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Tuesday, 26 November 2024

EVM मशीन के बारे में:

 ईवीएम मशीन के बारे में:

वर्तमान देश में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) को लेकर तरह-तरह के विवाद और भ्रम की स्थिति है। मैं, जो 12 से 15 बार चुनाव (त्रिकोणीय चुनाव, लोकसभा.विधानसभा etc) पार्टी अभिकर्ता के रूप में कार्य कर चुकी है, आपके साथ ईवीएम प्रक्रिया का पूरा विवरण साझा कर रही हूं ताकि आप समझ सकें कि किस प्रकार की हेराफेरी संभव नहीं है.

ईवीएम का कार्य एवं सुरक्षा प्रक्रिया:

1. मोक पोल:

मतदान प्रारंभ होने से पहले, सभी राजनीतिक विचारधारा के आचार्यों की उपस्थिति में मॉक पोल किया जाता है।

50 वोट यह जांच करता है कि हर वोट सही उम्मीदवार को मिल रहा है।

सही तरीके से आने वाली मशीन का डेटा डिलीट कर दिया जाता है और मशीन को सील कर दिया जाता है।

2. मतदान प्रक्रिया:

सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान होता है।

इस दौरान सभी सैक्स पार्टी निर्माताओं की उपस्थिति हुई।


जोनल अधिकारी एवं अन्य अधिकारी नियमित रूप से निरीक्षण करते हैं।

3. मतदान के बाद:

मतदान समाप्त होने पर मशीन में दर्ज वोट और रजिस्टर के आंकड़ों का मिलान किया जाता है।

मशीन को बैटरी फैक्ट्री, सील करके सुरक्षित तहसील या स्टोर रूम में भेज दिया जाता है।

4. भाषाई प्रक्रिया:

गिनती के दिन सभी पार्टी कंपनियों के सामने मशीन की सील हटा दी जाती है।


बैटरी स्थापित कुंजीपटल और नतीजे जारी किए जाते हैं।


ईवीएम में हेराफेरी क्यों असंभावित है?


1. इंटरनेट इंटरनेट नहीं:


मशीन इंटरनेट से जुड़ा नहीं है, इसलिए यह असंभव है।

2. मछुआरों का कोई रास्ता नहीं:


बैटरी निकालने और सीलिंग की प्रक्रिया के कारण बालों का झड़ना संभव नहीं है।

3. वीवीपैट:


सुप्रीम कोर्ट के निर्देश 2015 में ईवीएम में वीवीपैट जोड़ा गया, जिससे मतदाता को यह सुनिश्चित हो गया कि उसका वोट सही जगह पर है।

ईवीएम का खुलासा:


भारतीय ईवीएम हिंदुस्तान लिवर लिमिटेड (एचएलएल) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीएचईएल) द्वारा बनाई गई हैं।


14 अन्य देशों में भी शामिल है।


सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में स्पष्ट कर दिया था कि ईवीएम विश्वसनीय हैं और इनमें हेराफेरी की संभावना नहीं है।



बैलेट पेपर बनाम ईवीएम:


बैलट पेपर में गड़बड़ी के कई उदाहरण हैं, जैसे बैलट बॉक्स को बदल देना।


ईवीएम का उपयोग मजबूती, मजबूती और सुरक्षित प्रक्रिया सुनिश्चित करता है।


निष्कर्ष:


ईवीएम में हेराफेरी असंभावित है। इसे लेकर वह जो फैलाया जा रहा है, वह केवल राजनीतिक षडयंत्र है। हमें विज्ञान के युग में छोड़कर तकनीक का उ

पयोग करना चाहिए, न कि पुराने और महंगे बैलट पेपर पर लौटना चाहिए।


🙏🏻धन्यवाद!


Tuesday, 19 November 2024

लाचार माता के शब्द है

 इससे अच्छी पोस्ट मैंने अपनी ज़िंदगी में आज तक नही पढ़ी, आप भी जरूर पढियेगा, 😭

"बेटा! थोड़ा खाना खाकर जा ..!! दो दिन से तुने कुछ खाया नहीं है।" लाचार माता के शब्द है अपने बेटे को समझाने के लिये।

"देख मम्मी! मैंने मेरी बारहवीं बोर्ड की परीक्षा के बाद वेकेशन में सेकेंड हैंड बाइक मांगी थी, और पापा ने प्रोमिस किया था। आज मेरे आखरी पेपर के बाद दीदी को कह देना कि जैसे ही मैं परीक्षा खंड से बाहर आऊंगा तब पैसा लेकर बाहर खडी रहे। मेरे दोस्त की पुरानी बाइक आज ही मुझे लेनी है। और हाँ, यदि दीदी वहाँ पैसे लेकर नहीं आयी तो मैं घर वापस नहीं आऊंगा।"

एक गरीब घर में बेटे मोहन की जिद्द और माता की लाचारी आमने सामने टकरा रही थी।

"बेटा! तेरे पापा तुझे बाइक लेकर देने ही वाले थे, लेकिन पिछले महीने हुए एक्सिडेंट ..


मम्मी कुछ बोले उसके पहले मोहन बोला "मैं कुछ नहीं जानता .. मुझे तो बाइक चाहिये ही चाहिये ..!!"


ऐसा बोलकर मोहन अपनी मम्मी को गरीबी एवं लाचारी की मझधार में छोड़ कर घर से बाहर निकल गया।


12वीं बोर्ड की परीक्षा के बाद भागवत 'सर' एक अनोखी परीक्षा का आयोजन करते थे।

हालांकि भागवत सर का विषय गणित था, किन्तु विद्यार्थियों को जीवन का भी गणित भी समझाते थे और उनके सभी विद्यार्थी विविधता से भरे ये परीक्षा अवश्य देने जाते थे। 


इस साल परीक्षा का विषय था *मेरी पारिवारिक भूमिका*


मोहन परीक्षा खंड में आकर बैठ गया।

उसने मन में गांठ बांध ली थी कि यदि मुझे बाइक लेकर नहीं देंगे तो मैं घर नहीं जाऊंगा।


भागवत सर के क्लास में सभी को पेपर वितरित हो गया। पेपर में 10 प्रश्न थे। उत्तर देने के लिये एक घंटे का समय दिया गया था।


मोहन ने पहला प्रश्न पढा और जवाब लिखने की शुरुआत की।


*प्रश्न नंबर १ :- आपके घर में आपके पिताजी, माताजी, बहन, भाई और आप कितने घंटे काम करते हो? सविस्तर बताइये?*


मोहन ने जल्द से जवाब लिखना शुरू कर दिया।


जवाबः

पापा सुबह छह बजे टिफिन के साथ अपनी ओटोरिक्शा लेकर निकल जाते हैं। और रात को नौ बजे वापस आते हैं। कभी कभार वर्दी में जाना पड़ता है। ऐसे में लगभग पंद्रह घंटे।


मम्मी सुबह चार बजे उठकर पापा का टिफिन तैयार कर, बाद में घर का सारा काम करती हैं। दोपहर को सिलाई का काम करती है। और सभी लोगों के सो 

जाने के बाद वह सोती हैं। लगभग रोज के सोलह घंटे।


दीदी सुबह कालेज जाती हैं, शाम को 4 से 8 पार्ट टाइम जोब करती हैं। और रात्रि को मम्मी को काम में मदद करती हैं। लगभग बारह से तेरह घंटे।


मैं, सुबह छह बजे उठता हूँ, और दोपहर स्कूल से आकर खाना खाकर सो जाता हूँ। शाम को अपने दोस्तों के साथ टहलता हूँ। रात्रि को ग्यारह बजे तक पढता हूँ। लगभग दस घंटे।


(इससे मोहन को मन ही मन लगा, कि उनका कामकाज में औसत सबसे कम है।)


पहले सवाल के जवाब के बाद मोहन ने दूसरा प्रश्न पढा ..


*प्रश्न नंबर २ :- आपके घर की मासिक कुल आमदनी कितनी है?*


जवाबः

पापा की आमदनी लगभग दस हजार हैं। मम्मी एवं दीदी मिलकर पांंच हजार

जोडते हैं। कुल आमदनी पंद्रह हजार।


*प्रश्न नंबर ३ :- मोबाइल रिचार्ज प्लान, आपकी मनपसंद टीवी पर आ रही तीन सीरियल के नाम, शहर के एक सिनेमा होल का पता और अभी वहां चल रही मूवी का नाम बताइये?*


सभी प्रश्नों के जवाब आसान होने से फटाफट दो मिनट में लिख दिये ..


*प्रश्न नंबर ४ :- एक किलो आलू और भिन्डी के अभी हाल की कीमत क्या है? एक किलो गेहूं, चावल और तेल की कीमत बताइये? और जहाँ पर घर का गेहूं पिसाने जाते हो उस आटा चक्की का पता दीजिये।*


मोहनभाई को इस सवाल का जवाब नहीं आया। उसे समझ में आया कि हमारी दैनिक आवश्यक जरुरतों की चीजों के बारे में तो उसे लेशमात्र भी ज्ञान नहीं है। मम्मी जब भी कोई काम बताती थी तो मना कर देता था। आज उसे ज्ञान हुआ कि अनावश्यक चीजें मोबाइल रिचार्ज, मुवी का ज्ञान इतना उपयोगी नहीं है। अपने घर के काम की

जवाबदेही लेने से या तो हाथ बटोर कर साथ देने से हम कतराते रहे हैं।


*प्रश्न नंबर ५ :- आप अपने घर में भोजन को लेकर कभी तकरार या गुस्सा करते हो?*


जवाबः हां, मुझे आलू के सिवा कोई भी सब्जी पसंद नहीं है। यदि मम्मी और कोई सब्जी बनायें तो, मेरे घर में झगड़ा होता है। कभी मैं बगैर खाना खायें उठ खडा हो जाता हूँ। 

(इतना लिखते ही मोहन को याद आया कि आलू की सब्जी से मम्मी को गैस की तकलीफ होती हैं। पेट में दर्द होता है, अपनी सब्जी में एक बडी चम्मच वो अजवाइन डालकर खाती हैं। एक दिन मैंने गलती से मम्मी की सब्जी खा ली, और फिर मैंने थूक दिया था। और फिर पूछा कि मम्मी तुम ऐसा क्यों खाती हो? तब दीदी ने बताया था कि हमारे घर की स्थिति ऐसी अच्छी नहीं है कि हम दो सब्जी बनाकर खायें। तुम्हारी जिद के कारण मम्मी बेचारी क्या करें?)

मोहन ने अपनी यादों से बाहर आकर

अगले प्रश्न को पढा


*प्रश्न नंबर ६ :- आपने अपने घर में की हुई आखरी जिद के बारे में लिखिये ..*


मोहन ने जवाब लिखना शुरू किया। मेरी बोर्ड की परीक्षा पूर्ण होने के बाद दूसरे ही दिन बाइक के लिये जिद्द की थी। पापा ने कोई जवाब नहीं दिया था, मम्मी ने समझाया कि घर में पैसे नहीं है। लेकिन मैं नहीं माना! मैंने दो दिन से घर में खाना खाना भी छोड़ दिया है। जबतक बाइक नहीं लेकर दोगे मैं खाना नहीं खाऊंगा। और आज तो मैं वापस घर नहीं जाऊंगा कहके निकला

हूँ।

अपनी जिद का प्रामाणिकता से मोहन ने जवाब लिखा।


*प्रश्न नंबर ७ :- आपको अपने घर से मिल रही पोकेट मनी का आप क्या करते हो? आपके भाई-बहन कैसे खर्च करते हैं?*


जवाब: हर महीने पापा मुझे सौ रुपये देते हैं। उसमें से मैं, मनपसंद पर्फ्यूम, गोगल्स लेता हूं, या अपने दोस्तों की छोटीमोटी पार्टियों में खर्च करता हूँ।


मेरी दीदी को भी पापा सौ रुपये देते हैं। वो खुद कमाती हैं और पगार के पैसे से मम्मी को आर्थिक मदद करती हैं। हां, उसको दिये गये पोकेटमनी को वो गल्ले में डालकर बचत करती हैं। उसे कोई मौजशौख नहीं है, क्योंकि वो कंजूस भी हैं।


*प्रश्न नंबर ८ :- आप अपनी खुद की पारिवारिक भूमिका को समझते हो?*

 

प्रश्न अटपटा और जटिल होने के बाद भी मोहन ने जवाब लिखा।

परिवार के साथ जुड़े रहना, एकदूसरे के प्रति समझदारी से व्यवहार करना एवं मददरूप होना चाहिये और ऐसे अपनी जवाबदेही निभानी चाहिये। 

 

यह लिखते लिखते ही अंतरात्मासे आवाज आयी कि अरे मोहन! तुम खुद अपनी पारिवारिक भूमिका को योग्य रूप से निभा रहे हो? और अंतरात्मा से जवाब आया कि ना बिल्कुल नहीं ..!!


*प्रश्न नंबर ९ :- आपके परिणाम से आपके माता-पिता खुश हैं? क्या वह अच्छे परिणाम के लिये आपसे जिद करते हैं? आपको डांटते रहते हैं?*


(इस प्रश्न का जवाब लिखने से पहले हुए मोहन की आंखें भर आयी। अब वह परिवार के प्रति अपनी भूमिका बराबर समझ चुका था।)

लिखने की शुरुआत की ..


वैसे तो मैं कभी भी मेरे माता-पिता को आजतक संतोषजनक परिणाम नहीं दे पाया हूँ। लेकिन इसके लिये उन्होंने कभी भी जिद नहीं की है। मैंने बहुत बार अच्छे रिजल्ट के प्रोमिस तोडे हैं।

 फिर भी हल्की सी डांट के बाद वही प्रेम और वात्सल्य बना रहता था।


*प्रश्न नंबर १० :- पारिवारिक जीवन में असरकारक भूमिका निभाने के लिये इस वेकेशन में आप कैसे परिवार को मददरूप होंगें?*


जवाब में मोहन की कलम चले इससे पहले उसकी आंखों से आंसू बहने लगे, और जवाब लिखने से पहले ही कलम रुक गई .. बेंच के निचे मुंह रखकर रोने लगा। फिर से कलम उठायी तब भी वो कुछ भी न लिख पाया। अनुत्तर दसवां प्रश्न छोड़कर पेपर सबमिट कर दिया।


स्कूल के दरवाजे पर दीदी को देखकर उसकी ओर दौड़ पडा।


"भैया! ये ले आठ हजार रुपये, मम्मी ने कहा है कि बाइक लेकर ही घर आना।"

दीदी ने मोहन के सामने पैसे धर दिये।


"कहाँ से लायी ये पैसे?" मोहन ने पूछा।


दीदी ने बताया

"मैंने मेरी ओफिस से एक महीने की सेलेरी एडवांस मांग ली। मम्मी भी जहां काम करती हैं वहीं से उधार ले लिया, और मेरी पोकेटमनी की बचत से निकाल लिये। ऐसा करके तुम्हारी बाइक के पैसे की व्यवस्था हो गई हैं।


मोहन की दृष्टि पैसे पर स्थिर हो गई।


दीदी फिर बोली " भाई, तुम मम्मी को बोलकर निकले थे कि पैसे नहीं दोगी तो, मैं घर पर नहीं आऊंगा! अब तुम्हें समझना चाहिये कि तुम्हारी भी घर के प्रति जिम्मेदारी है। मुझे भी बहुत से शौक हैं, लेकिन अपने शौक से अपने परिवार को मैं सबसे ज्यादा महत्व देती हूं। तुम हमारे परिवार के सबसे लाडले हो, पापा को पैर की तकलीफ हैं फिर भी तेरी बाइक के लिये पैसे कमाने और तुम्हें दिये प्रोमिस को पूरा करने अपने फ्रेक्चर वाले पैर होने के बावजूद काम किये जा रहे हैं। तेरी बाइक के लिये। यदि तुम समझ सको तो अच्छा है, कल रात को अपने प्रोमिस को पूरा नहीं कर सकने के कारण बहुत दुःखी थे। और इसके पीछे उनकी मजबूरी है।

बाकी तुमने तो अनेकों बार अपने प्रोमिस तोडे ही है न?  

मेरे हाथ में पैसे थमाकर दीदी घर की ओर चल निकली।


उसी समय उनका दोस्त वहां अपनी बाइक लेकर आ गया, अच्छे से चमका कर ले आया था।

"ले .. मोहन आज से ये बाइक तुम्हारी, सब बारह हजार में मांग रहे हैं, मगर ये तुम्हारे लिये आठ हजार ।"


मोहन बाइक की ओर टगर टगर देख रहा था। और थोड़ी देर के बाद बोला

"दोस्त तुम अपनी बाइक उस बारह हजार वाले को ही दे देना! मेरे पास पैसे की व्यवस्था नहीं हो पायी हैं और होने की हाल संभावना भी नहीं है।"


और वो सीधा भागवत सर की केबिन में जा पहूंचा।


"अरे मोहन! कैसा लिखा है पेपर में?

भागवत सर ने मोहन की ओर देख कर पूछा।


"सर ..!!, यह कोई पेपर नहीं था, ये तो मेरे जीवन के लिये दिशानिर्देश था। मैंने एक प्रश्न का जवाब छोड़ दिया है। किन्तु ये जवाब लिखकर नहीं अपने जीवन की जवाबदेही निभाकर दूंगा और भागवत सर को चरणस्पर्श कर अपने घर की ओर निकल पडा।


घर पहुंचते ही, मम्मी पापा दीदी सब उसकी राह देखकर खडे थे।

"बेटा! बाइक कहाँ हैं?" मम्मी ने पूछा। मोहन ने दीदी के हाथों में पैसे थमा दिये और कहा कि सोरी! मुझे बाइक नहीं चाहिये। और पापा मुझे ओटो की चाभी दो, आज से मैं पूरे वेकेशन तक ओटो चलाऊंगा और आप थोड़े दिन आराम करेंगे, और मम्मी आज मैं मेरी पहली कमाई शुरू होगी। इसलिये तुम अपनी पसंद की मैथी की भाजी और बैगन ले आना, रात को हम सब साथ मिलकर के खाना खायेंगे।

 

मोहन के स्वभाव में आये परिवर्तन को देखकर मम्मी ने उसको गले लगा लिया और कहा कि "बेटा! सुबह जो कहकर तुम गये थे वो बात मैंने तुम्हारे पापा को बतायी थी, और इसलिये वो दुःखी हो गये, काम छोड़ कर वापस घर आ गये। भले ही मुझे पेट में दर्द होता हो लेकिन आज तो मैं तेरी पसंद की ही सब्जी बनाऊंगी।" मोहन ने कहा 

"नहीं मम्मी! अब मै समझ गया हूँ कि मेरे घरपरिवार में मेरी भूमिका क्या है? मैं रात को बैंगन मैथी की सब्जी ही खाऊंगा, परीक्षा में मैंने आखरी जवाब नहीं लिखा हैं, वह प्रेक्टिकल करके ही दिखाना है। और हाँ मम्मी हम गेहूं को पिसाने कहां जाते हैं, उस आटा चक्की का नाम और पता भी मुझे दे दो"और उसी समय भागवत सर ने घर में प्रवेश किया। और बोले "वाह! मोहन जो जवाब तुमनें लिखकर नहीं दिये वे प्रेक्टिकल जीवन जीकर कर दोगे 


"सर! आप और यहाँ?" मोहन भागवत सर को देख कर आश्चर्य चकित हो गया।


"मुझे मिलकर तुम चले गये, उसके बाद मैंने तुम्हारा पेपर पढा इसलिये तुम्हारे घर की ओर निकल पडा। मैं बहुत देर से तुम्हारे अंदर आये परिवर्तन को सुन रहा था। मेरी अनोखी परीक्षा सफल रही 

और इस परीक्षा में तुमने पहला नंबर पाया है।" 

ऐसा बोलकर भागवत सर ने मोहन के सर पर हाथ रखा

मोहन ने तुरंत ही भागवत सर के पैर छुएँ और ऑटो रिक्शा चलाने के लिये निकल पडा....

       मेरा सभी सम्माननीय अभिभावकों से आग्रह है कि आप इस पोस्ट को आप भी जरूर पढ़िए गा और अपने बच्चों को भी पढ़ने का अवसर दें इससे अच्छी पोस्ट मैंने अपनी जिंदगी में आज तक नहीं पड़ी प्रैक्टिकल जीवन में तो मैंने अनुभव किया है अरविन्द वर्मा जी लेकिन सभी लोगों को किस प्रकार से अनुभव कराया जाए इसके लिए मेरा आपसे आग्रह है कि आप स्वयं और अपने बच्चों को इस पोस्ट को जरूर करने का अवसर प्रदान करें l

Monday, 18 November 2024

रचनाकार की कृति ।शब्द *रचे* जाते हैं,


शब्द *रचे* जाते हैं,

 शब्द *गढ़े* जाते हैं,

  शब्द *मढ़े* जाते हैं,

   शब्द *लिखे* जाते हैं,

    शब्द *पढ़े* जाते हैं,

     शब्द *बोले* जाते हैं,

      शब्द *तौले* जाते हैं,

       शब्द *टटोले* जाते हैं,

        शब्द *खंगाले* जाते हैं,

               ... इस प्रकार

शब्द *बनते* हैं,

 शब्द *संवरते* हैं,

  शब्द *सुधरते* हैं,

   शब्द *निखरते* हैं,

    शब्द *हंसाते* हैं,

     शब्द *मनाते* हैं,

      शब्द *रूलाते* हैं,

       शब्द *मुस्कुराते* हैं,

        शब्द *खिलखिलाते* हैं,

         शब्द *गुदगुदाते* हैं, 

          शब्द *मुखर* हो जाते हैं

           शब्द *प्रखर* हो जाते हैं

            शब्द *मधुर* हो जाते हैं

               ... इतना होने के बाद भी

शब्द *चुभते* हैं,

 शब्द *बिकते* हैं,

  शब्द *रूठते* हैं,

   शब्द *घाव देते* हैं,

    शब्द *ताव देते* हैं,

     शब्द *लड़ते* हैं,

      शब्द *झगड़ते* हैं,

       शब्द *बिगड़ते* हैं,

        शब्द *बिखरते* हैं

         शब्द *सिहरते* हैं

               ... परन्तु

शब्द कभी *मरते नहीं*

 शब्द कभी *थकते नहीं*

  शब्द कभी *रुकते नही

Tuesday, 12 November 2024

जिस्म से जिस्म की गर्माहट का तो पता नहीं..

 तेरे छूने मात्र से मैं महक उठती हूं...

 बाहों में लेने से तेरी मैं बहक उठती हूं...

 जिस्म से जिस्म की गर्माहट का तो पता नहीं...

 मगर तेरे आलिंगन से ही मैं लहक उठती हूं...

 अधरो का कंपन फिर रुकता नहीं...

 और फिर मैं धीरे-धीरे खुद को तुझे सौंपने लगती हूं...

 क्या होगा अंजाम ये ख्याल भी मुझे फिर सताता नहीं...

 उस वक्त तेरे सिवा मुझे कुछ और भाता नहीं....

 प्रेम में मिलन बड़ा ही सुखद होता है....

 शब्दों में बयां ना हो पाए जो, ये वैसा होता है...

 ना समझ पाएगा कोई इस एहसास को...

 प्रेम से ऊपर भी क्या कुछ और होता है....

 ✍️

सेक्स ही तो करना है बाबू चाहे अभी करें या बाद में करें, शादी तुम्हारे साथ करनी है

 सेक्स ही तो करना है बाबू चाहे अभी करें या बाद में करें, शादी तुम्हारे साथ करनी है तो मेरा मन करेगा तो तुम्हारे साथ ही शेयर करूंगा ना कि किसी और के साथ शेयर करूंगा, 

और इस तरह मुकुल और अदिति की पहली संभोग वाली रात हुई 

लेकिन उससे पहले ये दोनों मिले कैसे थे इसे देखत हैं 


अदिति कॉलेज के प्रथम वर्ष में थी एक मिडिल क्लास लड़की, घर परिवार की इज्जत करने वाली, पैसे ज्यादा नहीं थे तो अदिति के पास पढ़ाई कर के अच्छी नौकरी करने के अलावा कोई और options नहीं था पर


कॉलेज प्रतिदिन अदिति आती थी, और उसी कॉलेज के आप पास अपने काम से मुकुल भी रहता था, मुकुल की नज़रे जब अदिति पर पड़ी तो वो उसे निहारता रह गया 


काफी कोशिश के बाद भी मुकुल की बात ना हो सकी 

फिर मुकुल ने नेहा से दोस्ती की जो की अदिति की दोस्त थी 

और नेहा के जरिए अदिति से दोस्ती की 

मुकुल ने बताया कि उसके पापा बड़े व्यापारी हैं और वो व्यापार के काम से ही रोज कॉलेज के पास आता है 

और उसकी नज़रे अदिति पर पड़ी, 


मुकुल वास्तव में हैंडसम था, पैसा वाला था और व्यवहार तो ऐसा जिसे देखते हो कोई भी कायल हो जाए 


मुकुल हर संभव प्रयास करता की वो अदिति का दिल जीत सके और अदिति का पूरा अटेंशन प्राप्त करे 


अदिति की हर छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान रखता था, कुछ भी काम हो तुरंत हो जाता था 

धीरे धीरे अदिति का भी मन बदला और वो मुकुल को पसंद करने लगी, उसे ये एहसास हो गया था कि मुकुल के रहते अब उसे कभी किसी और की जरूरत नहीं पड़ेगी 


धीरे धीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई, दोनो जवान थे और जवानी के समय अपने अरमानों को दबाना हर किसी के बस की बात नहीं होती 


मुकुल ने अदिति को बोला क्या वो शादी करेगी, अदिति चाहती थी कि शादी हो पर हां नहीं बोल पा रही थी 


क्यों कि उसे पता था वो एक मिडिल क्लास लड़की है, और मुकुल एक रहीस उसकी फैमली कभी ऐसी ग्रैंड शादी नहीं कर पाएंगे 


उसने दबे मन से बोला 

देखो मुकुल मै तुमसे प्यार करती हूं लेकिन कभी शादी नहीं होगी हमारी क्यों मेरे पापा इतना खर्च नहीं कर पाएंगे 


मुकुल ने हंसते हुए बोला अरे मैं कौनसा दहेज मांग रहा हूं। मैं तो बस तुमको चाहता हूं 


अदिति ने बोला दहेज तो हम वैसे भी नहीं दे पाएंगे एक साधारण शादी कर लें वहीं बहुत हैं हमारे लिए लेकिन तुम्हारे परिवार को ग्रैंड और महंगी शादी चाहिए 


मुकुल ने बोला हां चाहिए तो 

एक काम करो मेरे पास 1 करोड़ की सेविंग्स है 50 लाख तुम रखो और शादी के लिए घर पे बात करो 

ये बात सिर्फ मेरे और तुम्हारे परिवार के बीच होगी 


अदिति ने सोचा आज के समय में कौन इतना सोचता है किसी लड़की केलिए 


और उसने अगले दिन मुकुल की बात मान ली 


अब दोनो अपने जिंदगी में खुश थे, मुकुल ख्याल रखता 


और दोनो एक दिन होटल में मिलने का प्लान किए मुकुल ने बोला कि मुझे तुम्हारे साथ sex करना है 


अदिति ने मन किया कि शादी के बाद, मुकुल बोला शादी तो होनी ही है बाबू और तुमसे होनी है इसमें पहले बाद में क्या अब तुम्हे देख के मुझे फीलिंग्स आती है तो तुमसे ना बोलूं तो किससे बोलूं, 

अदिति मानती है और मुकुल के साथ सहवास करती है 


और धीरे धीरे ये हर महीने और हर हफ्ते होता है 


मुकुल ने मजाक मजाक में अदिति के साथ वीडियो बनाई अदिति जानती थी कि ये मजे के लिए कर रहा है और वीडियो फोटो क्लिक करने में उसका साथ देती 

लेकिन बोलती इसे डिलीट करना मुकुल बोला ठीक है 


इसके बाद दोनो बाहर खाने जाते हैं और फिर अपने अपने घर चले जाते हैं


1 हफ्ते बाद मुकुल फिर प्लान करता है मिलने का अदिति खुश होती है और तुरंत तैयार होती है 

अच्छे होटल में दोनों मिलते हैं 


लेकिन इस बार खाली मुकुल नहीं होता है उसके साथ उसके 5 दोस्त और होते हैं 

जो अदिति के साथ सहवास करना चाहते हैं 


मुकुल उसे बोलता है कि यदि उसने उसके दोस्तों। को खुश नहीं किया तो जो सारी फोटो वीडियो है उसे इंटरनेट पे वायरल कर देगा 


अदिति के पास कोई उपाय नहीं था, उसने ऐसा किया, वो किसी कीमत पर नहीं चाहती थी कि उसकी ये बात उसके घर में किसी को पता चले 


वो पुलिस में कंप्लेन नहीं कर सकती थी क्यों की उसे पता था पुलिस छान बीन करेगी और नाम आयेगा 


धीरे धीरे मुकुल के दोस्त और मुकुल अदिति के शरीर का फायदा उठाते 


और कभी कभी किसी और अमीर इंसान से पैसे लेके अदिति को भेजते 


और मजबूरन एक पढ़ने वाली लड़की की जिंदगी तबाह हो जाती जब वो अपना मानसिक संतुलन खो बैठती तो उसके घर वाले उसका इलाज कराते और 5 साल के लंबे थेरेपी के बाद अदिति थोड़ा सही होती 

लेकिन आज भी उसके मां बाप इस बात से अंजान है कि उसके बेटी के साथ क्या हुआ 


अब आप को बता दें ये अदिति कोई काल्पनिक लड़की नहीं बल्कि मेरे द्वारा इलाज की गई एक पेशेंट की कहानी है 

और ये एक सच्ची घटना है 


लड़कियों और लड़कों के साथ होने वाले इस कृत्य को ग्रुपिंग कहा जाता है जहां पहले एक लड़का लड़की को फंसता है फिर बाकी लड़के और पैसे के दम पे दूसरे लोग भी उसका शोषण करते हैं 


ग्रुपिंग की शिकार ज्यातातर कॉलेज में जाने वाली लड़किया होती है और ज्यादातर शादीशुदा पुरुष होते हैं 


और ज्यादातर ये लड़किया होती है जो मिडिल क्लास की हैं क्यों की उन्हें पता होता है ये तबका सिर्फ अपनी इज्जत बचाना चाहता है 

और ना इनके पास इतना पैसा है कि वो कोर्ट कचहरी कर सके 

इस मैसेज को ज्यादा से ज्यादा बहन बेटियों तक शेयर कीजिए 

यदि आप को भी कोई लड़का मिलता है तो उससे दोस्ती कीजिए लेकिन अपनी लिमिट समझिए, यदि दोस्ती प्यार में बदल रही तो इस चीज को अपने माता पिता के साथ अहरे कीजिए

Sunday, 10 November 2024

गांठ बांध लीजिए...

 गांठ बांध लीजिए...*🪢 कन्याओं का विवाह 21 से 25 वे वर्ष तक, और लड़कों का विवाह 25 से 29वें वर्ष की आयु तक हर स्थिति में हो जाना चाहिए !*

*🪢 फ्लैट न लेकर जमीन खरीदो, और उस पर अपना घर बनाओ! वरना आपकी संतानों का भविष्य पिंजरे के पंछी की तरह हो जाएगा*

*🪢 गांव से नाता जोड़ कर रखें ! और गांव की पैतृक सम्पत्ति, और वहां के लोगों से नाता, जोड़कर रखें !*

*🪢 अपनी संतानों को अपने धर्म की शिक्षा अवश्य दें, और उनके मानसिक व शारीरिक विकास पर अवश्य ध्यान दें !*

*🪢 किसी भी और आतंकवादी प्रवृत्ति के व्यक्ति से सामान लेने-देने, व्यवहार करने से यथासंभव बचें !*

*🪢 घर में बागवानी करने की आदत डालें,(और यदि पर्याप्त जगह है,तो देशी गाय पालें।* 

*🔖 होली, दीपावली,विजयादशमी, नवरात्रि, मकर संक्रांति, जन्माष्टमी, राम नवमी, आदि जितने भी त्यौहार आयें, उन्हें आफिस/कार्य से छुट्टी लेकर सपरिवार मनाये।* 

*🪢 !(हो सके तो पैदल, व परिवार के साथ )*

🪢 *प्रात: काल 5-5:30 बजे उठ जाएं, और रात्रि को 10 बजे तक सोने का नियम बनाएं ! सोने से पहले आधा गिलास पानी अवश्य पिये (हार्ट अटैक की संभावना घटती है)*

*🪢 यदि आपकी कोई एक संतान पढ़ाई में असक्षम है, तो उसको कोई भी हुनर (Skill) वाला ज्ञान जरूर दें !*

*🪢 आपकी प्रत्येक संतान को कम से कम तीन फोन नंबर स्मरण होने चाहिए, और आपको भी!*

*🪢 जब भी परिवार व समाज के किसी कार्यक्रम में जाएं, तो अपनी संतानों को भी ले जाएं ! इससे उनका मानसिक विकास सशक्त होगा !*

*🪢 परिवार के साथ मिल बैठकर भोजन करने का प्रयास करें, और भोजन करते समय मोबाइल फोन और टीवी बंद कर लें !*

*🪢 अपनी संतानों को बालीवुड की कचरा फिल्मों से बचाएं, और प्रेरणादायक फिल्में दिखाएं !*

*🪢 जंक फूड और फास्ट फूड से बचें !*

*🪢 सांयकाल के समय कम से कम 10 मिनट भक्ति संगीत सुने, बजाएं !*

*🪢 दिखावे के चक्कर में पड़कर, व्यर्थ का खर्चा न करें !*

*🪢 दो किलोमीटर तक जाना हो, तो पैदल जाएं, या साईकिल का प्रयोग करें !*

*🪢 अपनी संतानों के मन में किसी भी प्रकार के नशे (गुटखा, तंबाखू, बीड़ी, सिगरेट, दारू...) के विरुद्ध चेतना उत्पन्न करें,तथा उसे विकसित करें !*

*🪢 सदैव सात्विक भोजन ग्रहण करें, अपने भोजन का ईश्वर को भोग लगा कर प्रसाद ग्रहण करें ! !*

*🪢 अपने आंगन में तुलसी का पौधा अवश्य लगायें, व नित्य प्रति दिन पूजा, दीपदान अवश्य करें !*

*🪢 अपने घर पर एक हथियार अवश्य रखें, ओर उसे चलाने का निरन्तर हवा में अकेले प्रयास करते रहें, ताकि विपत्ति के समय प्रयोग कर सकें ! जैसे-लाठी,हॉकी,गुप्ती, तलवार,भाला,त्रिशूल व बंदूक/पिस्तौल लाइसेंस के साथ !*

*🪢 घर में पुत्र का जन्म हो या कन्या का, खुशी बराबरी से मनाएँ ! दोनों जरूरी है ! अगर बेटियाँ नहीं होगी तो परिवार व समाज को आगे बढाने वाली बहुएँ कहाँ से आएगी और बेटे नहीं होंगे तो परिवार समाज व देश की रक्षा कौन करेगा !*

Saturday, 9 November 2024

पति नहीं चाहिए, दोस्त चाहिए

 पति नहीं चाहिए, दोस्त चाहिए


सुबह जब अलसाई आँखों से उठूँ तो उसके डर से नहीं, बल्कि खुद के लिए उठना चाहती हूँ। कभी-कभी कहना चाहूँ कि, "यार, आज तुम चाय बना दो।" एक ऐसा दोस्त चाहिए, जिससे बेझिझक अपनी बात कह सकूँ।


मुझे वो नहीं चाहिए जो हर बात में मुझसे कहे, "ये मत पहनो, वहाँ मत जाओ, इस से मत मिलो।" बल्कि मुझे चाहिए एक दोस्त, जो कहे, "तुम जैसे हो वैसे ही रहो।"


मुझे वो नहीं चाहिए जो खिड़की से झांकता रहे कि मैं किससे बात कर रही हूँ, और शक की कहानियाँ बुन ले। कोई ऐसा चाहिए जो मुझे समझे और कहे, "यार, तुम्हारी सोशल नेचर अच्छी है।" जो मुझसे कहे, "तुम कितनी जल्दी लोगों से घुल-मिल जाती हो, काश मैं भी कर पाता।"

पति नहीं चाहिए, जो मेरे छोटे-छोटे सपनों पर नाराज़ हो। मुझे ऐसा दोस्त चाहिए, जो कहे, "सपने देखो, और उन्हें पूरा करो।" जो कहे, "कभी अपने दोस्तों के साथ पहाड़ों पर घूम आओ, या बारिश में चाय का मज़ा लो।"

मुझे चाहिए वो, जिससे मैं कह सकूँ, "आज मेरी तारीफ करो।" जो मेरे नखरे उठाए और मुझे स्पेशल फील कराए।

मुझे वो नहीं चाहिए जो हर बात पर टोक दे, बल्कि मुझे वो चाहिए जो बारिश में मेरा हाथ पकड़ कर कहे, "आओ खिड़की खोलते हैं और बारिश में भीगते हैं।"

Sunday, 3 November 2024

KBC जहां रुकना संतोष है

 जहां रुकना संतोष है


केबीसी

हाल ही के एक एपिसोड में, नीरज सक्सेना ने "फास्टेस्ट फिंगर" राउंड में सबसे तेजी से जवाब देकर हॉट सीट पर जगह बनाई।


वह बड़े ही शांत भाव से बैठे, बिना चिल्लाए, नाचे, रोए, हाथ उठाए, या अमिताभ को गले लगाए। नीरज एक वैज्ञानिक, पीएच.डी. और कोलकाता की एक विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। उनका स्वभाव सहज और सादा है। उन्होंने खुद को भाग्यशाली माना कि उन्हें डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के साथ काम करने का अवसर मिला, और बताया कि पहले वह केवल अपने बारे में सोचते थे, लेकिन कलाम साहब के प्रभाव से उन्होंने दूसरों और देश के बारे में भी सोचना शुरू कर दिया।


नीरज ने खेलना शुरू किया। उन्होंने एक बार ऑडियंस पोल लाइफलाइन का इस्तेमाल किया, लेकिन चूंकि उनके पास "डबल डिप" लाइफलाइन भी थी, तो उसे भी बाद में इस्तेमाल करने का अवसर मिला। उन्होंने सभी सवालों के जवाब सहजता से दिए, और उनकी बुद्धिमत्ता प्रभावित करने वाली थी। उन्होंने ₹3,20,000 और उसके बराबर बोनस राशि जीत ली, और फिर ब्रेक हुआ।


ब्रेक के बाद, अमिताभ ने घोषणा की, "चलिए, डॉ. साहब, आगे बढ़ते हैं। यहाँ ग्यारहवां सवाल आता है..." तभी, नीरज बोले, "सर, मैं गेम छोड़ना चाहता हूँ।"


अमिताभ को आश्चर्य हुआ। कोई इतना अच्छा खेल रहा है, तीन लाइफलाइन बची हैं, और एक करोड़ (₹1,00,00,000) जीतने का अच्छा मौका है, फिर भी वह छोड़ रहे हैं? उन्होंने पूछा, "ऐसा पहले कभी नहीं हुआ..."


नीरज ने शांतिपूर्वक उत्तर दिया, "अन्य खिलाड़ी इंतजार कर रहे हैं, और वे मुझसे छोटे हैं। उन्हें भी मौका मिलना चाहिए। मैंने पहले ही बहुत पैसे जीत लिए हैं। मुझे लगता है 'जो मेरे पास है, वही काफी है।' मुझे और की इच्छा नहीं है।"


अमिताभ स्तब्ध रह गए और थोड़ी देर के लिए सन्नाटा छा गया। फिर, सभी खड़े हो गए और उन्हें लंबे समय तक तालियों से सम्मानित किया।


अमिताभ ने कहा, "आज हमने बहुत कुछ सीखा है। ऐसा व्यक्ति दुर्लभ है।"


सच कहूं तो यह पहली बार है जब मैंने किसी को अपने सामने इतनी बड़ी संभावना के बावजूद दूसरों को मौका देने और अपने पास जो है उसे पर्याप्त मानने वाला देखा। मैंने मन ही मन उन्हें सलाम किया।


आजकल लोग केवल पैसे के पीछे दौड़ रहे हैं। चाहे जितना भी कमा लें, संतोष नहीं होता, और लालच खत्म नहीं होता। इस दौड़ में वे परिवार, नींद, खुशी, प्रेम, और दोस्ती खो रहे हैं।


ऐसे समय में, डॉ. नीरज सक्सेना जैसे लोग एक अनुस्मारक बनकर आते हैं। आज के समय में संतुष्ट और निःस्वार्थ लोग मिलना मुश्किल है।


उनके खेल छोड़ने के बाद, एक लड़की ने हॉट सीट पर जगह बनाई और अपनी कहानी सुनाई: "मेरे पिता ने हमें, मेरी मां समेत, केवल इसलिए घर से बाहर निकाल दिया क्योंकि हम तीन बेटियां हैं। अब हम एक अनाथालय में रहते हैं..."


मैंने सोचा, अगर नीरज ने छोड़ने का फैसला न किया होता, तो, यह अंतिम दिन होने के कारण, किसी और को मौका नहीं मिलता। उनके इस त्याग के कारण इस गरीब लड़की को कुछ पैसे कमाने का अवसर मिल गया।


आजकल लोग अपनी संपत्ति में से एक पाई भी छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इसके लिए हम झगड़े और यहां तक कि हत्याएं होते हुए देखते हैं। स्वार्थ आम हो गया है। लेकिन यह उदाहरण एक अपवाद है।


ईश्वर ऐसे लोगों में बसते हैं जो दूसरों और देश के बारे में सोचते हैं। मैं इस महान व्यक्ति को जीवन भर नहीं भूलूंगा। मुझे खुशी है कि मुझे आज एक अद्वितीय व्यक्ति के बारे में लिखने का मौका मिला।


जब आपकी ज़रूरतें पूरी हो जाएं, तो रुक जाना चाहिए और दूसरों को मौका देना चाहिए। स्वार्थ को छोड़ दें, और सभी खुश रहेंगे। यह सबक मैंने सीखा। मैंने हमेशा ऐसे लोगों की प्रशंसा की है और मानता हूँ कि उनके बारे में ईमानदारी से लिखना समाज के उत्थान के लिए आवश्यक है। 🌹🌹

पिता के बाद पति ही होते हैं जो पत्नियों के लिए हमेशा अमीर होते है ❤️

 एक विवाहित स्त्री जो आपको आकर्षक और सुंदर लगती हैं 😊


याद रखिए कि उसकी सुंदरता भले ही जन्मजात हो लेकिन उस सौंदर्य को बरकरार रखने में एक पुरूष का प्रेम और समर्पण होता है...


 पुरूष जो खुद भूल जाते है कई बार शेव करवाना हेयर कट...


याद रखते हैं त्यौहारों पर स्त्री के लिए की उसे कुछ चाहिए तो नहीं नई साड़ी, चूड़ियां, श्रृंगार...


 वो एडजस्ट कर लेते हैं अपने लिए पर सदैव ये चाहते हैं कि उनकी पत्नी जब घर परिवार के साथ खड़ी हो तो लोगों को उनकी किस्मत पर रश्क हो...


 गौर से देखिएगा कभी उन स्त्रियों का चेहरा जिनके विवाह सफल नहीं हुए या पति जल्दी चले गए ..


आपको एहमियत समझ में आ जाएगी एक स्त्री के जीवन में पुरूष के क्या मायने हैं 😊


शारीरिक रूप से स्त्री एक नहीं हजारों पुरुषों की प्रेमिका हो सकती हैं लेकिन..


 उसे सर का ताज गृह लक्ष्मी अपना मान ये हर कोई नहीं बना सकता है उसे मानसिक रूप से हर पुरूष नही संभाल सकता है...


 भले वो परिवार की धुरी है पर उसे भी एक समतल स्थान चाहिए स्वछंद होकर घूमने के लिए 😊


याद रखिए जब आप कहते है कि एक विवाहिता की उम्र देख कर नहीं लगता कि वो शादीशुदा है या बच्चों की मां है तो उसमें सबसे बड़ा योगदान उस पुरूष का होता है जो किसी की घर की राजकुमारी को अपने घर की रानी बनाकर रखता है...


 पिता के बाद पति ही होते हैं जो पत्नियों के लिए हमेशा अमीर होते है ❤️ 🧿🧿🧿

 हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे.. लेकिन कभी पीली साड़ी में तुम्हे देखकर थम जाए मेरी नज़र... तो समझ जाना तुम... जब तुम रसोई में अके...