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Monday, 14 April 2025

कांग्रेस नेत्री की सलाह नहीं मानी।तो क्या हुआ

 *पुरानी तीन घटनाएं याद दिला दूँ। लेखक यहां पहले ही स्पष्ट कर देना चाहता है कि जो घटनाएं जैसी हुईं, सिर्फ वैसी ही लिखी जा रही हैं।* 


1. ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व राष्ट्रपति थे। उन्हें z security प्राप्त थी। उन्होंने दिल्ली में घोषणा की - "कल मैं चंडीगढ़ पहुंचने के बाद बोफोर्स के सारे राज खोलने वाला हूँ।" तो साहब हुआ ये कि दिल्ली-चंडीगढ़ मार्ग पर सामने से एक ट्रक दनदनाता हुआ आया और जैलसिंह की कार को कुचल दिया। वे वहीं मृत्यु को प्राप्त हुए। कोई जांच नहीं हुई।


2. राजेश पायलट ने कांग्रेस नेत्री की सलाह नहीं मानी। उन्होंने घोषणा की - "कल मैं कांग्रेस अध्यक्ष पद हेतु नामांकन भरूँगा।" बस फिर क्या था, सामने से एक बस आई और उनकी कार को कुचल दिया। वो वहीं मृत्यु को प्राप्त हुए। कोई जांच नहीं हुई।


इन दोनों घटनाओं में modus of operandi एक समान थी। तीसरी घटना में modus of operandi अलग थी। 


3. श्रीमन्त माधवराव शिन्दे (सिंधिया) उस लोकसभा चुनाव के पूर्व कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय व कर्मठ नेता थे। वे लोकसभा के लिए लगातार नवीं बार चुने गए थे व लोकसभा में विपक्ष के नेता भी थे। कांग्रेस नेत्री ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को कहा - "मैं प्रचार करने आ रही हूँ !" प्रदेश अध्यक्ष निर्भीक था। उसने कहा - "आप मत आइए। माधवराव जी को भेज दीजिए। वे ही वोट दिलवा सकते हैं।" बस फिर क्या था। माधवराव जी को बोला गया कि आप अपने व्यक्तिगत विमान से नहीं बल्कि इस विमान से जाएंगे। एक चश्मदीद किसान ने बयान दिया - "विमान में पहले बम विस्फोट हुआ, फिर आग लगी।" विमान में सवार आठों लोग मारे गए लेकिन कोई जांच नहीं हुई। अल्प काल के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष भी मृत पाए गए। (डॉ. ईश्वर चन्द्र करकरे की कलम से साभार)


*सोनिया गांधी ने देश के लिए क्या-क्या काम किया है?*


■राजीव गांधी अपने पूरे जीवन काल मे कुल 181 रेलिया की थीं। जिसमें 180 में सोनिया गांधी भी उसके साथ थी, बस उस दिन साथ नहीं थी, जिस दिन राजीव गांधी के जीवन की अंतिम रैली हुई। 


■राजीव गांधी की हत्या के समय 14 लोगों की भी मौत हुई थी। मगर मजे की बात इन मरने वाले 14 लोगों में एक भी कोंग्रेसी नेता नहीं था, जो भी मरे आम लोग थे। क्या ये सम्भव है कि देश के प्रधानमंत्री की रैली में उनके साथ एक भी बड़ा कोंग्रेसी नेता नहीं हो?


■राजीव गांधी के साथ कोई बड़ा या छोटा कांग्रेसी नेता नहीं मरा, ना सोनिया गांधी जो हर सभा में राजीव गांधी जी के साथ रहतीं थीं। उस दिन होटल में सरदर्द के कारण रुक गईं थी, ये आफिशियल स्टेटमेंट हैं।

तो क्या सबको मालूम था, कि क्या होने वाला है और इस तरह पूरी कांग्रेस विदेशियों द्वारा हाइजैक कर ली गई। 


■बाद में खुद प्रियंका गांधी ने अपने बाप के कातिल को कोर्ट में माफ करने की अपील कर दी थी। 


■जब से इटली की सोनिया मानियो इस परिवार की बहू बनकर आई हैं जब से अब तक इस गांधी परिवार में एक भी मृत्यु को प्राकृतिक मृत्यु का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ है, सब अप्राकृतिक मौत मरे हैं।


■इंदिरा गांधी के पुत्र संजय गांधी के ससुर कर्नल आनंद अपने ही फार्म हाउस से थोड़ी दूरी पर गोली लगने से मरे पाये गये थे ।


■संजय गांधी हवाई जहाज गिर जाने से मारे गये । इंदिरा गांधी अपने ही अंगरक्षकों के द्धारा गोली मारे जाने से मारी जाती है ।


■राजीव गांधी को बम से उड़ा दिया जाता है ।


■प्रियंका गांधी के ससुर राजेन्द्र वाड्रा दिल्ली के एक गेस्ट हाउस मे मरे पाये जाते है। प्रियंका गांधी की ननद जयपुर दिल्ली हाइवे में कार दुर्घटना में मारी जाती है। प्रियंका गांधी का देवर मुरादाबाद के एक होटल में मरा पाया जाता है।


■राजीव गांधी के सबसे खास दो दोस्त माधवराव सिंधिया, राजेश पायलट यह तीनों उस बीयर बार में एक साथ जाया करते थे जिस बीयर बार में सोनिया शादी के पहले बार डांसर थी।


■राजेश पायलट एक सड़क दुर्घटना में मारा जाता है और माधवराव सिंधिया जहाज दुर्घटना में मारा जाता है।


■ हम खुद देख सकते हैं, केरल में नम्बी नारायण को जेल, गोधरा व मालेगांव कांड में हिन्दुओं को फंसाना व पाकिस्तान आतंकवादियों को छोड़़ना, हिन्दू आंतकवाद शब्द का जन्म, करोड़ों व अरबों के घोटाले, देश को कमज़ोर करना, इमरजेंसी स्टॉक 40 से 7 दिन करना, सेना को गोला बारूद ना देना, बुलेट प्रूफ जैकेट्स न देना, लड़ाकू विमान न खरीदना, कश्मीर से हिन्दू पंडितों से निकालना, 26/ 11 के लिए पाकिस्तान पर एक्शन के लिए मना करना, चीन के अम्बेसडर से मिलना व बाद में इनकार करना, सबूत देने पर सफाई देना, डिफॉल्टर्स को बैंक्स के मना करने के बावजूद अरबों रुपए के लोन देने, अब लंदन कोर्ट की मोहर से जग जाहिर। 


विशेष - संसद में हमले के दिन भी सोनिया-राहुल गांधी संसद नहीं गए थे... पता नहीं फिर भी देश के लोगों की आंखे क्यों नहीं खुल रही।

पैसे कमवणे किती अवघड आहे पण तू फक्त घरात बसतेस.

 स्वतःच्या बायकोला खुश करण्यासाठी, खालील पोस्ट तिला टॅग करुन टाका.

              एक उच्चशिक्षित नवरा आपल्या बायकोला एके दिवशी समजावून सांगत होता की तु पैसे कमावून बघ आणि मग तुला कळेल की पैसा कसा खर्च करावा. 

              मी तुला आज एक दिवस देतो घराच्या बाहेर निघ, आणि बघ किती स्पर्धा चालू आहे. काहीतरी प्रयत्न कर काम शोधण्यासाठी. तीही एक शिक्षित बायको, एक आई आणि एक सून होती...

        ती बाहेर निघाली आणि दिवसभर फिरत राहिली. खुप माहिती घेतली आणि घरी आली. दुसऱ्यादिवशी नेहमी प्रमाणे सासू सासरे यांना वेळेला नाश्ता जेवण, मुलांचा डबा, वेळेला शाळेत पाठवणे, नवऱ्याला डबा, त्याचा आवडीचा नाश्ता जेवण बनवले आणि खोलीत गेली .

           नवरा म्हणाला आज कळाले असेल मार्केटमध्ये किती स्पर्धा चालू आहे, पैसे कमवणे किती अवघड आहे पण तू फक्त घरात बसतेस.

         तिने एक स्मित केले आणि एक लिस्ट त्यांच्या हातात दिली. त्यात तिने घरात घालवलेले अनेक वर्षे आणि घरातील कामाचे मार्केट मध्ये जी किंमत मोजली जाते त्याचा ताळेबंद दिला. नवऱ्याला एकदम घाम फुटला ज्यावेळेस त्याने वाचायला सुरुवात केली .


१. मुलांचा सांभाळ आणि त्यांना संस्कार लावणे ज्याला मार्केटमध्ये Baby sitting म्हणतात .

Salary Rs.१५,०००/-


२. घरातील पसारा जागेवर ठेवणे आणि घर काम करणे, ज्याला मार्केट मध्ये Made म्हणतात.

Salary Rs १०,०००/-


३. सर्वांची आवडनिवड बघून सकाळ संध्याकाळ केलेला स्वयंपाक , ज्याला मार्केट मध्ये Cook म्हणतात.

 Salary Rs.१०,०००/-


४. घरात आलेल्या पाहुण्यांचा पाहुणचार , ज्याला मार्केट मध्ये Host of the Guest बोलतात.   

Salary Rs.५,०००/-

      असा तिने नवऱ्याकडे महिन्याचा Rs.५०,०००/ - पगार या हिशोबाने वर्षाला सहा लाख रुपये आणि गेल्या २५ वर्षाचे दिड कोटीची मागणी केली.

      मग त्याचे डोळे खाडकन उघडले. ज्या व्यक्तीने स्वतःचा कणभरही विचार न करता माझ्या घराला वेळ दिला, ज्याची किंमत मार्केटमध्ये शोधूनही न मिळणारी होती.

        तात्पर्य एवढेच की ज्यावेळेस एक शिक्षित स्त्री घरात बसते त्यावेळेस ती खुप विचार करुन सगळं काही करत असते. तिला माहिती असते आज जर आपण आपल्या मुलांना सोडून बाहेर काम करण्याचा विचार करु, त्यावेळेस आपल्याच मुलांचे भविष्य अंधारात लपलेले असेल. कारण एक आईच चांगले संस्कार मुलांना देऊ शकते चांगले लक्ष देऊ शकते.


मित्रांनो हे कोणी लिहिले माहिती नाही परंतु फार छान आणि महिलांच्या त्यागाची दखल घेणारे आहे त्यामुळे आपणाशी शेअर केलं. याचा अर्थ असा नाही की पुरुषाच्या संसारामध्ये काहीच त्याग नाही पुरुषाचाही त्याग असतो परंतु त्याचा त्याग दिसून येतो परंतु महिलांच्या त्यागाची बऱ्याच पुरुषप्रधान संस्कृतीमध्ये बऱ्याचदा किंमत नसते प्रत्येकाच्या संसारामध्ये नवरा आणि बायको दोघांचीही भूमिका महत्त्वाची असते परंतु बायकोच्या भूमिकेकडे लक्ष दिले जात नाही त्यामुळे खास आपणासाठी टाकले आहे कृपया।

Thursday, 10 April 2025

अपने पति का घर स्वर्ग बना दे।

 दोस्तों सुंदर पत्नी ,के चक्कर में आज के युवा अपनी आधी उमर तो निकाल देते हैं इसी की तलाश में बिना ये जाने की लड़की वास्तव मे कैसी है जो उसे वा उसके पुरे परिवार को लेके आगे चल सके आज की कहानी भी इसी पर है आपको पसंद आएगी आप भी अपने विचार लिख सकते हैं 

अभय लेडीज शोरूम पर काम किया करता था वहां सुंदर से सुंदर लड़कियां और महिलाएं कपड़े खरीदने आया करती थी।

अभय जब खूबसूरत महिलाओं को देखता तो उसे भी लगता मैं भी एक खूबसूरत लड़की से शादी करूंगा जब मैं उसके साथ बाजार शादी या पार्टी में निकलूंगा तो लोग देखते ही रह जाएंगे और सब लोग यही कहेंगे वाह अभय ने क्या अच्छी किस्मत पाई है।

रोज की तरह अभय आज भी शाम को घर लौटा मां ने एक लड़की का फोटो दिखाते हुए कहा अभय तेरे लिए लड़की देखी है ,पसंद कर ले,

अभय ने फोटो में देखा सिंपल सी एक पतली दुबली लड़की सांवले रंग की।


अभय ने फोटो टेबल पर गुस्से से पटकते हुए मां से कहा यह तो जरा सी भी सुंदर नहीं है हमारे शोरूम में तो एक से एक सुंदर लड़कियां आती हैं 

मैं नहीं करूंगा ,,इस लड़की से शादी,, इतना कहकर अभय अपने कमरे में चला गया। अभय ने ठान लिया मैं शादी नहीं करूंगा उस सांवली लड़की से चाहें मुझे घर से भाग जाना क्यों ना पड़े

मां पीछे-पीछे अभय के कमरे तक आई और खूब समझाया घर के सभी सदस्यों ने समझाते हुए कहा,, अच्छी लड़की है,, पढ़ी लिखी है,, घर के कामकाज भी खूब कर लेती है ।

अभय गुस्से से कमरे से निकलकर छत पर आ पहुंचा बिना कुछ खाए पिए ही रात भर छत पर पड़े एक टूटे पलंग पर लेटा रहा। जैसे तैसे सुबह हुई अभय दुकान पर जाने के लिए तैयार हो चुका था आज उसका नाश्ते में कुछ भी खाने का मन नहीं कर रहा था।


अभय अपने शोरूम पर जाने के लिए हमेशा पैदल पथ का ही सहारा लेता था वह रास्ते में आने जाने वाली लड़कियों को देखता हुआ आगे बढ़ रहा था उसे राह में जो भी खूबसूरत लड़की दिखती उसे लगता इससे मेरी शादी होनी चाहिए, अचानक उसका पैर पैदल पथ पर पड़े केले के छिलके से फिसल गया और वह पास पड़े कचरे के डिब्बे के ऊपर गिरा धड़ाम ।

वही एक ब्यूटी पार्लर की शॉप थी उसमें से एक औरत बाहर निकली तुरंत अभय को उठाया अपने ब्यूटी पार्लर के भीतर ले जाते हुए कहा ,,ज्यादा चोट तो नहीं लगी भैया,,

अंदर एक गद्देदार ऊंची कुर्सी पर बैठा दिया।

   ,इतने में जींस और टीशर्ट पहने हुए एक महिला ब्यूटी पार्लर के भीतर आई सामने पड़ी दूसरी खाली कुर्सी पर बैठ गई।

अभय उस सांवली सी महिला को देखने लगा ।एक धागे की मदद से उसकी आइब्रो बना दी उसकी आंखें खूबसूरत लगने लगी बालों पर प्रेस करके बालों की चमक और बढ़ गई, चेहरे पर ब्लीच फेशियल और ना जाने क्या-क्या क्रीम लगाने के बाद

उस महिला की खूबसूरती में चार चांद लग गए

 अभय इस कलाकारी को देखकर दंग रह गया अभय समझ चुका था दुनिया की सभी दिखने वाली सुंदर लड़कियां और महिलाएं सिर्फ एक दिखावा है।

सब ईश्वर की संतान है हमें काले गोरे का भेद नहीं रखना चाहिए जिसका मन सुंदर है वहां जिस्म का कोई मोल नहीं रहता

देश को और समाज को एक अच्छे गुणों वाली पत्नियों की तलाश है।


जो अपने पति का घर स्वर्ग बना दे।

मां ने मुझे कल जिस लड़की का फोटो दिखाया था

वह लड़की ब्यूटी पार्लर जाकर खुद को सज संवर कर भी फोटो खिंचवा सकती थी। पर उसने ऐसा नहीं किया,,

वह जैसी है खुद को वैसे ही रखना चाहती है। यही उसकी खूबसूरती का खजाना है,,

अभय ने तुरंत अपनी जेब से मोबाइल निकाला और अपनी मां को फोन पर बताया ।

    ,मुझे वही लड़की पसंद है,, जिसे मैं कल कह रहा था ,, ना ,, ना ,, ना,,,,❤️❤️

Monday, 7 April 2025

पत्रकार को लगा यह स्त्री इंटरव्यू के बीच में से उठ जाएगी लेकिन स्त्री ने एक क्षण रहस्यमयी चुप्पी साधे रखी ।

 वह अजीब स्त्री. लोग बताते हैं कि जवानी में वह बहुत सुन्दर स्त्री थी। हर कोई पा लेने की जिद के साथ उसके पीछे लगा था। लेकिन शादी उसने एक बहुत साधारण इंसान से की जिसका ना धर्म मेल खाता था, ना कल्चर, वह सुन्दर भी खास नहीं था और कमाता भी खास नहीं था। बहुत बड़े, रसूखदार और अच्छी पोजीशन वाले अनगिनत रिश्ते उसके पास आये, अनगिनत प्रेम निवेदन उसके पास आये लेकिन उसने जिसे जीवन साथी चुना वह इन सबमें कमतर था


लोग उस स्त्री के बारे में सुनते, सामाजिकता में पगे, रटे-रटाये वाक्य दोहरा देते, जैसे कि "बहुत सुन्दर स्त्री की अक्ल घुटने में होती है", "नखरे निकल जाने के बाद ऐसे ही मिलते हैं", "ज्यादा भाव खाने वालो को कोई भाव नहीं देता"आदि।


उस स्त्री को ऐसे किसी बीज वाक्य से सरोकार नहीं था, वह अपनी पसंद के जीवन साथी के साथ खुश थी, सुखी थी।


उसकी कहानी एक पत्रकार ने सुनी, उसे उसकी कहानी में कई रंग नजर आये। वह उस स्त्री के पास गया। पत्रकार उसकी सुंदरता देखकर दंग था। आज भी वह बेहद सुन्दर और जहीन थी।


पत्रकार ने विनम्रता से उस स्त्री को साक्षात्कार के लिए निवेदन किया। स्त्री जोर से ठहाका लगाकर हंसी, बोली "मेरा इंटरव्यू पूरा करने से पहले या तो तुम बीच में भाग जाओगे, या फिर अपनी पारम्परिक सोच को मिक्स करके अपनी ही कहानी शुरू कर दोगे, इसलिए मैं कोई इंटरव्यू देने की इच्छुक नहीं हूँ। आप चाय पीजिये, रुखसत लीजिये।"


पत्रकार के जीवन का ऐसा पहला वाकया था जब एक ही वाक्य में उसका खुद का इंटरव्यू हो लिया था। वह सम्भला और जैसे तैसे उसने इंटरव्यू के लिए उस जहीन स्त्री को राजी कर लिया ।


पत्रकार ने पूछा, "आप बेहद सुंदर हैं, बहुत स्त्रियों को आपकी सुंदरता पर रश्क होता है। आप इसे कैसे लेती हैं।"


स्त्री ने पत्रकार को देखे बिना बाल झटकते हुए जवाब दिया, "बकवास सवाल, मेरे सुंदर होने में मेरा कोई योगदान नही, कुदरत ने मुझे दिया, इसे मेरी उपलब्धि ना कहें। अगर मैं इतराती हूँ तो मेरा इतराना गैर वाजिब है। दैहिक सुंदरता पूर्ण सुंदर होना नही।"


पत्रकार असहज हुआ, दूसरा सवाल किया,


"आप ने कभी कोई सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग क्यो नही लिया। आप विश्व की कोई भी प्रतियोगिता जीत सकती थी।'


स्त्री ने इस बार पत्रकार की नजरों में नजरें डाल दी। पत्रकार उसके तेज का सामना नही कर पाया, उसने नजरें झुका ली। 

स्त्री बोली- "सुंदरता में प्रतियोगिता कैसी। सब अपने अपने हिसाब से सुंदर हैं। गोरी चमड़ी सुंदर क्यो है। बहती नदी को देखिए कभी। जहाँ जहाँ वह गहरी है वहाँ वहाँ सांवली हो जाती है। किसी से सुंदरता की प्रतियोगिता जीत कर आप सुंदरता के मानदण्ड स्थापित करना चाहते हैं? सुंदर लोग आपने देखे नही। मेरी झुर्रियों वाली दादी मेरी नजर में सबसे सुंदर महिला है, आपकी माँ आपकी नजर में सबसे सुंदर हो सकती है। आपकी अपनी पत्नी अपने पिता की नजर में सबसे सुंदर होगी। आपकी बहन किसी को दुनिया की सर्वश्रेस्ठ सुन्दरी लग सकती है। गुलाब सुंदर या चमेली ये वाहियात प्रतियोगिता है। आगे पूछिये।"


"जी,

आप के संबंध बडे औऱ रसूखदार लोगों से रहे, फ़िल्म के हीरो भी लट्टू थे आप पर, ऐसा सुना है, फिर शादी आपने एक बहुत ही साधारण इंसान से की। साधारण मतलब लो प्रोफाइल, वैसे तो आपने चुना है तो असाधारण भी हो सकते हैं। क्या कहेंगी आप।"


"देखिये पत्रकार महोदय, मैं इंटरव्यू इसलिए नही देती क्योंकि आपके तथाकथित सभ्य समाज मे मैं किसी का आदर्श नही हूँ। स्त्रियां मुझे फॉलो नही कर सकती। उनकी सामाजिक स्थिति ऐसी नही है कि वे खुद पर प्रयोग कर सकें। मैंने खुद पर प्रयोग किये और सुंदर, रसूखदार लोगो से मोहभंग होने के बाद मैंने एक असाधारण पुरूष जिसे आप साधारण कहते हैं को अपना जीवन साथी बनाया। मेरी कहानी किसी के काम नही आएगी इसलिए मैं अपनी कहानी जीना चाहती हूं, बांटना नही। "


स्त्री के सहज चेहरे पर वितृष्णा फैलने लगी। वह खामोश हो गई। उसने पत्रकार को चाय दी औऱ ख़ुद भी चाय के घूँट भीतर उतारने लगी।


पत्रकार को लगा यह स्त्री इंटरव्यू के बीच में से उठ जाएगी लेकिन स्त्री ने एक क्षण रहस्यमयी चुप्पी साधे रखी । पत्रकार चुपचाप उस अजीब स्त्री को देखता रहा, चाय के एक-एक घूँट के साथ उसकी वितृष्णा कम होती गयी। जल्द सहज होते हुए वह बोली, "सॉरी", फिर उसने एक अजीब सी स्माइल दी।


"जिन लोगो को आप रसूखदार कह रहे हैं दरअसल वे रसूखदार नही होते। ये रसूखदार आदमी तमाम सृष्टि का उपभोग कर लेने की वृत्ति के साथ ऊपर तक भरे हैं। उन्हे जिंदगी में सब संगमरमर का चाहिए खुद वे बेशक उबड़ खाबड़ खुरदुरा पत्थर हों। 

आप हैरान होंगे कि तमाम रसूखदार लोगो की चाह मैं नही थी। मेरा जिस्म थी। मुझे पुरुष की वृत्ती मालूम थी। पुरुष ने जिस्म मांगा, मैंने दिया, मैंने वही तो दिया जो उसने मांगा। लेकिन जिस्म भोगने के बाद मैं चरित्रहीन थी, वह चरित्रवान।

मुझे पुरूष की रमझ समझ आ गयी थी। मुझे याद नही कि कितने पुरूष थे । लेकिन जितने थे सब मेरी देह से प्रेम करने वाले थे, और सब ही मुझे चरित्र का प्रमाण पत्र देकर गए। मुझे हैरानी हुई कि किसी को मैं देह और चरित्र से आगे नजर ही नही आई। मैंने एक अंग्रेजी फ़िल्म देखी जिसका एक संवाद मेरे जेहन में अटका रहा कि प्रेम के वहम में ज्यादा दिन अटके मत रहो। पहले सेक्स करो फिर प्रेम। मुझे हैरानी हुई कि कि प्रेम के लंबे चौड़े दावे करने वाले पुरूष सेक्स के बाद भागते नजर आए। वे मुझे अफ़्फोर्ड नही कर सकते थे शायद, अमीर थे जबकि। अफ़्फोर्ड करना समझते हैं ना आप। स्त्री को अफ़्फोर्ड करना हर पुरूष के वश का नही। तमाम पुरुषो के घर मे जो स्त्री है ना वह स्त्री नहीं है, स्त्री की चलती फिरती लाश हैं। जिंदा स्त्री अफ़्फोर्ड करना इस मुल्क के पुरूषों के लिए लगभग असंभव है।पति का तो अर्थ ही मालिक है। मालिक या तो गुलाम रखते है या वस्तुएं। पुरुष क्या ये मुल्क ही जिंदा स्त्री को अफ़्फोर्ड नही कर सकता। पूरे मुल्क की चेतना में ही पितृसत्ता भरी है।"


पत्रकार ने रीढ़ सीधी कर ली।


वह आगे बोली, "एक दिन एक असाधारण पुरूष मेरी जिंदगी में आया। जब एक रसूखदार पुरूष मुझे अचेतन अवस्था में अपनी बड़ी सी गाड़ी से फेंक कर जाता रहा। 

वह असाधारण पुरुष मुझे नहीं जानता था, मेरा जिस्म लहूलुहान था, उसने मुझे उठाया और हॉस्पिटल की ओर दौड़ पड़ा। मेरा मेडिकल हुआ जिसमें रेप की पुष्टि हुई, मेरे चेतना में आने तक वह पुलिस यातना झेल चुका था, उसका बचना मेरे बयान पर टिका था। मैं चेतना में जब आयी तो देखा कि मेरा पूरा जिस्म पट्टियों में जकड़ा है। मुझे बताया गया कि पुलिस ने उसे ही उठा लिया है जो मुझे गोद मे उठाकर यहां लाया, अपनी रिंग और गले की चेन डॉक्टर के पास रख गया कि मैं नही लौटूँ तो इसे बेचकर बिल चुका देना। उसी रिंग और चेन से पुलिस का शक और गहरा हुआ कि यह इन्वॉल्व हो सकता है।


मैंने किसी के खिलाफ शिकायत नही लिखवाई। वह असाधारण पुरूष लौट आया, उसने मुझे देखा, मैं तो टूटी-फूटी पट्टियों में बंधी थी। लेकिन उस पुरूष का वह देखना अद्भुत था। हजारो खा जाने वाली नजरो से अलग कोई नजर थी जो भीतर तक उतरती चली गयी। उसने मेरे हाथ पर अपना हाथ रखा, उसका स्पर्श अद्भुत था, वह पुलिस थाने से लौटा था लेकिन उसने अपनी व्यथा नही गाई, वह धीरे से बोल पाया, ठीक हो?। मेरी आँखें स्वतः बन्द हो गयी। कोई भी संवाद इतना मर्मान्तक नही था आजतक जितना कि ये। मेरी आंख से आंसू टपक पड़ा। मैं भी होले से कह पाई , ठीक हूँ । शुक्रिया मुझे बचाने के लिए।


उसने अपनी उंगली के पोर से मेरी आँख का आँसू उठाया औऱ आसमान में उड़ा दिया। मेरे होते मन नही भरना, मैं हूं ना। आजतक इतना बड़ा आश्वासन भी कभी नही मिला था कि मैं हूँ। मन छोटा नही करना। 

उसने मुझे सहारा देकर लिटाया, पूछा, आपके घर मेसेज कर दूं , आपका कोई पता नही मिला हमे। मैंने कहा मेरे घर कोई नही है, मैं अकेली हूँ। जबकि सब हैं लेकिन मेरी प्रयोग धर्मिता से डरे हुए। मैं उन्हें इत्तलाह नही करना चाहती थी। वह असाधारण पुरुष बोला, मेरे घर मेरी छोटी बहन है। आप मेरे घर चलना स्वास्थ्य लाभ के लिए।


मैंने पूछा उससे,मेरी मेडिकल रिपोर्ट पढ़ी आपने। वह थोड़ा रुंआसा हुआ, बोला हां पढ़ी, आपने उन्हें छोड़ क्यो दिया, रिपोर्ट करते उनके खिलाफ। 

मुझे दर्द था तेज, मैंने कहा। मैं निबट लूँगी उनसे ।


उस पुरूष ने अगला सवाल नही किया। बोला आराम कीजिये। ठीक हो जाइए पहले फिर निबट लेना। मुझे लगा यह मध्यम वर्गीय परिवार का साधारण पुरूष चरित्र प्रमाण पत्र दे ना दे लेकिन जेहन मे जरूर तैयार कर लिया होगा। बडी सोसाइटी भी जब वहीँ अटकी है तो यहां तो चरित्र बडा फसाद होगा। हॉस्पिटल का बिल मैं भर सकती थी लेकिन मैंने नही भरा। उसकी रिंग और चेन बिक गईं । वह मुझे अपने घर लिवा लाया। एक साफ सुथरा साधारण घर था वह। करीने से सजे घर मे मेरी नजर एक बड़ी अलमारी पर पड़ी जिसमे अनेकों किताबें थी। पता चला कि वह साधारण पुरूष दरअसल साधरण नही हैं। उसकी अलमारी में एक से एक बेहतरीन किताब रखी थी। मालूम हुआ वह नास्तिक है। आज तक जितने पुरूष मिले वे सब आस्तिक थे। कोई गले में लॉकेट डाले था कोई उंगली में नग पहने कोई माथे पर तिलक लगाए। इस मे जो था सब अपना था, दिखावा नही था रत्ती भर भी। उसने मेरे आराम का प्रबंध किया। मेरे पास बैठा रहा घण्टो। मेरी पसंद की उसके पास बहुत किताबें थी लेकिन अद्भुत यह था कि उसकी अलमारी मे वह किताब भी थी जिस पर बनी फ़िल्म मेरे जेहन में थी। उस किताब में उसने कुछ वाक्य अंडरलाइन किये हुए थे कि स्त्री प्रेम पाने के लिए सेक्स करती है पुरूष सेक्स पाने के लिए प्रेम लुटाता है। मेरी पूरी जिंदगी इसी एक वाक्य में बंधी थी। 

एक दूसरा वाक्य जो मेरे जेहन में अटका था कि प्रेम के भरम में अटके मत रहो, पहले सेक्स करो फिर प्रेम करो। पढ़ने वाले ने उस वाक्य के नीचे लिख दिया था कि ऐसी स्त्री इस मुल्क में नही मिलती लेखक महोदय। मुझे हंसी आ गयी। मैं हूं ना, मैंने खुद को आईने में देखा। मैं तो बची ही नही थी, जिस देह को मैं मैं समझती थी वह तो जगह जगह से चोटिल थी लेकिन भीतर जो कोई और आकार ले रहा था वह मैं थी। मेरा पुनर्जन्म हो रहा था। मैं अब सिर्फ उस पुरूष को पढ़ती। एक साल मैं उसके घर रही। एक साल उसने मेरी देह को नही छुआ। हाथ पकड़ कर बहुत बार उसने चूमा, माथा चूमा लेकिन वह एक आत्मीय स्पर्श था।


एक दिन मैंने उसकी रिंग और गले की चैन उसे लौटा दी। वह हैरान हुआ लेकिन मैंने उसे बता दिया कि इसे बिकने नही दे सकती थी। अपने पास रखना चाहती थी सहेज कर। कि जब भी महंगे गहने पहनने होंगे तो इन्हे पहनूँगी। बिल के पैसे देकर जाती लेकिन इस गहने से बड़ा गहना मुझे मिल गया है तो यह गहना लौटा रही हूं । उसे मैंने मेरा इतिहास बताया, मेरे अफेयर बताये। बताया कि मैं देह के तमाम प्रयोग करके आज जहां अटकी हूँ वहाँ देह कहीं है ही नही । वह वो किताब उठाकर लाया। उसने अपने हाथ से लिखी एक और पंक्ति दिखाई कि ऐसी कोई स्त्री मिली तो मैं उसके समक्ष विवाह प्रस्ताव अवश्य रखूँगा। उसने पूछा मुझसे। शादी करोगी? उसके पास लिव इन का ऑप्शन भी था। एक साल में पास पड़ोस कितनी बातें करता था लेकिन उसने कभी कान नही धरा। वह परम्परावादी आधुनिक इन्सान था। जो अब तक मिले वे आधुनिकता के छदम भेष में परंपरा वादी थे, जो लिव इन मे रहना चाहते थे ।अनगिनत प्रस्तावों के बाद यह प्रस्ताव मुझे भीतर तक भिगो गया। सच मे, एक असाधारण आदमी साधारण भेष में ढका था। मैं किस्मत वाली रही कि वह मुझे मिल गया।


स्त्री के चेहरे पर गहरा संतोष पसर आया था। कोई अलौकिक तेज उसके चेहरे पर दीप्त होने लगा था। पत्रकार ने आज उस अजीब स्त्री में स्त्री घमासान के नए पक्ष चिन्हित किये।

🙏🏽🌹🌹

गेम मैं विराट कोहली की.

मैं विराट कोहली की रखैल बन गई   🤩


ये कहानी लगभग छह महीने पहले शुरू हुई। मैं और मेरे पति राहुल पिछले 8 सालों से एक आम शादीशुदा ज़िंदगी जी रहे थे। हमारे दो बच्चे थे — अन्या और कबीर 😊। मेरी ज़िंदगी ज़्यादातर शादीशुदा महिलाओं जैसी ही थी: बच्चे स्कूल में, हम दोनों काम पर, कोशिश करते थे कि बच्चों के लिए कुछ जमा कर सकें और कर्ज़ में न फँसें।


मैं पुणे में एक कॉफ़ी शॉप-जनरल स्टोर में मैनेजर के तौर पर काम करती थी, और एक बिलकुल ही आम दिन मैं उससे मिली… 😳


हमारी दुकान में खुद विराट कोहली आ गए 🤩। मैं तो जानती थी कि वो अक्सर पुणे आते रहते हैं, लेकिन ये कभी नहीं सोचा था कि वो हमारी दुकान में आ जाएँगे। मैंने फ़ोटो माँगी, वो मना नहीं किए, और हम थोड़ी देर बात करने लगे 😅। मुझे बिल्कुल उम्मीद नहीं थी कि विराट इतने सरल और खुले इंसान होंगे, वो मज़ाक कर रहे थे, हँस रहे थे, और बता रहे थे कि इंडिया वापस आकर उन्हें कितना अच्छा लग रहा है — बिना कैमरा और शूटिंग के।


वो तीन दिन लगातार हमारी दुकान पर आए, और हर दिन दो-तीन बार। हर बार हम सब स्टाफ और ग्राहक मिलकर उनसे बातें करते — जैसे वो कोई पुराना दोस्त हों ☺️। लेकिन उस दिन जब मैं घर पहुँची, तो मैंने देखा कि मेरे पति बहुत परेशान थे। उन्हें काम से निकाल दिया गया था, और मेरी सैलरी लोन की किश्तें देने के लिए भी कम पड़ रही थी। हम डर रहे थे कि कहीं घर न चला जाए… 😭


ये खबर मुझे अंदर तक हिला गई, लेकिन हमने सोचा कि रास्ता तो खोजना ही होगा। राहुल ने फिर से नौकरी ढूँढनी शुरू की। 😒


अगले दिन मैं काम पर पहुँची, और जितना भी मैंने छुपाने की कोशिश की — सबको पता चल गया कि मैं परेशान थी 😔। विराट फिर से हमारी दुकान पर आए, इस बार अलविदा कहने — वो जा रहे थे और नहीं जानते थे कि दोबारा कब आ पाएँगे। उन्होंने भी मेरी हालत देख ली और पूछ लिया क्या हुआ। मैंने छुपाया नहीं, और सब कुछ बता दिया… 🥹


अजीब बात ये थी कि उन्होंने दिल से मेरी बात सुनी और मदद की पेशकश की। उन्होंने कहा कि उन्होंने हाल ही में इंडिया के लिए अपना खुद का ऑनलाइन कसीनो ऐप लॉन्च किया है 😳। उनका मानना है कि ज़िंदगी एक खेल है — तो क्यों न खेलकर कुछ कमाया जाए? उन्होंने बताया कि सभी नए यूज़र्स के लिए उन्होंने एक महीना बढ़े हुए विनिंग चांस रखा है। 😍


मैं पहले तो हैरान थी — कसीनो? मैंने कभी नहीं खेला 😅। लेकिन उन्होंने खुद मेरा फ़ोन लिया, ऐप डाउनलोड किया, अकाउंट बनाया और बोले: “चलो, अभी ट्राय करो।” 🎰


मैंने ₹2 000 डिपॉज़िट किए। उन्होंने Fire Joker नाम का स्लॉट सजेस्ट किया, जो उनका फेवरेट था। मैंने खेलना शुरू किया, और 10 मिनट के अंदर ही मेरे ₹2 000 बन गए ₹38 000 🔥। मुझे अपनी आँखों पर यकीन नहीं हो रहा था! फिर उन्होंने बताया कि पैसे कैसे विड्रॉ करते हैं — और एक मिनट में वो पैसे मेरे खाते में थे 📲


मैं नहीं जानती थी कि उनका शुक्रिया कैसे अदा करूँ, मैं तो खुशी के मारे रो पड़ी 🥲। लेकिन विराट ने कहा कि उनके लिए सबसे बड़ी खुशी यही है — जब उनका ऐप किसी की ज़िंदगी में कुछ अच्छा ला पाए 🥰


जब मैं घर पहुँची, तो मैंने राहुल को सब कुछ बताया, और हम दोनों ने साथ में बैठकर गेम खेलना शुरू किया। हमने उसी स्लॉट में आगे खेला और उस रात हमने ₹1 45 000 जीत लिए। हम हैरान थे 🥳


कुछ दिन ऐसे ही बीते। मैं काम पर थी और राहुल घर से खेलते रहे 🎰। और फिर एक शाम, जब मैं घर निकल रही थी — राहुल भागते हुए दुकान में आए, पसीने से तरबतर और बोल भी नहीं पा रहे थे 😰। मैं डर गई कि क्या हुआ, लेकिन उन्होंने चुपचाप मुझे फ़ोन दिखाया। स्क्रीन पर लिखा था — जैकपॉट: ₹18 70 000! 😱


इतनी खुशी हमें पहले कभी नहीं हुई थी। इन पैसों से हमने सारे लोन चुका दिए और बच्चों के लिए कॉलेज की सेविंग भी कर ली 💰


इसके बाद मैंने राहुल को पास की एक दुकान में काम दिला दिया, और धीरे-धीरे हमारे मोहल्ले में सबको हमारे बारे में पता चल गया। बहुत से लोगों ने भी वो ऐप डाउनलोड किया और खेलना शुरू किया 😁


मैं विराट कोहली की दिल से शुक्रगुज़ार हूँ कि उन्होंने आम लोगों के लिए कुछ ऐसा किया। वो सिर्फ़ मैदान के हीरो नहीं हैं, बल्कि एक सच्चे दिलवाले इंसान भी हैं ❤️


और जो लोग अभी तक इस ऐप के बारे में नहीं जानते — मैं नीचे उसका लिंक छोड़ रही हूँ। डाउनलोड करो, खेलो और अपने सपनों को हकीकत बनाओ ⤵️


 https://www.facebook.com/share/165NbYZVbU/

ऑनलाइन कैसिनो था. कहानी के साथ

 बच्चे रो रहे थे, बैंक ने 7 दिन में घर खाली करने का नोटिस दिया।


मेरा नाम करण है, मेरे पास दो बेटियाँ और दो बेटे हैं जो पूरी तरह मुझ पर निर्भर हैं 💔। यह हमारा लंबे समय से सपनों का घर था 🏡, जिसे हमने हाल ही में खरीदा था। हमारा सपना आखिरकार सच हुआ था, लेकिन जिंदगी ने हमारे लिए एक नई चुनौती तैयार की थी, जिसने हमें लगभग तोड़ दिया।


मैं दिल्ली में एक आईटी कंपनी के विज्ञापन विभाग में काम करता था। तनख्वाह ज्यादा नहीं थी 💼, लेकिन मैं और मेरी पत्नी ने अपने सपने को पूरा करने के लिए पैसे जोड़े 💰✨। मेरी पत्नी अनिका ❤️ मेरी सबसे अच्छी दोस्त और सहारा थी। हम 12 साल से साथ थे, शहर के अलग-अलग इलाकों में किराए के मकानों से एक से दूसरे में जाते रहे। हर सुबह मैं ऑफिस जाने के लिए 1.5-2 घंटे ट्रैफिक में बिताता था 🚗, लेकिन मैंने कभी शिकायत नहीं की। मुझे यह शहर पसंद था—यहीं मेरा जन्म हुआ था 🌆, यहीं मैं अपने परिवार के लिए भविष्य बनाना चाहता था 🌟।


हम सालों से अपने घर का सपना देखते थे। आखिरकार, हमने पहली किस्त के लिए पर्याप्त पैसे जमा कर लिए और घर की तलाश शुरू की 🏘। हम कोई शानदार बंगला, स्विमिंग पूल या बगीचे वाला घर नहीं ले सकते थे—यह हमारे बस की बात नहीं थी। लेकिन हमें महल की जरूरत भी नहीं थी। हम चाहते थे एक साधारण, आरामदायक घर, जहाँ हमारे बच्चे खेल सकें, हँस सकें और सुरक्षित महसूस करें, इसे अपना कहते हुए 🏡💖।


और हमें वह मिल गया। यह एक पुराना सा घर था, दीवारें घिसी हुई थीं, लेकिन बड़ी खिड़कियाँ और एक छोटा आँगन था। बैंक ने हमारे लोन के लिए मंजूरी दे दी, हमने सारे कागजात पर दस्तखत किए और चाबियाँ मिल गईं 🔑✨। वह दिन उत्सव जैसा था—मैं और अनिका खाली ड्राइंग रूम में नाचे, और बच्चे कमरों में दौड़ते हुए अपने लिए जगह चुन रहे थे। हम जानते थे कि आगे बहुत काम था: मरम्मत, रंगाई, बिजली की तारें बदलना, लेकिन यह सब खुशी को और बढ़ा रहा था—हम अपने भविष्य को अपने हाथों से बना रहे थे ✨।


लेकिन खुशी ज्यादा दिन नहीं टिकी। कुछ महीनों बाद अनिका को निमोनिया हो गया 😔। पहले मुझे लगा कि यह मामूली सर्दी-जुकाम है—दो हफ्ते में वह ठीक हो जाएगी, बच्चों के लिए उनकी पसंदीदा रोटियाँ बनाएगी और उन्हें सोते वक्त लोरी सुनाएगी। लेकिन उसकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ती गई। डॉक्टरों ने बताया कि इंफेक्शन उसके दिल तक पहुँच गया। तीन हफ्ते तक वे उसके लिए लड़ते रहे, और मैं उसकी बेड के पास बैठा उसका हाथ थामे प्रार्थना करता रहा कि वह अपनी आँखें खोले। लेकिन मेरी प्यारी अनिका, मेरा उजाला, हमेशा के लिए हमसे चली गई 💔। मैं आज भी उसकी आवाज सुनता हूँ, उसे बच्चों को देखकर मुस्कुराते हुए देखता हूँ, लेकिन अब यह घर उसके बिना सूना हो गया है।


हमारी जिंदगी बिखर गई 😔। मुझे समझ नहीं आया कि आगे कैसे जिया जाए। चार छोटे बच्चों को कैसे समझाऊँ कि उनकी माँ अब कभी नहीं लौटेगी? छोटी बेटी हर शाम पूछती थी, "पापा, मम्मी कब घर आएँगी?" और मैं उसे गले लगाकर कुछ बोल नहीं पाता था। शुरुआती दिन धुंध जैसे थे 💔। अनिका हमेशा बच्चों की देखभाल करती थी, और अब मैं खुद को खोया हुआ महसूस कर रहा था। मैं नौकरानी नहीं रख सकता था—हमारी सारी बचत उस घर में चली गई थी, जो अब हमारे सपनों का कड़वा यादगार बन गया था 🏠।


लेकिन मेरे पास कोई चारा नहीं था। मेरे चार बच्चे हैं—दो बेटे और दो बेटियाँ—और उन्हें मुझकी जरूरत थी, एक मजबूत पिता की, जो उन्हें भविष्य दे सके 💪। मैंने हर तरह की नौकरी की कोशिश की, रातों को इंटरनेट पर बैठकर रिमोट जॉब्स ढूँढे। बॉस से घर से काम करने की गुजारिश की ताकि बच्चों के साथ रह सकूँ, लेकिन उसने मना कर दिया और मुझे नौकरी छोड़ने को कहा 😞। मैं बेरोजगार हो गया, ढेर सारे कर्ज के साथ और उस घर के साथ, जिसे हम किसी भी वक्त खो सकते थे।


एक दिन मुझे बैंक से चिट्ठी मिली—लोन की किस्त बकाया होने का नोटिस। मैं सोते हुए बच्चों को देखता था और कल्पना करता था कि हमें सड़क पर निकाल दिया जाएगा, वे रो रहे होंगे और समझ नहीं पाएँगे कि उनका घर क्यों छिन गया। यह डर मेरे गले को जकड़ लेता था, साँस लेना मुश्किल हो जाता था 🏚। मैं रातों को नहीं सोता था, फोन स्क्रॉल करता था, दोस्तों के मैसेज का जवाब देता था जो मुझे हिम्मत देना चाहते थे। एक दोस्त ने मुझे एक ऐप की लिंक भेजी। "इसे आजमा," उसने लिखा, "यह तुम्हें भारी विचारों से दूर करेगा।" यह एक ऑनलाइन कैसिनो था। मैंने कभी ऐसी चीजें नहीं खेली थीं, लेकिन नींद न आने और हताशा में मैंने जोखिम उठाने का फैसला किया।


मैंने ऐप डाउनलोड किया, रजिस्टर किया, आखिरी बचे पैसों से बैलेंस डाला और खेलना शुरू किया। वहाँ ढेर सारे स्लॉट थे, लेकिन मुझे बोनांजा पसंद आया—रंगीन, अच्छे संगीत के साथ। मैंने सबसे छोटी बेट लगाई और बस ड्रम्स को घूमते हुए देखता रहा।


आधा घंटा बीत गया। कई बार मैं हार के कगार पर था, लेकिन फिर विनिंग कॉम्बिनेशन आने लगे 🎰। मैंने थोड़ा जीता, फिर थोड़ा और, लेकिन घर और बच्चों की चिंता मुझे छोड़ नहीं रही थी। अगले दिन मैंने पड़ोसन से बच्चों के साथ रहने को कहा और नौकरी के लिए इंटरव्यू देने गया—घर के पास कोई काम ढूँढ रहा था। लेकिन विज्ञापन का मेरा अनुभव किसी को काम का नहीं लगा, करियर बिखर गया, और एक और रिजेक्शन के बाद मैं बस में बैठा, टूटा हुआ महसूस कर रहा था 😞।


रास्ते में मैंने ऐप खोला। मूड शून्य पर था, नर्वस सिस्टम चरम पर। मैंने फिर से खेलने का फैसला किया, लेकिन इस बार छोटा नहीं खेला—मैक्सिमम बेट लगाई। हाथ इतने काँप रहे थे कि फोन मुश्किल से पकड़ पा रहा था। और अचानक स्क्रीन चमक उठी—मल्टीप्लायर्स बढ़ने लगे: x10, x50, x100। मैंने फोन घुटनों पर गिरा दिया, दिल कान में धड़क रहा था। बैलेंस 25 लाख रुपये तक पहुँच गया 😳। मैं बार-बार नंबर पढ़ता रहा, डर था कि यह गड़बड़ है या सपना। पक्का करने के लिए मैंने पैसे अकाउंट में ट्रांसफर किए—और वे आ गए! 💸


मैं बस में बैठा था और राहत से रो पड़ा, चेहरा हाथों में छिपाकर। इस ऐप ने हमें बचाया। हम सड़क पर नहीं आए, मैंने बैंक का कर्ज चुका दिया, और अब बच्चों के भविष्य के बारे में सोच सकता हूँ। जब मैं घर लौटा, छोटी बेटी मेरे पास दौड़कर आई: "पापा, अब हम कहीं नहीं जाएँगे न?" मैंने उसे कसकर गले लगाया और महीनों बाद पहली बार कहा: "नहीं, हम यहीं रहेंगे, और तुम्हें वह सब मिलेगा जो चाहिए।" इस जीत ने मुझे जिंदगी और उम्मीद लौटा दी कि मेरे बच्चे खुशहाल बड़े होंगे 💖।


मैं यह आपके साथ शेयर करना चाहता हूँ। मैंने सब कुछ खो दिया था, लेकिन इस मौके ने मुझे गड्ढे से निकाला। नीचे ऐप की लिंक है—डाउनलोड करें, रजिस्टर करें, बैलेंस डालें और आजमाएँ। मुझे यकीन है कि यह आपके लिए खुशी ला सकता है और शायद आपका भी उद्धार बन जाए, जैसा मेरे और मेरे बच्चों के लिए बना। सबको शुभकामनाएँ! 🍀🙏

ये कहानी फेसबुक के .कारण मनोत्रा के पेज से है 

(Karan Malhotra).

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सेक्स अब पहले से कहीं सस्ता हो चुका है,

 "सेक्स अब पहले से कहीं सस्ता हो चुका है, लेकिन पुरुष सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं।"


आजकल सेक्स हासिल करना कभी भी आसान नहीं रहा है।


कोई मेहनत नहीं, कोई प्रतिबद्धता नहीं, कोई जिम्मेदारी नहीं।


कुछ संदेश, एक स्वाइप या एक रात का समय—और वो आपका है।


प्रेम की कोई आवश्यकता नहीं, रिश्तों की कोई आवश्यकता नहीं—बस तुरंत सुख।


आधुनिक पुरुष के लिए, यह स्वर्ग जैसा लगता है।


लेकिन यहाँ कड़वा सच है: आसान सुख की एक छिपी हुई कीमत है।


और पुरुष इसका मूल्य अपनी महत्वाकांक्षा, ध्यान, और भविष्य के साथ चुका रहे हैं।


THREAD ↓


1. जीत का भ्रम


आजकल के पुरुष सोचते हैं कि वे “विकल्प” होने के कारण जीत रहे हैं।


वे सोचते हैं कि बेडफेलो बदलने से वे ताकतवर हो रहे हैं। वे सोचते हैं कि महिलाओं का पीछा करने से वे प्रभुत्व प्राप्त कर रहे हैं।


लेकिन असल में, वे कमजोर हो रहे हैं।


उन महिलाओं के साथ समय बर्बाद कर रहे हैं जो कोई मूल्य नहीं जोड़तीं।


सतत आनंद में ऊर्जा खो रहे हैं।


अंतहीन व्याकुलताओं से ध्यान खो रहे हैं।


सच्चे विजेता वे नहीं हैं जो बहुत महिलाओं के साथ सोते हैं।


सच्चे विजेता वे हैं जो अपना समय, ऊर्जा और प्रयास किसी महान चीज़ के निर्माण में लगाते हैं।


2. हुकअप संस्कृति की छिपी हुई कीमत


समाज पुरुषों से कहता है:


“अपनी जवानी का आनंद लो।”


“अपना जीवन जीओ।”


“जितना हो सके मज़ा करो।”


लेकिन वे यह नहीं बताते कि इसके बाद क्या होता है:


काबू की कमी।


बर्बाद समय।


भावनात्मक सुस्ती।


सुख की आदत बन जाती है, उद्देश्य नहीं।


जो पुरुष हमेशा महिलाओं का पीछा करते हैं, वे अपने लक्ष्यों का उतना ही पीछा नहीं कर सकते।


3. आपकी ऊर्जा ही आपकी शक्ति है


हर बार जब आप सस्ते सुख का आनंद लेते हैं, आप अपनी शक्ति खो देते हैं।


आपकी प्रेरणा कमजोर हो जाती है।


आपकी महत्वाकांक्षा मिटने लगती है।


सफलता की भूख गायब हो जाती है।


सक्स केवल शारीरिक क्रिया नहीं है—यह ऊर्जा का आदान-प्रदान है।


और जब आप अपनी ऊर्जा बेमानी मुठभेड़ों पर खर्च करते हैं, तो आप अपनी क्षमता को कमजोर करते हैं, जो आपको विजय, सृजन और नेतृत्व में सक्षम बनाती है।


शक्तिशाली पुरुष अपनी ऊर्जा ऐसी चीजों पर खर्च नहीं करते जो उनके लिए सेवा नहीं करतीं।


4. एक गुलाम का मन बनाम एक राजा का मन


सुख के गुलाम को नियंत्रित किया जा सकता है।


वह महिलाओं को प्रभावित करने के लिए अपना पैसा बर्बाद करेगा।


वह ध्यान के लिए भीख मांगेगा, बजाय इसके कि सम्मान की मांग करे।


वह दूसरों को प्रभावित करने के प्रयास में खुद को नष्ट कर देगा।


लेकिन अनुशासन वाला पुरुष?


वह महिलाओं को उसका पीछा करने देता है।


वह धन अर्जित करता है, न कि उसे बर्बाद करता है।


वह खुद को नियंत्रित करता है, ताकि कोई और उसे नियंत्रित न कर सके।


आप इनमें से कौन सा हैं?


5. झूठ जो उन्होंने आपको बताया


उन्होंने आपको कहा था "सक्स सिर्फ सेक्स है।" उन्होंने आपको कहा था "इसका कोई मतलब नहीं है।" उन्होंने आपको कहा था "यह सिर्फ मज़े के लिए है।"


लेकिन अगर ऐसा सच है, तो इतने सारे पुरुष क्यों खाली महसूस करते हैं?


क्योंकि अंदर से वे जानते हैं कि वे खुद को बर्बाद कर रहे हैं।


वे अपना समय बर्बाद कर रहे हैं।


वे अपनी ऊर्जा बर्बाद कर रहे हैं।


वे अपनी क्षमता बर्बाद कर रहे हैं।


पहले सेक्स कुछ मूल्यवान था। अब, यह मुफ्त में फेंक दिया जाने वाला कुछ बन गया है।


लेकिन जब किसी चीज़ का मूल्य घटता है, तो जो लोग उसमें शामिल होते हैं, उनका मूल्य भी घटता है।


6. वे पुरुष जो महिलाओं का पीछा करते हैं, हमेशा पीछे रह जाते हैं


इतिहास में सबसे शक्तिशाली पुरुषों को देखें।


वे अपने सर्वश्रेष्ठ वर्षों में अस्थायी सुख का पीछा नहीं कर रहे थे। वे अपने सर्वश्रेष्ठ वर्षों में कुछ बड़ा बना रहे थे।


लेकिन जो पुरुष महिलाओं का पीछा करते थे?


वे अपना उद्देश्य खो बैठते थे।


वे भटक जाते थे।


वे मिट जाते थे।


अगर आप अपनी 20s में महिलाओं का पीछा करेंगे, तो आप अपनी 30s और 40s में इसका पछतावा करेंगे।


7. समाधान? नियंत्रण।


अगर आप शक्तिशाली बनना चाहते हैं, तो आपको अगली उच्चता के लिए जीना बंद करना होगा।


संतोष को विलंबित करें। ना कहना सीखें।


अपनी ऊर्जा बचाएं। इसे अपने मिशन के लिए इस्तेमाल करें।


जीत पर ध्यान केंद्रित करें। महिलाएं शक्ति का सम्मान करती हैं, न कि ध्यान का।


जो पुरुष खुद को नियंत्रित करता है, वह अपनी किस्मत नियंत्रित करता है।


8. अंतिम सत्य: शक्ति या सुख—आप दोनों नहीं पा सकते


हर महान पुरुष को एक चुनाव करना पड़ा था।


आसान रास्ता: सुख और व्याकुलता।


या कठिन रास्ता: अनुशासन और सफलता।


अधिकतर पुरुष आसान रास्ता चुनते हैं—और असफल होते हैं।


कुछ चुनिंदा पुरुष कठिन रास्ता चुनते हैं—और जीतते हैं।


आप कौन सा रास्ता चुनेंगे?

Sunday, 6 April 2025

फोन में कुछ ऐसा होता है जिसे छिपाया जाता है। आइए हम सच्चाई से रूबरू हों

 जब आप एक रिश्ते में होते हैं, तो आप सब कुछ शेयर करते हैं—एक साथ नहाते हैं, बिना सुरक्षा के शारीरिक संबंध बनाते हैं, एक-दूसरे की प्लेट से खाते हैं, एक ही ग्लास से पीते हैं, गहरे किस करते हैं और हर रात एक-दूसरे के साथ सोते हैं। आप सबसे गहरे तरीके से जुड़े होते हैं।


तो फिर जब कोई व्यक्ति दूसरे का फोन छूने की कोशिश करता है, तो अचानक "गोपनीयता" का मुद्दा क्यों बन जाता है? बाकी सारी निजी बातें साझा की जाती हैं—सिवाय उस एक डिवाइस के। क्यों?


क्योंकि 9 में से 10 बार, उस फोन में कुछ ऐसा होता है जिसे छिपाया जाता है। आइए हम सच्चाई से रूबरू हों—अगर आपके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो फिर संकोच क्यों? अचानक आक्रामकता क्यों? फोन एक वस्तु है, फिर भी बहुत से लोगों के लिए यह रहस्यों, झूठ और धोखाधड़ी का घर बन जाता है। कुछ लोग कहेंगे, "यह मेरी निजी जगह है," लेकिन क्या रिश्ते में सबसे निजी स्थान नहीं होता?


आखिरकार, विश्वास पारस्परिक और पारदर्शी होना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति अपनी ज़िंदगी का एक हिस्सा उस इंसान से छुपाने की कोशिश करता है, जिसके साथ वह बाकी सब कुछ साझा कर रहा है, तो यह सवाल उठाने लायक है कि आखिर क्यों.. ❓

Friday, 4 April 2025

जब लोग आपको छोड़कर चले जाएं

 जूलिया रॉबर्ट्स ने एक बार कहा था,. "जब लोग आपको छोड़कर चले जाएं, तो उन्हें जाने दीजिए। आपकी तक़दीर कभी भी उन लोगों से जुड़ी नहीं होती जो आपको छोड़ते हैं, और इसका मतलब यह नहीं है कि वे बुरे लोग हैं। इसका मतलब है कि उनका आपके जीवन में एक भूमिका थी जो अब समाप्त हो गई है।"


ये शब्द हमें एक #सच्चाई याद दिलाते हैं, जिसे हम अक्सर भूल जाते हैं - कि हर व्यक्ति जो हमारे जीवन में आता है, वह हमेशा के लिए नहीं रहता। लोग हमारे जीवन में विभिन्न कारणों से आते हैं, हमें कुछ सिखाने, अनुभव साझा करने या किसी खास दौर में हमारा साथ देने के लिए। लेकिन जब वे जाते हैं, तो यह समझना महत्वपूर्ण है कि उनकी भूमिका हमारे सफर में पूरी हो गई है, और अब हमारे रास्ते अलग हो गए हैं। जिन लोगों को हमें जाने देना होता है, उनके साथ जुड़ा रहना हमारी वृद्धि में रुकावट डालता है और हमें अपनी पूरी तक़दीर में आगे बढ़ने से रोकता है।


यह किसी को नकारने या दोष देने का सवाल नहीं है, बल्कि यह समझने का है कि हमारी कहानी उनके बिना भी आगे बढ़ सकती है। कभी-कभी उनका जाना नए अवसरों, गहरे रिश्तों और खुद के नए पहलुओं की खोज का रास्ता खोलता है। #छोड़ना हमेशा आसान नहीं होता, लेकिन यह आपके जीवन के अगले चरण में जाने के लिए जरूरी है। 


यह उस #रिश्ते के महत्व को कम नहीं करता जो आपने कभी साझा किया, क्योंकि हर मुठभेड़ का मूल्य है, जो आपको आकार देती है और आपकी वृद्धि में मदद करती है। लेकिन जब कोई चला जाता है, तो इसका मतलब है कि अब उनका और आपका रास्ता एक साथ नहीं मिल रहा। उनका जाना आपको आपके जीवन की कहानी में एक खलनायक नहीं बनाता, बल्कि यह सिर्फ यह दर्शाता है कि उनकी भूमिका अब स्वाभाविक रूप से समाप्त हो गई है।


जब आप छोड़ने का बोझ हटाते हैं, तो आप उन लोगों के लिए जगह बनाते हैं जो आपके जीवन में बने रहेंगे और उसे सार्थक तरीके से समृद्ध करेंगे। हार मानना छोड़ने का नहीं, बल्कि स्वीकृति का एक कृत्य है - जीवन के प्रवाह को अपनाना, यह समझना कि हर कोई हमारे साथ हर मंजिल तक नहीं पहुंचने के लिए नहीं होता। याद रखें, आपकी #तक़दीर आपकी है। 


कोई भी इसे आपसे नहीं छीन सकता, और कोई भी उस रास्ते पर नहीं चल सकता जो आपके लिए निर्धारित किया गया है। इसलिए, जब कोई व्यक्ति जाता है, तो विश्वास रखें कि यह आपके सर्वोत्तम भले के लिए है। वे आपकी कहानी का हिस्सा थे, लेकिन अब बाकी का लेखन आपके लिए है, और इसमें और भी बड़ी संभावनाएँ हैं।

 हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे.. लेकिन कभी पीली साड़ी में तुम्हे देखकर थम जाए मेरी नज़र... तो समझ जाना तुम... जब तुम रसोई में अके...