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Saturday, 18 December 2021

दुख:द कहानी पति-पत्नी की.

की घटना 😌😔

#राधिका और नवीन को आज तलाक के कागज मिल गए थे। इसके साथ ही कोर्ट से बाहर निकला। पूर्वजों के साथ थे और उनके चेहरे पर विजय और सुकून के निशान साफ ​​झलक रहे थे। चार साल की लंबी लड़ाई के बाद आज फैसला हो गया था।
दस साल हो गए थे शादी को मगर साथ में छह साल ही रह पाए थे। 
चार साल तो तलाक की #कार्यवाही में लग गए।
राधिका के हाथ में दहेज के समान की लिस्ट थी जो अभी नवीन के घर से लेना था और नवीन के हाथ में गहनों की लिस्ट थी जो राधिका से लेने थे।

साथ ही कोर्ट का यह आदेश भी था कि नवीन दस लाख रुपए की राशि एकमुश्त राधिका को चुकाएगा।

राधाकृष्णा और नवीन एक ही क्षण में प्रसन्न नवीन के घर पहुंचे। #दहेज में दिए गए समान की निशानदेही राधािका को करना था।
इसलिए चार साल बाद #ससुराल जा रही थी। आखिरी बार बस उसके बाद कभी नहीं आना था उधर।

सभी रिश्तेदार अपने अपने घर जा चुके थे। बस तीन प्राणी बचे थे। नवीन, राधािका और राधािका की माता जी।

नवीन घर में अकेला ही रहता था। मां-बाप और भाई आज भी गांव में ही रहते हैं। 

राधिका और नवीन का इकलौता बेटा जो अभी सात साल का है, कोर्ट के फैसले के अनुसार बलिग होने तक वह राधिका के पास ही रहेगा। नये महीने में एक बार उससे मिल सकता है।
घर में माहौल करते ही पुरानी यादें ताज़ा हो गई। कितनी मेहनत से संतुष्ट थी ऐसी राधिका ने। एक एक चीज़ में उसकी जान बसी थी। सब कुछ उसकी आँखों के सामने बना हुआ था। एक ईंट से धीरे-धीरे घरों को पूरा होते देखा था उसने।
सपनों का घर वही था। कितनी #शिद्दत से नवीन ने उसके सपने को पूरा किया था।
नवीन मेहनतारा सा पक्षियों पर पसर गया। बोला "ले लो जो कुछ भी चाहिए मैं तुझे नहीं रोकूंगा"
राधािका ने अब गौरव से नवीन को देखा। चार साल में कितना बदल गया है। बालों में सफेदी गूंजने लगी है। शरीर पहले से आधा रह गया है। चार साल में चेहरे की रौनक गायब हो गई।

वह #स्टोर रूम की तरफ अधिकतर जहाँ उसके दहेज का अधिकतर समान पड़ा था। सामान पुराने फैशन का था इसलिए कबाड़ की तरह स्टोर रूम में डाल दिया गया था। मिला भी कितना थाहे द। प्रेम विवाह था प्रेम का। घर वाले तो मजबूरी में साथ हुए थे। 
प्रेम विवाह तभी हुआ था जब नजर लग गई किसी की। क्योंकि प्रेमी जोड़ी को हर कोई टूटता हुआ देखना चाहता है। 
बस एक बार पीकर बहक गया था नवीन। हाथ उठा बैठा था उसपर। बस वो गुस्से में मायके चली गई थी। 
फिर चला था तन्निशिक्षण का दौर । इधर नवीन के भाई भाभी और उधर राधािका की माँ। कोई बात नहीं, कोर्ट तक जा पहुंची और तलाक हो गया।

न राधाकि लोटी और न नवीन लाया गया। 

राधािका की माँ बोली "तेरा सामान कहाँ है? इधर तो नहीं दिखता। बेचा दिया होगा इस शराबी ने ?"

"चुप रहो #माँ" 
राधाकिशा को ना जाने क्यों नवीन को उसके मुँह पर शराबी कहना अच्छा नहीं लगा।

फिर स्टोर रूम में पड़े सामान को एक कर लिस्ट में मोड़ दिया गया। 
बाकी दुकानों से भी लिस्ट का सामान उठा लिया गया।
राधिका ने सिर्फ अपना सामान लिया, नवीन के समान को छुवा भी नहीं। फिर राधिका ने नवीन को गहनों से भरा बाग पकड़ा दिया। 
नवीन ने बैग वापस राधिका को दे दिया " रखलो, मुझे नहीं चाहिए काम आयेंगे तेरे मुसीबत में ।"

गहनों की कीमत 15 लाख से कम नहीं थी। 
"क्यूँ, कोर्ट में तो तुम्हारे वकील कितनी दफा गहने-गहने चिल्ला रहा था" 
"कोर्ट की बात कोर्ट में खत्म हो गई, राधाकि। तो मुझे भी दुनिया का सबसे बुरा जानवर और शराबी साबित कर दिया गया है।"
सुन राधािका की माँ ने नाक भोंसों दिया।

"नहीं चाहिए। 
वो दस #लाख भी नही चाहिए"

 "क्यूँ?" नवीन चट्टानों से खड़ा किया गया।

"बस यूँ ही" राधिका ने मुँह फेर लिया।

"इतनी बड़ी जिंदगी पड़ी है कैसे कटोगी? ले जाओ,,, काम आएँगे।"

इतना कह कर नवीन ने भी मुंह फेर लिया और दूसरे कमरे में चला गया। शायद आँखों में कुछ उतरना होगा जिसे छिपाना भी जरूरी था।

राधािका की माता जी गाड़ी वाले को फोन करने में व्यस्त थी।

राधिका को मौका मिल गया। वो नवीन के पीछे उस कमरे में चली गई।

वो रो रहा था। अजीब सा मुँह बना कर। जैसे भीतर के सैलाब को दबा दबा की जद्दोजहद कर रहा हो। राधिका ने उसे कभी रोते हुए नहीं देखा था। आज पहली बार देखा ना जाने क्यों दिल को कुछ सुकून सा मिला।

मगर ज्यादा भावुक नहीं हुई।

सादे अंदाज में बोली "इतनी फिक्र थी तो तलाक क्यों दिया?"

"मैंने नहीं तलाक लिया" 

"दस्तखत तो तून भी किया"

"माफ़ी नहीं चाह सकते थे?"

"मौका कब दिया तुम्हारे घर वालों ने। जब भी फोन किया काट दिया।"

"घर भी आ सकते थे"?

"हिम्मत नहीं थी?"

राधाका की माँ आ गई। वो उसका हाथ पकड़ कर बाहर ले गया। "अब क्यों मुँह लग रही है इसके? अब तो रिश्ता भी खत्म हो गया"

मां-बेटी बाहर बरामदे में आटे पर सूखी गाड़ी का इंतजार करने लगी। 
राधािका के भीतर भी कुछ टूट रहा था। दिल बैठा जा रहा था। वो सुन्न सीटेक्स जा रही थी। जिस प्रथा पर बैठी थी उसे गौर से देखने लगी। कैसे कैसे बचत कर के उसने और नवीन ने वो सोफा खरीदा था। पूरे शहर में घूमी तब यह पसन्द आया था।"
 
फिर वह तुलसी के केड़े वाले पौधे पर नजर आईं। कितनी शिद्दत से देखभाल की जाती थी। वह तुलसी के साथ भी घर छोड़ गया।

घबराहट और ख़ुशी तो वह फिर से उठ कर भीतर चली गई। माँ ने पीछे से पुकारा मगर उसने अनसुना कर दिया। नवीन बेड पर उलटे मुंह पड़ा था। एक बार तो उसे दया आई उस पर। मगर वह जाना था कि अब तो सब कुछ खत्म हो चुका है इसलिए उसे भावुक नहीं होना है। 

उसने सरसरी नजर से कमरे को देखा। पूरा कमरा अस्त व्यस्त हो गया है। कहीं कांही तो मकड़ी के जाले झूल रहे हैं।

उसे स्पाइडर के जाल से कितनी नफरत थी?

फिर उसकी नज़र चारों ओर और लगी उन फोटो पर जिनमे वो नवीन से माथे पर मुस्करा रही थी।
कितने अच्छे दिन थे वो।

माँ बहुत में फिर आ गई। हाथ पकड़ कर फिर उसे बाहर ले गया।

बाहर गाड़ी आ गई थी। सामान गाड़ी में डाला जा रहा था। राधािका सुन सी बैठी थी। नवीन कार की आवाज सुनी गई। 
अचानक नवीन कान पकड़ कर घुटनों के बल बैठ गया।
बोला--"मत जाओ,,, #माफ कर दो"
शायद यही वो शब्द थे जिन्हें सुनने के लिए चार साल से तड़प रही थी। सब्र के सारे बांध एक साथ टूट गए। राधािका ने कोर्ट के फैसले का कागज निकाला और रिकार्ड किया। 
और माँ कुछ कहती है उससे पहले ही नवीन से। साथ में बुरी तरह रोते जा रहे थे।
दूर खो राधाका की माँ समझ गयी कि 
कोर्ट का आदेश दिलों के सामने #कागज से ज्यादा कुछ नहीं।
काश उन्हें पहले मिलने दिया होता?

                  अगर माफ़ी इंसान से ही #रिश्ते मौत से बच जाए, तो माफ़ी मांगनी चाहिए।😷

Tuesday, 23 November 2021

मुझे भी दर्द होता है

मैं " पुरुष " हूँ...
(सुनिल राठोड)

मैं भी घुटता हूँ , पिसता हूँ
टूटता हूँ , बिखरता हूँ
चिल्लाता हूं।सहता हू
भीतर ही भीतर
रो नही पाता
कह नही पाता
पत्थर हो चुका
तरस जाता हूँ पिघलने को
क्योंकि मैं पुरुष हूँ..
.
मैं भी सताया जाता हूँ
तड़पाया जाता हूं।
जला दिया जाता हूँ
उस दहेज की आग में
जो कभी मांगा ही नही था
स्वाह कर दिया जाता हैं
मेरे उस मान-सम्मान का
तिनका - तिनका
कमाया था जिसे मैंने
मगर आह नही भर सकता 
क्योकि मैं पुरुष हूँ..
.
मैं भी देता हूँ आहुति
विवाह की अग्नि में
अपने रिश्तों की
हमेशा धकेल दिया जाता हूं
रिश्तों का वजन बांध कर
जिम्मेदारियों के उस कुँए में
जिसे भरा नही जा सकता
मेरे अंत तक कभी
कभी अपना दर्द बता नही सकता
किसी भी तरह जता नही सकता
बहुत मजबूत होने का
ठप्पा लगाए जीता हूँ
क्योंकि मैं पुरुष हूँ..
.
हॉ.. मेरा भी होता है बलात्कार
उठा दिए जाते है
मुझ पर कई हाथ
बिना वजह जाने
बिना बात की तह नापे
लगा दिया जाता है
सलाखों के पीछे 
कई धाराओं में
क्योंकि मैं पुरुष हूँ..
.
सुना है जब मन भरता है
तब आंखों से बहता है
मर्द होकर रोता है
मर्द को दर्द कब होता है
टूट जाता है तब मन से
आंखों का वो रिश्ता
तब हर कोई कहता है..

तो सुनो ...
सही गलत को
हर स्त्री स्वेत स्वर्ण नही होती
न ही हर पुरुष स्याह कालिख
मुझे सही गलत कहने वाले 
पहले मेरी हालात नही जांचते ...

क्योंकि...

मैं "पुरुष" हूँ..?

Thursday, 11 March 2021

गोर बंजारार कविता

 बंजारा एक महान समाज छ,,,

 तम समाजेर गौरव छो,,,,

गोर बंजारा भारतेर अभिमान छ,,,,

गोर बंजारार तांडो सबेती महान छ,,,

भारतेर सारी राज्यम गोर बंजारा छ,,

संत सेवा भायार भक्त सारी जगेम छ,,

गौर समाजेर धर्म गुरु रामराव बापू छ,,

अखिल भारतीय चैतन्य साधक परिवारेर हम गौर छा,,

गोर बंजारा भारतेर अभिमान छ,,,2, 

देश विदेशेम संत सेवा भायार नाम छ,, 

सेवाभाया सबेती महान छ,,,,2


बंजारा फाउंडेशने सारू, एक कविता लिखो छू, 

गोर बंजारान तमार कामें पर अभिमान छ,,,

      

जय सेवालाल 

                         लेखक

                     सुनील राठौड़

Sunday, 7 March 2021

MLM की बहुत बड़ी सच्चाई

 नमस्कार मित्रों आपका स्वागत है आपके अपने हिन्दी अपडेट ग्रुप में 🇮🇳🌹🤝

साथियों आज मैं आपको MLM की बहुत बड़ी सच्चाई से अवगत कराना चाहता हूं। *इस मार्केट के बड़े लीडर से सावधान हो जाएं।* क्योंकि वो हर जगह आप से पहले आपके ऊपर बैठ कर आप पर राज करेंगे और केवल राज ही करेंगे। क्योंकि आपकी ज्वाइनिंग जब तक नहीं होती तब तक उनके पास टाइम ही टाइम होता है, और जब एक बार आपकी ज्वाइनिंग हो जाए फिर उनका तेवर देखिए वो बोलेंगे अब फोन पे नहीं मीटिंग में आओ और साथ में भीड़ भी लाओ। और उस भीड़ में उनका टारगेट आपको सिखाने से ज्यादा आपको कुछ नहीं आता ये साबित करना रहता है ताकि अगले सिस्टम में भी वो टाप में बने रहें। मैं पुछता हुं आपने कभी देखा है कि वो अपने डाट्स कैसे किलेयर करते हैं क्या वो मां के पेट से ही सीख कर आते हैं। मैं कहता हूं कि केवल अपने डाइरेक्ट को टेक्निकल सपोर्ट समय से करते रहें तो क्या वो भी अपने डाइरेक्ट को सपोर्ट नहीं कर पायेंगे? *असली भीड़ तो ऐसे आयेगी सिस्टम में!और साथ में भीड़ भी कामयाब होगी।* लेकिन इन बड़े लीडरों को कामयाब भीड़ को नहीं खुद को बनाना होता है। और मैं उनकी मनसा को गलत नहीं ठहरा रहा (हर इन्सान को अपने हित में पहले सोचने का अधिकार है, परन्तु साथ में उनका दायित्व होता है कि उनके साथ लाये गये भीड़ का भी हित हो) मैं केवल उनकी मनसा में पुरी इमानदारी लाना चाहता हूं। इसके लिए साथियों हमें जरुरत है इन बड़े लीडरों को दर्पण दिखाने का। ये आपको मीटिंग में बुलाकर केवल अपना बड़ा पेआउट दिखाकर आपको प्रलोभन में डालेंगे ताकि आप भी बड़ा इन्वेस्ट कर सकें। अरे भाई इन बड़े लीडरों ने प्लान को गलत तरीके से प्रोमोट किया है। इनके मुताबिक आपको यहां इनकम बड़ा इन्वेस्ट करने से नहीं आपके नीचे बड़ा इन्वेस्टमेंट करवाने से होगा जो कि ये आपको स्पष्ट रूप से नहीं बोलते। जबकि इन्डाइरेक्ट रुप से इसका यही मतलब होता है।अब जो इस इंडस्ट्री में पहले से हैं वो तो किसी तरह अपना इनकम यहां भी कर ही लेते हैं, *परन्तु हमारे वो साथी जो इस कोरोना काल में पहली बार आये हैं वो इस इंतजार में रहते हैं कि मैंने तो इन्वेस्ट कर दिया है मेरी इनकम हो जाएगी, (सावधान आपको इनकम तभी आएगा जब आप अपने नीचे भी इन्वेस्ट कराओगे ऐसा मैं नहीं बोल रहा हूं इन बड़े लीडरों की मीटिंग और प्रोमोशन बोल रही है इन्डाइरेक्ट रुप से) साथियों ऐसी स्थिति में अगर ५% लोगों की इनकम हो भी जाती है तो समझो उनकी किश्मत भगवान ने फुरशत में लिखी है। बाकी बचे ९५%लोग फ्रशटेड हो जाते हैं। *और उनके दिमाग में इन्हीं बड़े लीडरों के द्वारा ये बिठा दिया जाता है कि हमारी इन्ट्री इस सिस्टम में देरी से हूई। ताकि वो आपके भोलेपन का दोबारा से फायदा किसी दूसरे सिस्टम में ले जाकर उठा सकें,* और आप भी दोबारा से उनके जाल में फंसते हो वहां भी वही टाप लीडर धन बडोरते हैं और आप इस बार भी उसी पोजीशन पर रहते हैं या उससे कुछ बेहतर। और फिर तीसरा सिस्टम, फिर चौथा, फिर पांचवां-----इत्यादि।इसी तरह आप सब दिन उनके पीछे भागते रहते हो और वो कमाल करते रहते हैं। पहले इसका कारण भी था कि पहले लेबलीटि वाली कंपनी भी आती थी और उन्हें लेबलिटी बढ़ने के कारण जाना भी पड़ता था इसमें भी अप्रत्यक्ष रूप से इन बड़े लीडरों का भी हाथ होता था। परन्तु अब क्या हुआ अब तो डीसेंट्रलाइज्ड सिस्टम आ चुका है ये कहां भागी जा रही है। फिर ये बड़े लीडर दुसरे सिस्टम को क्यों प्रोमोट कर रहे हैं। *सावधान आखिर कब तक इनके पीछे भागते रहोगे।याद रखना कामयाबी भागने से नहीं सिस्टम में डटे रहने से मिलती है।* *ये बड़े लीडर  प्लान को प्रोमोट ही गलत तरीके से करते हैं और आपसे हेवी इन्वेस्टमेंट करवाकर खुद हेवी अमांउन्ट बटोरते हैं और जब इनकी इनकम की रफ्तार टुटती है तब आपके सामने किसी दूसरे सिस्टम को पड़ोष देते हैं, और आप इनके पीछे भागते रहते हो और भागते ही रह जाते हो। इसमें कहीं ना कहीं आप खुद भी दोषी हो, आपको तकलीफ अपनी इनकम कम या नहीं होने से ज्यादा दुसरे की इनकम ज्यादा हो जाने से होती है। बस आपके इसी सोच का तो फायदा उठाते हैं ये।* मेरी ज्वाइनिंग N-Mart.में हुई थी लेकिन वहां मेरी ज्वाइनिंग लगाने के बाद अपलाइन ने फोन उठाना बंद कर दिया *only whatsapp chatting का reply आने लगा।* फिर मैंने उनके भी अपलाइन का नंबर उपर किया उन्होंने भी कहा zoom मीटिंग में आओ मैं ठहरा हिन्दी आदमी इधर चाइना प्रोडक्ट वाईकाट जोर पर था मैंने पहले कहा पहले कोई हिन्दुस्तानी एप के जरिए मीटिंग करवाइए, परन्तु मेरे अकेले की कौन सुनता है। फिर भी मैंने इन्तजार किया कि शायद कोई सुने, परन्तु किसी ने नहीं सुनी थक हार कर मैंने भी zoom एप इन्स्टाल किया लेकिन *🐅LIONS SHARE🐅* की मीटिंग अटेंड करने के लिए क्योंकि आदत तो पहले वाली ही थी कंपनी बदलने की। और मैं अपने अपलाइन का नाम नहीं लेना चाहुंगा क्योंकि मैं नहीं चाहता कि मेरे कारण किसी के भी दिल को ठेस पहुंचे। यहां भी मेरे अपलाइन ने ज्वाइनिंग से पहले पुरे दिन में १० बार फोन करके हाल समाचार लिया करते थे। और कोन्सेप्ट के बारे में पुछने पर मीटिंग में बुलाते थे,वो भी टीम के साथ। मेरे लिए तो नया था प्लान, आप देखते हैं कि मीटिंग में इस प्लान को (इन्डाइरेक्ट रुप से)इन्वेस्टमेंट टाइप का समझाया जाता है। परन्तु साथियों सिम्पल सा लाजिक है--जरा आप सोचों *आपके जानने वाले अगर आप से वो अपने उपर इन्वेस्ट करने को बोले या फिर इसे ऐसे समझते हैं कि वो आपसे  कर्ज के रूप में धन की मदद मांगते हैं तो आप क्या करते हैं। सोचिए अपने दिल से पुछिए जवाब मिल जाएगा। मैं बताता हूं -- सबसे पहले तो आप उस व्यक्ति के व्यवसाय को देखते हैं। उसके व्यवसाय से होने वाले उसके फायदे और नुक्सान के बारे में पता करते हैं। और उनके ऊपर पहले की लेबलिटी के बारे में पता करते हैं और भी तमाम प्रकार के रिसर्च करने के बाद ही डिसाइड कर पाते हैं कि इन्वेस्ट करना है या नहीं और करना भी है तो कितना।अब जरा सोचिए ये एक सिस्टम है यहां आपको इन्वेस्ट करना चाहिए या वर्क करके अर्न करने चाहिए।प्लान को अच्छे से समझें और वर्क करें और इनकम करें।* दुसरे के पेआउट को देख कर उनके प्रलोभन में ना आएं और अपने सेविंग को बढ़ाएं ना कि घटाएं। मीटिंग में दिखाई देने वाले पेआउट के पीछे बहुत सारी कहानी होती हैं।इनके झांसे में ना आएं और ना ही इनके पीछे किसी दूसरे कोन्सेप्ट में जाएं। अगर ये बड़े लीडर आपको दुसरे सिस्टम  में ले जाने की कोशिश करें तो इन से एक ही सवाल पुछें कि आपकी तो अर्निंग अच्छी हुई है तो आप क्यों भाग रहे हैं। मैं आपके बोलने पर इस सिस्टम में आया हुं, यहीं पर रह कर मेरी टेक्निकल और मोटिवेशनल स्पोर्ट् करें। मैं भी आगे बढुंगा/बढुंगी। *और हां सबसे पहले तो अपनी सोंच बदलें कि मैंने इस सिस्टम में आने में देरी कर दी। कोई देरी नहीं हुई,आप अपने अपलाइन की आज का पेआउट का स्क्रीन साट ले कर सेव करो और वर्क करो और फिर देखना १०/२०/३०/४० दिन में आपका भी पेआउट उनके जितना ही होगा। उसके बाद फिर से उनके पेआउट को देखना फिर से अपना नया टारगेट बनाना, और देखना फिर से आप उसे एचीव करोगे।इसी तरह आगे बढ़ते रहें। लेकिन आप क्या करते हो जब तक आप अपना टारगेट अचीव करते हो तब तक आपके अपलाइन का पेआऊट आपसे ज्यादा होता है बस यही देख कर आप विचलित होने लगते हो कि मैं पिछे रह गया आपके इसी सोंच का फायदा ये टाप लीडर्स उठाते हैं।अब आपको अपनी सोंच को बदलना है और इमानदारी से वर्क करना है।एकदम आसान काम है अपने नीचे तीन लोगों को लाएं और उन्हें भी तीन लोगों को लाने लायक बनाएं। यहीं से इनकम करके अगले स्लोट में अपग्रेड करें। इसमें टेक्निकल सपोर्ट अपने अपलाइन से लेते रहें,और अपने नीचे भी करते रहें।* और मैं अंत में इस सिस्टम के क्रियेटर को ये कहना चाहूंगा कि इसमें और क्या बेहतर हो सकता है उसके लिए प्रयास करते रहें। मुझे लगता है कुछ ज्यादा ही लिख दिया हूं।


अतः अंत में मैं ये कहना चाहूंगा कि ये टिप्पणी करने के पीछे मेरा किसी भी व्यक्ति विशेष के मन को ठेस पहुंचाने का नहीं है। अगर किन्ही व्यक्ति को ठेस पहुंची हो तो मैं उसके लिए क्षमा प्रार्थी हूं।

आपका अपना प्यार ..सुनिल राठोड। 🌹

तथा पुरा पढ़ने के लिए आप सभी का बहुत बहुत🇮🇳🤝धन्यवाद

जिन लोगों ने मेरे साथ में धोखा किया।(मुझे दुख पहुंचाया)

 

जिन लोगों ने मेरे साथ में धोखा किया।(मुझे दुख पहुंचाया)
उनकी लिस्ट विवरण के साथ इस इस प्रकार है।
1) उत्तम शामराव चौधरी।
2) रामेश्वर राठौड़ गब्बू।
3) देवराव चौहान,(मेरा साडू)
4) हीरालाल नंदू चौहान।
5) रामकिशन रसाल राठौड़।
6)मधुकर झाड़ू पान पाटील
7) संजय सुभाष चौधरी।
8) आसाराम मार्को जसोदी
9) शिवा मधुकर चौहान।
10) मांगीलाल तारापार्टी।
11) रविंद्र खेमसिंह राठौड़।
12)अमरसिंह ऊखा राठौड़
13) सुमन (Sis) अमरसिंह।
14) Polition Magilal Zamu 
15)पूनम मोरसिंह राठौड़।
16) देवराव चौहान (साडू)
17) केशव हीरालाल चौहान।
18) विजय पाटिल सर, शिरपुर।

19)अर्जुन हरी चौहान एंड पिनेश हेमराज चौहान।
20) गुरुदयाल बाबू पवार,
21) जीवन लक्ष्मण चौहान।
22) संजय दोला राठौड़
23) भावा दौला राठोड
24) नंदू लक्ष्मण चौहान।
25) राजू झामु चौहान।

26)अमोल प्रह्लाद पाटिल।

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                         विवरण
              1) उत्तम शामराव चौधरी।

मेरे बड़े भाई राजेश की शादी की तारीख निकल गई थी और शादी करने के लिए पैसा कम पड़ रहा था।उस समय उत्तम चौधरी ब्याज से पैसे बांटता था। मैंने उससे अपनी प्रॉब्लम बता कर ब्याज से पैसे लेने की बात कही तो उसने मुझे मना कर दिया।एक-दो दिन बाद उसके सूत्रों ने मुझे बताया कि वहां तेरे पास से
पानी के लिए कुआं खोदने कि,जमीन लेना चाहता है।मैंने तुरंत हां कर दिया। वैसे भी मुझे पैसों की आवश्यकता थी।क्योंकि शादी की तारीख नजदीक आ रही थी और मेरे पास पैसा नहीं था।
जब जमीन के सौदे के लिए बैठे।तो बैठक में तय हुआ कि ₹50000 में। सिर्फ एक आरा (1000 स्केयर फिट)कुआं खोदने के लिए ही जमीन देना है।जब मैं रजिस्ट्री की जानकारी लेने ब्रानपुर पहुंचा तो मुंशी ने मुझे कहा कि एक आरे की रजिस्ट्री नहीं होगी। कम-से-कम 10 आरे की रजिस्ट्री होगी।जब मैंने यह बात घर पर बताई तो घर वालों ने मुझे साफ मना कर दिया।
फिर दोबारा हमारे घर में बैठक हुई। इस बैठक में हीरालाल, नंदू चौहान, करतार राठौड़ थे।
तो वहां पर उत्तम चौधरी मेरे घर वालों को समझाने लगा कि मुझे 10आरे की आवश्यकता नहीं है। मात्र एक आरे की ही आवश्यकता है।और वैसे भी वहां 10
आरे लेकर मैं क्या करूंगा, मुझे वाहा खेती करने तो आना नहीं है। मुझे सिर्फ कुए के लिए जगह चाहिए।मेरे लिए एक आरा बहुत है। मेरे घर वालों के मना करने के बावजूद मैंने उसकी बात सुनी।और उसके कहने के मुताबिक मैंने उसको 10आरे की रजिस्ट्री कर दी ।रजिस्ट्री करने के कुछ ही दिनों बाद उसने दोस
10 आरे पर कब्जा कर लिया।और कहने लगा कि मैंने तुमसे 10 जमीन खरीदी है।देखो मेरे पास में रजिस्ट्री भी है।जब मैं बीच वाले व्यक्ति से कहने लगा कि देखो मेरे साथ में उत्तम काका धोखा कर रहा है तो उन्होंने मुझे कहा, तुम तुम्हारा देखो हमें कुछ नहीं पता। और कानूनी दायरे से मैं उसका कुछ भी नहीं कर सकता।इतना कुछ होने के बाद भी मैंने उनसे कहा कि काका जी जब भी आप यह जमीन बेचोगे, मुझे जरूर बताना।और फिर दोबारा उसने मेरे साथ में धोखा किया, मुझे बिना बताए जमीन बेच दी।मैं आज भी उस जमीन को देखता हूं तो मेरे साथ में किया गया धोखा मुझे याद आ जाता है।इसलिए मैं खेत में बहुत कम जाता हूं।
___________________________________

                  2) रामेश्वर(गबु)राठौड़

शुरुआत गहरी दोस्ती से होती है। आलम ऐसा था कि दिन के 24 घंटे में से 15 घंटे साथ में बिताया करते थे।हर एक प्राइवेट से प्राइवेट बाद भी एक दूसरे को शेयर किया करते थे। हम एक दूसरे को जय-वीरू से भी बढ़कर समझते थे।एक दिन अचानक मेरे दिमाग में एक आइडिया आया।और मैंने गब्बू से कहा, क्यों ना हम अपनी दोस्ती को बिजनेस पार्टनर में बदल ले। जिससे हम पैसा भी कमाएंगे और खूब टाइम साथ में रहकर इंजॉय भी करेंगे।गब्बू ने मुझसे पूछा, वह कैसे और कौन सा बिजनेस करेंगे।मैंने उससे कहा देख गाने सुनने का हम दोनों को बहुत शौक है।तो अपन दोनों मिलकर।डीजे साउंड का काम चालू करते हैं।
और वैसे भी गब्बू मेरी कोई बात का मना नहीं करता था।उसने तुरंत हां कह दीया।मैंने उससे कहा, हम पार्टनरशिप में बिजनेस तो करेंगे लेकिन हमारी दोस्ती में कोई दरार नहीं पढ़नी चाहिए क्योंकि जब घर में सगे भाई कि नहीं बनती, तो हो सकता है। बिजनेस में अपनी भी कुछ अनबन हो जाए और इस खराब स्थिति का भी हमें सामना करना है।जिस दिन मुझे लगेगा।या फिर तुझे लगेगा कि हम दोनों के बीच में कुछ अच्छा नहीं चल रहा है उस परिस्थिति में मुझे बिंदास बता देना।मैं तुझसे बिना कोई सवाल जवाब किए पार्टनरशिप से बाहर निकल जाऊंगा।क्योंकि मेरी व्यक्तिगत सोच थी। मैं तो भविष्य में कोई भी बिजनेस या जॉब करके .अपना और अपने परिवार का पेट पाल लूंगा लेकिन मेरा दोस्त गब्बू कम पढ़ा लिखा है इसलिए मैं यहां बिजनेस उसको दे दूंगा।.मैंने पार्टनरशिप करने से पहले नेगेटिव पॉजिटिव दोनों प्वाइंट उसको समझा दिए थे।हम दोनों के बीच में फूट डालने वाले बहुत सारे आएंगे लेकिन हमें किसी की बात नहीं सुननी है।.....
हम दोनों के पास में पैसों की बहुत प्रॉब्लम थी। हम लोग रोज हनुमान मंदिर पर बैठ कर।विचार विमर्श किया करते थे।लगभग एक से डेढ़ साल तक हमसे पैसों का जुगाड़ नहीं लग पाया था।
फिर उसी दरमियान मुझे नरेंद्र पवार का कॉल आया और कहने लगा। क्या आप जॉब करने की इच्छुक हो वैसे भी हमारे पास डीजे साउंड खरीदने के लिए पैसे नहीं थे तो मैंने जॉब करना उचित समझा।और फिर मैं महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी में एंकरिंग के जॉब के लिए चला गया।
उस के बाद गबु मुझसे फोन पर रोज बात किया करता था ।फोन पर भी हमारी बिजनेस की प्लानिंग चलती थी। मैंने उनसे कहा, मैं जॉब करके थोड़े बहुत पैसे इकट्ठा कर लेता हूं।और फिर मैं वापस आकर हम दोनों साथ में डीजे साउंड सिस्टम चालू करेंगे।जॉब पर लगे मुझे तीन से चार महीने ही हो रहे थे कि गब्बू मुझसे कहने लगा कि तू वापस आ जा हम दोनों यहीं पर कुछ जुगाड़ करते हैं। तेरे बिना यहां कुछ नहीं हो सकता।मैंने उससे कहा, मैंने कंपनी वालों के साथ में एग्रीमेंट किया है। कंपनी वाले मुझे आने नहीं देंगे यह जाब छोड़ कर।गब्बू ने मुझसे कहा, तू कुछ भी कर और वापस आजा।
गब्बू को मैंने एक आईडिया दिया फोन पर मैंने कहा।तू कल मेरे बॉस को फोन लगाकर बोल कि सुनील की दादी शांत हो गई है। उसको अर्जेंट घर पर भेज दो तो मुझे घर पर भेज सकते हैं।और जैसा मैंने कहा, गब्बू ने वैसा ही किया। हम लोग प्लान में कामयाब हो गए और मैं जॉब छोड़ कर।घर वापस आ गया।उस दोरान मैं एलआईसी एजेंट का भी काम करता था। अब 24500 के समथिंग मेरे पास पैसे थे और हमें डीजे सिस्टम खरीदने के लिए लगभग ₹100000 की जरूरत थी।फिर मैंने गब्बू के कहने पर एक व्यक्ति (ईश्वर राठोड सातपायरी)।से।60000 रुपए ₹5 परसेंट से लिए।उसने मेरे खाते में इस दिनांक ..............को पैसे डाले।और फिर हम लोग अरुण पवार सर को लेकर इंदौर गए।इतने पैसे में ही हमने डीजे का सामान खरीदा।अब हमारे पास में ना ही जंनलेटर था ना ही कोई दुकान थी और ना ही कोई गाडी थी।अरुण काका के रिफरेंस से हमें किराए का रूम मिल गया।अब हम लोग जनरेटर और गाड़ी किराए से लेकर डीजे साउंड का काम चालू कर दिया।
उस समय गांव में जनरेटर नहीं होने के कारण हमें डोईफोडीया से जनरेटर किराए से लाना पड़ता था।शादी के आर्डर के 1 दिन पहले।और जैसे ऑडर खत्म हुआ उसे वापस वही पहुंचाने जाना पड़ता था।कितनी कठिनाइयों से हम दोनों ने दिन निकाले और मेहनत करके धीरे-धीरे हमने अपना खुद का जनरेटर खरीद लिया।अब शादी ब्याह के ऑर्डर भी हमें अच्छे से मिलने लगे थे।धीरे धीरे डीजे का सामान भी बड़ा लिया ।डीजे साउंड का हिसाब किताब मेरे पास में ही था क्योंकि गबु को मुझ पर बहुत भरोसा था।उसके पास में जो भी पैसे आते वह मेरे पास में दे देता था।और कुछ ही दिनों बाद में हमने पुराना लैपटॉप भी खरीद लिया।उस समय डीजे ऑपरेटिंग सिस्टम पर मैं खुद ही बैठता था।हम दोनों का काम में बहुत मन लग गया था। हम लोग अच्छे से काम करने लग गए थे।मेरे पास में पैसे का लेनदेन होने के कारण में हर एक बारीक से बारीक चीज़ लिखकर रख लिया करता था।क्योंकि लेनदेन के हिसाब किताब में हमारा विवाद ना हो इसलिए मैं हर एक चीज को लिखकर रख लिया करता था।
और शायद यही बात गब्बू को पसंद नहीं थी। वैसे उसने मुझे कभी बताया नहीं कि तू बारीक बारीक चीज क्यों लिख लेता है.3 साल हमने डीजे बहुत अच्छे से चला आया।और 3 साल बाद धीरे-धीरे गब्बू की नाराजगी मुझसे बढ़ने लगी।मैंने बहुत बार उससे पूछने की कोशिश की, लेकिन उसने मुझे कभी कुछ बताया ही नहीं।उसने मुझसे बात करना भी कम कर दिया था।बिना बात किए भी हमने 1 साल साथ में काम किया।शायद उसकी इच्छा थी कि मुझे पार्टनरशिप से बाहर निकाले, लेकिन वह मुझे बोल नहीं पा रहा था।कभी-कभी तो मुझे बिना बताए ही आर्डर पर जाने लग गया।धीरे धीरे मुझे अपने आप में ही गिल्टी फील होने लगी।
शायद गब्बू मुझ से छुटकारा पाना चाहता है। मुझसे पार्टनरशिप से दूर होना चाहता है और मैं उसके पीछे पड़ा हूं।फिर एक दिन मैंने उससे कहा कि गब्बू अपना-अपना हिसाब किताब कर लेते हैं।लेकिन वहां कभी हिसाब किताब करने के लिए बैठता ही नहीं।फिर एक दिन मैंने उसको जबरदस्ती हिसाब करने के लिए बैठाया,जब हमने हिसाब किया तो मेरे पैसे डीजे सिस्टम के तरफ ₹25000 निकले।जो मैंने मेरे जेब से खर्च किए थे।गब्बू को मेरे हाथ का हिसाब पसंद नहीं आया तो उसने उसके भाई विजय राठौड़, उसके जीजा जी और दिनेश चौहान को बुला कर हिसाब करवाया।उनके द्वारा हिसाब करने पर गब्बू के तरफ मेरे ₹35000 कैश निकला।मैंने उनके द्वारा हिसाब किए हुए की कॉपी में सिग्नेचर ले ली और मेरे पास में कॉफी आज भी पड़ी है।और डीजे की पार्टनरशिप का पैसा तो हमने अभी जोड़ा ही नहीं है। जब मैं डीजे सिस्टम से बाहर निकला उस समय लगभग ढाई लाख रुपए की प्रॉपर्टी थी हमारे पास में।
जैसे 1लेपटॉप,2मिक्सर 2,मशीन
1जनरेटर,18 इंची दो स्पीकर,
15 इंची4स्पीकर,कॉर्डलेस माइक एवम अन्य ऐसीसरीज।जब मैं पार्टनरशिप से बाहर निकला तो गब्बू ने मुझे ₹1 भी नहीं दिया। ना ही उसने मेरे जेब से खर्चा हुआ पैसा दिया।ना ही सिस्टम में से कोई हिस्सा दिया.उसने मेरे बारे में कुछ भी नहीं सोचा और मुझे पार्टनरशिप से बाहर निकाल दिया।और मैं भी बिना किसी को कोई शिकायत किए।पार्टनरशिप से बाहर हो गया।
आज तक नहीं मैंने उससे कभी पैसे मांगे और ना ही उसने मुझे कभी पैसे देने की बात कही।
लेकिन मुझे एक बात का अफसोस हमेशा था, है,और रहेगा,।आखिर मेरी गलती क्या थी?
उसने आज तक मुझे नहीं बताया।शायद किसी और के बारे में अच्छे विचार रखना ही बेवकूफी होती है और वह बेवकूफी मैंने की है।
बातें तो हम एक दूसरे से आज भी करते हैं लेकिन मेरे नजर में वह दोस्ती वाली इज़्ज़त बिल्कुल भी नहीं रही।गब्बू मुझसे सिर्फ एक बार बोल देता कि हमारी एक दूसरे से नहीं बन रही। मैं खुशी-खुशी से डीजे सिस्टम से बाहर हो जाता। उससे ₹1 भी नहीं मांगता और मैं उससे कभी नाराज भी नहीं होता लेकिन उसने तो मुझे.जिस प्रकार चाय में से मक्खी निकालकर फेंकते हैं वैसा उसने सिस्टम से मुझे बाहर फेंक दिया।..भविष्य में किसी के साथ में पार्टनरशिप करने की बात तो दूर उसका ख्याल भी दिमाग में नहीं ला पाऊगा।
लिखने की इच्छा तो बहुत कुछ है लेकिन पढ़ने वाला बोर हो जाएगा शायद मेरी सच्ची कहानी  से क्योंकि आजकल सच्ची कहानी किसी को पसंद नहीं आती
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                3) हिरालाल नंदू चौहान

एक दिन अरुण पवार सर की दुकान पर हीरा व्यापारी और अरुण पवार एक दूसरे से बात कर रहे थे। उतने में ही हीरा को फोन आता है उसके साले का.और वहां हीरा व्यापारी से बोलने लगता है कि कोई लड़का शादी के लिए हो तो आपके तरफ देखना।और इतने में ही उनकी नजर मेरे पर पड़ती है। मैं अमोल पाटील की दुकान पर बैठा था। वह मुझे बुलाते है और पूछते हैं क्या तू शादी करेगा?जैसे ही मैंने हां कहा, वैसे उन्होंने व्हाट्सएप पर फोटो बुलाकर मुझे दिखा दिया।मुझे फोटो पसंद आ गया। तीन-चार दिन बाद मैं अपने दोस्त पवन चौधरी को लेकर नागपुर चला गया लड़की देखने!
मुझे लड़की पसंद आ गई और कुछ ही दिन बाद मैंने शादी कर ली।तीन चार महीने शादीशुदा जीवन मेरा बहुत अच्छा चला ।
और मैं हीरा व्यापारी की मन ही मन बहुत इज्जत करने लगा। क्योंकि जहां मेरा इतना बड़ा परिवार होने के बाद में किसी ने मेरी शादी के बारे में नहीं सोचा ओर मेरी कोई शादी की बात नहीं कर रहा था, वहां पर हीरा व्यापारी ने मेरी करवा कर मेरे नजरों में एक महान इंसान बन गए।
मैंने गांव में एक जमीन देख रखी थी और वहां मुझे बहुत पसंद थी मैं उस जमीन को खरीदना चाहता था लेकिन मेरे पास में पैसा नहीं था।फिर मैंने सोचा इस जमीन को कोई और ना खरीद ले इसलिए मैंने मेरे साले साहब (निवेश पवार) को वहां जमीन खरीदने कि सलाह दी। मेरे साले( नितेश पवार) ने मुझे कहा कि यहां जमीन खरीद तो लुगा मै
लेकिन तू किसी को बताना मत।खासकर के हीरालाल चोहान और देवराव चौहान(मेरा बड़ा साडू) को बिल्कुल भी नहीं पता चलना चाहिए।
उनको अगर पता चल गया तो देवराव चौहान मुझे जमीन खरीदने नहीं देगा।जैसा नितेश भाई ने मुझे कहा, मैंने ठीक वैसा ही किया और वहां जमीन मैंने मेरे साले को दिलवा दी।जब कुछ दिन बाद यह जमीन की बात मेरे साढू को पता चली तो उसने हीरा व्यापारी को मेरे बारे में बढ़ चल कर।उलटी सीधी बात करने लगा।मेरे साढू ने हीरा व्यापारी से कहा कि तूने सुनील की शादी करवाई और सुनील ने तेरे को जरा सी बात भी नहीं बताई।उसने नितेश को जमीन दिला दी और तेरे कानों कान को खबर नहीं चलने दी।यह सुनकर हीरालाल को लगा कि सही तो बात है। मैंने सुनील की शादी करवाई और सुनील ने मेरे को जमीन खरीदी की बात बताई भी नहीं।बस इतनी सी बात और उन दोनों ने मिलकर मेरा शादीशुदा जीवन पूरा बर्बाद कर दीया उन दोनों ने मिलकर मेरे ऊपर इतने गंदे गंदे इल्जाम लगाए की मैं आपको बता भी नहीं सकता। मेरा परिवार एक दूसरे से अलग हो गया।तब से लेकर आज तक हीरालाल और उसका परिवार मेरे परिवार को बर्बाद करने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ते हैं।मेरे ससुराल में जाकर मेरी इज्जत की धज्जियां उड़ाते हैं और बोलते हैं सुनील ने आपको जमीन दिलाकर फंसा दिया है जो जमीन आपने बोदरली में खरीदी है, उसे कोई आधे दाम में भी नहीं खरीदेगा। वहां जमीन मैंने मेरे साले साहब को ₹961000 में दिलाई थी 07/09/2017 को (रकबा 0.30 आरा) बार-बार मेरे साले साहब और ससुर को फोन लगाकर बोलते कि सुनील तुम्हारी जमीन में से पैसे खा गया ।और 3 साल बाद जब मैंने जमीन बेचने निकाली तो फिर मेरे साले साहब को फोन लगाकर हीरालाल का लडका केशव बोलने लगा कि जमीन के भाव बहुत ज्यादा है और जमीन कमी भाव में बेचना मत।जबकि मैं मेरे साले साहब को 3 साल में डबल रकम दिला रहा था। लेकिन हीरा और उसका परिवार नहीं चाहता था कि मेरे कारण मेरे साले को कोई फायदा पहुचे।बार बार फोन लगाकर या उसके घर जाकर बोलते कि सुनील से पैसे का व्यवहार करना मत वहां बहुत बुरा लड़का है और कैरक्टरलेस भी है।मेरे साढू ने और हीरालाल ने मेरा जीना हराम कर रखा है।बहुत सारी ऐसी बातें हैं जो मैं आपको पब्लिकली नहीं बता सकता। उन्होंने मुझे कितना दुख दिया है

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              5) रामकिशन रसाल राठोड & मधुकर झाड़ू 

बात ऐसी है कि,हमको तो अपनो ने लूटा गैरों में कहां दम था। यह बिल्कुल मेरे ऊपर ही सूट करता है। मैंने बोदरली में एक स्कीम लॉन्च की थी।और वह स्कीम में गांव के लगभग सभी जाति धर्म के लोगों को लिया गया था।मेरा स्कीम लॉन्च करने का उद्देश्य था कि ,इस स्कीम से कमाए हुए पैसे में हम गांव में एक भव्य मंदिर निर्माण करेंगे और जो पैसा बचेगा, वह आपस में बांट लेंगे।4 महीने का प्लान था। 4 महीने में हमने पैसे भी कमाए और मंदिर भी बनाया, (बाबा रामदेव परिसर. में शिव जी का मंदिर )लेकिन हम लोग जो पैसा कमा रहे थे वह रामकिशन रसाल और मधुकर झाड़ू इन दोनों की आंख में हम लोग खटक रहे थे। इन लोगों ने हमारे खिलाफ पूरे गांव वालों को भड़काना चालू कर दिया। लेकिन फिर भी गांव वाले हमारे साथ में थे।फिर उन्होंने हमारे खिलाफ में पुलिस कंप्लेंट कर दी। मीडिया वालों को बुलाया पत्रकारों को बुलाया।मीडिया वालों ने हमारे खिलाफ खबरें छापनी शुरू कर दी।मीडिया वालों के साथ मिलकर हमारे खिलाफ में केस फाइल कर दीया। लोगों को पता चला जैसी हमारे ऊपर केस फाइल हुआ। हमारे मार्केट के पैसे भी डूबने लगे और हमारे पास जितना पैसा कमाया था, वह भी पूरा बर्बाद हो गया और और हमारे घर से पैसे खर्च हुए हमारे ऊपर कलंक भी लगा और हमारी पूरी जिंदगी बर्बाद हो गई। इन दो लोगों के कारण इनको दो लोगों को जिंदगी भर में कभी नहीं भूल पाऊंगा ना कभी माफ करूंगा।

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                  6 ) संजय सुभाष चौधरी।

संजय चौधरी एलआईसी एजेंट है।वैसे तो मेरा इस इंसान से कोई लेना देना नहीं है। ना हमारी हाय हेलो है ना राम राम श्याम श्याम है।मेरे घर की आर्थिक परिस्थिति बहुत खराब होने के कारण मैं पढ़ाई नहीं कर पा रहा था और मेरे पास में पैसे नहीं थे इसलिए।सन 2009 में मैं भी एलआईसी एजेंट बन गया।जैसे ही मैं एलआईसी एजेंट बना संजय चौधरी ने मुझे अपना दुश्मन समझ लिया।बिना कोई कारण के मेरी बुराई मेरे कस्टमर के सामने करने लगा। कुछ मेरे करीबियों ने मुझे बता भी दिया कि संजय चौधरी तेरी बहुत ज्यादा बुराई करता है और गाली-गलौज भी करता है।मुझे सब पता होने के बाद भी मैंने उसको कभी कुछ नहीं बोला, ना ही मैंने उसकी किसी के सामने बुराई की।मैंने सोचा और कितने दिन करेगा करने दो। मैंने उसको दो-तीन बार समझाने का प्रयास भी किया। मैंने बोला संजय भाई, मैं तेरा क्या बिगाड़ा तू मेरी इतनी बुराई क्यों करता है तो वह मेरे ऊपर ही पलट गया। फिर तो वहां दिन प्रतिदिन मेरी बुराई और ज्यादा करने लगा।जिसको भी मैं पॉलिसी देता उसके घर जाकर उसको मेरे बारे में उल्टी-सीधी बात बोलकर मेरे खिलाफ भड़काता रहता है।मेरे करीबी दोस्तों के घर जाकर भी मेरी बुराई करने लगा।मेरा जीना हराम कर रखा था संजय चौधरी आखिर में संजय चौधरी से परेशान होकर मैंने एलआईसी अभिकर्ता का काम भी छोड़ दिया।

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                     8)  आसाराम मार्को

मैंने अपने रोजगार के लिए एक छोटा सा ढाबा खोला था।

आसाराम मेरे पास में काम करता था। वहां काफी ईमानदार और भरोसेमंद था।उसने काफी दिन मेरे साथ में काम किया।

पहले तो उसने मेरा पूरा भरोसा जीत लिया। अब धीरे-धीरे उसने मेरी पूरा काम संभाल लिया।मुझे भी उस पर विश्वास हो गया और मैंने उसको गल्ले पर बिठा दिया।फिर वहां मुझसे धीरे-धीरे ईमानदारी से पैसे मांगने लगा।कभी बच्चे की स्कूल फीस भरने का बोल कर मुझसे पैसे लेता तो कभी हॉस्पिटल जाने के लिए तो कभी बीवी कपडे दिलाने  के लिए। मैंने सोचा गरीब आदमी है, अपने पास काम कर रहा है। धीरे-धीरे फेड देगा अपने पैसे काम में।जब आसाराम के ऊपर लगभग 18 से ₹20000 हो गए तो वहां मेरी दुकान छोड़कर चला गया और कभी वापस ही नहीं आया।मैंने उससे काफी बार संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन मुझे देखकर वह भाग जाता या तो फिर वह कहीं निकल जाता।उसने ना ही मुझे पैसे दिए ना ही काम पर वापस आया मेरे पास उसने मेरे भरोसे का पूरा फायदा उठाया और मुझे चुना लगा कर चला गया।

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 हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे.. लेकिन कभी पीली साड़ी में तुम्हे देखकर थम जाए मेरी नज़र... तो समझ जाना तुम... जब तुम रसोई में अके...