड़की हूँ। मेरे लिए ये सब बातें किताबों में पढ़ी थीं या दोस्तों की गपशप में सुनी थीं। लेकिन मेरी शादी अश्विन से हुई — 31 साल के एक सफल बिजनेसमैन से। उम्र का ये फासला मेरे लिए शुरू में अजीब था, जैसे कोई दो अलग-अलग दुनियाएं एक छत के नीचे आ गई हों।


भाग 1: पहली रात की ख़ामोशी


शादी की पहली रात मेरी धड़कनें तेज़ थीं। डर, शंका, संकोच… सब एक साथ मन में उमड़ रहे थे। लेकिन अश्विन ने कुछ नहीं कहा। उसने न मुझे छूने की कोशिश की, न कोई सवाल किया। बस मेरे हाथ को थामकर एक वाक्य बोला —


"तुम्हें जितना समय चाहिए, मैं दूंगा।"


उसकी ये बात मेरे दिल को छू गई… पर कहीं ना कहीं ये सन्नाटा किसी तूफान का पूर्व संकेत लग रहा था।


भाग 2: दो ज़िंदगियाँ, दो रफ्तारें


अश्विन की जिंदगी एक मशीन जैसी थी। सुबह 5 बजे उठना, 6 बजे मीटिंग्स, 9 बजे ऑफिस, 10 बजे डील, 8 बजे डिनर… और मैं? मैं तो अभी तक कॉलेज की दोस्तियों से बाहर नहीं निकली थी। मुझे तो बस देर तक सोना, मस्ती करना, गाने सुनना अच्छा लगता था।


हम दोनों के बीच जैसे एक अदृश्य दीवार खड़ी हो गई थी।


भाग 3: पहली दरार


एक दिन मैंने गुस्से में कह दिया — "आपको बस काम से प्यार है! मेरे लिए तो आप के पास कभी समय ही नहीं होता!"


अश्विन ने कुछ नहीं कहा, सिर्फ मुस्कुरा कर बोला, "प्यार का मतलब सिर्फ बातें करना नहीं होता, कविता।"


पर मैं जानती थी, कुछ तो है जो वो छुपा रहा है।


भाग 4: बदलते रिश्ते… और एक राज़


धीरे-धीरे अश्विन वीकेंड पर समय निकालने लगा। लॉन्ग ड्राइव, कॉफी डेट्स, पिज़्ज़ा पार्टी… जैसे सबकुछ अचानक बदल रहा था। लेकिन मेरा मन कह रहा था, कुछ तो है… कोई खालीपन जो छुपाया जा रहा है।


एक रात मैंने उसकी डायरियों में झाँका… वहाँ एक लाइन पढ़ी —


"शायद कविता को कभी बताना ही नहीं चाहिए… कि मेरी पिछली ज़िंदगी में कोई और भी थी।"


मेरा दिल कांप उठा…


भाग 5: पुरानी परछाइयाँ और नई रोशनी


मैंने सामना किया। अश्विन सन्न रह गया, लेकिन उसने मेरी आँखों में देखकर कहा —


"वो अतीत था कविता… और तुम मेरा भविष्य हो। मैंने उससे कुछ नहीं छुपाया, सिर्फ तुम्हें दुख से बचाना चाहता था।"


उस दिन मैंने सीखा — हर रिश्ते की परछाई में कभी न कभी कोई पुरानी कहानी होती है। लेकिन आगे बढ़ना ही सच होता है।


भाग 6: तालमेल की जीत


आज मैं और अश्विन एक-दूसरे की ज़िंदगी का हिस्सा ही नहीं, सुकून भी हैं। मैं उसके काम में हाथ बँटाती हूँ, वो मेरी मस्ती में साथ देता है।


हमने एक-दूसरे को बदला नहीं… समझा है।


अंतिम पंक्तियाँ


🕯️ कभी-कभी प्यार की असली परीक्षा उम्र, अतीत या आदतें नहीं होती…

बल्कि ये होती है — कितनी बार हम बिना टूटे, एक-दूसरे के सच को स्वीकार कर पाते हैं।


❣️ अगर ये कहानी आपके दिल तक पहुँची हो, तो इसे ❤️ 

 हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे.. लेकिन कभी पीली साड़ी में तुम्हे देखकर थम जाए मेरी नज़र... तो समझ जाना तुम... जब तुम रसोई में अके...