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Thursday, 30 January 2020
Tuesday, 28 January 2020
The story of my life.
सभी को प्रणाम।
सबसे पहले मैं आपको अपना परिचय देता हूँ।
मेरा पूरा नाम सुनील नारायण राठौड़ है।
मेरा जन्म 22 अप्रैल 1989 दिन बुधवार,समय 11.बजे बुरहानपुर जिले के बोदरली गांव में गरीब किसान के घर बंजारा परिवार में हुआ। मैंने हिंदी विषय में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। । हिंदी विषय से मैंने बी.एड भी किया है, कंप्यूटर में डीसीए 1 वर्ष का कोर्स किया है मैंने पीजीडीटीव्स्की भी किया है। उन्होंने पुणे में टैक्सटाइल डिजाइनिंग कोर्स किया। यह एक प्रोजेक्ट मिशन है। स्कूल के दौरान मैंने बस कंडक्टर का काम किया। और मेरी लाइफ की पहली कमाई से मैंने अपनी माँ के लिए एक साड़ी खरीदी। फिर मैंने कपड़े की दुकान में काम सेल्स का काम किया। बाबा रामदेव गारमेट बुरहानपुर), मैंने सन 2006: 2011 तक, 5 साल तक "मेट" के पद पर जॉब किया है। महिंद्रा एंड महिंद्रा (आरसी एंड एम) कंपनी ने भारतीय जीवन बीमा निगम एलआईसी में अभिकर्ता के तौर पर 2018 तक एंकरिंग कार्य किया। इसके अलावा डीजे ऑपरेटर, जेसीपीआई एजेंट, प्रॉपर्टी ब्रोकर, मैंने इंदौर के कॉल सेंटर में जॉब किया है। सन 2014 में मैंने अपना एक ढाबा भी खोला, लेकिन दो साल बाद उस ढाबे में चोरी हो जाने के कारण मुझे ढाबा बंद करना पड़ा। बैंक से लोन लेकर किराना व्यवसाई का काम आपके घर पर चालू हो गया है। 2019 में सरकारी स्कूल सीतापुर में अतिथि शिक्षक के तौर पर बच्चों को 1 साल मुफ्त में पढ़ाया जाता है। मैं एक नेक और ईमानदार व्यक्ति हूँ। 14 जुलाई 2016 को पूजा नाम की लड़की से शादी हुई। मेरा एक 2 साल का बेटा है। जिसका नाम पार्थ है।.... मैं उसके भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हूं। मैं एक अच्छे व्यापार या एक अच्छे व्यवसाय की तलाश में हूँ। मैंने अपने जीवन में कई कहानियाँ देखी हैं और कई समाचार देखे हैं। । मैं अपने बारे में कम और दूसरों के बारे में ज्यादा सोचता हूं। मैं एक दयालु व्यक्ति हूँ इसलिए मैं अपने जीवन में सफल नहीं हो सका। मैं अपनी खुद की एक कंपनी खोलना चाहता हूं। मल्टी लेवल मार्केटिंग कंपनी जिसके लिए मेरे पास पैसे नहीं हैं। मैं अपना पूरा खोलकर गरीब लोगों की मदद करना चाहता हूं। मेरे पास मल्टीपल लाभ मार्केटिंग के लिए बहुत सारी योजनाएं हैं। मेरे पास बहुत सारे विचार हैं। मुझे सत्य यात्रा और पीढ़ी की योजनाओं के बारे में थोड़ा ज्ञान है। लेकिन मैं एक कंपनी खोलने में असमर्थ हूं क्योंकि मेरे पास पर्याप्त पैसा नहीं है। इस समय, मुझे एक अच्छा व्यवसाय। की आवश्यकता है।और मैं उसकी तलाश में हूं।मैं अपने जीवन में बहुत बड़ा आदमी बनना चाहता हूं। मुझे एक अच्छे मंच की जरूरत है
एक पंक्ति।
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मेरे जीवन की कहानी
बहुत शौक था मुझे सबको खुश रखने का ।
मैं। मैं आपके लिए अपने स्कूल जीवन से लेकर विवाहित जीवन तक की कहानी लेकर आया हूँ।
हमारी अठतो के तार जनधन योजना की तरह होते हैं। मित्र पड़ोसी मित्र। आदि
मैं मंदिर कभी नहीं जाता। और
बेवजह इल्जाम लगता है मैंने सुना है। इल्जाम इतनी संगीन कि खुद को खत्म करने को जी चाहता है। लेकिन उससे मैं बेगुनाह साबित नहीं हो सकता, हो सकता है। फिर मेरे दिमाग में एक ही बात आती है। इंसान को खुद की नजरों में अच्छा होना चाहिए। दूसरों की नजरों में तो भगवान भी बुरा मानते हैं या फिर झूठे लोगों को भी झूठा मानते हैं। सच को सच करने के लिए खुद का मन भी सच्चा होना नहीं जाना चाहिए और कितने गलती मुझ पर लगे हैं जो मुझे ही पता नहीं। पर आरोप लगाने वालों में दूसरों से ज्यादा अपनों का हाथ है। यह कोई नई बात नहीं है।
दुख तो इस बात का है कि हमारी नियत साफ हो और लोग फिर भी हमें बेईमान समझे। किसी के दयालु इल्जाम ने मेरी जिंदगी नरक बना रखी है। मेरी कहानी कोई 3 घंटे की फिल्म नहीं है कि मैं उन्हें बेगुनाह साबित करके बता दूं। जिंदगी में इतने बेईमान लोग मिले कि ईमानदार लोगों से भी नफरत हो गई। खैर कोई बात नहीं अब जो होगा सो देखा जाएगा। ऊपरवाला परीक्षा कब तक होती है ?
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सत्र १
कहानी की शुरुआत मेरे बचपन से होती है जहाँ तक मुझे याद है।
,,,,,, अगला प्रवेश मेरा छठी कक्षा में था। और हमें छठी कक्षा में जाने के लिए बहुत डर लगता था। क्योंकि वहां पर अंग्रेजी अध्ययन पढा जाता था। इंग्लिश का पहला शब्द हमने एबीसीडी छठी कक्षा में पढ़ना शुरू किया। के लिए मेरे पास बुक नहीं थी। मेरे घर की आर्थिक स्थिति खराब थी।
मेरा बड़ा भाई कक्षा सातवीं में पढ़ा था जो कि मुझसे 4 साल बड़ा था। मैं छठी पुरानी किताब पढ़ता हूँ।
कभी-कभी हमारे और बड़े भाई में झगड़ा होने पर भाई मुझे बहुत मरता था और मेरी किताब भी छीन लेती थी। और दोपहर में खाना खाने की छुट्टी में स्कूल से घर जल्दी आ कर। मेरे लिए रखा हुआ खाना भी पूरा खा जाता था। फिर मैं भूखा ही स्कूल चला जाता था। जब शाम को मां-बाप खेत से काम करके वापस आते थे तो भाई की शिकायत करता था।
माँ-बाप के दत्तने पर भाई घर के ऊपर पत्थर फेंकता था।
टंटी को लात मारता है, दरवाजा तोड़ता केवल पत्थरों की पट्टियों या आत्महत्या करने की धमकी देता है। ऐसी हरकतें करता है इसलिए माँ-बाप उससे डर जाते थे और उसे कुछ नहीं होता था। कभी-कभी मुझे भूख लगने पर मैं खिचड़ी बनाता था तो भी मुझे खाने नहीं देता था। मुझे बहुत बुरा लगा था और खुशबूदार खिचड़ी को फेंक देता था। । मैं छोटा था और कमजोर था इसलिए उसका सामना नहीं कर सका। आज भी सारी बातें याद है। मेरी माँ-बाप ने मुझे कभी हाथ नहीं लगाया। मुझे बड़ा लाड प्यार से पाला है।इसलिए वह चुरा ले गयी थी। जितना मैं उससे डरता हूँ उतना मुझे पीटता, मेरे जमा किए हुए पैसे भी चुरा लेता था। मेरे द्वारा पीने जाने पर मुझे ही पीटता था कि माँ-बाप को मत देना। कि पैसे मैंने चुप कराया है तो तू नहीं और बहुत मारेंगे। मार खाने के डर से मैं भी डरा हुआ रहता हूँ।
कक्षा आठवीं की बोर्ड परीक्षा देने के लिए हमें हमारे गांव से 9 किलोमीटर दूर दरियापुर गांव में जाना पड़ता है।
एक साइकिल पर दो लोग जांच करने गए थे। गाँव में सिर्फ आठवीं तक के स्कूल थे। आठवीं कक्षा पास करके के नौवीं में प्रवेश के लिए मेरे पास पाँच सौ रुपये नहीं थे।
जैसे-तैसे एडमिशन किया गया। अब तो स्कूल जाने की परेशानी और बढ़ गई। अब हमारे सामने रोज की 5 रूपए की दरकार थी।
घर से जिस दिन पैसे मिलते हैं। उसी दिन स्कूल नहीं जाते थे, तो घर पर रह जाते थे। कभी-कभी तो हम पैदल 5 रुपये बचाने के लिए पैदल स्कूल से घर आते थे। 9वीं कक्षा पास कर के दसवीं में गए।
हमारी क्लास में लड़के-लड़कियां सहित 34 बच्चे थे।
अच्छे बुरे की परख।
A test of good and bad.
1) बेटे की परख शादी के बाद।
Son's test after marriage.
2) बेटी की परख जवानी मे
Daughter's test in youth.
3) पति की परख बीमारी में।
In husband's disease.
4) पत्नी की परख पति के गरीबी में।
Wife's test in husband's poverty.
5) दोस्त की परख मुसीबत में।
Friend's trouble in trouble
6) बहन की परख जायदाद में।
Sister's test in property.
7) भाई की परख लड़ाई में।
In the battle of brother.
8) औलाद की परख बुढ़ापे में होती है।
Children are tested in old age.
लेखक सुनिल राठोड
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*ये किताबे नहीं, जीवन*
*का गणित है ...साहेब ,*
*यहाँ दो में से एक गया..*
*तो कुछ नहीं बचता।*
*चाहे जीवन साथी हो..*
*या दोस्त....✍🏻*
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जमीन अच्छी हो। खाद अच्छा हो।पर पानी अगर खारा हो। तो फूल खिलते नहीं।
The soil is good, the fertilizer is good, but if the water is saline then the flowers do not bloom.
भाव अच्छा हो।विचार भी अच्छा हो।मगर वाणी खराब है।
तो संबंध टिकते नहीं।
If the sentiment is good, the idea is good but if the speech is bad then the relationship does not last.
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*घमण्ड बता देता है कितना पैसा है ।*
*संस्कार बता देते है परिवार कैसा है ॥*
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*ज़िन्दगी में ठंड और घमंड*
*से दूर ही रहना चाहिए*
*दोनो ही सूरतों में ज़िस्म*
*अक्सर अकड़ जाता है*
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*रामायण में दो व्यक्ति थे एक विभीषण और एक कैकेई।
विभीषण रावण के राज में रहता था।
फिर भी नहीं बिगड़ा।
केकैई राम के राज्य में रहती थी।
फिर भी नहीं सुधरी।
तात्पर्य-> सुधरना और बिगड़ना केवल।
मनुष्य की सोच और सभाओं पर निर्भर करता है।
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आर्थिक स्थिति बिगड़ने के मुख्य कारण।
Lopiee Rathod
Monday, 27 January 2020
Tuesday, 21 January 2020
Cumming Soon.1
PSR. Help care.
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फायदा.लाभ
अब आपके मन में एक सवाल जरूर आ रहा होगा कि आप ₹700 लगाकर 500000 की मदद कौन दे सकता है।
सुनने में आपको अजीब लगेगा।
आपको कंपनी की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही।
कंपनी 1 लाख. हैप्पीनेस परिवार को एक साथ मैसेज करेगी
सभी के खाते से ₹5 रु.डिटेक्शन करेगी और 5 लाख. की मदद बीमार परिवार को देगी।
₹500000 देने की शर्त। कुछ इस प्रकार रहेगी।
कंपनी के 5 मेंबर आकर निरीक्षण करेंगे और जांच करेगे
आपके द्वारा डॉक्टर को दिखाए गए रिपोर्ट की जांच करेगी
रिपोर्ट सत्य पाए जाने पर रिपोर्ट की कॉपी कंपनी की साइट पर।अपलोड की जाएगी।
कुछ ही दिनों बाद आपको ₹500000 की सहायता राशि दी जाएगी।
नियम व शर्तें लागू।
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फिर से एक सवाल आपके मन में आ रहा होगा ₹200000 का लोन।
कंपनी आपको लोन राष्ट्रीय कृत बैंकों की ब्याज दर पर देगी कि बिना बिना किसी गारंटी
1)लोन सिर्फ अपने (हैप्पीनेस)परिवार के सदस्य कोई दिया जाएगा।
2)आईडी जनरेट के 24 महीने बाद से लोन लेने की पात्रता होगी।
3)लोन की किस्त प्रति महीने चुकानी होगी।
4)महिलाओं को रोजगार के लिए अलग से सामूहिक लोन दिया जाएगा।
5) लोन लेने के लिए 20 पैर कंप्लीट होने चाहिए।
6)लोन लेने के लिए आपका सिविल चेक किया जाएगा सिविल अच्छा होने पर आपको लोन अप्रूवल होगा।
नियम व शर्तें लागू।
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हैप्पीनेस परिवार के सदस्य के घर बेटी जन्म होने पर।
1).2000 का गिफ्ट या दो हजार कैश।
2)10 पियर कंप्लीट होने पर।
3) बेटी का जन्म प्रमाण पत्र कंपनी की साइट पर अपलोड करना होगा।
4)जन्म प्रमाण पत्र अपलोड करने के 15 दिन बाद पैसे आपके खाते में आएगी।
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100 पेड़ लगाने पर ₹2000 नगद पुरस्कार दिया जाएगा।
1)जिसके लिए आपको कुछ फोटोस एंड सरपंच के हाथ का बना हुआ प्रमाण पत्र जिसमें लिखा हो कि इसके द्वारा 100 पेड. कंप्लीट कर लिए गये हैं।सभी पेड़ जीवित है।
2)पंचायत का प्रमाण पत्र एवं फोटो कंपनी की साइट पर अपलोड करना होगा।
3)1000 पेड़ कंप्लीट होने पर आपका सम्मान किया जाएगा 26 जनवरी या 15 अगस्त के दिन।एव नगद राशी...प्रकृति सौंदर्य प्रमाण पत्र।
Cumming Soon.
*यह प्लान लम्बे TIME के लिए आ रही है जो Lifetime सालो तक चलेगी*
ऐसा मोका फिर दुबारा नहीं मिलेगा*
आपके जोइनिंग के 1 सेकंड के बाद ALL OVER INDIA कहीं से भी जोइनिंग लगेगी वो सीधे आपके निचे लगेगी*
पूरे भारत में तहलका मचाने वाला प्लान*
अभी Pre-Launching में
इस प्लान की सबसे बड़ी खूबी यह है कि ये सिगंल लेग प्लान है।
इस प्लान को हलके में ना ले। क्योंकि यह प्लान आपको यह प्लान आपको पुण्य कमाने का अवसर देने वाला है। और साथ में पैसे भी कमाने का वाला है.
यह प्लान इस प्रकार है
SR.no. Team income
1. 10. 300
2. 25. 625
3. 50. 1250
4. 100. 2500
5. 250. 6250
6. 500. 12500
7. 1000. 25000
8. 2500. 62500
9. 5000. 125000
10. 10000. 250000
11. 25000. 625000
12. 50000. 1250000
13. 100000. 2500000
14. 250000. 6250000
*OR Direct*
SR. NO. DIRECT
1. 0
2. 2
3. 3
4. 4
5. 5
6. 10
7. 10
8. 15
9. 15
10. 20
11. 20
12. 25
13. 25
14. 50
*(Note:- सयम के साथ लेवल और इनकम बढ़ती रहेगी आपकी)*
*JOINING AMOUNT*
* ONLY 500 रुपये*
*FRANCHISE INCOME*
Happiness. हैं ??? 🤔coming soon.....
Sunday, 19 January 2020
कुछ पुरानी यादें। ...1965 से 2020। Taken from whatsapp.
ही पीढ़ी आता 35 ओलाडून 50 कडे चाललीय, 'हया' आपल्या पिढीचं सगळ्यात मोठं यश म्हणजे या पिढीने खूप मोठा बदल पहिला आणि पचवला. आणि या पिढीची एक मोठी अडचण म्हणजे हि पिढी कायम उंबरठ्यावर राहिली.....
१,२,५,१०,२०,२५,५० पैसे बघीतलेली ही पीढीत पाहुणे कडून लाज न बाळगता पैसे घेत होती. शाई-बोरु/ पेन्सिल / पेन पासून सुरवात करून, ही पीढी आता, स्मार्ट फोन, लॕप्टाॕप, पीसी, उतारवयात सराईतपणे हाताळत आहे*.
ज्या पिढीच्या बालपणी सायकल सुद्धा एक चैन, असलेली, पण आता ह्या उतारवयात सराईतपणे स्कूटर, कार चालवणारी ही पिढी, अवखळ तर कधी गंभीर.... खूप भोगलेली आणि खूप सोसलेली, पण पूर्ण संस्कारित....
*टेप रेकॉर्डर, पॉकेट ट्रान्झिस्स्टर* ज्या पिढीसाठी खूप मोठी मिळकत होती.
*मार्कशीट* आणि *टिव्ही* च्या येण्यानी यांच्या बालपणाचा बळी घेतला नाही अशी ही शेवटची पिढी.
कुकरच्या रिंग्स, टायर, असल्या गोष्टी घेऊन लहानपणी *गाडी गाडी खेळणं* यात त्यांना काहीही कमीपणा वाटला नव्हता.
*'सळई जमिनीत रूतवत जाणं'* हा काही खेळ असू शकतो का ? पण होता.
*'कैऱ्या तोडणं'* ही यांच्या साठी चोरी नव्हती, आणि
कुठल्याही वेळी कुणाचंही *दार वाजवणं* या मध्ये कसलेही *एथीक्स* तुटत नव्हते.
*मित्राच्या आईने जेवू घालणं* यात कसलाही उपकाराचा भाव आणि *त्याच्या बाबांनी ओरडणं* यात कसलाही असूयेचा अभाव असणारी शेवटची पिढी.
वर्गात किवा शाळेत *स्वतःच्या बहिणीशी सुद्धा कुचरत बोलणारी* ही पिढी.
दोन दिवस जरी मित्र
शाळेत नाही आला तर
शाळा सुटल्या सुटल्या
दप्तरासकट
त्याच्या घरापर्यंत जाणारी
ती पीढी..
कुणाचेही बाबा शाळेत
आले की..मित्र कुठेही
खेळत असो .सत्तरच्या स्पीड ने *"तुझे बाबा आलेय चल लवकर* "
ही बातमी मित्रापर्य॔त पोहोचविणारी ती पिढी
पण गल्लीत *कुणाच्याही घरात कसलाही कार्यक्रम असलं* तरी वाट्टेल ते काम कसलाही विधिनिषेध न बाळगता करणारी ही पिढी.
*कपील, सुनिल गावसकर , वेंकट, प्रसनाच्या बोलिंग वर आणि पेस, भूपती, स्टेफी ग्राफ, अग्गासी, सॕम्प्रसच्या टेनिस वर तर राज, देव,दिलीप ते राजेश,अमिताभ आणि धर्मेंद्र,जितेंद्र बरोबर नंतर बऱ्याच नवीन कलाकारांवर, अगदी आमिर,सलमान, शाहरुख माधुरी,अनिल वर वाढलेली ही पिढी*
भाड्याने VCR आणुन ४-५ पिच्चर पैसे गोळा करून एकत्र पाहणाऱ्या मित्रांची ही पिढी.
*लक्ष्या-अशोक* च्या निर्व्याज विनोदावर हसलेली, *नाना, ओम पुरी, शबाना, स्मिता पाटील, गोविंदा, जग्गू दादा, वर्षा, सोनम, किमी ,सोनाली,* हे कलाकार पाहिलेली पिढी.
कितीही शिकलं तरी *'स्वतः मेल्याशिवाय स्वर्ग दिसत नाही'* यावर विश्वास असणारी
*'शिक्षकांचा मार खाणं'* यात काहीही गैर नाही फक्त घरी कळू नये कारण *'घरात परत धुतात'* ही भावना जपणारी पिढी.
ज्यांच्या शिक्षकांवर *आवाज चढवला नाही* अशी पिढी. हीत कितीही *धुतलं* तरी दसऱ्याला शिक्षकांना *सोनं देणारी* आणि आज इतक्या वर्षानी सुद्धा निवृत्त शिक्षक येताना दिसले तर लाज न बाळगता *खाली वाकून नमस्कार* करणारी पिढी. कॉलेज ला सुट्टी असली तर् आठवणीत स्वप्न रंगवनारी पिढी ...
ना मोबाईल ना SMS ना व्हाट्सअप .... भेटण्या साठी आतुरतेने वाट पाहणारी पीढ़ी.
पंकज उधासच्या *_'तुने पैसा बहोत कमाया इस पैसेने देस छुडाया'_* या ओळीला डोळे पुसणारी,
दिवाळीच्या *पाच दिवसांची कथा* माहित असणारी
लिव्ह इन तर सोडाच, लव मॅरेज म्हणजे फार *मोठं डेरिंग* समजणारी ही पिढी, अहो शाळेत आणि महाविद्यालयात पण मुलींशी बोलणारी मुले ऍडव्हान्स समजली जाणारी पिढी.
पुन्हा डोळे झाकुया ?
दहा, वीस....... ऐंशी, नव्वद...........पुन्हा जुना आठवणीचा सुवर्ण काळ
*गेले ते दिवस राहिल्या त्या आठवणी.....असं न समजणारी सुज्ञ पिढी, कारण आजचे दिवस हेच उद्याच्या आठवणी असणार असं मानणारी ही पिढी ?*
धन्य ते जीवन जे खर आपणच जगलोय !!!
*सर्व मित्रांसाठी*....✍🏻
Friday, 17 January 2020
My poem
आंदोलनकारियों का रजिस्ट्रेशन फ्री होना चाहिए
राजनीति करना है तो खुलकर आगे आना चाहिए।
आंदोलन करना है तो खुद की प्रॉपर्टी का नुकसान करना चाहिए।
देश में जो गंदगी फैलाएगा उसका बहिष्कार करना चाहिए।
आंदोलनकारियों का रजिस्ट्रेशन फ्री होना चाहिए
देश को जो जाति धर्म के नाम पर बाठते हैं उसका विरोध करना चाहिए।
आंदोलनकारियों का रजिस्ट्रेशन फ्री होना चाहिए।
जनसंख्या वृद्धि पर भी रोक लगना चाहिए।
देश में दो बच्चों का कानून बने।
जिसके लिए भी आंदोलन करना चाहिए।
लेखक : सुनिल राठोड
Thursday, 16 January 2020
Good thoughts
दूसरों के काम आते रहिए।
Because.क्योंकि।
The law of nature.
कुदरत का नियम है।
The one whom such people drink water never dries up.
जिस कुऐ से लोग पानी पीते हैं वह कभी नहीं सूखता।
इंसान खुद की नजरों में अच्छा होना चाहिए। दूसरों की नजरों में तो भगवान भी बुरा लगता है।
Humans should be good in their own eyes. God looks bad in the eyes of others.
मुसीबत ही सिखाती है। इंसान को जिंदगी जीने का हुनर।
Trouble only teaches. Man's ability to live life
कामयाबी का मिलना कोई इत्तेफाक नहीं।
There is no coincidence of success.
परवाह न करो चाहे जमाना खिलाफ हो।
Do not care even if it is against the era.
चलो उस रास्ते पर जो सच्चा और साफ हो।
Let's go on the path that is true and clear.
ताकत और पैसा जिंदगी का फल है।
Strength and money are the fruits of life.
जबकि परिवार और मित्र जिंदगी की जड़ है।
While family and friends are the root of life.
वक्त के साथ चलना कोई जरूरी नहीं।
It is not necessary to walk with time.
सत्य के साथ चलिए एक दिन वक्त आपके साथ चलेगा।
Walk with the truth, one day time will go with you.
बिकाऊ तो हम भी है साहब बस कीमत मोहब्बत की हो।
For sale, we also have the honor, just love the price.
झूठे लोगों को झूठे लोग ही अच्छे लगते हैं।
False people like only liars.
सच को समझने के लिए खुद का मन भी सच्चा होना चाहिए।
To understand the truth, one's own mind must also be truthful.
“वो बुलंदियां किस काम की हैं जनाब की इंसान ऊँचाई पर चढ़ जाए और इंसानियत नीचे उतर जाए।”
किसी की अच्छाई का इतना भी फायदा मत उठाओ कि वह बुरा बनने के लिए मजबुर हो जाऐ।
Do not take advantage of someone's goodness so much that he is forced to become evil.
बहुत शौक था मुझको सब को खुश रखने का।
I was very fond of keeping everyone happy.
होश तब आया जब जरूरत के वक्त खुद को अकेला पाया।
The senses came when they found themselves alone in times of need.
सारी उम्र एक सबक याद रखना।
Remembering a lesson all your life.
दोस्ती दुआ और कर्जे में नियत साफ रखना।
Keep the destiny clear in friendship and debt.
अपमान का बदला लड़ाई करके नहीं।
Not by fighting revenge insults.
सामने वाले व्यक्ति से ज्यादा सफल बन कर लिया जाता है।
It is achieved by being more successful than the person in front.
जमीन अच्छी हो। खाद अच्छा हो।पर पानी अगर खारा हो। तो फूल खिलते नहीं।
The soil is good, the fertilizer is good, but if the water is saline then the flowers do not bloom.
भाव अच्छा हो।विचार भी अच्छा हो।मगर वाणी खराब है।
तो संबंध टिकते नहीं।
If the sentiment is good, the idea is good but if the speech is bad then the relationship does not last.
*घमण्ड बता देता है कितना पैसा है ।*
*संस्कार बता देते है परिवार कैसा है ॥*
*एक बार जो मेरे दिल से उतर जाता है।
वह मेरे सामने खड़ा रहे तब भी मुझे नजर नहीं आता है।*
*मुझे हर किसी के सामने खुद को अच्छा साबित करने का कोई शौक नहीं है,
*जब इंसान की जरूरत बदल जाती है तो इंसान के बात करने का तरीका भी बदल जाता है।*
आप कब सही थे इसे कोई याद नहीं रखता।
लेकिन आप कब गलत थे इसे सब याद रखते हैं।
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अच्छे बुरे की परख।
A test of good and bad.
1) बेटे की परख शादी के बाद।
Son's test after marriage.
2) बेटी की परख जवानी मे
Daughter's test in youth.
3) पति की परख बीमारी में।
In husband's disease.
4) पत्नी की परख पति के गरीबी में।
Wife's test in husband's poverty.
5) दोस्त की परख मुसीबत में।
Friend's trouble in trouble
6) बहन की परख जायदाद में।
Sister's test in property.
7) भाई की परख लड़ाई में।
In the battle of brother.
8) औलाद की परख बुढ़ापे में होती है।
Children are tested in old age.
लेखक सुनिल राठोड
-------------------------------------------------------------------*हर बुरा पल भविष्य के किसी अच्छे*
*पल की नींव होता है सदा,*
*ईश्वर की हर कृत्य में*
*कुछ ना कुछ रहस्य होता है*
*दौलत सिर्फ रहन सहन का स्तर*
*बदल सकती है*
*बुद्धि नियत औऱ तकदीर नही*
क्या चल रहा है मेरे देश में...
घेरा है ।तो कभी समर्थन मूल्य ने मारा है।
और फसल का दाम डेढ़ गुना भी नहीं।
क्या चल रहा है मेरे देश में।
क्या चल रहा है मेरे देश में...
कुछ लोग चुनाव के पहले हाथ जोड़कर पेर पढ़ते हैं।
और चुनाव जीतने के बाद में अदृश्य हो जाते हैं।
इतिहास गवाह है आज तक कोई नेता मंत्री का बेटा शहीद नहीं हुआ है।
वे लोग कोई सर्जिकल स्ट्राइक का क्रेडिट लेता है।तो कोई सबूत।मांगता है।
क्या चल रहा है मेरे देश में...
लेखक सुनील, राठौड़
My personal information
नमस्ते दोस्तों नमस्कार मेरा नाम सुनील नारायण राठौड़ है। मैं बुरहानपुर जिले के बोदरली गाँव में रहता हूँ। मैं एक गरीब किसान का बेटा हूँ। मैंने हिंदी में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। हिंदी विषय से मैंने बी.एड भी किया है, कंप्यूटर में DCA 1 साल का कोर्स किया है मैंने PGDT डिप्लोमा भी किया है। उसके बाद टैक्सटाइल डिजाइनिंग कोर्स।मिनरल वाटर प्रोजेक्ट सेमिनार पुणे से किया है.स्कुल के दौरान मैंने बस कंडक्टर का काम किया।और मेरे लाइफ की पहली कमाई से मैंने अपनी मां के लिए एक साड़ी खरीदी।फिर मैंने कपड़े की दुकान में काम किया (बाबा रामदेव गारमेट बुरहानपुर), मैंने सन 2006: 2011 तक, 5 साल मनरेगा "मेट" के पद पर जॉब किया है। महिंद्रा एंड महिंद्रा (RC&M)कंपनी में एंकरिंग कार्य किया उसके बाद भारतीय जीवन बीमा निगम एलआईसी में अभिकर्ता के तौर पर 2018 तक कार्य किया गया। उसके अलावा डीजे ऑपरेटिंग, जेसीपी एजेंट, प्रॉपर्टी ब्रोकर,मैंने इंदौर के कॉल सेंटर में जॉब किया है।सन 2014 में मैंने अपना एक ढाबा भी खोला लेकिन दो साल बाद उस ढाबे में चोरी हो जाने के कारण मुझे ढाबा बंद करना पड़ उसके बाद मैंने बैंक से लोन लेकर किराना व्यवसाई का काम चालू किया है अपने घर पर ।2019 मे सरकारी स्कूल सीतापुर में अतिथि शिक्षक के तौर पर बच्चों को 1 साल फ्री में पढ़ाया है।मैं एक नेक और ईमानदार व्यक्ति हूं ।
जिन लोगों ने मेरे साथ में धोखा किया।(मुझे दुख पहुंचाया)
उनकी लिस्ट विवरण के साथ इस इस प्रकार है।
1) उत्तम शामराव चौधरी।
2) रामेश्वर राठौड़ गब्बू।
3) देवराव चौहान,(मेरा साडू)
4) हीरालाल नंदू चौहान।
5) रामकिशन रसाल राठौड़।
6)मधुकर झाड़ू पान पाटील
7) संजय सुभाष चौधरी।
8) आसाराम मार्को जसोदी
9) शिवा मधुकर चौहान।
10) मांगीलाल तारापार्टी।
11) रविंद्र खेमसिंह राठौड़।
12)अमरसिंह ऊखा राठौड़
13) सुमन (Sis) अमरसिंह।
14) Polition M
15)पूनम मोरसिंह राठौड़।
16) देवराव चौहान (साडू)
17) केशव हीरालाल चौहान।
18) विजय पाटिल सर, शिरपुर।
19) गुरुदयाल बाबू पवार,
20) जीवन लक्ष्मण चौहान।
21) संजय दोला राठौड़
22) भावा दौला राठोड
23) नंदू लक्ष्मण चौहान।
24) राजू झामु चौहान।
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विवरण
1) उत्तम शामराव चौधरी।
मेरे बड़े भाई राजेश की शादी की तारीख निकल गई थी और शादी करने के लिए पैसा कम पड़ रहा था।उस समय उत्तम चौधरी ब्याज से पैसे बांटता था। मैंने उससे अपनी प्रॉब्लम बता कर ब्याज से पैसे लेने की बात कही तो उसने मुझे मना कर दिया।एक-दो दिन बाद उसके सूत्रों ने मुझे बताया कि वहां तेरे पास से
पानी के लिए कुआं खोदने कि,जमीन लेना चाहता है।मैंने तुरंत हां कर दिया। वैसे भी मुझे पैसों की आवश्यकता थी।क्योंकि शादी की तारीख नजदीक आ रही थी और मेरे पास पैसा नहीं था।
जब जमीन के सौदे के लिए बैठे।तो बैठक में तय हुआ कि ₹50000 में। सिर्फ एक आरा (1000 स्केयर फिट)कुआं खोदने के लिए ही जमीन देना है।जब मैं रजिस्ट्री की जानकारी लेने ब्रानपुर पहुंचा तो मुंशी ने मुझे कहा कि एक आरे की रजिस्ट्री नहीं होगी। कम-से-कम 10 आरे की रजिस्ट्री होगी।जब मैंने यह बात घर पर बताई तो घर वालों ने मुझे साफ मना कर दिया।
फिर दोबारा हमारे घर में बैठक हुई। इस बैठक में हीरालाल, नंदू चौहान, करतार राठौड़ थे।
तो वहां पर उत्तम चौधरी मेरे घर वालों को समझाने लगा कि मुझे 10आरे की आवश्यकता नहीं है। मात्र एक आरे की ही आवश्यकता है।और वैसे भी वहां 10
आरे लेकर मैं क्या करूंगा, मुझे वाहा खेती करने तो आना नहीं है। मुझे सिर्फ कुए के लिए जगह चाहिए।मेरे लिए एक आरा बहुत है। मेरे घर वालों के मना करने के बावजूद मैंने उसकी बात सुनी।और उसके कहने के मुताबिक मैंने उसको 10आरे की रजिस्ट्री कर दी ।रजिस्ट्री करने के कुछ ही दिनों बाद उसने दोस
10 आरे पर कब्जा कर लिया।और कहने लगा कि मैंने तुमसे 10 जमीन खरीदी है।देखो मेरे पास में रजिस्ट्री भी है।जब मैं बीच वाले व्यक्ति से कहने लगा कि देखो मेरे साथ में उत्तम काका धोखा कर रहा है तो उन्होंने मुझे कहा, तुम तुम्हारा देखो हमें कुछ नहीं पता। और कानूनी दायरे से मैं उसका कुछ भी नहीं कर सकता।इतना कुछ होने के बाद भी मैंने उनसे कहा कि काका जी जब भी आप यह जमीन बेचोगे, मुझे जरूर बताना।और फिर दोबारा उसने मेरे साथ में धोखा किया, मुझे बिना बताए जमीन बेच दी।मैं आज भी उस जमीन को देखता हूं तो मेरे साथ में किया गया धोखा मुझे याद आ जाता है।इसलिए मैं खेत में बहुत कम जाता हूं।
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2) रामेश्वर(गबु)राठौड़
शुरुआत गहरी दोस्ती से होती है। आलम ऐसा था कि दिन के 24 घंटे में से 15 घंटे साथ में बिताया करते थे।हर एक प्राइवेट से प्राइवेट बाद भी एक दूसरे को शेयर किया करते थे। हम एक दूसरे को जय-वीरू से भी बढ़कर समझते थे।एक दिन अचानक मेरे दिमाग में एक आइडिया आया।और मैंने गब्बू से कहा, क्यों ना हम अपनी दोस्ती को बिजनेस पार्टनर में बदल ले। जिससे हम पैसा भी कमाएंगे और खूब टाइम साथ में रहकर इंजॉय भी करेंगे।गब्बू ने मुझसे पूछा, वह कैसे और कौन सा बिजनेस करेंगे।मैंने उससे कहा देख गाने सुनने का हम दोनों को बहुत शौक है।तो अपन दोनों मिलकर।डीजे साउंड का काम चालू करते हैं।
और वैसे भी गब्बू मेरी कोई बात का मना नहीं करता था।उसने तुरंत हां कह दीया।मैंने उससे कहा, हम पार्टनरशिप में बिजनेस तो करेंगे लेकिन हमारी दोस्ती में कोई दरार नहीं पढ़नी चाहिए क्योंकि जब घर में सगे भाई कि नहीं बनती, तो हो सकता है। बिजनेस में अपनी भी कुछ अनबन हो जाए और इस खराब स्थिति का भी हमें सामना करना है।जिस दिन मुझे लगेगा।या फिर तुझे लगेगा कि हम दोनों के बीच में कुछ अच्छा नहीं चल रहा है उस परिस्थिति में मुझे बिंदास बता देना।मैं तुझसे बिना कोई सवाल जवाब किए पार्टनरशिप से बाहर निकल जाऊंगा।क्योंकि मेरी व्यक्तिगत सोच थी। मैं तो भविष्य में कोई भी बिजनेस या जॉब करके .अपना और अपने परिवार का पेट पाल लूंगा लेकिन मेरा दोस्त गब्बू कम पढ़ा लिखा है इसलिए मैं यहां बिजनेस उसको दे दूंगा।.मैंने पार्टनरशिप करने से पहले नेगेटिव पॉजिटिव दोनों प्वाइंट उसको समझा दिए थे।हम दोनों के बीच में फूट डालने वाले बहुत सारे आएंगे लेकिन हमें किसी की बात नहीं सुननी है।.....
हम दोनों के पास में पैसों की बहुत प्रॉब्लम थी। हम लोग रोज हनुमान मंदिर पर बैठ कर।विचार विमर्श किया करते थे।लगभग एक से डेढ़ साल तक हमसे पैसों का जुगाड़ नहीं लग पाया था।
फिर उसी दरमियान मुझे नरेंद्र पवार का कॉल आया और कहने लगा। क्या आप जॉब करने की इच्छुक हो वैसे भी हमारे पास डीजे साउंड खरीदने के लिए पैसे नहीं थे तो मैंने जॉब करना उचित समझा।और फिर मैं महिंद्रा एंड महिंद्रा कंपनी में एंकरिंग के जॉब के लिए चला गया।
उस के बाद गबु मुझसे फोन पर रोज बात किया करता था ।फोन पर भी हमारी बिजनेस की प्लानिंग चलती थी। मैंने उनसे कहा, मैं जॉब करके थोड़े बहुत पैसे इकट्ठा कर लेता हूं।और फिर मैं वापस आकर हम दोनों साथ में डीजे साउंड सिस्टम चालू करेंगे।जॉब पर लगे मुझे तीन से चार महीने ही हो रहे थे कि गब्बू मुझसे कहने लगा कि तू वापस आ जा हम दोनों यहीं पर कुछ जुगाड़ करते हैं। तेरे बिना यहां कुछ नहीं हो सकता।मैंने उससे कहा, मैंने कंपनी वालों के साथ में एग्रीमेंट किया है। कंपनी वाले मुझे आने नहीं देंगे यह जाब छोड़ कर।गब्बू ने मुझसे कहा, तू कुछ भी कर और वापस आजा।
गब्बू को मैंने एक आईडिया दिया फोन पर मैंने कहा।तू कल मेरे बॉस को फोन लगाकर बोल कि सुनील की दादी शांत हो गई है। उसको अर्जेंट घर पर भेज दो तो मुझे घर पर भेज सकते हैं।और जैसा मैंने कहा, गब्बू ने वैसा ही किया। हम लोग प्लान में कामयाब हो गए और मैं जॉब छोड़ कर।घर वापस आ गया।उस दोरान मैं एलआईसी एजेंट का भी काम करता था। अब 24500 के समथिंग मेरे पास पैसे थे और हमें डीजे सिस्टम खरीदने के लिए लगभग ₹100000 की जरूरत थी।फिर मैंने गब्बू के कहने पर एक व्यक्ति (ईश्वर राठोड सातपायरी)।से।60000 रुपए ₹5 परसेंट से लिए।उसने मेरे खाते में इस दिनांक ..............को पैसे डाले।और फिर हम लोग अरुण पवार सर को लेकर इंदौर गए।इतने पैसे में ही हमने डीजे का सामान खरीदा।अब हमारे पास में ना ही जंनलेटर था ना ही कोई दुकान थी और ना ही कोई गाडी थी।अरुण काका के रिफरेंस से हमें किराए का रूम मिल गया।अब हम लोग जनरेटर और गाड़ी किराए से लेकर डीजे साउंड का काम चालू कर दिया।
उस समय गांव में जनरेटर नहीं होने के कारण हमें डोईफोडीया से जनरेटर किराए से लाना पड़ता था।शादी के आर्डर के 1 दिन पहले।और जैसे ऑडर खत्म हुआ उसे वापस वही पहुंचाने जाना पड़ता था।कितनी कठिनाइयों से हम दोनों ने दिन निकाले और मेहनत करके धीरे-धीरे हमने अपना खुद का जनरेटर खरीद लिया।अब शादी ब्याह के ऑर्डर भी हमें अच्छे से मिलने लगे थे।धीरे धीरे डीजे का सामान भी बड़ा लिया ।डीजे साउंड का हिसाब किताब मेरे पास में ही था क्योंकि गबु को मुझ पर बहुत भरोसा था।उसके पास में जो भी पैसे आते वह मेरे पास में दे देता था।और कुछ ही दिनों बाद में हमने पुराना लैपटॉप भी खरीद लिया।उस समय डीजे ऑपरेटिंग सिस्टम पर मैं खुद ही बैठता था।हम दोनों का काम में बहुत मन लग गया था। हम लोग अच्छे से काम करने लग गए थे।मेरे पास में पैसे का लेनदेन होने के कारण में हर एक बारीक से बारीक चीज़ लिखकर रख लिया करता था।क्योंकि लेनदेन के हिसाब किताब में हमारा विवाद ना हो इसलिए मैं हर एक चीज को लिखकर रख लिया करता था।
और शायद यही बात गब्बू को पसंद नहीं थी। वैसे उसने मुझे कभी बताया नहीं कि तू बारीक बारीक चीज क्यों लिख लेता है.3 साल हमने डीजे बहुत अच्छे से चला आया।और 3 साल बाद धीरे-धीरे गब्बू की नाराजगी मुझसे बढ़ने लगी।मैंने बहुत बार उससे पूछने की कोशिश की, लेकिन उसने मुझे कभी कुछ बताया ही नहीं।उसने मुझसे बात करना भी कम कर दिया था।बिना बात किए भी हमने 1 साल साथ में काम किया।शायद उसकी इच्छा थी कि मुझे पार्टनरशिप से बाहर निकाले, लेकिन वह मुझे बोल नहीं पा रहा था।कभी-कभी तो मुझे बिना बताए ही आर्डर पर जाने लग गया।धीरे धीरे मुझे अपने आप में ही गिल्टी फील होने लगी।
शायद गब्बू मुझ से छुटकारा पाना चाहता है। मुझसे पार्टनरशिप से दूर होना चाहता है और मैं उसके पीछे पड़ा हूं।फिर एक दिन मैंने उससे कहा कि गब्बू अपना-अपना हिसाब किताब कर लेते हैं।लेकिन वहां कभी हिसाब किताब करने के लिए बैठता ही नहीं।फिर एक दिन मैंने उसको जबरदस्ती हिसाब करने के लिए बैठाया,जब हमने हिसाब किया तो मेरे पैसे डीजे सिस्टम के तरफ ₹25000 निकले।जो मैंने मेरे जेब से खर्च किए थे।गब्बू को मेरे हाथ का हिसाब पसंद नहीं आया तो उसने उसके भाई विजय राठौड़, उसके जीजा जी और दिनेश चौहान को बुला कर हिसाब करवाया।उनके द्वारा हिसाब करने पर गब्बू के तरफ मेरे ₹35000 कैश निकला।मैंने उनके द्वारा हिसाब किए हुए की कॉपी में सिग्नेचर ले ली और मेरे पास में कॉफी आज भी पड़ी है।और डीजे की पार्टनरशिप का पैसा तो हमने अभी जोड़ा ही नहीं है। जब मैं डीजे सिस्टम से बाहर निकला उस समय लगभग ढाई लाख रुपए की प्रॉपर्टी थी हमारे पास में।
जैसे 1लेपटॉप,2मिक्सर 2,मशीन
1जनरेटर,18 इंची दो स्पीकर,
15 इंची4स्पीकर,कॉर्डलेस माइक एवम अन्य ऐसीसरीज।जब मैं पार्टनरशिप से बाहर निकला तो गब्बू ने मुझे ₹1 भी नहीं दिया। ना ही उसने मेरे जेब से खर्चा हुआ पैसा दिया।ना ही सिस्टम में से कोई हिस्सा दिया.उसने मेरे बारे में कुछ भी नहीं सोचा और मुझे पार्टनरशिप से बाहर निकाल दिया।और मैं भी बिना किसी को कोई शिकायत किए।पार्टनरशिप से बाहर हो गया।
आज तक नहीं मैंने उससे कभी पैसे मांगे और ना ही उसने मुझे कभी पैसे देने की बात कही।
लेकिन मुझे एक बात का अफसोस हमेशा था, है,और रहेगा,।आखिर मेरी गलती क्या थी?
उसने आज तक मुझे नहीं बताया।शायद किसी और के बारे में अच्छे विचार रखना ही बेवकूफी होती है और वह बेवकूफी मैंने की है।
बातें तो हम एक दूसरे से आज भी करते हैं लेकिन मेरे नजर में वह दोस्ती वाली इज़्ज़त बिल्कुल भी नहीं रही।गब्बू मुझसे सिर्फ एक बार बोल देता कि हमारी एक दूसरे से नहीं बन रही। मैं खुशी-खुशी से डीजे सिस्टम से बाहर हो जाता। उससे ₹1 भी नहीं मांगता और मैं उससे कभी नाराज भी नहीं होता लेकिन उसने तो मुझे.जिस प्रकार चाय में से मक्खी निकालकर फेंकते हैं वैसा उसने सिस्टम से मुझे बाहर फेंक दिया।..भविष्य में किसी के साथ में पार्टनरशिप करने की बात तो दूर उसका ख्याल भी दिमाग में नहीं ला पाऊगा।
लिखने की इच्छा तो बहुत कुछ है लेकिन पढ़ने वाला बोर हो जाएगा शायद मेरी सच्ची कहानी से क्योंकि आजकल सच्ची कहानी किसी को पसंद नहीं आती
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3) हिरालाल नंदू चौहान
एक दिन अरुण पवार सर की दुकान पर हीरा व्यापारी और अरुण पवार एक दूसरे से बात कर रहे थे। उतने में ही हीरा को फोन आता है उसके साले का.और वहां हीरा व्यापारी से बोलने लगता है कि कोई लड़का शादी के लिए हो तो आपके तरफ देखना।और इतने में ही उनकी नजर मेरे पर पड़ती है। मैं अमोल पाटील की दुकान पर बैठा था। वह मुझे बुलाते है और पूछते हैं क्या तू शादी करेगा?जैसे ही मैंने हां कहा, वैसे उन्होंने व्हाट्सएप पर फोटो बुलाकर मुझे दिखा दिया।मुझे फोटो पसंद आ गया। तीन-चार दिन बाद मैं अपने दोस्त पवन चौधरी को लेकर नागपुर चला गया लड़की देखने!
मुझे लड़की पसंद आ गई और कुछ ही दिन बाद मैंने शादी कर ली।तीन चार महीने शादीशुदा जीवन मेरा बहुत अच्छा चला ।
और मैं हीरा व्यापारी की मन ही मन बहुत इज्जत करने लगा। क्योंकि जहां मेरा इतना बड़ा परिवार होने के बाद में किसी ने मेरी शादी के बारे में नहीं सोचा ओर मेरी कोई शादी की बात नहीं कर रहा था, वहां पर हीरा व्यापारी ने मेरी करवा कर मेरे नजरों में एक महान इंसान बन गए।
मैंने गांव में एक जमीन देख रखी थी और वहां मुझे बहुत पसंद थी मैं उस जमीन को खरीदना चाहता था लेकिन मेरे पास में पैसा नहीं था।फिर मैंने सोचा इस जमीन को कोई और ना खरीद ले इसलिए मैंने मेरे साले साहब (निवेश पवार) को वहां जमीन खरीदने कि सलाह दी। मेरे साले( नितेश पवार) ने मुझे कहा कि यहां जमीन खरीद तो लुगा मै
लेकिन तू किसी को बताना मत।खासकर के हीरालाल चोहान और देवराव चौहान(मेरा बड़ा साडू) को बिल्कुल भी नहीं पता चलना चाहिए।
उनको अगर पता चल गया तो देवराव चौहान मुझे जमीन खरीदने नहीं देगा।जैसा नितेश भाई ने मुझे कहा, मैंने ठीक वैसा ही किया और वहां जमीन मैंने मेरे साले को दिलवा दी।जब कुछ दिन बाद यह जमीन की बात मेरे साढू को पता चली तो उसने हीरा व्यापारी को मेरे बारे में बढ़ चल कर।उलटी सीधी बात करने लगा।मेरे साढू ने हीरा व्यापारी से कहा कि तूने सुनील की शादी करवाई और सुनील ने तेरे को जरा सी बात भी नहीं बताई।उसने नितेश को जमीन दिला दी और तेरे कानों कान को खबर नहीं चलने दी।यह सुनकर हीरालाल को लगा कि सही तो बात है। मैंने सुनील की शादी करवाई और सुनील ने मेरे को जमीन खरीदी की बात बताई भी नहीं।बस इतनी सी बात और उन दोनों ने मिलकर मेरा शादीशुदा जीवन पूरा बर्बाद कर दीया उन दोनों ने मिलकर मेरे ऊपर इतने गंदे गंदे इल्जाम लगाए की मैं आपको बता भी नहीं सकता। मेरा परिवार एक दूसरे से अलग हो गया।तब से लेकर आज तक हीरालाल और उसका परिवार मेरे परिवार को बर्बाद करने के लिए कोई भी कसर नहीं छोड़ते हैं।मेरे ससुराल में जाकर मेरी इज्जत की धज्जियां उड़ाते हैं और बोलते हैं सुनील ने आपको जमीन दिलाकर फंसा दिया है जो जमीन आपने बोदरली में खरीदी है, उसे कोई आधे दाम में भी नहीं खरीदेगा। वहां जमीन मैंने मेरे साले साहब को ₹961000 में दिलाई थी 07/09/2017 को (रकबा 0.30 आरा) बार-बार मेरे साले साहब और ससुर को फोन लगाकर बोलते कि सुनील तुम्हारी जमीन में से पैसे खा गया ।और 3 साल बाद जब मैंने जमीन बेचने निकाली तो फिर मेरे साले साहब को फोन लगाकर हीरालाल का लडका केशव बोलने लगा कि जमीन के भाव बहुत ज्यादा है और जमीन कमी भाव में बेचना मत।जबकि मैं मेरे साले साहब को 3 साल में डबल रकम दिला रहा था। लेकिन हीरा और उसका परिवार नहीं चाहता था कि मेरे कारण मेरे साले को कोई फायदा पहुचे।बार बार फोन लगाकर या उसके घर जाकर बोलते कि सुनील से पैसे का व्यवहार करना मत वहां बहुत बुरा लड़का है और कैरक्टरलेस भी है।मेरे साढू ने और हीरालाल ने मेरा जीना हराम कर रखा है।बहुत सारी ऐसी बातें हैं जो मैं आपको पब्लिकली नहीं बता सकता। उन्होंने मुझे कितना दुख दिया है।
घटना के 4 दिन बाद 25 जून 2021 को हीरालाल नंदू चौहान.. मेरे ससुराल के कहने पर मेरे घर पर आता है।
हीरालाल चौहान के सामने पूजा मुझ पर झूठे आरोप लगाने लगती है तो मैं अपना मोबाइल निकाल कर वीडियो शूटिंग चालू कर देता हूं।
बस इतनी सी बात पर हीरालाल चौहान एवम उसका लड़का पवन दोनों मेरे माता-पिता के सामने मुझे नंगी गालियां देकर मेरे साथ मारपीट करते और।
मेरे हाथ से मोबाइल छीन कर सबूत मिटाने का प्रयास करते हैं।
आप वीडियो में साफ-साफ देख सकते हो।
दूसरी घटना, 1 जुलाई 2021.
1 जुलाई को पूजा मुझसे कहती है। आज मेरा बर्थडे है।और मेरी तबीयत भी खराब है। आपने मुझे अभी तक माफ नहीं किया।मुझे लगा पूजा को अपनी गलती का एहसास हो गया है।मैं जैसे तैसे कर मैं भी पिछली बातों को भूलना चाहता था।
उसी रोज मैंने पूजा से कहा,,हम लोग ब्रानपुर जाकर हॉस्पिटल दिखा लेंगे,,और और बर्थडे केक भी लेकर आ जाएंगे,,,और घर पर ही बर्थडे मनाएंगे।
उस रोज पूजा बहुत खुश थी,,,मुझे नहीं पता। उसके मन में क्या चल रहा था ?
हम लोग ब्रानपुर जाने के लिए घर से निकलते हैं.... रास्ते में बर्जरी फाटे पर पूजा मुझसे कहती है...।एक बार मुझे मेरे प्रेमी से मिलना है।
इतना सुनने के बाद में गाड़ी रोक देता हूं।...और घर वापस चलने के लिए कहता हूं।
लेकिन पूजा मुझसे जिद करने लगती है।
मुझे मेरे प्रेमी से मिलना है।
और रोड से आने-जाने वाले वाहनों को रोककर ब्रानपुर जाने का प्रयास करती है।।
मैं उसके आगे हाथ पैर जोड़कर विनती करता हूं।
बार-बार बोलता हूं। मेरी इज्जत का तमाशा मत बना. हम घर चल कर बात करते हैं।
लेकिन पूजा मेरी एक नहीं सुनती।।।और एक बार तो ट्रक के सामने कूदने को करती है। मैं जैसे तैसे कर उसे बचाता हूं।
और मैं काफी खबर जाता हूं। कहीं आत्महत्या ना कर ले।
और अपने दोस्तों को फोन लगाकर मैं घटनास्थल पर बुलाता हूं।मेरे दोस्तों के समझाने पर पूजा घर वापस आ जाती है।
और मेरे परिवार से करतार सिंहराठौड़ काका) को घर बुलाकर घटना की सच्चाई बताता हूं ।
करतार राठौड़ के सामने पूजा मुझ पर फिर से झूठे आरोप लगाने लगती है।
इतना सुनकर मैं करता राठौड़ को बोलता हूं। मुझे अभी के अभी पूजा को उसके मायके
छोड़ कर आना है।
तो करता राठौड़ मुझे मना कर देता है।और मुझे बोलता है दो-चार दिन में उसके मां-बाप आकर उसको ले जाने वाले हैं,
लेकिन 8. 10 दिन बीत जाने के बाद भी उसके मां-बाप नहीं आते।
फिर मैं करता राठौड़ को बोलता हूं.. कि मेरे ऊपर ससुराल पक्ष के पैसे हैं। मैं पैसे का बहाना करके मेरे ससुराल वालों को यहां पर बुलाता हूं और पूजा की सच्चाई बताता हूं।
जैसे मैं ससुराल वालों को पैसे लेने के लिए बुलाता हूं, वहां तुरंत आ जाते हैं।
वह मेरे घर नहीं आते। हीरा व्यापारी के घर आते है।
और मैंने करता राठौड़ को पहले ही बोल दिया था। पहले मेरे पारिवारिक मैटर को सुलझाओ उसके बाद में अपने पैसे ससुराल वालों को दे दूंगा।
मुझे लगा मेरा काका है ।करता राठौड़ तो मुझे न्याय दिलाने में मदद करेगा। लेकिन वह तो हीरा के साथ और मेरे ससुराल वालों के मिल गया था।
दूसरे दिन करता राठौड़ के घर बैठक में मुझे बुलाया जहां पर मौजूद करता राठौड़ हीरालाल चौहान वह मेरे ससुराल पक्ष के लोग थे।
कुछ देर तक तो मुझे लग रहा था कि बैठक हमारे परिवारिक मैटर को समझाने के लिए ली जा रही है। लेकिन मुझे क्या पता कि वह लोगों को परिवार और से कोई लेना-देना नहीं था। उन्हें तो सिर्फ पैसों की पड़ी थी।
बैठक में मेरे ससुराल वाले मुझपर पैसों के लिए दबाव बनाने लगे।
जब मैंने कहा कि आप लोग मेरा पारिवारिक मैटर को सुलझा दो में पैसे देने के लिए तैयार हूं
तो उतने में करतार राठौड़ बोल पड़ा कि परिवार से कोई लेना देना नहीं है।तू पहले तेरे ससुराल वालों के पैसे दे।
मैं करतार राठौड की बात सुनकर पूरी तरह से शुण्य हो गया। मुझे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था।
वे सभी के सभी पैसों की बातें कर रहे थे, लेकिन मेरे परिवार के बारे में कोई भी नहीं कुछ नहीं बोल रहा
अब तो मैं पूरी तरह से अकेला हो गया था क्योंकि मेरा काका भी मेरे तरफ से नहीं था।
फिर मैंने उनके सामने पैसे देने के लिए एक शर्त रख दी। जब तक आप मेरा पारिवारिक मैटर नहीं सुलजाओगे। मैं आपके पैसे नहीं दूंगा।
फिर करता राठौड़ और हीरालाल चौहान ने मेरे खिलाफ एक चाल चली।और मेरे खिलाफ एक साजिश रची।जिन लोगों को मैंने प्लॉट बेचे थे उन लोगों को मेरे खिलाफ भड़का कर मेरे घर पर भेजा।और उनके थ्रू मेरे ऊपर दबाव बनाने लगे।अब जिन लोगों को मैंने प्लाट बेचा है उनकी बात तो मुझे सुननी ही पड़ेगी क्योंकि मुझे उनसे पैसा लेना था।
फिर जैसा भी मुझे बोलते गए मैं वैसा ही करता रहा। मुझसे उन्होंने 1000.रु.के स्टांप पेपर पर लिखवा लिया और मुझसे चेक भी ले लिया।
और ₹50000 नगद और ₹150000 चेक के द्वारा उन्हें नगद दे दिया।
उसकि मां और भाई 17 जुलाई 2021 को पूजा को मेरे घर से लेकर चले गये।
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कहानी की शुरुआत एक बिजनेस प्लान से होती है।मैंने एक बिजनेस प्लान सोचा जिसमें मुझे गांव के हर एक समाज.एवम मार्केट वैल्यू वाले व्यक्ति की जरूरत थी।सभी अपने-अपने काम में माहिर व्यक्तियों को ही मैंने अपने प्लान में शामिल किया था।
जैसे..मार्केटिंग के लिए,संजय चौधरी जीवन पाटिल,
कानून कार्रवाई के लिए हिरालाल नंदू चौहान।
हिसाब मेंटेन के लिए सोहन सर
पत्रकार मेंटेन के लिए,खेमराज राठौड़
पूरा बिजनेस कवर करने के लिए मैं और मेरा दोस्त RP
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