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Saturday, 25 April 2020

Ashutosh Rana ji ki Best kavita

हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूँ,
सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूँ ।
सुनो हिमालय कैद हुआ है, दुश्मन की जंजीरों में
आज बता दो कितना पानी, है भारत के वीरो में,
खड़ी शत्रु की फौज द्वार पर, आज तुम्हे ललकार रही,
सोये सिंह जगो भारत के, माता तुम्हे पुकार रही ।
रण की भेरी बज रही, उठो मोह निद्रा त्यागो,
पहला शीष चढाने वाले, माँ के वीर पुत्र जागो।
बलिदानों के वज्रदंड पर, देशभक्त की ध्वजा जगे,
और रण के कंकण पहने है, वो राष्ट्रभक्त की भुजा जगे ।।

अग्नि पंथ के पंथी जागो, शीष हथेली पर धरकर,
जागो रक्त के भक्त लाडले, जागो सिर के सौदागर,
खप्पर वाली काली जागे, जागे दुर्गा बर्बंडा,
और रक्त बीज का रक्त चाटने, वाली जागे चामुंडा ।
नर मुंडो की माला वाला, जगे कपाली कैलाशी,
रण की चंडी घर घर नाचे, मौत कहे प्यासी प्यासी,
रावण का वध स्वयं करूँगा, कहने वाला राम जगे,
और कौरव शेष न एक बचेगा, कहने वाला श्याम जगे ।।

परशुराम का परशु जगे, रघुनन्दन का बाण जगे ,
यदुनंदन का चक्र जगे, अर्जुन का धनुष महान जगे,
चोटी वाला चाणक्य जगे, पौरुष का पुरष महान जगे
और सेल्यूकस को कसने वाला, चन्द्रगुप्त बलवान जगे ।
हठी हमीर जगे जिसने, झुकना कभी नहीं जाना,
जगे पद्मिनी का जौहर, जागे केसरिया बाना,
देशभक्ति का जीवित झण्डा, आजादी का दीवाना,
और वह प्रताप का सिंह जगे, वो हल्दी घाटी का राणा ।।

दक्खिन वाला जगे शिवाजी, खून शाहजी का ताजा,
मरने की हठ ठाना करते, विकट मराठो के राजा,
छत्रसाल बुंदेला जागे, पंजाबी कृपाण जगे,
दो दिन जिया शेर के माफिक, वो टीपू सुल्तान जगे ।
कनवाहे का जगे मोर्चा, जगे झाँसी की रानी,
अहमदशाह जगे लखनऊ का, जगे कुंवर सिंह बलिदानी,
कलवाहे का जगे मोर्चा, पानीपत मैदान जगे,
जगे भगत सिंह की फांसी, राजगुरु के प्राण जगे ।।

जिसकी छोटी सी लकुटी से (बापू ), संगीने भी हार गयी,
हिटलर को जीता वे फौजेे, सात समुन्दर पार गयी,
मानवता का प्राण जगे, और भारत का अभिमान जगे,
उस लकुटि और लंगोटी वाले, बापू का बलिदान जगे।
आजादी की दुल्हन को जो, सबसे पहले चूम गया,
स्वयं कफ़न की गाँठ बाँधकर, सातों भावर घूम गया,
उस सुभाष की शान जगे, उस सुभाष की आन जगे,
ये भारत देश महान जगे, ये भारत की संतान जगे ।।

क्या कहते हो मेरे भारत से चीनी टकराएंगे ?
अरे चीनी को तो हम पानी में घोल घोल पी जाएंगे,
वह बर्बर था वह अशुद्ध था, हमने उनको शुद्ध किया,
हमने उनको बुद्ध दिया था, उसने हमको युद्ध दिया ।
आज बँधा है कफ़न शीष पर, जिसको आना है आ जाओ,
चाओ-माओ चीनी-मीनी, जिसमें दम हो टकराओ
जिसके रण से बनता है, रण का केसरिया बाना,
ओ कश्मीर हड़पने वाले, कान खोल सुनते जाना ।।

रण के खेतो में जब छायेगा, अमर मृत्यु का सन्नाटा,
लाशो की जब रोटी होंगी, और बारूदों का आटा,
सन सन करते वीर चलेंगे, जो बामी से फन वाला,
फिर चाहे रावलपिंडी वाले हो, या हो पेकिंग वाला ।
जो हमसे टकराएगा, वो चूर चूर हो जायेगा,
इस मिटटी को छूने वाला, मिटटी में मिल जायेगा,
मैं घर घर में इन्कलाब की, आग लगाने आया हूँ,
हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूं ।। - 2
बांट दिया इस धरती को , क्या चांद सितारों का होगा ....
नदियों के कुछ नाम रखे ..
बहती धारो का क्या होगा ..
शिव की गंगा भी पानी है ,
आबे जम जम भी पानी है ,
मुल्ला भी पिये , पंडित भी पिये , पानी का मज़हब क्या होगा ..?
इन फिरकापरस्तों से पूछो क्या सूरज अलग बनाओगे ..एक हवा में सांस है सबकी क्या हवा भी अलग बनाओगे
नस्लो का जो करे जो बटवारा रहवर वो कॉम का ढोंगी है .. क्या खुदा ने मंदिर तोड़ा था या राम ने मस्ज़िद तोड़ी है ...
                                                                A.Rana

Wednesday, 22 April 2020

मुझे सोशल मीडिया पर शुभकामनाएं दी।मेरे पोस्टर बैनर लगाए। उनका धन्यवाद।
और जिन्होंने मन के मन में शुभकामनाएं दी उनका भी धन्यवाद।
दोस्ती एक ऐसा अजीत जज्बा है। 
जिसकी ना  कोई सीमा होती है 
ना ही कोई हद होती है। 
दोस्ती अनेक प्रकार की होती है।

Friday, 17 April 2020

मुझे मेरे हिन्दू होने पर नाज है , तुझे तेरे मुस्लिम होने पर नाज है

मुझे मेरे हिन्दू होने पर नाज है
तुझे तेरे मुस्लिम होने पर नाज है

लेकिन राम मेरा भी मुझसे नाराज है
और खुदा तेरा भी तुझसे नाराज है

पाप मैंने भी किए होंगे कभी
गुनाह तूने भी किए हों शायद कभी

इंसानियत को खोने की सजा
शायद मालिक हमको दे रहा है

ना राम मुझे मंदिर में बुला रहा है
ना खुदा तुझे मस्जिद में बुला रहा है

तो खता मेरी भी उतनी ही है
और गलती तेरी भी उतनी ही है

आ वक्त रहते संभल जाएं और ..
इंसानियत के धर्म को अपना ले

मैं चाहे उसे ईश्वर कह लू
तू उसे अल्लाह कह ले
है तो सब एक ही

हिंदू मुस्लिम को छोड़कर
चलो हम सब मिलकर
एक बने और नेक बने
सिर्फ भारतीय प्रत्येक बने

अब तू अपने खुदा को खुश कर
मैँ अपने प्रभु राम को मनाऊं
इस संकट से मुक्त करो हे ईश्वर -अल्लाह
अवसर दे , मैँ फिर से इंसान बन जाऊं ।

Saturday, 11 April 2020

My First Song.




तुम्हें देखे..... बिना जाने.....तेरी तस्वीर बनादी है।2
तुम्हें चाहे..... बिना चाहे..... तेरी सूरत बना दी है।
तू कितनी खूबसूरत है....तेरी धड़कन सुनाती है।
तू कितनी मशरूम में है....तेरी मासूमियत बताती है।

तुम्हें देखे..... बिना जाने.....तेरी तस्वीर बनादी है।2
तुम्हें चाहे..... बिना चाहे..... तेरी सूरत बना दी है।
तुझ पर रहमत खुदा की......तू नूर है जन्नत की
तुझ पर नजर है जमाने की ....तु कली है कमल की

तुम्हें देखे..... बिना जाने.....तेरी तस्वीर बनादी है।2
तुम्हें चाहे..... बिना चाहे..... तेरी सूरत बना दी है।
तू कितनी चंचल है .....तेरी सादगी बताती है।
तू समंदर है....किनारा हूं मै.. ..........
तू नूर है... नुमाइश है तेरी.......
तू हुस्न है.. नजाकत है तेरी.....
तू रोनक है.. जमाने कि.....
तू जमाने की चाहत है मेरी.......
तू जमीलु जिद्दन...हल अंता मुता अंकिद..
(आप बहुत खूबसूरत हो क्या आपको यकीन है)

चाहता हूं तुझे.... तेरा सहारा हूं मैं.........
तू.नजाकत है...तेरा दीवाना हूं मैं।...

तुम्हें देखे..... बिना जाने.....तेरी तस्वीर बनादी है।2
तुम्हें चाहे..... बिना चाहे..... तेरी सूरत बना दी है।

लेखक : सुनिल राठोड
म्यूजिक:
गायक:
एक्टर:










Saturday, 4 April 2020

     
                लॉकडाउन कॉन्टेस्ट स्टडी

पूरी ईमानदारी से लॉक डाउन का पालन करने वालों के लिए एक सुनहरा मौका।घर बैठे पढ़ाई के साथ में पुरस्कार भी
जितने भी बंदे प्रतियोगिता परीक्षा। की तैयारी कर रहे हैं वह खेल सकते हैं मेरे साथ में लॉकडाउन कॉन्टेस्ट स्टडी
           
                          नियम व शर्तें।

1) शुरुआती कॉन्टेस्ट में 25 बंदे होगे। सभी बंधुओं का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाएगा।जो ग्रुप में।सबसे पहले जवाब देगा उसको ₹100 का गूगल पे कर दिया जाएगा।

2)कॉन्टेस्ट में भाग लेने के लिए आपको ₹10 का गूगल पे करके उसका स्क्रीनशॉट लेकर व्हाट्सएप करना होगा।W9993029777 पर।

3) कांटेक्ट चालू होने का समय दिनांक 5/04/2020,दिन रविवार शाम को 5:00 से 5:15 तक।

4) सभी सवाल जनरल नॉलेज के होगे।कृपया कोई भी गूगल पर सर्च करके जवाब ना भेजे। ऐसा करने से धोखा आप अपने आप को दे रहे हो मुझे नही।

अधिक जानकारी के लिए संपर्क......S.N.R.9993029777

( कृपया इस लेख को इंटरनेट पर वायरल ना करें यह मेरा व्यक्तिगत एव दोस्तों के साथ परीक्षा की तैयारी के लिए है )


                                                                  धन्यवाद


Sunday, 29 March 2020

👌🏽Bahut hi sundar kavita 👌🏽👌🏽संकलन लेखराम जी द्वारा

👌🏽👌🏽Bahut hi sundar kavita 👌🏽👌🏽संकलन लेखराम जी द्वारा

*कंद-मूल खाने वालों से*
मांसाहारी डरते थे।।

*पोरस जैसे शूर-वीर को*
नमन 'सिकंदर' करते थे॥

*चौदह वर्षों तक खूंखारी*
वन में जिसका धाम था।।

*मन-मन्दिर में बसने वाला*
शाकाहारी *राम* था।।

*चाहते तो खा सकते थे वो*
मांस पशु के ढेरो में।।

लेकिन उनको प्यार मिला
' *शबरी' के जूठे बेरो में*॥

*चक्र सुदर्शन धारी थे*
*गोवर्धन पर भारी थे*॥

*मुरली से वश करने वाले*
*गिरधर' शाकाहारी थे*॥

*पर-सेवा, पर-प्रेम का परचम*
चोटी पर फहराया था।।

*निर्धन की कुटिया में जाकर*
जिसने मान बढाया था॥

*सपने जिसने देखे थे*
मानवता के विस्तार के।।

*नानक जैसे महा-संत थे*
वाचक शाकाहार के॥

*उठो जरा तुम पढ़ कर देखो*
गौरवमय इतिहास को।।

*आदम से आदी तक फैले*
इस नीले आकाश को॥

*दया की आँखे खोल देख लो*
पशु के करुण क्रंदन को।।

*इंसानों का जिस्म बना है*
शाकाहारी भोजन को॥

*अंग लाश के खा जाए*
क्या फ़िर भी वो इंसान है?

*पेट तुम्हारा मुर्दाघर है*
या कोई कब्रिस्तान है?

*आँखे कितना रोती हैं जब*
उंगली अपनी जलती है

*सोचो उस तड़पन की हद*                   
जब जिस्म पे आरी चलती है॥

*बेबसता तुम पशु की देखो*
बचने के आसार नही।।

*जीते जी तन काटा जाए*,
उस पीडा का पार नही॥

*खाने से पहले बिरयानी*,
चीख जीव की सुन लेते।।

*करुणा के वश होकर तुम भी*
गिरी गिरनार को चुन लेते॥

*शाकाहारी बनो*...!

ज्ञात हो इस कविता का जब TV पर प्रसारण हुआ था तब हज़ारो लोगो ने मांसाहार त्याग कर *शाकाहार* का आजीवन व्रत लिया था।

🙏🌷🍏🍊🍋🍉🍓🙏

*कृपया ये msg मानवता को* जीवित रखने के लिए सभी को भेजें।

 हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे.. लेकिन कभी पीली साड़ी में तुम्हे देखकर थम जाए मेरी नज़र... तो समझ जाना तुम... जब तुम रसोई में अके...