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Thursday, 1 August 2024

तुम और माही कब शादी करने वाले हो?

 “आदित्य, बेटा ज़रा सुनो, तुम और माही कब शादी करने वाले हो?”


“ममा, माही से तो मेरा कब का ब्रेकअप हो गया और अगले हफ्ते उसकी शादी है…” आदित्य ने बेपरवाह स्वर में कहा और वहां से चला गया। मैं हैरत में पड़ गई। आज के बच्चे इतने बिंदास... इन्हें मोहब्बत खेल लगती है। प्यार को यूं भुला देना जैसे क्रिकेट के मैदान में छक्का लगाते वक्त बॉल गुम हो गई हो... मैं गुमसुम-सी खड़ी अपने अतीत में झांकने लगी।


पापा का लखनऊ से दिल्ली ट्रांसफर हो गया था। मैंने वहां एक नए स्कूल में दाखिला लिया। बीच सत्र में एडमिशन लेने के कारण मेरे लिए पूरी क्लास अपरिचित थी। शिफ्टिंग के कारण मैं काफी दिन स्कूल नहीं जा पाई, इसलिए मेरा सिलेबस भी छूट गया था। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मेरी क्लास टीचर ने उसी क्लास में पढ़ने वाले आर्यन से मेरा परिचय करवाया और उसे हिदायत दी, “आर्यन, तुम काव्या की पढ़ाई में मदद करना।” आर्यन ने मुझे अपने नोट्स दिए, जिससे मुझे पढ़ाई में काफी मदद मिली।


यह संयोग ही था कि मैं और आर्यन एक ही कॉलोनी में रहते थे, फिर हम स्कूल भी साथ आने-जाने लगे। एक-दूसरे के घर जाकर पढ़ाई भी करते और पढ़ाई के साथ अन्य विषयों पर भी चर्चा करते थे। कभी-कभी साथ मूवी देखने जाते, तो कभी छत पर यूं ही टहलते। धीरे-धीरे हमारे मम्मी-पापा भी जान गए कि हम अच्छे दोस्त हैं।


हम दोनों ने स्कूल में टॉप किया। इसके बाद हम कॉलेज में आ गए। आर्यन इंजीनियरिंग करने रुड़की चला गया और मैं दिल्ली में पास कोर्स करने लगी। कॉलेज पूरा होते-होते पापा ने मेरी शादी के लिए लड़का ढूंढना शुरू कर दिया। छुट्टियों में आर्यन के घर आने पर मैंने उसे अपनी शादी की चर्चा के बारे में बताया। वह एकाएक गंभीर हो गया। मेरा हाथ पकड़कर बोला, “काव्या, मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूं। आज से नहीं, जब से पहली बार देखा था, तब से ही। मैंने रात-दिन तुम्हारे ख्वाब देखे हैं। प्लीज़ मेरी नौकरी लगने तक इंतज़ार कर लो। मेरे अलावा किसी से शादी की सोचना मत।” मुझे भी आर्यन पसंद था। मैंने उसे हां कह दिया।


दो महीने बाद पापा ने अभिनव को पसंद कर लिया। उनके मान-सम्मान के आगे मैं अपनी पसंद नहीं बता पाई। एक बार मां से ज़िक्र किया था, “मां, मैं आर्यन को पसंद करती हूं और उससे ही शादी...” बात पूरी होती उससे पहले ही मां ने एक थप्पड़ मार दिया। “बड़ों के सामने यूं मुंह खोलते हुए शर्म नहीं आती? चुपचाप पापा के बताए हुए रिश्ते के बंधन में बंध जाओ वरना अच्छा नहीं होगा।”


मां की धमकी के आगे मैं मजबूर थी। मैं चुपचाप शादी करने के लिए तैयार हो गई। उस वक्त मोबाइल नहीं होते थे। मैं आर्यन को अपनी शादी के बारे में नहीं बता पाई। शादी के बाद मैं आगरा आ गई।


करीब दो साल बाद मेरी मुलाकात आर्यन से हुई। हम दोनों के बीच सुनने-सुनाने को कुछ शेष नहीं था। आर्यन ने ही अपनी बात कही, “ज़रूर तुम्हारी कोई मजबूरी रही होगी, वरना कोई यूं बेवफा नहीं होता। तुम्हारी शादी हो गई तो इसका मतलब यह नहीं है कि मैं तुमसे मोहब्बत करना छोड़ दूं। तुम अपनी शादी निभाओ और मुझे अपने इश्क से वफ़ा करने‌ दो…” हम दोनों की आंखें नम हो गईं।


तब से लेकर आज तक आर्यन ने मेरी हर तकलीफ, हर दुख और हर खुशी में साथ दिया। मैं आर्यन जैसा सच्चा दोस्त पाकर निहाल हो गई। अभिनव और आर्यन की अच्छी बनती भी है। उसने शादी नहीं की। एक बार मेरे ज़ोर देने पर कहा, “मेरे मन में बसी मूरत के जैसी कोई मिली तो इन यादों को एक पल में ही अलविदा कह दूंगा…”


वह अक्सर कहता है…


“तुझे पा लेते तो यह किस्सा ही खत्म हो जाता,

तुझे खोकर बैठे हैं यकीनन कहानी लंबी होगी।”

 


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खो गईं वो चिठ्ठियाँ जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे

खो गईं वो चिठ्ठियाँ जिसमें “लिखने के सलीके” छुपे होते थे, “कुशलता” की कामना से शुरू होते थे। बडों के “चरण स्पर्श” पर खत्म होते थे..


और बीच में लिखी होती थी “जिंदगी


नन्हें के आने की “खबर

माँ” की तबियत का दर्द

और पैसे भेजने का “अनुनय

फसलों” के खराब होने की वजह..


कितना कुछ सिमट जाता था एक

“नीले से कागज में


*जिसे नवयौवना भाग कर “सीने” से लगाती

और ..अकेले” में आंखो से आंसू बहाती !


माँ” की आस थी “पिता” का संबल थी

*बच्चों का भविष्य थी और*

गाँव का गौरव थी ये “चिठ्ठियां


डाकिया चिठ्ठी” लायेगा कोई बाँच कर सुनायेगा

*देख-देख चिठ्ठी को कई-कई बार छू कर चिठ्ठी को अनपढ भी “एहसासों” को पढ़ लेते थे...!


अब तो “स्क्रीन” पर अंगूठा दौडता हैं

और *अक्सर ही दिल तोड़ता है

“मोबाइल” का स्पेस भर जाए तो

सब कुछ दो मिनट में “डिलीट” होता है...


सब कुछ “सिमट” गया है 6 इंच में

जैसे “मकान” सिमट गए फ्लैटों में

जज्बात सिमट गए “मैसेजों” में

चूल्हे” सिमट गए गैसों में

और 

इंसान सिमट गए पैसों में

Friday, 19 July 2024

जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा

 अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल, हरी काई नहीं जमेगी और पानी सड़ेगा भी नहीं।


जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है।


पहले के जमाने में गांवो में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता था जिसे जमोट कहते है।


दिल्ली की निजामुद्दीन बावड़ी का हाल ही में हुए जीर्णोद्धार से ज्ञात हुआ 700 सालों के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों की वजह से यहाँ जल के स्तोत्र बंद नहीं हुए हैं।


भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के.एन. श्रीवास्तव के अनुसार इस बावड़ी की अनोखी बात यह है कि आज भी यहाँ लकड़ी की वो तख्ती साबुत है जिसके ऊपर यह बावड़ी बनी थी। श्रीवास्तव जी के अनुसार उत्तर भारत के अधिकतर कुँओं व बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता था।


स्वास्थ्य की दृष्टि से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता। पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओं को ठीक करने में अत्यंत उपयोगी है।


एक रिसर्च के मुताबिक, जामुन के पत्तियों में एंटी डायबिटिक गुण पाए जाते हैं, जो रक्त शुगर को नियंत्रित करने करती है। ऐसे में जामुन की पत्तियों से तैयार चाय का सेवन करने से डायबिटीज के मरीजों को काफी लाभ मिलेगा।


सबसे पहले आप एक कप पानी लें। अब इस पानी को तपेली में डालकर अच्छे से उबाल लें। इसके बाद इसमें जामुन की कुछ पत्तियों को धो कर डाल दें। अगर आपके पास जामुन की पत्तियों का पाउडर है, तो आप इस पाउडर को 1 चम्मच पानी में डालकर उबाल सकते हैं। जब पानी अच्छे से उबल जाए, तो इसे कप में छान लें। अब इसमें आप शहद या फिर नींबू के रस की कुछ बूंदे मिक्स करके पी सकते हैं।


जामुन की पत्तियों में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. इसका सेवन मसूड़ों से निकलने वाले खून को रोकने में और संक्रमण को फैलने से रोकता है। जामुन की पत्तियों को सुखाकर टूथ पाउडर के रूप में प्रयोग कर सकते हैं. इसमें एस्ट्रिंजेंट गुण होते हैं जो मुंह के छालों को ठीक करने में मदद करते हैं। मुंह के छालों में जामुन की छाल के काढ़ा का इस्तेमाल करने से फायदा मिलता है। जामुन में मौजूद आयरन खून को शुद्ध करने में मदद करता है।


जामुन की लकड़ी न केवल एक अच्छी दातुन है अपितु पानी चखने वाले (जलसूंघा) भी पानी सूंघने के लिए जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल करते हैं।


हर व्यक्ति अपने घर की पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी का एक टुकड़ा जरूर रखें, एक रुपए का खर्चा भी नहीं और लाभ ही लाभ। आपको मात्र जामुन की लकड़ी को घर लाना है और अच्छी तरह से साफ सफाई करके पानी की टंकी में डाल देना है। इसके बाद आपको फिर पानी की टंकी की साफ सफाई करवानें की जरूरत नहीं पड़ेगी।


क्या आप जानते हैं कि नाव की तली में जामुन की लकड़ी क्यों लगाते हैं, जबकि वह तो बहुत कमजोर होती है..?


भारत की विभिन्न नदियों में यात्रियों को एक किनारे से दूसरे किनारे पर ले जाने वाली नाव की तली में जामुन की लकड़ी लगाई जाती है। सवाल यह है कि जो जामुन पेट के रोगियों के लिए एक घरेलू आयुर्वेदिक औषधि है, जिसकी लकड़ी से दांतो को कीटाणु रहित और मजबूत बनानें वाली दातुन बनती है, उसी जामुन की लकड़ी को नाव की निचली सतह पर क्यों लगाया जाता है। वह भी तब जबकि जामुन की लकड़ी बहुत कमजोर होती है। मोटी से मोटी लकड़ी को हाथ से तोड़ा जा सकता है। क्योंकि इसके प्रयोग से नदियों का पानी पीनें योग्य बना रहता है।


बावड़ी की तलहटी में 700 साल बाद भी जामुन की लकड़ी खराब नहीं हुई…


जामुन की लकड़ी के चमत्कारी परिणामों का प्रमाण हाल ही में मिला है। देश की राजधानी दिल्ली में स्थित निजामुद्दीन की बावड़ी की जब सफाई की गई तो उसकी तलहटी में जामुन की लकड़ी का एक स्ट्रक्चर मिला है। भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के0 एन0 श्रीवास्तव जी नें बताया कि जामुन की लकड़ी के स्ट्रक्चर के ऊपर पूरी बावड़ी बनाई गई थी। शायद इसीलिए 700 साल बाद तक इस बावड़ी का पानी मीठा है और किसी भी प्रकार के कचरे और गंदगी के कारण बावड़ी के वाटर सोर्स बंद नहीं हुए। जबकि 700 साल तक इसकी किसी ने सफाई नहीं की थी।


आपके घर में जामुन की लकड़ी का उपयोग…


यदि आप अपनी छत पर पानी की टंकी में जामुन की लकड़ी डाल देते हैं तो आप के पानी में कभी काई नहीं जमेगी। 700 साल तक पानी का शुद्धिकरण होता रहेगा। आपके पानी में एक्स्ट्रा मिनरल्स मिलेंगे और उसका टीडीएस बैलेंस रहेगा। यानी कि जामुन हमारे खून को साफ करने के साथ-साथ नदी के पानी को भी साफ करता है और प्रकृति को भी साफ रखता है।


कृपया हमेशा याद रखिए कि दुनियाभर के तमाम राजे रजवाड़े और वर्तमान में अरबपति रईस जो अपने स्वास्थ्य के प्रति चिंता करते हैं। जामुन की लकड़ी के बनें गिलास में पानी पीते हैं.

Monday, 8 July 2024

पुरुष के पास पैसा हो तो औरत नंगी हो जाती है,और अगर पैसे ना हो तो आदमी नंगा हो जाता है

 पुरुष के पास पैसा हो तो औरत नंगी हो जाती है,और अगर पैसे ना हो तो आदमी नंगा हो जाता है 


जब कीर्ति से मेरी शादी की बात चल रही थी, तो लगता था कि ये वही लड़की है जिसे भगवान ने मेरे लिए बनाया है 


जल्दी ही हम इतना घुल मिल गए, की जिम्मेदारियों की बाते सेक्स तक पहुंच गई 


अब तो मानो ऐसा लगता था जैसे कि बस जल्दी शादी हो 


कीर्ति का कहना था कि वो मुझसे ज्यादा मेरे मां बाप को प्यार करेगी 

एक पुरुष को क्या चाहिए ऐसी लड़की जो उसे जी भर संभोग सुख दे उसका और उसके मां बाप का ध्यान रख सके 


हमारी शादी होती, और हमारे बीच सब अच्छा चलता है, शादी के बाद ही पता चला कि जिस चीज को करने की आदमी को इतनी जल्दी होती है, उससे कहीं ज्यादा तड़प एक औरत में होती है 


मुझे भी कीर्ति पर इतना प्यार आता था, कि मन करता था उसकी हर ख्वाइश पूरी करूं और मैं प्रयास भी करता था 


लेकिन समय के साथ जिम्मेदारी बड़ी और मैने कीर्ति को बोला कि हम दोनों को जीवन साथ काटना है इस लिए खर्चे पर थोड़ा ध्यान देना होगा 


इसे सुन के उसने तुरंत बोला कि अब क्या कटौती करनी है , ऑलरेडी मन मार कर रहती हूं 


मैने मन में सोच कि मैं तो इसकी हर ख्वाइश पूरी करता हूं फिर ये ऐसे कैसे बोल सकती है कि मन मार के रहती हूं 


मैने बोला आखिर क्या कमी है जो तुम बोल रही हो मन मार के रहती हो 


उसने मुझे गिनाया, की मैं भी बड़ी गाड़ी में घूमना चाहती हूं 

मैं भी चाहती हूं कि साल में कम से कम 4 5 ट्रिप करूं 

मैं भी चाहती हूं कि मेरा घर सजा रहे 


मैं मेकअप के समान ब्रांडेड इस्तेमाल करूं 


मैने बोला खुदी 3000 की लिपस्टिक लगती हो 5000 का पांडर और क्या चाहिए 

जवाब में उसने ऐसी बात बोली मानो एहसान गिना रही हो।कि किसी चीज की डिमांड नहीं करती है 


और मुझे खुद पर आत्म ग्लानि होने लगी कि मेरी पत्नी की ख्वाइश में पूरा नहीं कर पा रहा, मैने दुबारा बात नहीं की इसबारें में 


और साइड में भी 2 3 काम करना शुरू किया, जिससे एडिशनल अर्निंग हो जाए, 


तभी उसका बर्थडे आने वाला था, उसने एक ड्रेस पसंद की थी दुकान पर जिसकी के 12000 थी 


मैं ऑफिस से आता हूं, और वो मुझे गले लगाती है, पानी देती है, और बोलती है पैसे देदो जाके ड्रेस लेलूँ


मैं भी मजाक के मूड में था, और मैने बोला कि अरे डियर पैसे तो नहीं हो पाएं हैं क्यों की इस महीने सैलेरी मिलने में काफी दिक्कत होगी 


इस बार साथ में बर्थडे मनाते हैं ड्रेस तुम अगले महीने लेकिन और साथ में अपनी महंगी वाली लिपस्टिक भी 


तभी वो मुझे अपने से दूर की और बोलने लगी 


क्या यार आपसे एक चीज बोलीं थी वो भी अपने नहीं की, मैने शॉप वाले को बोल के रखा था ले लुंगी बेचना मत 


अब बेइज्जती हो गई 


तुरंत मैं बोला, कि अरे इसमें बेइज्जती कैसी शॉप है, बिक भी जाए तो फिर बोले के उसमें का मंगा लेना 


अच्छा मांगा लूंगी और जो मैने अपने फ्रेंड्स को बोला है कि मैं बर्थडे में वही ड्रेस पहनूंगी उसका क्या 

क्या ये मेरी बेइज्जती नहीं है 


इस बात पर मैने बोला तो क्या मैं चोरी करने जाऊं अगर ऑफिस में लेट हो रहा तो मेरी क्या गलती है 


उसने तुरंत बोला यार तुम्हारा हर बार का नाटक यही है 

एक तो मैं कभी कुछ मांगती नहीं हूं और मांग रही हूं तो तुम ऐसी बात कर रहे हो 

हट जाओ मुझसे बात मत करना 

और पूरी शाम उसने मुझसे बात नहीं की 

रात में भी ठीक से खाना नहीं बनाया 


और बेड रूम में चली गई मै भी सोने वाला था और उसे 12000 रुपए ड्रेस के और 10000 पार्टी के दिए 


पैसे देखते ही उसने मुझे बोला कि अरे बाबू जब पैसे लाए थे तो बताया क्यों नहीं 

और गले लगा कर सोरी बोलने लगी,

और बोला ना जाने क्या क्या बोल दिया आप को बाबू 


मैने कुछ बोल नहीं सो गया,अगले दिन सुबह उठते हो उसने मुझे सॉरी बोला और करीब आके सेक्स करने की कोशिश की,पर इस बार मेरा अंदर से मन भी नहीं था मैने उसे मना कर दिया 

ऑफिस जाते टाइम उसने मुझसे बोला गलती हो गई माफ कर दो,


मैने बोला गलती तुमसे नहीं हुई है मुझसे हुईं है 

तुम मुझसे प्यार करती ही नहीं तुम्हे बस मेरे पैसे से प्यार है और मैं ऑफिस आगया 


और सोचने लगा कि आजकल लड़किया ऐसी है, की अगर मेरे पास पैसा है तो वो मेरे लिए नंगी हो जाएंगी 

और अगर मेरे पास पैसे ना हो तो मुझे नंगा कर देगी 


शाम को घर आया पर बात नहीं की मैने  3 दिन बाद उसका बर्थडे था, अच्छे से मनाया 


और घर आके बोला कि अब बैंगलोर में नहीं रहूंगा, मैने ऑफिस से वर्क फ्रॉम होम लिया है 

अब मैं गांव चल कर मां बाप के साथ रहूंगा, 


उसने बोला अरे क्यों वहां इतनी दिक्कत है, लाइट नहीं रहती है 

फिर मैने बोला कि ठीक है मां बाप को यहां बुला लेते हैं 


इसपर जवाब आया कि अरे वो यहां आएंगे तो उनका मन नहीं लगेगा बड़ी बड़ी बंद बिल्डिंग ने गांव के खुले मौसम में रहने वाले कहा रह पाएंगे 


मैने बोला बस इसी लिए उनके पास जाना क्यों की वो मुझसे बिना किसी कंडीशन के प्यार करते हैं 

मेरे पैसे पर तुमसे पहले उनका अधिकार है 


ऐसा बोल के मैने समान पैक किया और बोला चलना है तो चलो यहां रहना है तो यहां रहो 


उसने चलने को मना कर दिया, मैने भी उसे वहीं छोड़ के घर आगया 


घर आके ने पापा और मां को बात बताई तो उन्होंने मुझे ही गलत समझा 


पर मैं सच्चाई जनता था, उसे बुलाया पर वो नहीं आई 

कुछ दिन मै पैसे भेजता था, लेकिन 4 महीने बाद जब उसने एक बार ये भी बोला कि उसे भी साथ आके रहना है 

तो मैने भी पैसे। देने बंद कर दिए 


जैसे ही पैसे बंद हुए उसका असली चेहरा सामने आया 


उसने मेरे ऊपर हो केस किया कि शादी के बाद भी पत्नी को शारीरिक सुख देने में समर्थ नहीं हूं

इस लिए उसे तलाक चाहिए और बदले में हर महीने एक फिक्स धनराशि 


कोर्ट में जब मैने अपनी बात रखी की ये मुझसे नहीं सिर्फ मेरे पैसे से प्यार करती थी 

और ये मेरे मां बाप के साथ नहीं रहना चाहती थी, 

तो पता चला ऐसा तो कोई कानून नहीं है जिसमें लड़की मां बाप की सेवा करना जरूरी हो 


मैं कैसे हार गया और आज भी हर महीने 40000 उसे देता हूं और अपने मां बाप के साथ गांव में रहता हूं 


मुझे एक बात पता चली बहुत खुश मुनासिब होते हैं वो लोग जिनको प्रेम करने वाली पत्नी मिलती हैं 

क्यों की आज के समय में सिर्फ 2 लोग ही हैं जो बिना किसी स्वार्थ के आपसे प्रेम करते हैं 

और बदले में किसी चीज की उम्मीद नहीं रखते 


वो हैं हमारे माता पिता 


एक बार गांव की कम सुंदर दिखने वाली लड़की से शादी कर लो पर शहर की सुंदर लड़कियों से करने से पहले 10 बार सोचना

Thursday, 13 June 2024

नॉनवेज खाने वाले जरूर पड़े

 पूरा पढ़े एक बार सोचे

🙏🙏🙏🙏🙏🙏

अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है!

बाकी तो मौत को enjoy ही करता है इंसान ...


मौत के स्वाद का 

चटखारे लेता मनुष्य ...


थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है,

मौत से प्यार नहीं, मौत तो हमारा स्वाद है,


बकरे का, 

गाय का,

भेंस का,

ऊँट का,

सुअर,

हिरण का,

तीतर का, 

मुर्गे का, 

हलाल का, 

बिना हलाल का, 

ताजा बकरे का, 

भुना हुआ,

छोटी मछली, 

बड़ी मछली, 

हल्की आंच पर सिका हुआ। 

न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के।

क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा....


स्वाद से कारोबार बन गई मौत। 

मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स।

नाम "पालन" और मक़सद "हत्या"❗ 


स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी ऑफिशियल। 


गली गली में खुले नान वेज रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है।


 जो हमारी तरह बोल नही सकते, 

अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं, 

उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ?

 कैसे मान लिया कि उनमें भावनाएं नहीं होतीं ?

या उनकी आहें नहीं निकलतीं ?


डाइनिंग टेबल पर हड्डियां नोचते बाप बच्चों को सीख देते है, बेटा कभी किसी का दिल नही दुखाना ! 

किसी की आहें मत लेना ! 

किसी की आंख में तुम्हारी वजह से आंसू नहीं आना चाहिए ! 


बच्चों में झुठे संस्कार डालते बाप को, अपने हाथ मे वो हडडी दिखाई नही देती, जो इससे पहले एक शरीर थी, जिसके अंदर इससे पहले एक आत्मा थी, उसकी भी एक मां थी ...??

जिसे काटा गया होगा ? 

जो कराहा होगा ? 

जो तड़पा होगा ? 

जिसकी आहें निकली होंगी ? 

जिसने बद्दुआ भी दी होगी ?


कैसे मान लिया कि जब जब  धरती पर अत्याचार बढ़ेंगे तो

भगवान सिर्फ तुम इंसानों की रक्षा के लिए अवतार लेंगे  ..❓


क्या मूक जानवर उस परमपिता परमेश्वर की संतान नहीं हैं .❓

क्या उस ईश्वर को उनकी रक्षा की चिंता नहीं है  ..❓

धर्म की आड़ में उस परमपिता के नाम पर अपने स्वाद के लिए कभी ईद पर बकरे काटते हो, कभी दुर्गा मां या भैरव बाबा के सामने बकरे की बली चढ़ाते हो।

कहीं तुम अपने स्वाद के लिए मछली का भोग लगाते हो। 


कभी सोचा ...??

क्या ईश्वर का स्वाद होता है ? ....क्या है उनका भोजन ?


किसे ठग रहे हो ?

भगवान को ? 


मंगलवार को नानवेज नही खाता ...!

आज शनिवार है इसलिए नहीं ...!


नवरात्रि में तो सवाल ही नही उठता ....!


झूठ पर झूठ...

झूठ पर झूठ

झूठ पर झूठ ..


हमारे बच्चों को अगर कोई ऐसे खाए तो हमें कैसा लगेगा ?? 


कर्म का फल मिल कर रहता है ये याद रखना ।


ईश्वर ने बुद्धि सिर्फ तुम्हे दी!

ताकि तमाम योनियों में भटकने के बाद मानव योनि में तुम जन्म मृत्यु के चक्र से निकलने का रास्ता ढूँढ सको!

लेकिन तुमने इस मानव योनि को पाते ही स्वयं को भगवान समझ लिया!


प्रकृति के साथ रहो।

प्रकृति के होकर रहो।

धर्म की आवाज़

Tuesday, 11 June 2024

अच्छा जिवन कैसे जिएं पटनर के साथ

 सेक्स (संभोग) लाइफ शुरू करने से पहले हर व्यक्ति को जान लेनी चाहिए ये 7 बातें

किसी भी व्यक्ति को सेक्स के बारे में बताया और सिखाया नहीं जाता है। वह आधे-अधूरे ज्ञान के साथ सेक्स लाइफ में आगे बढ़ता है। इससे अनहेल्दी सेक्सुअल लाइफ का जोखिम बना रहता है। इसलिए हर एडल्ट को सेक्स लाइफ शुरू करने से पहले ये 7 बातें जरूर जानना चाहिए।

अकसर सही जानकारी के अभाव में सेक्स लाइफ शुरू हो जाता है। स्कूल-कॉलेज में सेक्स एजुकेशन कभी नहीं दिया जाता है। इसलिए लोगयौन इच्छा, अंतरंगता और उत्तेजना के बारे में न सही तरीके से जान पाते हैं और न समझ पाते हैं। इंटरनेट से अर्जित किया गया आध-अधूरा ज्ञान हेल्दी सेक्स लाइफ में मदद करने की बजाय इसे अनहेल्दी बना देते हैं। सेक्स लाइफ (7 tips for sex life) शुरू करने से पहले जरूरी बातों को जानना जरूरी है।


क्यों जरूरी है सेक्स लाइफ के बारे में जानना 


होम इंटीमेट हेल्‍थ सेक्स लाइफ शुरू करने से पहले हर व्यक्ति को जान लेनी चाहिए ये 7 बातें

सेक्स लाइफ शुरू करने से पहले हर व्यक्ति को जान लेनी चाहिए ये 7 बातें

किसी भी व्यक्ति को सेक्स के बारे में बताया और सिखाया नहीं जाता है। वह आधे-अधूरे ज्ञान के साथ सेक्स लाइफ में आगे बढ़ता है। इससे अनहेल्दी सेक्सुअल लाइफ का जोखिम बना रहता है। इसलिए हर एडल्ट को सेक्स लाइफ शुरू करने से पहले ये 5 बातें जरूर जानना चाहिए।


सेक्सुअल डिजायर, लीबिडो, ऑर्गेज़्म, इजेकुलेशन, ओवुलेशन इन सभी के बारे में जानना जरूरी है। 

अकसर सही जानकारी के अभाव में सेक्स लाइफ शुरू हो जाता है। स्कूल-कॉलेज में सेक्स एजुकेशन कभी नहीं दिया जाता है। इसलिए लोगयौन इच्छा, अंतरंगता और उत्तेजना के बारे में न सही तरीके से जान पाते हैं और न समझ पाते हैं। इंटरनेट से अर्जित किया गया आध-अधूरा ज्ञान हेल्दी सेक्स लाइफ में मदद करने की बजाय इसे अनहेल्दी बना देते हैं। सेक्स लाइफ (7 tips for sex life) शुरू करने से पहले जरूरी बातों को जानना जरूरी है।


क्यों जरूरी है सेक्स लाइफ के बारे में जानना (Why is it important to know about sex life)

जर्नल ऑफ़ सेक्सुअल मेडिसिन में प्रकाशित शोध निष्कर्ष के अनुसार, हर व्यक्ति को जानना चाहिए कि वास्तव में सेक्स क्या है? यौन रूप से किसी व्यक्ति को क्या पसंद है और क्या नहीं? यौन संबंध में कैसे रहना है? सेक्सुअल डिजायर, लीबिडो, ऑर्गेज़्म, इजेकुलेशन, ओवुलेशन इन सभी के बारे में जानना जरूरी है। इन सभी को जानना जरूरी है। तभी व्यक्ति रिलेशनशिप और सेक्सुअल लाइफ में आगे बढ़ सकता है। इससे वह सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज के खतरे को वह जान सकता है। वह यौन जीवन में कंडोम के इस्तेमाल और संयम के महत्व को भी जान सकता है।


सेक्स लाइफ शुरू करने से पहले इन 7 बातों को जानना जरूरी है ( 7 things you must know before start sex life )

1. सेफ्टी है सबसे पहले (Safety for sex) 

अगर असुरक्षित सेक्स किया जायेगा, तो सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिजीज का खतरा बना रहता है। इसलिए कंडोम के इस्तेमाल के बारे में जरूर जानना चाहिए। एक से अधिक पार्टनर के साथ असुरक्षित सेक्स के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, यह जानना भी जरूरी है। वह यौन जीवन में कंडोम के इस्तेमाल और संयम के महत्व को भी जान सकता है।

2 समझदारी से करें भविष्य की प्लानिंग

असुरक्षित सेक्स अनचाहे गर्भ की संभावना को बढ़ा देता है। इससे असमय बच्चा हो सकता है। इसलिए समझदारी से भविष्य की प्लानिंग करनी चाहिए।


3 सेक्स और इंटरकोर्स एक नहीं हैं (Sex and intercourse are not the same)

जर्नल ऑफ़ सेक्सुअल मेडिसिन के अनुसार, सेक्स एजुकेशन के अभाव या न्यूनतम सेक्स एजुकेशन के कारण लोग अक्सर सेक्स और इंटरकोर्स के बारे में अंतर नहीं कर पाते हैं। लोग उन्हें एक ही मान लेते हैं, लेकिन वे नहीं हैं। सेक्स को पेयर से डिफाइन किया जाता है। सेक्स में सेक्सुअल ऑर्गन के अलावा, ओरल, हाथ, अंगुलियां, एनस और अन्य चीजें भी शामिल हो सकती हैं। ये सूची लंबी होती जाती है। सेक्स वेजाइनल, ओरल, एनस कुछ भी हो सकता है। इंटरकोर्स में वेजाइना में पेनिस का जाना होता है।

4. ऑर्गेज़्म सिर्फ लड़कों के लिए नहीं है (Orgasms aren’t just for boys)

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ सेक्सुअल हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन बताते हैं कि अकसर जानकारी के अभाव में ऑर्गेज़्म को सिर्फ लड़कों के लिए मान लिया जाता है। प्रायोरिटी में महिलाओं का ऑर्गेज्म भी होता है। सदियों से सेक्स को योनि में पेनिस के कार्य के रूप में डिफाइन किया गया है। यह पेनिस के इजेकुलेट होने पर समाप्त हो जाता

सेक्स तब शुरू होता है जब इच्छा और उत्तेजना शुरू होती है। यह समाप्त तब होता है जब दोनों पक्ष संतुष्ट होते हैं। संतुष्टि सिर्फ पुरुषों तक सीमित नहीं होती है। महिलाओं के लिए भी एक पॉइंट है, जहां सेक्स के पहुंचने पर उन्हें एक्सट्रीम पॉइंट का सुख मिल जाता है। उस बिंदु पर मेल-फीमेल दोनों को पहुंचना चाहिए।


5. कुंजी है क्लिटोरिस (Clitoris is the key)

जर्नल ऑफ़ सेक्सुअल मेडिसिन के अनुसार, 70 प्रतिशत से अधिक महिलाएं केवल क्लिटोरल उत्तेजना के माध्यम से ऑर्गेज़्म प्राप्त करती हैं। इसका मतलब है कि वे सिर्फ वल्वा को छूने वाले सिस्टम पर डिपेंड करने वाली वुमन हैं। ऑर्गेज़्म के लिए क्लिटोरिस को माध्यम बनाना सही है। पर उन्हें पार्टनर से क्लिटोरल लिकिंग, पैटिंग आदि के लिए भी कहना चाहिए। यहां तक कि वाइब्रेटर से भी खुद को बाहर निकालना चाहिए। हालांकि सेक्स में ऑर्गेज्म मायने रखता है। इसलिए क्लिटोरिस पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी है।

6. सेक्स के बारे में बात करने से बचना नहीं चाहिए (Don’t avoid talking about sex)

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ सेक्सुअल हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन बताते हैं कि सेक्स कोई ऐसी चीज़ नहीं है, जिसके बारे में बात करने से बचना चाहिए। यदि आप सामने वाले व्यक्ति से यह जानना चाहती हैं कि उसे सेक्स में क्या अच्छा महसूस कराता हैं, तो सेक्स के बारे में टॉक करना जरूरी है। खुद को थोड़ा प्रेम भी दें।


यदि मास्टरबरेशन अच्छा लगता है, तो इसे आजमाने में संकोच नहीं करें। इसे आजमाने में किस तरह के सेक्स टॉय की जरूरत पड़ती है, उससे मदद लेने में संकोच नहीं करें। सेक्स के बारे में अपने पार्टनर से खुल कर हर बात शेयर करें। पहली बार में यह सब असुविधाजनक लग सकता है। लेकिन धीरे-धीरे सीखने पर आगे बढ़ा जा सकता है और सहज हुआ जा सकता है।

7. इंटिमेसी के लिए समय निकलना है जरूरी (make time for intimacy)

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ सेक्सुअल हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन बताते हैं कि रिश्ते में घनिष्ठता बनाए रखने के लिए समय निकालना जरूरी है। शुरुआत में थोड़ी दिक्क्त हो सकती है। प्रयास करने पर धीरे-धीरे इंटिमेसी हो जाती है। इस पर विचार करना और योजना बनाना जरूरी है।


जैसे-जैसे रिश्ते में आगे बढ़ा जाता है, इंटिमेसी को प्राथमिकता देने पर बल दिया जाता है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि इंटिमेसी बढ़ाने में आलिंगन और चुंबन दोनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पार्टनर से जुड़ने, डेट प्लान करने या सेक्स शुरू करने की योजना बनाने के लिए हर दिन समय निकालें। इससे रिश्ते की शुरुआत और बाद के समय के बीच सेक्स और अंतरंगता सूची में आती जायेगी


कई ज्ञानी और संस्कारी लोगों को इस पोस्ट से इस जानकारी से आपत्ति भी हो सकती है। और जो संस्कारी का होने का दिखावा करते हैं वह वास्तव में संस्कारी होते नहीं हैं ।

 आज के समय में सेक्स एजुकेशन पर खुलकर चर्चा बहुत जरूरी है। यदि जानकारी अच्छी लगे तो शेयर जरूर करें और कमेंट्स में अपनी राय जरूर दें धन्यवाद 🙏


          ✍️...... सुनील राठौड़ 

Wednesday, 19 April 2023

मेरे अजनबी हमसफ़र....जरूर से जरूर पढ़ना:-

मेरे अजनबी हमसफ़र....जरूर से जरूर पढ़ना:-
वो ट्रेन के रिजर्वेशन के डब्बे में बाथरूम के तरफ वाली सीट पर बैठी थी... उसके चेहरे से पता चल रहा था कि थोड़ी सी घबराहट है उसके दिल में कि कहीं टीटी ने आकर पकड़ लिया तो..कुछ देर तक तो पीछे पलट-पलट कर टीटी के आने का इंतज़ार करती रही। शायद सोच रही थी कि थोड़े बहुत पैसे देकर कुछ निपटारा कर लेगी। देखकर यही लग रहा था कि जनरल डब्बे में चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें आकर बैठ गयी, शायद ज्यादा लम्बा सफ़र भी नहीं करना होगा। सामान के नाम पर उसकी गोद में रखा एक छोटा सा बेग दिख रहा था। मैं बहुत देर तक कोशिश करता रहा पीछे से उसे देखने की कि शायद चेहरा सही से दिख पाए लेकिन हर बार असफल ही रहा...फिर थोड़ी देर बाद वो भी खिड़की पर हाथ टिकाकर सो गयी। और मैं भी वापस से अपनी किताब पढ़ने में लग गया...लगभग 1 घंटे के बाद टीटी आया और उसे हिलाकर उठाया।
“कहाँ जाना है बेटा” “अंकल दिल्ली तक जाना है”“टिकट है ?” “नहीं अंकल …. जनरल का है ….लेकिन वहां चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें बैठ गयी”“अच्छा 300 रुपये का पेनाल्टी बनेगा” “ओह …अंकल मेरे पास तो लेकिन 100 रुपये ही हैं”“ये तो गलत बात है बेटा …..पेनाल्टी तो भरनी पड़ेगी” “सॉरी अंकल …. मैं अलगे स्टेशन पर जनरल में चली जाउंगी …. मेरे पास सच में पैसे नहीं हैं …. कुछ परेशानी आ गयी, इसलिए जल्दबाजी में घर से निकल आई … और ज्यादा पैसे रखना भूल गयी….” बोलते बोलते वो लड़की रोने लगी टीटी उसे माफ़ किया और 100 रुपये में उसे दिल्ली तक उस डब्बे में बैठने की परमिशन देदी। टीटी के जाते ही उसने अपने आँसू पोंछे और इधर-उधर देखा कि कहीं कोई उसकी ओर देखकर हंस तो नहीं रहा था..थोड़ी देर बाद उसने किसी को फ़ोन लगाया और कहा कि उसके पास बिलकुल भी पैसे नहीं बचे हैं …दिल्ली स्टेशन पर कोई जुगाड़ कराके उसके लिए पैसे भिजा दे, वरना वो समय पर गाँव नहीं पहुँच पायेगी। मेरे मन में उथल-पुथल हो रही थी, न जाने क्यूँ उसकी मासूमियत देखकर उसकी तरफ खिंचाव सा महसूस कर रहा था, दिल कर रहा था कि उसे पैसे देदूं और कहूँ कि तुम परेशान मत हो … और रो मत …. लेकिन एक अजनबी के लिए इस तरह की बात सोचना थोडा अजीब था। उसकी शक्ल से लग रहा था कि उसने कुछ खाया पिया नहीं है शायद सुबह से … और अब तो उसके पास पैसे भी नहीं थे। बहुत देर तक उसे इस परेशानी में देखने के बाद मैं कुछ उपाय निकालने लगे जिससे मैं उसकी मदद कर सकूँ और फ़्लर्ट भी ना कहलाऊं। फिर मैं एक पेपर पर नोट लिखा,“बहुत देर से तुम्हें परेशान होते हुए देख रहा हूँ, जानता हूँ कि एक अजनबी हम उम्र लड़के का इस तरह तुम्हें नोट भेजना अजीब भी होगा और शायद तुम्हारी नज़र में गलत भी, लेकिन तुम्हे इस तरह परेशान देखकर मुझे बैचेनी हो रही हैइसलिए यह 500 रुपये दे रहा हूँ , तुम्हे कोई अहसान न लगे इसलिए मेरा एड्रेस भी लिख रहा हूँ …...जब तुम्हें सही लगे मेरे एड्रेस पर पैसे वापस भेज सकती हो …. वैसे मैं नहीं चाहूँगा कि तुम वापस करो ….. अजनबी हमसफ़र ” एक चाय वाले के हाथों उसे वो नोट देने को कहा, और चाय वाले को मना किया कि उसे ना बताये कि वो नोट मैंने उसे भेजा है। नोट मिलते ही उसने दो-तीन बार पीछे पलटकर देखा कि कोई उसकी तरह देखता हुआ नज़र आये तो उसे पता लग जायेगा कि किसने भेजा। लेकिन मैं तो नोट भेजने के बाद ही मुँह पर चादर डालकर लेट गया था...थोड़ी देर बाद चादर का कोना हटाकर देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कराहट महसूस की। लगा जैसे कई सालों से इस एक मुस्कराहट का इंतज़ार था। उसकी आखों की चमक ने मेरा दिल उसके हाथों में जाकर थमा दिया …. फिर चादर का कोनाहटा- हटा कर हर थोड़ी देर में उसे देखकर जैसे सांस ले रहा था मैं...पता ही नहीं चला कब आँख लग गयी। जब आँख खुली तो वो वहां नहीं थी … ट्रेन दिल्ली स्टेशन पर ही रुकी थी। और उस सीट पर एक छोटा सा नोट रखा था ….. मैं झटपट मेरी सीट से उतरकर उसे उठा लिया .. और उस पर लिखा था … Thank You मेरे अजनबी हमसफ़र …..आपका ये अहसान मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूलूँगी …. मेरी माँ आज मुझे छोड़कर चली गयी हैं …. घर में मेरे अलावा और कोई नहीं है इसलिए आनन – फानन में घर जा रही हूँ। आज आपके इन पैसों से मैं अपनी माँ को शमशान जाने से पहले एक बार देख पाऊँगी …. उनकी बीमारी की वजह से उनकी मौत के बाद उन्हें ज्यादा देर घर में नहीं रखा जा सकता। आज से मैं आपकी कर्ज़दार हूँ ….जल्द ही आपके पैसे लौटा दूँगी। उस दिन से उसकी वो आँखें और वो मुस्कराहट जैसे मेरे जीने की वजह थे …. हर रोज़ पोस्टमैन से पूछता था शायद किसी दिन उसका कोई ख़त आ जाये …. आज 1 साल बाद एक ख़त मिला ….आपका क़र्ज़ अदा करना चाहती हूँ …. लेकिन ख़त के ज़रिये नहीं आपसे मिलकर … नीचे मिलने की जगह का पता लिखा था …. और आखिर में लिखा था ... तुम्हारी अजनबी हमसफ़र …

किसी को रोते देख कर हँसो मत कियु की ओ हर इंसान किस दुख में है...............

 हो सकता है मैं कभी प्रेम ना जता पाऊं तुमसे.. लेकिन कभी पीली साड़ी में तुम्हे देखकर थम जाए मेरी नज़र... तो समझ जाना तुम... जब तुम रसोई में अके...