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Sunday, 25 May 2025

ऋचा से मेरी शादी के बाद घर में सब खुश थे।

 स्त्री अगर हमे #सम्भोग का सुख देती है तो हम उसके विवश हो जाते है और हमे उसकी हर बात माननी पड़ती है |


ऋचा से मेरी शादी के बाद घर में सब खुश थे। वह न केवल सुंदर और कामुक थी, बल्कि घर के काम में भी दक्ष थी। माँ और पिताजी उससे बहुत खुश थे, और मैं भी। शादी के चार साल बाद, माँ की मृत्यु हो गई और घर की सारी जिम्मेदारी ऋचा पर आ गई। इस बदलाव के साथ ही उसके व्यवहार में भी परिवर्तन आने लगा।


माँ की मृत्यु के बाद, पिताजी की देखभाल का जिम्मा भी ऋचा पर आ गया। अक्सर पिताजी की जरूरतें पूरी करने में उसे फालतू काम लगता था। एक दिन, जब ऋचा बाथरूम से तौलिया लपेटकर निकली, पिताजी ने नजर चुराकर अंदर चले गए। इस घटना पर ऋचा ने मुझसे शिकायत की। मैंने उसे ध्यान रखने को कहा, लेकिन उसने कड़े शब्दों में कहा कि यह घर उसका भी है और वह जैसे चाहे वैसे रह सकती है।


ऋचा ने मुझ पर दबाव डाला कि पिताजी को नीचे के कमरे में शिफ्ट कर दूं। मैं मजबूर था और पिताजी का सामान नीचे शिफ्ट कर दिया। पिताजी ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके चेहरे पर दुख साफ झलक रहा था। कुछ दिन बाद, पिताजी ने हमें दुबई के लिए टिकट बुक की और कहा कि हमें घूमने जाना चाहिए।


जब हम 16 दिन बाद वापस आए, तो देखा कि घर के बाहर ताला लगा हुआ था। माथुर अंकल आए और हमें नए फ्लैट की चाभी और रेंट एग्रीमेंट दिया। #पिताजी ने एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें लिखा था कि उन्होंने घर बेच दिया है और हमें आजादी दी है। उन्होंने अपने लिए एक नया बंगलो लिया और हमारी चिंता न करने को कहा।


मुझे यह समझ नहीं आया कि मैंने अपने पिता के दुख को कैसे अनदेखा कर दिया। पिताजी ने हमें कभी यह बात नहीं बताई कि उन्होंने ऐसा क्यों किया, लेकिन अब मैं और ऋचा समझते हैं कि उन्होंने क्या सहा होगा। हमारे समाज में लोग पिताजी को गलत ठहराते हैं, लेकिन असल सच्चाई हमें ही पता है।


यह कहानी एक महत्वपूर्ण सबक देती है: पत्नी के साथ जीवन बिताना जरूरी है, लेकिन माता-पिता का सम्मान और उनकी देखभाल भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। किसी भी परिस्थिति में माता-पिता से बैर नहीं करना चाहिए।


#जीवन में संतुलन और समझदारी से काम लेना जरूरी है। पत्नी के साथ-साथ माता-पिता की भी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। यह कहानी हमें यह याद दिलाती है कि जीवन में दोनों के बीच संतुलन बनाए रखना ही सच्ची सफलता है।

Sunday, 18 May 2025

6 अगस्त 1945 — मानव इतिहास का वह काला दिन, जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर दुनिया का पहला परमाणु बम गिराया.

 6 अगस्त 1945 — मानव इतिहास का वह काला दिन, जब अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर दुनिया का पहला परमाणु बम गिराया. तीन दिन बाद नागासाकी पर दूसरा हमला हुआ. दोनों शहर लगभग पूरी तरह तबाह हो गए.

पल भर में डेढ़ लाख से ज्यादा लोग मारे गए, लेकिन इस तबाही की भयावहता यहीं नहीं रुकी.इसके ज़हरीले निशान आने वाले दशकों तक इंसानों को निगलते रहे. इतिहास में इंसान का इंसान पर किया गया यह सबसे बड़ा और निर्मम अपराध था, जिसका जिम्मेदार अमेरिका था।

'फैट मैन' और 'लिटिल बॉय' - ये थे वो दो परमाणु बम, जिन्हें अमेरिका ने तैयार किया था और जिन्होंने इंसानी इतिहास की सबसे भयावह तबाही को अंजाम दिया. इन्हें बनाने वाले वैज्ञानिक रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने बम गिरने के बाद कहा था कि मेरे हाथ खून से सने हैं.


हिरोशिमा पर विस्फोट इतना भीषण था कि महज एक मिनट में शहर का 80 प्रतिशत हिस्सा राख में बदल गया, जो लोग बच भी गए, उन्हें विकिरण की जहरीली लहरों और 'काली बारिश' ने अपनी चपेट में ले लिया. बाद में हजारों लोग कैंसर, ल्यूकीमिया और अन्य भयानक बीमारियों का शिकार हुए.

जो इस परमाणु तूफान में जिंदा रह गए, उनकी जिंदगी भी किसी सजा से कम नहीं थी. ये लोग 'हिबाकुशा' कहलाते हैं. जापानी भाषा का एक शब्द, जिसका अर्थ है 'विस्फोट से प्रभावित व्यक्ति'.हिबाकुशा ना सिर्फ पीढ़ी दर पीढ़ी विकिरण जनित बीमारियों से जूझते रहे, बल्कि समाज के तिरस्कार के शिकार भी बने, उन्हें बीमारी का सोर्स माना गया.बीबीसी की एक रिपोर्ट बताती है कि आज भी जापान में कई लोग हिबाकुशा से विवाह करने से कतराते हैं. उन्हें सामाजिक रूप से अलग-थलग कर दिया गया.

BBC की एक डॉक्यूमेंट्री में 86 वर्षीय मिचिको कोडमा का इंटरव्यू है. एक 'हिबाकुशा', जिन्होंने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरने की त्रासदी खुद अपनी आंखों से देखी और सही है.मिचिको कहती हैं कि जब मैं आज दुनिया में चल रहे जंग के बारे में सोचती हूं.मेरा शरीर कांप उठता है... और आंखों से आंसू छलक पड़ते हैं. हम परमाणु बमबारी के उस नरक को दोबारा नहीं दोहरा सकते. मुझे संकट का एहसास हो रहा है.

बीबीसी की रिपोर्ट में एक हिबाकुशा का बयान है, जो उस दिन की दर्दनाक लम्हे को आज भी नहीं भूल पाए हैं. वे कहते हैं कि जो कुछ भी मैंने देखा... वो किसी नरक से कम नहीं थाॉ. लोग हमारी ओर भाग रहे थे, उनके शरीर पिघल रहे थे, मांस लटक रहा था. बुरी तरह झुलसे हुए लोग दर्द से कराह रहे थे. उनकी चीखें अब भी मेरे कानों में गूंजती हैं.

1980 में, वैज्ञानिकों ने 'न्यूक्लियर विंटर थ्योरी' पेश की, जिसमें परमाणु युद्ध के प्रभाव का विश्लेषण किया गया था. यह थ्योरी हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमलों के नतीजों को देखते हुए विकसित की गई थी. इस थ्योरी के मुताबिर, किसी भी स्तर का परमाणु युद्ध वैश्विक तापमान को प्रभावित करेगा, जिससे धरती का औसत तापमान 10 सालों में 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है. इससे सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुंचेगी, जिससे पौधे मुरझा जाएंगे और वैश्विक खाद्य उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा, जिससे भुखमरी और खाद्य संकट आ जाएगा.

Science Alert की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर रूस और अमेरिका के बीच परमाणु युद्ध हुआ, तो न केवल न्यूक्लियर विंटर आएगा, बल्कि समुद्र का तापमान भी गिर जाएगा. यानी धरती एक 'न्यूक्लियर आइस एज' में प्रवेश कर सकती है, जो हजारों सालों तक चल सकती है. वर्तमान में दुनिया के 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं-विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध होता है, तो लगभग 13 करोड़ लोगों की तत्काल मौत हो सकती है. जंग के दो साल बाद तक करीब 2.5 अरब लोग भुखमरी के शिकार हो सकते हैं.

हिरोशिमा में अब फिर से फूल खिलने लगे हैं.हिरोशिमा और नागासाकी ये दो शहर जो कभी राख हो गए थे.अब फिर से उठ खड़े हुए हैं. जापान के ये शहर आज न सिर्फ फिर से बस चुके हैं. सड़कें, दीवारें, और म्यूजियम आज भी दुनिया को याद दिलाते हैं कि तबाही का वो मंजर दोहराया नहीं जाना चाहिए.

Sunday, 11 May 2025

 दोपहर में पतिदेव के साथ, संभोग करने में जो आनंद है वो दुनिया के किसी और काम में नही है, खास तौर पर जब आप की नई नई शादी हुई है, और एक हैंडसम खूब प्यार करने वाला पति मिला हो


वो लड़किया इस बात को ज्यादा समझ पाएंगी जिनकी नई नई शादी हुई हो

नवम्बर ने मेरी शादी हुई थीं, अच्छा परिवार मिला था प्यार करने वाला पति मिला था दोस्त की तरह एक ननद और 2 जेठानिया मिली थी


और पतिदेव तो इतने रोमांटिक की जब मौका मिले जहां मिले शुरू हो जाते थे, उनका कहना था ऐसा करने से प्यार और विश्वास में गहराई आती है,

मैं सच बोलूं प्यार विश्वास का तो ज्यादा नहीं पता पर पति रोमांटिक मिल जाए तो जिंदगी में मजे हैं


जनवरी का महिना था कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, और तकरीबन एक बजे खाना खाकर सभी अपने अपने कमरे में आराम करने गए,


मैं और मेरे पतिदेव भी आगया, थोड़ी बात शुरू हुई थी, लेकिन सभी जानते हैं ठंडी में बात कहा से कहा पहुंच जाए कोई नही जातना

Namaskar ji 

हम दोनो का भी यही हाल था, जैसे ही कुछ होने वाला था तभी मम्मी जी जोर से बुलाई

तुरंत दरवाजा खोला और बाहर चली गई


उन्होंने बोला बरतन ऐसे ही पड़े हैं ये शुभ नही है, जाओ आराम करो आगे से ध्यान देना, मैं साफ कर देती हूं अभी

Hello everyone 

मैने बोला मम्मी आप रहने दीजिए मैं कर देती हूं

और मन ही मन में सोचने लगी की इतना अच्छा सीन था फालतू मम्मी जी ने बुला लिया


धीरे धीरे मैं जैसे पुरानी होती गई मम्मी मुझे हर चीज पर टोकने लगी, उनका सबसे ज्यादा गुस्सा इस बात पर होता की मैं काम करने ने देरी कर रही हूं


जबकि मैं हर काम अपने हिसाब से करती थी

धीरे धीरे ये बात जेठानी जी को भी बोल जाने लगी


एक दिन सभी को ऑफिस जाना था और ना जाने कैसे इन लोगो के निकलने के समय तक भी नाश्ता और लंच नही बन पाया, इसे सुन मां जी ने हम दोनो लोगो डांट लगाई


शाम को जब पतिदेव घर पर आते हैं तो मैंने ये बात बताई, तो वो मेरे ऊपर ही बोलने लगे की तुम्हे ध्यान देना चाहिए, ऑफिस का समय इधर उधर नही हो सकता


धीरे धीरे पता नही कैसे शाम का खाना जो पहले 8 बजे तक हो जाता था अब उसे होने में 11 बजने लगा था


मां का गुस्सा मेरे और जेठानी पर फूटता की तुम लोगो ने आते ही घर का सारा रूटीन बदल दिया

11 बजे खाने के बाद सोते सोते 1 बज जाता


और सुबह उठने में तकलीफ होती फिर नाश्ता बनाने में आलस आता, हम दोनो देवरानी जेठानी इस चक्कर में पड़े रहते की जल्दी से बिना कम मेहनत का खाना बना दिया जाए


और इस बात का फस्टरेशन पतिदेव और बड़े भैया में भी देखने को मिलने लगा था, लेकिन गलती कहा हो रही थी समझ में नहीं आरा था


धीरे धीरे घर की शांति भी भंग होने लगी, जो आदमी शादी के समय इतना प्यार करता था, वो अब हर सवाल का जवाब चिढ़ के देता है


फिर एक सभी चीज की हद हो गईं


सास ने हम दोनो से कहा की तुम दोनो अपना फोन मुझे देदो हम दोनो को गुस्सा आता है मैं तो कुछ बोलती नही हूं पर जेठानी जी बोल देती है

की मम्मी घर को घर रहने दीजिए इसे जेल मत बनाइए


उन्होंने एक ना सुनी और फोन ले लिया और कहा

अब से फोन सिर्फ दोपहर 1 बजे से रात को 7 बजे तक मिलेगा


हमे अपनी सास का ये रवैया काफी खराब लगा

2 दिन बाद रक्षा बंधन था, मैने मां और पापा से सारी बात बताई जब मैं अपने भाई को राखी बांधने गई थी


मेरी मां और भाई भड़क गए और बोले अभी बात करता हूं किसी की पर्सनल चीज को लेने का क्या हक बनता है


पापा ने भाई को समझाया और बोला तुम इतने बड़े नही हुए हो जो इसकी सास से ऐसे पेश आओ, फिर पापा मुझे कोने में ले जाते हैं और बोलते हैं बेटा तुम्हारी सास तुमसे उमर में बड़ी है, एक बार उनकी बात मानो आखिर इसमें कुछ सच्चाई हो


मैं घर आती हूं और अगले दिन सुबह जल्दी उठ के खाना बनाती हूं समय पर सबको खाना देती हूं और घर के सारे काम भी निपटा देती हूं


लगभग 1 महिने बाद मुझे और मेरी जेठानी को ये बात समझ आई की हम दोनो का हाथ धीमा क्यों चल रहा था


जो काम पहले 8 बजे होता था वो अब 11 बजे क्यों हो रहा

इसके पीछे कारण था मोबाइल, और मोबाइल में भी सबसे खतरनाक चीज चोटी शॉर्ट वीडियो, जो एक के बाद एक देखते जाओ, कैसे समय को खा रही है पता ही नही चलता


मैने ये भी देखा की जबसे शॉर्ट देखना बंद किया किसी चीज पे ज्यादा ध्यान टिकने लगा, कोई भी बात काफी जल्दी समझ आने लगी


और सबसे बड़ी बात पहले घर का सारा काम कर के 2 बजे खाली होते थे अब 12 बजे हो जाते हैं


मुझे और जेठानी जी को इस बात को समझने में समय लगा लेकिन आज 1 साल हो गया है अब सुबह उठ के फोन ना देखना अपने आप में एक अच्छी आदत बन गई है


शायद मेरे पापा ये बात जानते थे इस लिए बड़ी सहूलियत से बोल दिया की जो सास बोल रही हैं कुछ दिन कर के देखो

हमारे घर में होने वाली कीच कीच खत्म हो गई,


अब सोचिए ये शॉर्ट्स कितनी खतरनाक चीज है


मेरा जो हाल था वही हाल आज की हर लड़की और लड़के का है, शॉर्ट और रील के चक्कर में

जो काम 10 मिनट का है वो 2 घंटे में पूरा होता है


यदि आप भी अपने परिवार को ठीक से संभाल नहीं पा रहई हैं या आप को लगता है की समय बहुत जल्दी खत्म हो जाता है और आप सारा दिन कुछ कर नहीं पाते तो

मात्र 1 महीने के लिए रील देखना बंद कर दीजिए

ये वो मीठा जहर है जो अंदर से दिमाग और और हमारे समय को धीरे धीरे खाता जा रहा है


उम्मीद में मेरे इस अनुभव से बहुत से गृहणियों को कुछ फायदा होगा


कमेंट कर के ये भी बताएं क्या आपने ये नोटिस किया है की रील दखने से बिना अंदाज का समय नष्ट होता है


***ये पोस्ट कैसी लगी ## कमेंट कर बताएं और पसंद हो तो ## अपवोट अवश्य करें और ## शेयर जरूर करें

Tuesday, 6 May 2025

निःस्वार्थ प्रेम का अर्थ वह होता है,

 यदि निस्वार्थ भाव से इंसान की आंखों में स्नेह, होठों पर मुस्कान, हृदय में सरलता और करुण नहीं है, तो सब कुछ है व्यर्थ

✍🏻

निःस्वार्थ प्रेम का अर्थ वह होता है, जिसमें स्वार्थ न हो । प्रेम देने का नाम है, लेने का नहीं। जब प्रेम के बदले कोई अपेक्षा की जाती है, तब वह प्रेम निः स्वार्थ प्रेम नहीं रह जाता है। एक माँ अपने बुरे से बुरे पुत्र को भी निःस्वार्थ प्रेम के वशीभूत होकर गले से लगा लेती है, जबकि दूसरे रिश्तों में उस व्यक्ति विशेष के लिए हमें अच्छा होना पड़ता है, तभी प्रेम मिल पाता है, लेकिन माता-पिता द्वारा अपने बच्चे को किए गए प्रेम को निस्वार्थ कह सकते हैं। बच्चा बड़ा होकर अपने मां-बाप के प्रेम का कर्ज किस तरह उतारेगा, इसकी परवाह मां बाप कभी नहीं करते हैं और अपने बच्चे की परवरिश में पूरी जिंदगी लगा देते हैं। निस्वार्थ प्रेम का इससे सच्चा उदाहरण और क्या हो सकता है ।

आज के परिवर्तनशील माहौल में अधिकांश लोग स्वार्थी हो गए हैं क्योंकि हर चीज किसी न किसी स्वार्थ के धागे में बंधी हुई है। फिर भी सच्चा प्रेम और दिल से किया गया प्रेम हमेशा निस्वार्थ होता है, लेकिन क्या सच्चे प्रेम को नापने का कोई पैमाना है ? इसलिए इस तरह के प्रेम में समय के साथ बदलाव भी होता है और धोखे भी होते हैं। हम एक-दूसरे को चाहे कितने भी भारी भारी प्यार भरे शब्दों से सजावट कर के सुविचार भेज दें, यदि निस्वार्थ भाव से हमारी आंखों में स्नेह, होठों पर मुस्कान, ह्रदय में सरलता और करुणा नहीं है, तो सब कुछ व्यर्थ है ।

लेखक: सुनिल राठौड़ 


Friday, 2 May 2025

जिस मनुष्य का जैसा विचार, कर्म, व्यवहार व स्वभाव होता है, उसी के अनुरूप उसे मिलता है सुख दुख व मान सम्मान

 जिस मनुष्य का जैसा विचार, कर्म, व्यवहार व स्वभाव होता है, उसी के अनुरूप उसे मिलता है सुख दुख व मान सम्मान

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सम्मान वह अनमोल भावना है, जो ना केवल हमारे रिश्तों को मजबूत करता है, बल्कि सामाजिक संबंधों को भी बेहतर बनाता है। यह एक सकारात्मक दृष्टिकोण है, जो किसी भी व्यक्ति की अहमियत और गरिमा को पहचानने से जुड़ा होता है। आत्म-सम्मान से लेकर दूसरों के प्रति सम्मान तक, यह हर पहलू हमारे जीवन को प्रभावित करता है। खासकर छात्रों के लिए, यह एक महत्वपूर्ण विषय बन जाता है क्योंकि यही वह समय है, जब वे दूसरों से सम्मान प्राप्त करने के साथ-साथ खुद का भी सम्मान करना सीखते हैं। मान सम्मान व्यक्ति के व्यक्तित्व का आईना है । बुरे विचार व बुरे स्वभाव वाला व्यक्ति हमेशा पतन की खाई में ही गिरता है । यदि हममें दूसरों से मान सम्मान पाने की अपेक्षा है तो हमें भी सामने वाले व्यक्ति को सम्मान देना ही होगा ।

मान सम्मान अनंत सम्पत्ति है। पद पैसे की शक्ति का रुतबा इन सबका अंत है, मान और सम्मान की सम्पत्ति तो सदैव अनंत है क्योंकि समय के बदलने के साथ ही पद प्रतिष्ठा समाप्त हो जाती है, परंतु मान और सम्मान का कभी भी अंत नहीं होता। ताली दोनों हाथों से बजती है, एक हाथ से नहीं । रास्ता दिखाने वाले को पहले स्वयं आगे चलना पड़ता है । हर मनुष्य का जैसा विचार, कर्म, व्यवहार और स्वभाव होता है, उसी के अनुरूप उसे सुख-दुख व मान-सम्मान मिलता है ।


      ✍🏻 *लेखक

      सुनिल राठौड़ बुरहानपुर मप्र 

Thursday, 1 May 2025

जो पुरुष अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रख सकता है, वही लंबे समय तक इस धरती पर सुख-शांति से जी सकता है।

 जो पुरुष अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रख सकता है, वही लंबे समय तक इस धरती पर सुख-शांति से जी सकता है।


पुरुषों को ये समझना चाहिए कि उनकी कई परेशानियों और पतनों की जड़ कई बार कई गर्लफ्रेंड्स होती हैं।


हर लड़की की आत्मा अच्छी नहीं होती।


कुछ राक्षसी स्वभाव की होती हैं, कुछ में ज़हर छिपा होता है, और कुछ औरतें किसी की किस्मत को बर्बाद करने वाली होती हैं। जैसा की अभी हाल में आप सब देख चुके हैं...!!


इसलिए सावधान रहें।


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1. हर बार अपने इरेक्शन (लिंगोत्थान) की बात मत मानो।

अधिकतर बार यह तुम्हें गलत दिशा में ले जाता है।

अगर आप अपने इरेक्शन पर नियंत्रण नहीं रख पाए, तो ज़िंदगी छोटी और गरीबी से भरी हो सकती है।


2. किसी लड़की के कर्व्स, बॉडी और फिगर को देखकर रिलेशनशिप मत बनाओ।

ये सब धोखा है, खासकर सोशल मीडिया पर। असली सुंदरता और मूल्य इससे कहीं ज्यादा होता है।


3. हर स्कर्ट के नीचे जो है, उसे हासिल करने की कोशिश मत करो।

कुछ स्कर्ट के नीचे सांप होते हैं, जो काटकर चैन छीन लेते हैं। संयम और अब्स्टिनेंस (संयमित जीवन) अक्सर सबसे अच्छा फल देता है।


4. कई गर्लफ्रेंड्स रखना मर्दानगी नहीं है।

ये सिर्फ आपको औरतबाज़, धोखेबाज़, और बच्चा बनाता है — असली मर्द नहीं।


5. सिर्फ बेड में अच्छे होने से मर्द नहीं बनते।

असली मर्द वह है जो अपनी जिम्मेदारियों से भागता नहीं, उन्हें पूरा करता है।


6. उस लड़की का सम्मान करो जो तुमसे सच्चा प्यार करती है।

किसी लड़की का प्यार और सपोर्ट मिलना आसान नहीं होता। यह उसकी भावनात्मक ताकत और ईमानदारी का सबूत है।


7. दुनिया उन्हीं पुरुषों को सम्मान देती है जो कामयाब होते हैं।

तुम्हारे पास अगर बहुत सारी गर्लफ्रेंड्स हैं, तो कोई तुम्हारी तारीफ नहीं करेगा।

ये सिर्फ समय, ऊर्जा, पैसा और वीर्य की बर्बादी है।


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याद रखो:

ईमानदार, वफादार और ज़िम्मेदार पुरुष ही असली मर्द कहलाते हैं।

संयम ही सफलता की कुंजी है। ......

 हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे.. लेकिन कभी पीली साड़ी में तुम्हे देखकर थम जाए मेरी नज़र... तो समझ जाना तुम... जब तुम रसोई में अके...