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Tuesday, 18 January 2022

पुरुष के दर्द से ओतप्रोत एक मार्मिक कृति ___________________________________


पुरुषों के दर्द से मुक्ति एक मार्मिक कृति…
पति पत्नी और भावी संतान।___________________________________
“ तू दद ​​नहीं माँगा”
साहब मैं स्थान नहीं आऊंगा,
अपने इस घर से कहीं नहीं जाऊँगा,
माना पत्नी से थोड़ा मन-मुटाव था,
सोच में अन्तर और विचार में खिंचाव था
हमने शादी से पहले सोच रखा था।
पत्नी को हर खुशी देने का वादा कर रखा था।
यकीन मानिए साहब, “दहेज नहीं माँगा”

मेरा मानना ​​है कि कानून आज पत्नी के पास है,
महिलाओं का समाज में हो रहा विकास है।
चाहती मेरी भी बस यही थी कि माँ-बाप का सम्मान हो,
उन्हें भी समझे माता पिता, ना कभी उनका अपमान हो।
पर अब क्या फायदा, जब टूट ही गया हर रिश्ते का धागा,
यकीन मानिए साहब, “ आप दद नहीं माँगा”

परिवार के साथ रहना इसे पसंद नहीं है,
यहाँ कोई रस नहीं, कोई आनन्द नहीं है,
मुझे ले चलो इस घर से दूर, किसी किराये के आशियाने में,
माँ बाप पर प्यार बरसाने में कुछ नहीं रखा,
हाँ छोड़ दो, छोड़ दो इस माँ बाप के प्यार को,
नहीं माने तो याद रखोगे मेरी मार को,

फिर शुरू हुआ विवाद माँ बाप से अलग होने का,
शायद समय आ गया था, चैन और सुख खोने का,
एक दिन साफ़ मैंने पत्नी को मना कर दिया,
न रहूँगा माँ-बाप के बिना ये उसके दिमाग में भर दिया।
बस मुझसे लड़कर मोहतरमा मायके जा पहुंची,

2 दिन बाद ही पत्नी के घर से मुझे सुराग मिला,
माँ बाप से अलग हो जा, नहीं पढ़ाओगे,
क्या होता है दहेज़ कानून इसका असर दिखाएंगे।
परिणाम जानते हुए भी हर खतरे को गले में टांगा,
यकीनन मानिये साहब, “ आप दज़ नहीं माँगा”

जो कहा था बीवी ने, आखिर वो कर दिखा,
फ़िर किसी और बात पर था, पर उसने दहेज का नाटक रचाया।
बस पुलिस थाने से एक दिन मुझे फ़ोन आया,
क्यों बे, पत्नी से दहेज़ मांगता है, ये कह के मुझे धमकाया।
माता पिता भाई बहिन जीजा सभी के रिपोर्ट में नाम थे,
घर में सब हैरान, सब परेशान थे,
अब अकेले बैठ कर सोचता हूँ, वो ज़िन्दगी में क्यों आई थी,

मैंने भी तो उसकी हर जिम्मेदारी निभाई थी।
आख़िरकार तमका मिला हमें दज़ लोभी होने का,
कोई फायदा न हुआ मीठे मीठे सपने संजोने का।
छुपाकर कहीं नहीं भागा,
लेकिन यकीनन साहब, “ आप दज़ नहीं माँगा
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 हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे.. लेकिन कभी पीली साड़ी में तुम्हे देखकर थम जाए मेरी नज़र... तो समझ जाना तुम... जब तुम रसोई में अके...